नागपुर (Nagpur) भारत के महाराष्ट्र राज्य का तिसरा सबसे बडा शहर है। यह महाराष्ट्र और भारत का एक प्रमुख नगर है और भारत के मध्य में स्थित है। नागपुर को महाराष्ट्र कि उपराजधानी होने का दर्जा प्राप्त है।[6][7] नागपुर भारत का १३वां व विश्व का ११४ वां सबसे बड़ा शहर हैं। यह नगर संतरों के लिये काफी मशहूर है। इसलिए इसे लोग संतरों की नगरी भी कहते हैं। हाल ही में इस शहर को देश के सबसे स्वच्छ व सुंदर शहर का इनाम मिला है। नागपुर भारत देश का दूसरे नंबर का ग्रीनेस्ट (हरित शहर) शहर माना जाता है। नागपुर शहर की स्थापना बख्त बुलंद शाह ने की थी। फिर वह राजा भोसले के उपरान्त मराठा साम्राज्य में शामिल हो गया। १९वीं सदी में अंग्रेज़ी हुकूमत ने उसे मध्य प्रान्त व बेरार की राजधानी बना दिया। आज़ादी के बाद राज्य पुनर्रचना ने नागपुर को महाराष्ट्र की उपराजधानी बना दिया। नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसी राष्ट्रवादी संघटनाओ का एक प्रमुख केंद्र है। नाम[संपादित करें]नाग नदी। माना जाता है की नागपुर का नाम इसी नदीं के आधार पर पड़ा था। नागपुर का नाम नाग नदी से रखा गया है। यह नदी नागपुर के पुराने हिस्से से गुजरती है। नागपुर महानगर पालिका के चिन्ह पर नदी और एक नाग है। नागपुर संत्रों के लिये मशहूर है और उसे संत्र नगरी भी कहा जाता है;और नागपुर में नाग सांप बहुत पाया जाता था इस कारण से नागपुर का नाम नागपुर रखा गया। इतिहास[संपादित करें]नागपुर शहर की स्थापना देवगड़ (छिंदवाड़ा) के शासक गोंड वंश के राजा ने की थी। संतरे की राजधानी के रूप में विख्यात नागपुर महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। पर्यटन की दृष्टि से यह महाराष्ट्र के अग्रणी शहरों में शुमार किया जाता है। यहां बने अनेक मंदिर, ऐतिहासिक इमारतें और झील यहां आने वाले सैलानियों के केन्द्र में होते हैं। इस शहर से बहने वाली नाग नदी के कारण इसका नाम नागपुर पड़ा। नागपुर की स्थापना देवगढ़ के गोंड राजा बख्त बुलंद शाह ने 1703 ई. में की थी। यह शहर 1960 तक मध्य भारत राज्य की राजधानी था। 1960 के बाद यहां की मराठी आबादी को देखते हुए इसे महाराष्ट्र के जिले के रूप में शामिल कर लिया गया। 9890 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस जिले में 13 तहसील और 1969 गांव शामिल हैं। भूगोल[संपादित करें]नागपुर का स्थान २१°०६' उत्तर अक्षांश, ७९° ०३' पूर्व रेखांश है।
पर्यटन स्थल[संपादित करें]अंबाझरी झील[संपादित करें]शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित यह झील 15.4 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। चारों ओर से खूबसूरत बगीचों से घिरी इस झील में नौकायन का आनंद लिया जा सकता है। झील के संगीतमय फव्वारे इस झील की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। झील के साथ ही एक बेहद खूबसूरत बगीचा है जिसे नागपुर के सबसे सुंदर स्थलों में शामिल किया जाता है। बालाजी मंदिर[संपादित करें]सेमीनरी पहाड़ियों के सुरमय वातावरण में भगवान वेंकटेश बालाजी का यह मंदिर बना हुआ है। मंदिर की अद्भुत वास्तुकारी देखने और आध्यात्मिक वातावरण की चाह में उत्तर और दक्षिण भारत से हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का यहां आगमन होता है। मंदिर परिसर में भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा भी स्थापित है, जिसे देवताओं की सेना का सेनापति कहा जाता है। पोद्दारेश्वर राम मंदिर[संपादित करें]इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के पोद्दार परिवार के श्री जमुनाधर पोद्दार ने 1923 ई. में करवाया था। मंदिर में भगवान राम और शिव की प्रतिमाएं स्थापित हैं। सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बने इस मंदिर में खूबसूरत नक्कासी की गई है। राम नवमी को होने वाली राम जन्मोत्सव शोभायात्रा के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। दीक्षाभूमि[संपादित करें]पश्चिमी नागपुर में रामदास पीठ के निकट दीक्षाभूमि स्थित है। भारतरत्न डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर जी ने इसी जगह 1956 मे अपने लाखो अनुयायीयो के समक्ष बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। हर साल बौद्ध धम्म के अनुयायी लाखो की संख्या मे आकर भेट देते है इसी कारण यह स्थान तीर्थस्थल के तौर पर जाना जाता है। इस स्थान पर एक मेमोरियल भी बना हुआ है। सांची के स्तूप जैसी एक शानदार इमारत का यहां निर्माण किया गया है जिसे बनवाने में 6 करोड़ रूपये खर्च हुए थे। इस इमारत के प्रत्येक खंड में एक साथ 5000 भिक्षु ठहर सकते हैं। अदासा[संपादित करें]यह नागपुर का एक छोटा-सा गांव है। यहां अनेक प्राचीन और शानदार मंदिर देखे जा सकते हैं। यहां के गणपति मंदिर में भगवान गणेश की एकल शिलाखंड से बनी प्रतिमा स्थापित है। अदासा के समीप ही एक पहाड़ी में तीन लिंगों वाला