मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 लाया गया और इसी अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और राज्य मानव अधिकार आयोग की स्थापना का प्रावधान है। यह अधिनियम 25 सितंबर 1993 को लागू हुआ था। Show
सामान्यतया मानव को मानव होने के कारण जन्म से ही जो अधिकार प्राप्त होते हैं वह मानव अधिकार की श्रेणी में माने जाते हैं। यह अधिकार मानव के सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक है लेकिन मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस अधिनियम की की धारा 2(घ) के अनुसार ‘‘मानवअधिकार” संविधान द्वारा प्रत्याभूत अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदाओं में अन्तर्निहित अधिकार है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा से आशय संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 16 दिसम्बर,1966 को अभिस्वीकृत, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्रसंविदा से है।
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21(1) के तहत राजस्थान मानव अधिकार आयोग की स्थापना का प्रावधान है। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के लागू होने के करीब 6 वर्षों के पश्चात राजस्थान राज्य आयोग की स्थापना की अधिसूचना 18 जनवरी 1999 को जारी हुई तथा अधिसूचना के करीब 14 माह के उपरांत 23 मार्च 2000 में राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग का कार्य प्रारंभ हुआ।
राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के गठन के समय इसमें 01 अध्यक्ष तथा 04 सदस्यों का प्रावधान किया गया था। इनके अतिरिक्त इसमें एक सचिव का पद भी होता है जो की एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी होता है और इसे किसी विभाग के सचिव के बराबर एक दर्जा प्राप्त होता है । इसके अतिरिक्त हाल ही में सन 2019 में एक बार फिर से मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत इसके संख्या में बढ़ोतरी करते हुए 01 अध्यक्ष के अलावा 3 सदस्य का प्रावधान कर दिया गया साथ ही इसमें यह प्रावधान भी जोड़ा गया की इनमें एक सदस्य महिला होगी।
पूर्णकालिक सदस्यों के अतिरिक्त राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग में पदेन सदस्य भी होते हैं जिनमें …. • राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष • राजस्थान अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष • राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष • राजस्थान महिला आयोग के अध्यक्ष • राजस्थान पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष • राजस्थान बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष
अध्यक्ष– राज्य मानवाधिकार आयोग एक बहू सदस्य आयोग है जिसमें एक अध्यक्ष होता है जो कि किसी भी उच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश हो या रहा हो। मानवाधिकार आयोग संरक्षण (संशोधन )अधिनियम 2019 के द्वारा इसमें संशोधन करते हुए यह प्रावधान कर दिया गया कि अब किसी भी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश हो रहा हो, अध्यक्ष पद के लिए योग्य है। सदस्य– सदस्य केेेे लिए वह व्यक्ति योग्य हैै जो किसी उच्च न्यायाालय का न्यायाधीश हो या रहा हो। वह जिला न्यायाालय में न्यायाधीश हो या रहा हो या वह व्यक्ति किसी उच्च सेवा का अधिकारी हो जिसे कम से कम 7 वर्षों का अनुभव हो।
आयोग का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी आयोग का सचिव हैं। यह भारतीय प्रशासनिक सेवा का एक वरिष्ठ सदस्य होता है । जिसका दर्जा किसी भी विभाग में सचिव के पद के समकक्ष होता है । आयोग के अन्वेषण कार्य के लिए महानिरीक्षक स्तर का एक पुलिस अधिकारी नियुक्त है। इसके अतिरिक्त आयोग में… • अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक • रजिस्ट्रार • उप सचिव• अतिरिक्त अधीक्षक पुलिस• उप पंजीयक • प्रोग्रामर• निजी सचिव (चेयरपर्सन) • अकाउंटेंट • क्लर्क • कंप्यूटर ऑपरेटर • सहायक कर्मचारी [ पदाधिकारियों का यह क्रम पदनाम,पदक्रम,पदसोपान के अनुसार नहीं है ]
राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वाली एक समिति/कॉलेजियम की सलाह/अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा की जाती है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली इस समिति में निम्न सदस्य होते है— 1 मुख्यमंत्री (अध्यक्ष) 2.विधान सभा के अध्यक्ष, 3.गृहमंत्री 4.विधान सभा के विपक्ष के नेता है ध्यातव्य – इसके अतिरिक्त जिन राज्यो में द्विसदनात्मक राज्य विधानमंडल है वहां पर विधान परिषद के सभापति तथा उपसभापति दोनों इस समिति के सदस्य होते हैं । फिलहाल राजस्थान में विधान परिषद का गठन नहीं है। ध्यातव्य- मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 के द्वारा यह प्रावधान कर दिया गया कि अब आयोग का सदस्य व अध्यक्ष पुनः नियुक्ति के लिए योग्य होगा। इससे पहले यह प्रावधान नहीं था।
मूल अधिनियम के तहत आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु जो भी पहले हो वहां तक होता है । लेकिन हाल ही में मानव अधिकार संरक्षण( संशोधन) अधिनियम 2019 के द्वारा इनके कार्यकाल को घटाकर 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक जो भी पहले हो तक कर दिया गया है। अध्यक्ष और सदस्यों को कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व राज्यपाल को संबोधित त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो सकते हैं । इसके अतिरिक्त उन्हें साबित कदाचार ,शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम हो जाने पर,दिवालिया हो जाने पर ,कोई लाभ का पद प्राप्त करने पर, सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर हटाया जा सकता है।
राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों के वेतन व भत्तों का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर किया जाता है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल में उनके वेतन भत्तों में किसी प्रकार का अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
1 आयोग स्वविवेक से या किसी भी पीड़ित व्यक्ति या उसकी ओर से किसी भी व्यक्ति द्वारा उसे की गई शिकायत पर संज्ञान ले सकता है 2 राज्य सरकार को सूचना देने के अधीन या राज्य सकार के नियन्त्रण वाले किसी जेल या किसी अन्य संस्था में निवास करने वाले व्यक्तियों के जीवन दशाओं का अध्ययन करने के लिए उनका निरीक्षण कर सकता है। 3 समाज में मानव अधिकार के प्रति जागरूकता के लिये प्रकाशकों, मीडिया ,सम्मेलन,सेमीनारों एवं अन्य उपलब्ध साधनों के माध्यम से काम करने के प्रयासों को प्रोत्साहन करना। 4 मानव अधिकारों के क्षेत्र में कार्य करने वाले सरकारी व गैर सरकारी संगठनों एव संस्थाओं के कार्यो को प्रोत्साहन देगा, 5 मानव अधिकार के हनन से जुड़ी किसी शिकायत की जांच करते वक़्त आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अंतर्गत सिविल न्यायालय की तरह शक्तियां प्राप्त होती है । 6 मानवाधिकार से जुड़े हुए मामलों में गवाहों को सम्मन जारी करके बुलाने का अधिकार प्राप्त होता है, 7 मानव अधिकार के उल्लंघन से संबंधित किसी दस्तावेज को प्रस्तुत करने के लिए शपथ पत्र पर गवाही देने के लिए आदेश देने का अधिकार प्राप्त होता है। 8 किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से किसी सरकारी अभिलेख अथवा उसकी प्रतिलिपि की मांग करने के लिए निर्देश देने की शक्ति प्राप्त है। 9 मानवाधिकार से जुड़े हुए मामलों में गवाहो तथा विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों की जॉंच करने के लिए कमीशन जारी करने के लिए नोटिस जारी कर सकता है। 10 मानव अधिकारों के हनन से संबंधित शिकायतों की जांच करने के लिए आयोग के पास अपना अन्वेषण दल है जिसके माध्यम है जांच करवा सकता है। 11 अधिनियम के अंतर्गत आयोग को इस बात का अधिकार प्राप्त है कि वह राज्य सरकार के किसी अधिकारी अथवा अभिकरण की सेवाओं का उपयोग कर सके।
