कुंडली में आयु को कैसे देखा जाता है? - kundalee mein aayu ko kaise dekha jaata hai?

जिनकी कुंडली में लग्नेश और अष्टमेश दोनों एक साथ छठवें स्थान में शनि, राहु और केतु के साथ हों तो उनकी दशा-अंतर्दशा में शस्त्र या चोर घात से मृत्यु होती है। ऐसा ज्योतिष शास्त्र कहते हैं। कुंडली का राहु तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो वह व्यक्ति को दीर्घायु बनाता है।

ऐसे लोगों का अंत नजदीक

कुंडली में आयु को कैसे देखा जाता है? - kundalee mein aayu ko kaise dekha jaata hai?

जिनकी कुंडली के आठवें घर में सूर्य होता है, ऐसे लोगों की मृत्यु अग्नि, बुखार, मूत्र संबंधी परेशानी से होने की आशंका बनी रहती है। साथ ही ऐसे इंसान के अंत कितना नजदीक है उसका भी पता नहीं चलता है।

ऐसे व्यक्ति वाहन संभालकर चलाएं

कुंडली में आयु को कैसे देखा जाता है? - kundalee mein aayu ko kaise dekha jaata hai?

कुंडली में छठवें स्थान में चतुर्थेश शनि के साथ हो तो ऐसे लोगों की मृत्यु वाहन दुर्घटना से होने की आशंका रहती है। ऐसे व्यक्तियों को संभलकर चलना होता है। जीवन-मरण ईश्वर के हाथ में है, कुंडली के भाव केवल अंदेशा दे सकते है।

स्त्री के लिए नहीं है सही

कुंडली में आयु को कैसे देखा जाता है? - kundalee mein aayu ko kaise dekha jaata hai?

कुंडली के आठवें भाव में यदि कोई ग्रह ना हो तो उत्तम है। अगर शुभ ग्रह हों तो अच्छा है लेकिन अशुभ ग्रह आठवें स्थान में होने से आयु काटते हैं। वहीं स्त्री के आठवें भाव में पाप ग्रह वैधव्य कारक होता है।

मंगल की चाल देती है संकेत

कुंडली में आयु को कैसे देखा जाता है? - kundalee mein aayu ko kaise dekha jaata hai?

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को दुर्घटना कारक माना जाता है। अगर आठवें घर में मंगल है तो व्यक्ति की मृत्यु आग, दुर्घटना, घाव, चिकित्सा, वाहन दुर्घटना, जादू-टोना आदि से होने की आशंका बनी रहती है। माना जाता है कि जब व्यक्ति को भ्रम हर जगह दिखाई दे तो उसका अर्थ है कि उसकी मौत निकट है।

गुरु की चाल के जब होते आप शिकार

कुंडली में आयु को कैसे देखा जाता है? - kundalee mein aayu ko kaise dekha jaata hai?

जिनकी कुंडली में गुरु आठवें घर में है तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु ह्दय रोग, किडनी, दुर्बलता से होने की आशंका बनी रहती है। वहीं बुध के होने से नसों में कमजोरी, अपच, लकवा से मृत्यु का अंदेशा होता है।

आयु निर्णय की विभिन्न विधियां हैं:- पराशर ऋषि के अनुसार आयु गणना की लगभग 82 विधियां है। जन्म कुंडली विशेष के लिए किस विधि का उपयोग किया जाना चाहिए। इसका निर्णय ग्रहबल और भाव बल के द्वारा किया जाता है। यहां जो जानकारी दी जा रही है वह संक्षिप्त में है इसे पूर्ण ना माना जाए। पूर्ण से ही किसी प्रकार का निर्णय लिया जा सकता है।

1. जब जातक की कुंडली में चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है।

2. इसके अलावा व्यक्ति के जीवन पर केवल उसकी कुंडली का ही नहीं, वरन उसके संबंधियों की कुंडली के योगों का भी असर पड़ता है। जैसे किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई वर्ष विशेष मारक हो मगर उसके पुत्र की कुंडली में पिता का योग बलवान हो, तो उपाय करने पर यह मारक योग केवल स्वास्थ्य कष्ट का योग मात्र बन जाता है। अतः इन सब बातों का ध्यान रखते हुए मनीषियों ने आयु निर्धारण के सामान्य नियम बताते हुए अल्पायु योगों का संकेत दिया है।

