रिफाइंड तेल में क्या क्या मिलाया जाता है? - riphaind tel mein kya kya milaaya jaata hai?

आज से लगभग 50 वर्ष पहले रिफाइंड ऑयल के बारें में कोई नहीं जनता था, यह पिछले 30 से 35 वर्षों से हमारे देश में आया है | इस व्यवसाय में कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ लगी हुई हैं | अपने व्यवसाय को चमकाने के लिए इस कम्पनियों नें टेलीविजन के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया परन्तु इसमें कुछ खास सफलता नही मिली | इसके बाद इन्होने डाक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया और डाक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू कर दिया |

रिफाइंड तेल में क्या क्या मिलाया जाता है? - riphaind tel mein kya kya milaaya jaata hai?
रिफाइंड तेल में क्या क्या मिलाया जाता है? - riphaind tel mein kya kya milaaya jaata hai?

रिफाइंड तेल में क्या क्या मिलाया जाता है? - riphaind tel mein kya kya milaaya jaata hai?
रिफाइंड तेल में क्या क्या मिलाया जाता है? - riphaind tel mein kya kya milaaya jaata hai?

दरअसल रिफाइंड ऑयल न केवल गुणों से रहित है बल्कि यह एक धीमा जहर है, जो धीरे-धीरे आपको बीमारियों और असाध्य रोगो की ओर धकेल रहा है | वहीं यदि आप प्रतिदिन अनहेल्दी आयल में भोजन बनाते है, तो यह आयल आपका वेट गेन, हार्ट में ब्लॉकेज, डायबिटीज़, यहाँ तक कि कैंसर तक का कारण बन सकता है। ऐसे में प्रश्न उठता है, कि आखिर रिफाइंड ऑयल [Refined Oil] कैसे बनता है ? इसकी जानकारी देने के साथ ही आपको यहाँ रिफाइंड ऑयल के फायदे और नुकसान के बारें में बताया जा रहा है |

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रिफाइंड आयल कैसे बनता है (How Refined Oil is Formed)   

भारतीय मार्केट में उपलब्ध अधिकांश ऑयल्स जैसे सनफ्लावर (Sunflower), राइस ब्रान (Rice Bran), ग्राउंडनट (Groundnut), सोयाबीन (Soybean) और यहाँ तक की कुछ प्रकार के ओलिव आयल (Olive Oil) जो मिलते हैं, वह रिफाइंड आयल होता है। किसी भी प्रकार के आयल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है और जब इसे डबल रिफाइन किया जाता है, तो केमिकल्स की यह संख्या बढ़कर 12 -13 हो जाती है | यह केमिकल्स आर्गेनिक नहीं होते हैं बल्कि यह अत्यधिक नुकसानदायक होते हैं।

रिफाइंड ऑयल को प्राप्त करने के लिए आयल को 200 डिग्री से अधिक टेम्परेचर पर लगभग 30 मिनट तक गर्म किया जाता है | इतना हाई टेम्प्रेचर होने की वजह से ऑयल में मौजूद विटामिन, मिनरल पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। इसके आगे के प्रोसेस को डेओडोरिज़ेशन (Deodorization) कहते है | इस प्रोसेस में ऑयल को 2 बार हीट किया जाता है, जिससे तेल का प्राकृतिक स्वाद और इसकी महक पूरी तरह से नष्ट हो जाती है |  इतना ही नहीं बल्कि कुछ रिफाइंड आयल जैसे की ग्राउंड नट आयल में बेहतर टेस्ट और खुशबू लाने के लिए आर्टिफीसियल फ्लेवरिंग एजेंट्स अर्थात कुछ और खतरनाक केमिकल्स और आर्टिफीसियल सेंट्स मिलाये जाते हैं | इन सभी प्रोसेस के बाद जो बचता है, वह  पूरी तरह से रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, और हाँ पोषणहीन आयल होता है, जिसे हम रिफाइंड ऑयल कहते है |

रिफाइंड आयल की पहचान कैसे करें (How to Identify Refined Oil)

कोई भी रिफाइंड आयल यदि एक बार वह रिफाइनिंग प्रोसेस से गुजर जाता है, तो आयल के सभी न्यूट्रिएंट्स समाप्त हो जाते हैं। हेल्दी फैट्स ट्रांसफैट में परिवर्तित हो जाते है। दुसरे शब्दों में कहे तो, यह आयल किसी काम का नहीं रह जाता | इसके अलावा रिफाइनिंग प्रॉसेस के दौरान इसमें मिलाये गए ज़हरीले केमिकल्स इसको और भी खतरनाक बनाते हैं। अधिकांश लोग आजकल किसी न किसी रिफाइंड आयल को यदि एक दिन में लगभग 3 से 4 बार भोजन बनानें के लिए उपयोग करते है | इससे सेवन से भविष्य में बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ आने की संभावाएं बढ़ जाती है |

रिफाइंड आयल में मिलाये जाने वाले केमिकल (Refined Oil Added to Chemicals)

आईएनएस 319/ TBHQ 

आईएनएस 319 अर्थात Tertiary Butylhydroquinone एक अत्यंत खतरनाक रासायनिक पदार्थ है, जो अधिकांशतः आपको रिफाइंड ऑयल्स में मिलेगा | सबसे खास बात यह है, कि इस केमिकल को एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में उपयोग किया जाता है |  इस केमिकल के उपयोग से खाद्य पदार्थो जैसे नूडल्स (Noodles), चिप्स (Chips), आइस क्रीम (Ice Cream), रिफाइंड आयल (Refined Oil) आदि की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है | लेकिन यह केमिकल कैंसर जैसी भयानक बीमारी का कारण बन सकता है | इसकी सिर्फ 5 ग्राम मात्रा आपकी मृत्यु का कारण बन सकती है |  