• यह एक सांविधिक आयोग है यह एक सांविधिक विधिक आयोग है,जिसका निर्माण संसद द्वारा निर्मित कानून के तहत किया गया है। इसका उल्लेख/ प्रावधान संविधान में नहीं है। • यह एक स्वायत्तशासी निकाय है राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की तरह ही राज्य मानव अधिकार आयोग एक स्वायत्तशासी अंग है। इसका तात्पर्य है कि आयोग की स्वायतत्ता इसके सदस्यों की नियुक्त के तरीक़े, ,कार्यकाल तथा, कर्मचारियों का दायित्व और उनके कार्य-निष्पादन से स्वयं स्पष्ट है। इसके अतिरिक्त आयोग की वित्तीय स्वायत्तता का वर्णन मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 धारा 33 में किया गया है। • यह एक परामर्शदात्री आयोग है राज्य मानवाधिकार आयोग एक परामर्श दात्री आयोग है क्योंकि यह सरकार को केवल परामर्श देता है ।इसे अपराधी को स्वयं दंडित करने का अधिकार नहीं है।
आयोग के गठन के साथ सुश्री कांता भटनागर को इसका पहला अध्यक्ष बनाया गया था। उसके पश्चातश्री सगीर अहमद दूसरे और श्री एन.के जैन तीसरे अध्यक्ष रहे ।श्री प्रकाश टाटिया से लेकर श्री महेश चंद्र शर्मा तक कार्यवाहक अध्यक्ष रहे। हाल ही में 21 जनवरी 2021 को राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने श्री गोपाल कृष्ण व्यास को अध्यक्ष नियुक्त किया है,जिन्होंने 25 जनवरी 2021 को पद ग्रहण किया है। (1) सुश्री कान्ता भटनागर अध्यक्ष 23.03.2000 11.08.2000 ध्यातव्य– राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस महेश चंद शर्मा को 05 दिसंबर 2019 को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया था जो कि 25 जनवरी 2021 तक रहे। (16) जस्टिस श्री गोपाल कृष्ण व्यास 25 .01.2021- Post navigationभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब ? कहां ? और क्यों ? हुई ? हाल ही में मनाया इस का 136 वां स्थापना दिवस। राजस्थान मानवाधिकार आयोग की पहली महिला अध्यक्ष कौन थी?कांता कुमारी भटनागर 2000 में राजस्थान मानवाधिकार आयोग की पहली महिला अध्यक्ष थीं। वह भारत में एक न्यायाधीश और मानवाधिकार कार्यकर्ता थीं। वह मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला थीं। वह राजस्थान की प्रमुख महिला न्यायाधीश भी थीं।
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?राजस्थान राज्य सरकार ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार राज्य आयोग के गठन के लिए 18 जनवरी 1999 को एक अधिसूचना जारी की थी। मार्च 2000 में न्यायमूर्ति कांता कुमारी भटनागर की पहली अध्यक्षा के रूप में नियुक्ति के साथ मानवाधिकार आयोग क्रियाशील हो गया, जिसमें श्री आर.
राजस्थान मानवाधिकार की स्थापना कब हुई?राजस्थान की राज्य सरकार ने दिनांक 18 जनवरी 1999 को एक अधिसूचना राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयेाग के गठन के संबंध में जारी की, जिसमें मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के प्रावधानुसार एक पूर्णकालिक अध्यक्ष एवं चार सदस्य रखे गये।
राज्य महिला आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?पहले आयोग का गठन 31 जनवरी, 1992 को हुआ जिसकी अध्यक्ष श्रीमती जानकी पटनायक थीं। दूसरे आयोग का गठन जुलाई, 1995 में किया गया जिसकी अध्यक्ष डा0 (श्रीमती) मोहिनी गिरि थीं। तीसरे आयोग का गठन जनवरी, 1999 में किया गया जिसकी अध्यक्ष श्रीमती विभा पारथसारथी थीं ।
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