3. आयु निर्धारण में मुख्य ग्रह यानि लग्न के स्वामी का बड़ा महत्व होता है। यदि मुख्य ग्रह 6, 8, 12 में है तो वह स्वास्थ्य की परेशानी देगा ही देगा और उससे जीवन व्यथित होगा अतः इसकी मजबूती के उपाय करना जरूरी होता है।

4. यदि गुरु अष्‍टम और छठे भाव में स्थित होकर पीड़ित हो रहा है तो भी यह अल्पायु योग माना जाता है। लाल किताब के अनुसार आयु का निर्धारण गुरु से होता है।

5. यदि सभी पाप ग्रह शनि, राहू, सूर्य, मंगल, केतु और चंद्रमा (अमावस्या वाला) 3, 6,12 में हो तो आयु के अल्प होने की संभावना होती है। लग्न में लग्नेश सूर्य के साथ हो और उस पर पाप दृष्टि हो तो लंबी आयु योग कमजोर पड़ सकता है।

6. यदि 8वें स्थान का स्वामी यानि अष्टमेश 6 या 12 स्थान में हो और पाप ग्रहों के साथ हो या पाप प्रभाव में हो तो अल्पायु योग बनता है। लग्नेश निर्बल हो और केंद्र में सभी पाप ग्रह हो, जिन पर शुभ दृष्टि न हो तो आयु कम हो सकती है।

7. धन और व्यय भाव में (2 व 12 में) पाप ग्रह हो और मुख्य ग्रह कमजोर हो तो भी यह योग माना जाता है।

8. लग्न में शुक्र और गुरु हो और पापी मंगल 5वें भाव में हो तो आयु योग कम होता है।

9. लग्न का स्वामी होकर चन्द्रमा अस्त हो, ग्रहण में हो या नीच का हो तो आयु कम होने के चांस है।

1. अल्पायु योग में जातक के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है, ऐसे में खानपान और व्यवहार में सावधानी रखनी चाहिए।

2. अल्पायु योग के निदान के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र पढ़ना चाहिए और जातक को हर तरह के बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए।

3. अल्पायु योग में गुरुवार का व्रत और एकादशी का विधिवत व्रत रखना ही चाहिए।

4. मुख्‍य ग्रहों को मजबूत करने के उपाय करना चाहिए। इष्ट का जप, ध्यान और दान करते रहना चाहिए।

- लाल किताब के अनुसार आयु का विचार चंद्र से करते हैं। चंद्र की भाव स्थिति के अनुसार आयु का निर्धारण किया जाता है। चंद्र का शुक्र से संबंध हो तो आयु 85 वर्ष होगी। पुरुष ग्रह का साथ हो तो 96 वर्ष और पाप ग्रह से संबंध हो तो 30 वर्ष कम होगी। अर्थात 60 वर्ष।

- शनि व गुरु की युति वाली कुंडली में जातक की आयु का निर्णय 11वें भाव के ग्रहों से करें। किंतु 11वां भाव रिक्त हो तो जन्मकुंडली चंद्र की आयु के अनुसार ही समझें।

- गुरु 6, 8, 10 या 11वें भाव में हो तो आयु 2 वर्ष, शुक्र व मंगल 7वें भाव में हों तो 2 वर्ष, मंगल या बुध 7वें भाव में हो तो 2 वर्ष, बुध, शुक्र व चंद्र 5वें भाव में हों तो 2 वर्ष, चंद्र और केतु पहले भाव में हों और चैथा भाव रिक्त हो तो 2 वर्ष, चंद्र 5वें में हो तो 12 वर्ष, सूर्य 11वें में हो तो 12 वर्ष और शनि 5वें में हो और पुरुष ग्रह का साथ न हो तो जातक दीर्घायु होता है।

