Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf. Show GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की यादStd 9 GSEB Hindi Solutions साँवले सपनों की याद Textbook Questions and Answers प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. ख. कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा – कैसे गा सकेगा? ग. सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे। प्रश्न 5. 2. लेखक ने सालिम अली का शब्दचित्र खींचा है। सालिम अली का चेहरा या उनका व्यक्तित्व हमारी आँखों के सामने आ जाता है। लेखक का शब्दचित्र प्रस्तुत करने की शैली अनोखी है। 3. आवश्यकतानुरूप तत्सम, तद्भव, शज व अरबी, फारसी के सरल शब्दों का प्रयोग कर भाषा को जीवन्त रखने का प्रयास किया गया है। 4. जरूरत पड़ने पर मुहावरेदार भाषा का भी प्रयोग लेखक ने किया है। जैसे – आँखें नम होना इत्यादि। इसके अतिरिक्त लेखक ने संवाद-शैली का भी प्रयोग किया है। जैसे ‘मुझे नहीं लगता, कोई इस सोये पक्षी को जगाना चाहेगा।’ या मेरी छत पर बैठनेवाली गौरेया लरिंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। इसके द्वारा लेखक ने संवाद-शैली का प्रभाव उत्पन्न किया है मानो दो लोग आपस में बातें कर रहे हो। प्रश्न 6. लंबी-लंबी यात्रा करके वे पक्षियों के विषय में अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित करते रहे। वे प्रकृति की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। इसीलिए केरल की साइलेंट वेली की सुरक्षा का प्रस्ताव लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पास गये थे। उनके पास प्रकृति एवं पक्षियों की विस्तृत और अथाह जानकारी थी, इसलिए ये किसी समुद्र का टापू बनकर नहीं अथाह समुद्र बनकर उभरे थे। प्रश्न 7. रचना और अविभक्ति प्रश्न 8.
GSEB Solutions Class 9 Hindi साँवले सपनों की याद Important Questions and Answers आशय स्पष्ट कीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. उनका बचाया जाना जरूरी है नहीं तो उन पक्षियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। लेकिन अब ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो उन पक्षियों को बचाने के लिए प्रयास करे | सालिम अली थे। पर अब ये हमारे बीच नहीं हैं। इसलिए इन पक्षियों की वकालत करनेवाला कोई नहीं है। अतिरिक्त लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. अतिरिक्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
अति लघुत्तरी प्रश्नोत्तर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए गये विकल्पों में से चुनकर लिखिए। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (क) गोपियों का अपनी शरारतों का निशाना बनाना प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. अर्थ-संबंधी प्रश्नोत्तर इस हजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर, सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफ़र का बोड़ा उताए। लेकिन यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वो उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा ! प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. वर्षों पूर्व, खुद सालिम अली ने कहा था कि लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखना चाहते हैं। यह उनकी भूल है, ठीक उसी तरह, जैसे जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वो प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नज़र से देखने को उत्सुक रहते हैं। भला कोई आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज़ का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है ? प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. कानन, वन पता नहीं, यह कब हुआ था। लेकिन कोई आज भी वृंदावन जाए तो नदी का साँवला पानी उसे पूरे घटनाक्रम की याद दिला देगा। हर सुबह, सूरज निकलने से पहले, जब पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है, तो लगता है जैसे उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई सामने आएगा और बंसी की आवाज़ पर सब किसी के कदम थम जाएँगे। हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा तो लगता है जैसे सब कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। वृंदावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या ! प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. मिथकों की दुनिया में इस सवाल का जवाब तलाश करने से पहले एक नज़र कमज़ोर काया वाले उस व्यक्ति पर डाली जाए जिसे हम सालिम अली के नाम से जानते हैं। उम्र को शती तक पहुँचने में थोड़े ही दिन तो बच रहे थे। संभव है, लंबी यात्राओं की थकान ने उनके शरीर को कमज़ोर कर दिया हो, और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी उनकी मौत का कारण बनी हो। लेकिन अंतिम समय तक मौत उनकी आँखों से वह रोशनी छीनने में सफल नहीं हुई जो पक्षियों की तलाश और उनकी हिफ़ाज़त के प्रति समर्पित थी। सालिम अली की आँखों पर चढ़ी दूरबीन उनकी मौत के बाद ही तो उतरी थी। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न : अपने लंबे रोमांचकारी जीवन में ढेर सारे अनुभवों के मालिक सालिम अली एक दिन केरल की ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर चौधरी चरण सिंह से मिले थे। वे प्रधानमंत्री थे। चौधरी साहब गाँव की मिट्टी पर पड़नेवाली पानी की पहली बूंद का असर जाननेवाले नेता थे। पर्यावरण के संभावित खतरों का जो चिन्न सालिम अली ने उनके सामने रखा, उसने उनकी आँखें नम कर दी थीं। आज सालिम अली नहीं हैं | चौधरी साहब भी नहीं हैं। कौन बचा है, जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा ? कौन बचा है, जो अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों की वकालत करेगा ? प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नाम रखा था ‘फॉल ऑफ ए स्पैरो’ (Fall of a Sparrow)। मुझे याद आ गया, डी. एच. लॉरेंस की मौत के बाद लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से अनुरोध किया कि वह अपने पति के बारे में कुछ लिने। फ्रीडा चाहती तो ढेर सारी बातें लॉरेंस के बारे में लिख्न सकती थी। लेकिन उसने कहा – मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ लिखना असंभव-सा है। मुझे महसूस होता है, मेरी छत पर बैठनेवाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। मुहासे भी ज़्यादा जानती है। वो सचमुच इतना खुला-खुला और सादा-दिल आदमी था। मुमकिन है, लेरिस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो। लेकिन मेरे लिए कितना कठिन है, उसके बारे में अपने अनुभवों को शब्दों का जामा पहनाना। मुझे यकीन है, मेरी छत पर बैठी गौरैया उसके बारे में, और हम दोनों ही के बारे में, मुझसे ज़्यादा जानकारी रखती है। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली हमेशा एक पहेली बने रहेंगे। बचपन के दिनों में, उनकी एयरगन से घायल होकर गिरनेवाली, नीले कंठ की वह गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ़ ले जाती रही। जिंदगी की ऊंचाइयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डिगा नहीं। वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिसप बन गये थे। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित हैं, उन्हें महसूस होता है कि वो आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले हैं, और बस अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. साँवले सपनों की याद Summary in Hindiजाबिर हसन का जन्म बिहार के जिला नालंदा के नौनहीं गाँव में हुआ था। वे अंग्रेजी भाषा, साहित्य के प्राध्यापक थे। उन्होंने राजनीति में सक्रिय भागीदारी लेते हुए 1977 में मुंगेर से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये और मंत्री बने। सन् 1995 में बिहार विधानसभा के सभापति भी रहे।। जाबिर हुसैन को हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू तीनों भाषाओं पर समान अधिकार था। तीनों भाषाओं में इन्होंने अपनी लेखनी चलाई है। हिन्दी की उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – जो आगे है, डोला बीबी की मजार, अतित का चेहरा, लोगा, एक नदी रेत भरी इत्यादि। अपने लम्बे राजनैतिक व सामाजिक जीवन के अनुभवों में उपस्थित आम आदमी की पीड़ा, उसके सुख-दुख व संघर्षों को अपने साहित्य में चित्रित किया है। संघर्षरत आम आदमी और विशिष्ट आदमियों पर लिखी गई उनकी डायरी लोगों में बहुत चर्चित हुई है। प्रस्तुत पाठ प्रसिद्ध पक्षीविद् सालिम अली की मृत्यु (1989) के बाद उनकी स्मृति में लिखा गया एक संस्मरण है। सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसान को लेखक ने ‘साँवले सपनों की याद’ के रूप में अभिव्यक्त किया है। लेखक ने इस पाठ में सालिम अली का व्यक्ति चित्र प्रस्तुत किया है। प्रकृति और पक्षी के प्रति उनकी दीवानगी बस देखते ही बनती है। पाठ का सार : सालिम अली की अंतिम यात्रा : सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की ओर जा रही है, जिसे अब कोई रोक नहीं सकता। इस झंड में सालिम अली सबसे आगे चल रहे हैं। यह उनकी अंतिम यात्रा है। अब ये जिंदगी का आखिरी गीत गा चुके वन पक्षी की भाँति प्रकृति में विलीन होने जा रहे हैं। अब उन्हें किसी भी तरह लोटाया नहीं जा सकता। पक्षी-प्रेमी सालिम अली : सालिम अली पक्षी प्रेमी वैज्ञानिक थे। वर्षों पहले उन्होंने कहा था कि लोग पक्षी को आदमी की नजर से देखते हैं। यह उनकी भूल है। ठीक उसी तरह, जैसे जंगल और पहाड़ों, झरनों और आवशारों को वे प्रकृति की नजर से