भगवान शिव को समर्पित मंदिर बना हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर के लिंग अपने आप भूमि से निकले थे। रामटेक[संपादित करें]इस स्थान को रामटेक इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान राम और उनकी पत्नी सीता के पवित्र चरणों का स्पर्श हुआ था। यहां की पहाड़ी के शिखर पर भगवान राम का मंदिर बना हुआ है, जो लगभग 600 साल पुराना माना जाता है। रामनवमी पर्व यहां बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। संस्कृत कवि कालिदास के मेघदूतम में इस स्थान को रामगिरी कहा गया है। इसी स्थान पर उन्होंने मेघदूतम की रचना की थी। पहाड़ी पर कालिदास का समर्पित एक स्मारक भी बना हुआ है। खेकरानाला[संपादित करें]नागपुर से 55 किलोमीटर दूर खेकरानाला में एक खूबसूरत बांध बना हुआ है। यहां के मनोरम और शांत वातावरण में सुकून के कुछ पल गुजारने के लोग आते रहते हैं। खेकरानाला का स्वस्थ और हरा-भरा वातावरण पिकनिक के लिए भी बहुत अनुकूल माना जाता है। मरकड[संपादित करें]वेनगंगा नदी के बांए तट पर स्थित मरकड एक धार्मिक स्थल के रूप में लोकप्रिय है। संत मार्कडेंय के नाम पर इस जगह का नाम पड़ा। यहां लगभग 24 मंदिरों का समूह है। माना जाता है कि यहां के शिवलिंग की मार्कडेंयने पूजा की थी। यहां के मंदिरों की वास्तुकारी खजुराहो के मंदिरों से मिलती है। नगरधन[संपादित करें]नगरधन एक महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक नगर है। शैल साम्राज्य के राजा नंदवर्धन को इस नगर का मूल संस्थापक माना जाता है। नगरधन में भोंसलों द्वारा स्थापित एक किला है जिसकी दीवारें ईंटों से बनी हुई हैं। यहां एक वन्यजीव अभयारण्य भी है। यहां जंगली जानवरों को खुले में विचरण करते देखा जा सकता है। गौर यहां का मुख्य आकर्षण है। साथ ही सांभर, हिरन और अन्य बहुत से जीवों को देखा जा सकता है। नवेगांव बांध[संपादित करें]नवेगांव बांध को विदर्भ के सबसे लोकप्रिय फॉरेस्ट रिजॉर्ट में शुमार किया जाता है। यहां साहसिक खेलों के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। इस बांध को 18वीं शताब्दी की शुरूआत में कोलू पटेल कोहली ने बनवाया था। यहां की पहाड़ियों के बीच एक बेहद खूबसूरत झील भी बनी हुई है। नवेगांव बांध के वाचटॉवर से यहां के वन्यजीवों की गतिविधियां देखी जा सकती हैं। यहां एक डीयर पार्क भी बना हुआ है। सेवाग्राम[संपादित करें]महात्मा गांधी ने 1933 में सेवाग्राम आश्रम स्थापित किया था। यहां उन्होंने अपने जीवन के 15 वर्ष व्यतीत किए थे। कहा जाता है कि इस स्थान पर महात्मा गांधी समाज सेवा के विविध कार्यक्रम संपन्न करते थे। इसी कारण इसे सेवाग्राम कहा जाता है। यहां के यात्री निवास में लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। सीताबर्डी किला[संपादित करें]यह किला दो पहाड़ियों पर बना है। किले को 1857 में एक ब्रिटिश अफसर ने बनवाया था। तब से यह किला नागपुर आने वाले सैलानियों को लुभा रहा है। शिक्षा और वाणिज्य[संपादित करें]नागपुर में लगभग 100 से भी अधिक अभियांत्रीकी (इंजीनियरिंग) महाविद्यालय है। नागपुर विश्वविद्यालय महाराष्ट्र का एक बहुत बड़ा विश्वविद्यालय है। आवागमन[संपादित करें]वायु मार्गडॉ॰बाबासाहब अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र जिसे सोनेगांव एयरपोर्ट भी कहते हैं, यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो सिटी सेंटर से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। इस घरेलू एयरपोर्ट से देश के कई शहरों के लिए फ्लाइटें हैं। रेल मार्गनागपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन राज्य का एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, कोल्हापुर, पुणे, अहमदाबाद, हैदराबाद, वाराणसी, गोरखपुर, भुवनेश्वर, त्रिवेन्द्रम, कोचीन, बंगलुरू, मंगलौर, पटना, इंदौर और सीतामढ़ी आदि शहरों से यहां के लिए सीधी ट्रेनें हैं। यह मध्य रेल का एक बहुत बड़ा और व्यस्त डिविशण (भाग) है। सड़क मार्गराष्ट्रीय राजमार्ग 44, राष्ट्रीय राजमार्ग 47 और राष्ट्रीय राजमार्ग 53 नागपुर को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ता है। मुंबई, संभलपुर, कोलकाता, वाराणसी और कन्याकुमारी जैसे शहरों से यहां सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। नागपुर में सिटी बस की सेवा भी उपलब्ध है जो शहर में लोगों को शहर में एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाता है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
राजस्थान का नागपुर कौन से जिले को कहा जाता है?Detailed Solution
संतरे के उच्च उत्पादन के कारण झालावाड़ को राजस्थान का नागपुर कहा जाता है।
कौन सा नगर राजस्थान का कानपुर कहलाता है?कोटा को इसके उद्योगों के कारण राजस्थान के कानपुर के नाम से जाना जाता है।
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