- गुरु शत्रु ग्रहों से घिरा हो तो आयु अल्प होती है। बुध, गुरु और शुक्र नौवें भाव में हों तो आयु अल्प होगी। गुरु के शत्रु बुध, शुक्र और राहु नौवें भाव में हों तो आयु अल्प होगी। चंद्र और राहु सातवें या आठवें भाव में हों तो आयु अल्प होगी। बुध नौवें भाव में हो तो प्रत्येक 8वां दिन, मास और 8वां वर्ष अशुभ होगा व किसी पशु के कारण मृत्यु होगी।

- चंद्र और गुरु बारहवें भाव में हों तो आयु दीर्घ होगी। जन्म कुंडली में स्थित अशुभ ग्रह वर्ष कुंडली में भी उसी भाव में अशुभ हों तो उस वर्ष में अधिक अशुभ फल प्राप्त होते हैं। जन्म कुंडली के 8वें भाव में स्थित ग्रह जब वर्ष कुंडली के 8वें भाव में आ जाए तो उसके मित्र ग्रह बलि का बकरा बनेगा। छठे भाव में संबंधित ग्रह कारक होगा।

- छठे भाव में स्थित ग्रह वर्ष कुंडली के लग्न भाव में आ जाए तो उसका मित्र ग्रह बलि का बकरा बनेगा। 8वें भाव में संबंधित ग्रह अल्पायु होने का संकेत देते हैं। जब बारहवां भाव रिक्त हो तो चंद्र जिस भाव में स्थित होगा उस भाव से संबंधित वार को मृत्यु होगी। यदि नौवां व बारहवां भाव रिक्त हो तो 9-12 के सामने का वार लेंगे।

- चंद्र व केतु छठे भाव में हों या चंद्र छठे व सूर्य 10वें में हो तो आयु अल्प होती है। सूर्य शनि के किसी भाव (9वें या 12वें) में हो या पुरुष ग्रहों के साथ हो तो आयु मध्यम होगी। सूर्य व चंद्र की युति 11वें भाव में हो तो आयु ठीक होगी। चंद्र और केतु पहले भाव में हों और चैथा भाव रिक्त हो तो आयु मध्यम होगी। चंद्र 5वें और सूर्य 11वें में हो और पुरुष ग्रह उनके मित्र हों या न हों तो आयु मध्यम होगी।

कुंडली से आयु कैसे पता करें?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में आयु का विचार आठवें भाव से किया जाता है. इसके अलावा तीसरा और 10वां स्थान भी आयु के स्थान माने गए हैं. इसलिए किसी भी विद्वान ज्योतिषी को आयु निर्धारण करने के लिए 3, 8 और 10वें स्थान पर विचार करना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र में यह भी माना गया है कि आयु का कारक ग्रह शनि है.

कुंडली में उम्र कितनी है?

- लाल किताब के अनुसार आयु का विचार चंद्र से करते हैं। चंद्र की भाव स्थिति के अनुसार आयु का निर्धारण किया जाता है। चंद्र का शुक्र से संबंध हो तो आयु 85 वर्ष होगी। पुरुष ग्रह का साथ हो तो 96 वर्ष और पाप ग्रह से संबंध हो तो 30 वर्ष कम होगी।

कुंडली में मृत्यु कैसे देखें?

कुंडली में अष्टम भाव तथा अष्टमाधिपति ग्रहों से मृत्यु के बारे में पता लगाया जाता है. इस स्थान में जो भी ग्रह होता है या उस स्थान का अधिपति ग्रह होता है, उससे गणना करके मृत्यु के बारे में बताया जाता है. जन्म लग्न की अष्टम राशि के अनुसार भी मृत्यु संबंधी विचार होता है.

आयु की गणना कैसे की जाती है?

गणित द्वारा आयुनिर्णय.
अंशायु-सत्याचार्य के मत से.
पिण्डायु-मयादि के मत से.
नैसर्गिक आयु-पराशरी के मत से.
जीवायु-जीवशर्मा के मत से.
मिश्रायु-उपरोक्त चारों प्रकारों के मिश्रण एवम् अष्टकवर्ग द्वारा आयु का ज्ञान किया जाता है।.