नहीं, आदमी की नजर से देशाने को उत्सुक रहते हैं। सामान्य तौर पर साधारण आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता नहीं महसूस कर सकता। किन्तु सालिम अली एक ऐसे ही व्यक्ति थे। वृंदावन की साँवली यादें : पता नहीं कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची, गोपियों से कब शरारतें की, कब उन्होंने माखन से भरी मटकियों को फोड़ा, कब वाटिका में छोटे-छोटे किन्तु घने पेड़ों की छाया में विश्राम किया, कब उन्होंने बाँसुरी बजाई, कब वृंदावन की पूरी दुनिया संगीतमय हो गई, किन्तु आज भी कोई वृंदावन जाये तो नदी का साँवला पानी उस पूरे घटनाक्रम की याद दिला देगा। ऐसा लगता है कि जैसे कुछ पलों में वे (कृष्ण) कहीं से आ टपकेंगे और संगीत का जादू वाटिका से भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। मिथक सालिम अली बन गए : सालिम अली एक कमजोर काया वाले व्यक्ति थे झिनकी उम्र लगभग सौ के आसपास थी। लंबी-लंबी यात्रा करने के कारण उनका शरीर कमजोर पड़ गया था। तथा उन्हें केंसर की बीमारी थी जो उनकी मृत्यु का कारण बनी। उनकी आँखों की रोशनी अन्त तक सलामत थी। वे अंतिम साँस तक पक्षियों की देखरेख करते रहे। सालिम अली की आँखों से दूरबीन मौत के बाद ही उतरी थी। बर्ड वाचर सालिम अली : सालिम अली बर्ड वाचर थे। उनकी आँखों पर हमेशा दूरबीन लगा रहता था। कभी-कभी एकांत के क्षणों में वे बिना दूरबीन के देखे गये हैं। वे प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाय उसे अपने प्रभाव में लाने के कायल थे। प्रकृति उनके लिए हँसती-खेलती रहस्यमयी दुनिया थी। यह दुनिया इन्होंने बड़ी मेहनत से बनाई थी जिसमें उनकी पत्नी तहमीना का भी योगदान था। स्कूल के दिनों में तहमीना उनकी सहपाठी थीं। प्रधानमंत्री चरणसिंह से मुलाकात : सालिम अली केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हया के झोंको से बचाने का अनुरोध लेकर उस समय के प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह से मिले। चौधरी चरण भी गाँव की मिट्टी से जुड़े नेता थे। सालिम अली के प्रस्ताव को सुनकर ये ‘भावुक हो उठे थे। आज न तो सालिम अली हैं, न चरणसिंह जी, जो हिमालय और लद्दाख की बरफीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों की वकालत करें। पक्षीप्रेमी डी. एच. लॉरेंस : डी. एच. लॉरंस भी सालिम अली की तरह पक्षीप्रेमी थे। उनकी मृत्यु के बाद लोगों ने उनकी पत्नी को उनके बारे में लिखने को कहा तब उन्होंने कहा कि ‘मेरे लिए लॉरेंसे के बारे में कुछ लिखना असंभव सा है। मुझे महसूस होता है कि, मेरी छत पर बैठनेवाली, गौरेया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती हैं।’ यो सचमुच एक खुला-खुला और सादा-दिल का आदमी था। फ्रीडा लॉरेन्स ने बताया कि अपने पति के बारे में लिखना उनके लिए बहुत कठिन है। बचपन की एक घटना ने पक्षीप्रेमी बनाया : बचपन के दिनों में एक नीले कंठ की गौरैया उनकी एयरगन से घायल होकर गिर गई थी। यही गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नये रास्ते की ओर ले जाने के लिए प्रेरणा देती रही। वे लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गये थे। भ्रमणशील सालिम अली : सालिम अली भ्रमणशील और यायावरी थे। उनके परिचित इसे अच्छी तरह से जानते थे। ऐसा लगता है कि आज भी ये पक्षियों की खोज में निकलते हैं और थोड़ी देर में गले में लंबी दूरबीन लटकाए खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे। लेखक का मन मानने को तैयार नहीं कि सलीम अली अब हमारे बीच नहीं हैं। सालिम अली कौन से वैज्ञानिक थे 1 Point?सालिम अली कौन-से विज्ञानी थे ? (D) मानव।। उत्तर. – पक्षी।
सालिम अली कौन थे कक्षा 9?सालिम अली प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी थे। वे पक्षियों की खोज में दूर-दूर तक दुर्गम स्थानों पर जाया करते थे। वे दूरबीन का प्रयोग दूर-दराज बैठे पक्षियों के सूक्ष्म निरीक्षण के लिए प्रयोग करते थे। वे पारखी दृष्टि के थे ।
सालिम अली के पक्षी प्राणी क्यों कहा जाता है?बर्ड-वाचर' प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी सालिम अली को कहा गया है क्योंकि सालिम अली जीवनभर पक्षियों की खोज करते रहे। और उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित रहे। वे अपने सुख-दुख की चिंता किए बिना आँखों पर दूरबीन लगाए पक्षियों से जुड़ी जानकारी एकत्र करते रहे।
सलीम अली की पत्नी का क्या नाम है?सलिम अली के प्रारंभिक सर्वेक्षणों में उनकी पत्नी तहमीना का साथ और समर्थन दोनों प्राप्त हुआ और एक मामूली सर्जरी के बाद 1939 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद वे एकदम टूट गए। 1939 में तहमीना की मृत्यु के बाद, सलिम अली अपनी बहन कम्मो और बहनोई के साथ रहने लगे।
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