राजनीति शास्त्र का समाजशास्त्र की क्या देन है? - raajaneeti shaastr ka samaajashaastr kee kya den hai?

Hello दोस्तों ज्ञानउदय ने आपका एक बार फिर स्वागत है । आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान का अन्य विषयों के साथ सम्बंध के बारे में । इस Post के जरिये हम जानेंगे कि किस तरह राजनीति विज्ञान अन्य विषयों जैसे समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र से क्या संबंध रखती है ?

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज मे रहता है, और हर व्यक्ति का हित एक दूसरे से जुड़ा है । मनुष्य संपूर्ण व्यक्तित्व सामाजिक संबंध तथा क्रियाकलापों के अनेक पक्षों में व्यक्त होता है । मनुष्य के जीवन के विभिन्न पक्ष होते है, जो राजनैतिक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, नैतिक, मनोवैज्ञानिक तथा भौगोलिक संबंधों तथा क्रियाओं के रूप में प्रकट होते हैं या व्यक्त होते हैं । इनमें से किसी को एक दूसरे से बिल्कुल अलग करके नहीं देखा जा सकता है ।

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यह सभी पक्ष अलग-अलग सामाजिक विज्ञानों के अध्ययनों के विषय वस्तु होते हैं । जैसे राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, इतिहास, भूगोल तथा मनोवैज्ञानिक । ये जो सभी विषय हैं, जीवन के सभी पक्षों का अध्ययन करते हैं और सभी पक्ष एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए होते हैं । इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता है । एक विज्ञान दूसरे विज्ञान से अलग नहीं हो सकता । विज्ञान के सिद्धांत सर्वमान्य हैं । गार्नर ने कहा है कि

“हम संबंधित विज्ञानों के ज्ञान के बिना राजनीति शास्त्र को नहीं समझ सकते ।”

इसका मतलब यही है कि सभी विषय एक दूसरे से संबंधित हैं । जैसे राजनीति विज्ञान राज्य सरकार और कानून का तथा राजनीतिक संस्थाओं का अध्ययन करता है, तो समाजशास्त्र व्यक्ति, समुदाय, समाज तथा संबंधों का अध्ययन करता है ।

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अर्थशास्त्र में हम मनुष्य के आर्थिक पहलुओं का अध्ययन करते हैं । राजनीति शास्त्र की परिभाषा से भी स्पष्ट होता है, कि राजनीति शास्त्र, यह राज्य सरकार के कानून, राजनीतिक संस्था तथा शासन व्यवस्था आदि का अध्ययन करता है और जो समाजशास्त्र है, वह सामाजिक संबंधों का अध्ययन है ।

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समाजशास्त्र के अंतर्गत हम सामाजिक संबंधों का अध्ययन करते हैं और राजनीति विज्ञान के अंतर्गत हम राज्य का, सरकार का, कानून का, राजनीतिक संस्थाओं का तथा शासन का अध्ययन करते हैं । जो समाजशास्त्र है, वह राजनीतिक व्यवस्था के लिए एक सुविधाजनक दृष्टिकोण भी तैयार करता है ।

राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र के बीच अंतर ।

अब जानते हैं, समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में अंतर के बारे में ।

1 समाजशास्त्र संपूर्ण समाज का अध्ययन करता है । हमें समाज के बारे में बताता है । जबकि राजनीति विज्ञान में केवल राजनीति से संबंधित तथ्यों का अध्ययन किया जाता है ।

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2 समाजशास्त्र का उद्देश्य, समाज में रह रहे व्यक्तियों के और उसके राज्य के प्रति क्या कर्तव्य है, उनके क्या अधिकार हैं ? के बारे में व्याख्या करता है । इसके विपरीत राजनीति विज्ञान का उद्देश्य व्यक्तियों को राजनीतिक व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करना है ।

3 समाजशास्त्र एक व्यावहारिक विज्ञान है । यह मानव व्यवहार की व्याख्या करता है । जबकि राजनीति एक आदर्शवाद विज्ञान है । राज्य की आदर्श नीतियों और भविष्य के कल्पनाओं से भी संबंधित होता है ।

4 समाजशास्त्र सभी मानव संघों से संबंधित है । समाजशास्त्र का अध्ययन विस्तृत है । जबकि राजनीति मनुष्य के केवल एक संघ से संबंधित है । इस तरीके से राजनीति का जो क्षेत्र होता है, वह बहुत ही सीमित होता है ।

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राजनीति विज्ञान तथा अर्थशास्त्र में सम्बंध ।

1 राजनीति विज्ञान तथा अर्थशास्त्र दोनों ही अलग-अलग विषय हैं और दोनों ही अलग अलग क्षेत्रों के बारे में बताते हैं । दोनों ही अलग-2 पक्षों का अध्ययन करते हैं । राजनीति शास्त्र मनुष्य के राजनीतिक जीवन का अध्ययन करता है और अर्थशास्त्र मनुष्य के आर्थिक जीवन का अध्ययन करता है । लेकिन होता यह है कि मानव जीवन के आर्थिक और राजनीतिक पक्ष एक-दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते ।