INS 900a / E 900a / DMPS

इस केमिकल को  रासायनिक भाषा में Polydimethylsiloxane के नाम से जाना जाता है | यह केमिकल एक एंटीफोमिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है अर्थात यह आयल में झाग बनने से रोकता है | तेल को अधिक टेम्प्रेचर पर गर्म करने से यह ऐसे कंपाउंड्स में टूट जाता है, जिसमे फॉर्मेल्डीहाइड (formaldehyde) होता है जो बहुत ही खतरनाक और कैंसर का कारक है | यह दोनों केमिकल आपको प्रत्येक एक रिफाइंड आयल में मिलेंगे, इससे आप यह अनुमान लगा सकते है, कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है |

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रिफाइंड आयल के फायदे और नुकसान (Refined Oil Advantages and Disadvantages)

यदि हम प्रोटीन की बात करे तो यह सबसे अधिक दालों में पाया जाता है, इसके बाद यह तेल में सबसे अधिक पाया जाता है। पूर्ण रूप प्योर आयल में गंध और चिपचिपापन होता है जबकि रिफाइंड आयल में  रासायन पदार्थो से यह दोनों ही घटक अलग कर दिए जाते है | जिससे यह  एक मात्र पानी रह जाता है, जो किसी जहर से कम नहीं है। रिफाइंड आयल का प्रतिदिन इस्तेमाल करने से हमें विभिन्न प्रकार की गंभीर बिमारियों का सामना करना पड़ सकता है | कहने का आशय यह है, कि इस आयल का उपयोग करने से कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं प्राप्त होगा | इसे होने वाले नुकसान इस प्रकार है –     

हड्डियों और जोड़ो में दर्द होना (Bones and Joints Pain)

रिफाइंड आयल का उपयोग करने से हमें जॉइंट पेन अर्थात हड्डियों के जोड़ो में दर्द की समस्या हो सकती है | दरअसल इस तेल के सेवन से हमारी बॉडी में असंतृप्त वसा (Unsaturated fats) का जमाव होने लगता है | जो कि आपके जॉइंटस को प्रभावित करता है और हड्डियों और जोड़ो में दर्द होने का प्रमुख कारण बनता है |  

मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव (Bad Effect on Brain)

यदि कोई भी व्यक्ति रिफांइड ऑयल का उपयोग बहुत अधिक करता है, तो यह आपके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, यहाँ कि आपके सोचनें और समझनें की क्षमता को प्रभावित कर सकता है |  

हृदय रोग (Heart Disease)

हम अक्सर ह्रदय रोग या दिल की बीमारी से बचाव के लिए  प्योर आयल को छोड़कर रिफाइंड आयल का उपयोग करना शुरू कर देते है | जबकि यह तेल आपके दिल के लिए खतरा है। रिफाइंड आयल का इस्तेमाल से आप ह्रदय से सम्बंधित बिमारियों को आमंत्रित कर रहे है |  

कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में सहायक (Aids in Raising Cholesterol)

कुछ कम्पनियां इस बात का दावा करती है, कि रिफाइंड आयल का इस्तेमाल से ह्रदय से सम्बन्धी बीमारी नहीं होती है साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है | जबकि ऐसा बिलकुल भी नही है क्योंकि रिफाइंड आयल से आपके शरीर में असंतृप्त वसा (Unsaturated fats) का जमाव होने से आपके शरीर का कोलस्ट्रोल बढ़ता है।   

वजन बढ़ाने में (Weight Gaining)

शरीर का वेट बढ़ने का मुख्य कारण वसा का अधिक सेवन जो कैलोरी को बढ़ाने का कार्य करता है। इससे शरीर में चर्बी और वजन बढ़ता है इसलिए आपको रिफाइंड आयल का इस्तेमाल से बहुत दूर रहना चाहिए |

रिफाइंड तेल कौन चीज का बनता है?

रिफाइंड तेल कैसे बनता है? किसी भी तेल को रिफाइन करने के लिए उसमें 6 से 7 केमिकल्स मिलाये जाते हैं और डबल रिफाइन करने के लिए 12 से 13 केमिकल्स मिलाये जाते हैं। ये केमिकल्स आर्गेनिक नहीं होते हैं बल्कि नुकसानदायक होते हैं। कास्टिक सोडा, फॉस्फेरिक एसिड, ब्लीचिंग क्लेंज जैसे केमिकल मिलाकर ये तेल तैयार होता है।

रिफाइंड में क्या पाया जाता है?

इनमें सैचुरेटेड फैट, मोनोसैचुरेटेड फैट और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं. डॉक्टर्स कम सैचुरेटेड फैट वाले तेल के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. पॉलीअनसैचुरेटेड फैट और ओमेगा-3 और 6 फैट वाले तेल बेहतर होते हैं.

क्या रिफाइंड तेल खतरनाक है?

फैटी एसिड नहीं मिलता एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आप नियमित तौर पर रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल करते हैं तो छोटी उम्र में जोड़ों, कमर में दर्द की समस्या हो सकती है। अधिक मात्रा में रिफाइंड ऑयल का सेवन करने से आंख, दिल और दिमाग से संबंधित बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है

रिफाइंड तेल हानिकारक क्यों है?

रिफाइंड ऑयल को अगर 200 डिग्री से 250 डिग्री पर लगभग आधे घंटे तक गर्म किया जाए तो ये एचएनआई (HNI) जहरीला पदार्थ बनाने लगता है, जो शरीर में जाकर प्रोटीन एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को नुकसान पहुंचा सकता हैं, जिससे लिवर, स्ट्रोक, पार्किंसन, अल्जाइमर जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है।