2 राजनीतिक जीवन का आर्थिक जीवन का अलग-अलग रूप में देखना |

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3 अदम स्मिथ यह मानते हैं कि अर्थशास्त्र राजनीति शास्त्र का ही भाग है । एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है । पहले राजनीति विज्ञान को राजनीति अर्थशास्त्र कहा जाता था, तो इनका भी मानना यह है कि अर्थशास्त्र राजनीति शास्त्र का ही एक अंग है । वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्य को कल्याणकारी कार्य करने हैं । तो लोकहित कार्य का प्रमुख उद्देश्य हो गए हैं । इसके लिए राज्य की आर्थिक नीतियां महत्वपूर्ण हो जाती हैं । इसलिए संपूर्ण राष्ट्र राजनीति में आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती हैं ।

राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में अंतर

इनके विषय वस्तु में अंतर – राजनीति विज्ञान राज्य सरकार, शासन व्यवस्था, राजनीति मान्यता तथा आदर्शों का अध्ययन करता है । जबकि अर्थशास्त्र में उत्पादन, वितरण, मांग-पूर्ति, मूल्य तथा आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है ।

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अर्थशास्त्र का स्वरूप वर्णनात्मक होता है । जबकि राजनीति का स्वरूप आदर्श, आत्मज्ञानी, उत्पादन, वितरण में किया जाता है ।

राजनीति में मूल्यों, आदर्शों का अध्ययन के कारण राजनीति शासन का स्वरूप आदर्शवादी हो जाता है । इसमें राज्य की स्थापना करना इसका उद्देश्य होता है । लेकिन अर्थशास्त्र का उद्देश्य आर्थिक कल्याण, सामाजिक कल्याण की स्थापना करना होता है ।

राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र के संबंध

ये दोनों विषय एक दूसरे से संबंधित हैं । या तो कह सकते हैं कि ये दोनों विषय एक दूसरे पर संबंध ही नहीं बल्कि दोनों एक माने जाते हैं । वैसे दोनों आपस में एक दूसरे पर निर्भर माने जाते हैं । ऐसा माना जाता है कि पहले जब दो विषय नहीं थे तो राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र तो यह दोनों एक ही विषय माना जाता था । तब इनको पॉलीटिकल इकोनामी या राजनीतिक अर्थशास्त्र के नाम से जाना जाता था । लेकिन धीरे-धीरे करके दोनों विषयों का अलग-अलग विभाजन और स्वतंत्र विषय बना तो इनको राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र विज्ञान को अलग अलग कर दिया गया ।

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किसी भी देश की अर्थव्यवस्था सरकार की नीतियों पर आधारित होती है और आर्थिक स्थिति का प्रभाव राजनीतिक गतिविधियों पर पड़ता है । ऐसा नहीं है कि कोई अवस्था अपने आप निर्धारित हो जाती है । बल्कि सरकार की उसमें नीतियां होती हैं और देश की आर्थिक परिस्थितियां, राजनीति गतिविधियों पर प्रभाव डालती हैं । चार्ल्स बेयर्ड का मानना है कि अर्थशास्त्र के बिना राजनीति अधूरी तथा ढांचा मात्र है । तो आगे यही बताया जाता है कि ये दोनों आपस मे एक दूसरे से संबंधित हैं । ये दोनों एक दूसरे की पूरक हैं ।

तो दोस्तों ये था राजनीति विज्ञान का अन्य विषयों के साथ संबंध । अगर आपको ये Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

समाजशास्त्र तथा राजनीतिक शास्त्र का क्या संबंध है?

समाजशास्त्र सम्पूर्ण समाज और सामाजिक व्यवस्था का शास्त्र है। यह व्यक्तियों के समूह के रूप में समाज तथा व्यक्ति के सभी प्रकार के संबंधों का अध्ययन करता हैराजनीति विज्ञान का अध्ययन विषय राज्य भी एवं समाज का ही एक अंग है और राज्य एक राजनीतिक संस्था होने के साथ-साथ सामाजिक संस्था भी है

अर्थशास्त्र की राजनीति शास्त्र को क्या देन है?

राजनीति विज्ञान की अर्थशास्त्र को देन राज्य की नीतियाँ समाज के आर्थिक ढांचे व व्यवस्थित रुप को निर्धारित करती हैं। राज्य की नीति के अनुसार ही वस्तुओं के उत्पादन व वितरण की प्रणाली निश्चित की जाती है। समाज के आर्थिक विकास पर प्रशासन के स्तर का भी स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।

राजनीतिक समाजशास्त्र का जनक कौन है?

राजनीति शास्त्र के जनक अरस्तु को कहा जाता है।