हिलकर पानी पीने का क्या अर्थ है? - hilakar paanee peene ka kya arth hai?

प्रश्न 4: ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है?

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उत्तर : कामचोर से यही सीख मिलती है कि काम के लिए समझदारी होना आवश्यक है। बिना सोचे समझे किया गया काम हमेशा नुकसान ही देता है, जैसे पिताजी द्वारा करने को दिए गए कामों को अपनी नासमझी से बच्चों ने बर्बाद कर दिया। अगर वो इसी काम को आराम से व समझदारी से करते तो उनके घर का बुरा हाल न होता। बच्चों को शुरू से तरीके से काम करना सिखाना चाहिए।

प्रश्न 5: क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे।

उत्तर : बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि वह अब हिलकर पानी नहीं पिएँगे। क्योंकि उनके पिताजी तो यह चाहते थे कि वह स्वयं उठकर जाएँ और पानी पिएँ जिससे वह कमज़ोर न बनें परन्तु सब बच्चों ने उससे तात्पर्य निकला कि पानी हिल-हिलकर पीना चाहिए। जिसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों ने पानी पीते-पीते हिलना आरम्भ कर दिया और धक्का-मुक्की आरम्भ कर दी और सारे मटके और सुराही इधर-उधर गिरा दिए, ना तो उन्होनें ठीक से पानी पीया और न दूसरों को पीने दिया। वैसे तो उन्हें चाहिए था कि स्वयं उठकर पानी पीएँ पर उन्होंने बात को ही गलत समझकर उसका अर्थ बदल डाला।

हिल कर पानी नहीं पीना

۲۔ सख़्त कमज़ोर या नातवां होना

हिल के पानी न माँगना

फ़ौरन मर जाना, बिल्कुल हिलने-डुलने में सक्षम न हो सकना, पानी माँगने तक को न हिल सकना, बिलकुल न तड़पना

हिल कर पानी न पीना

۱۔ अपने हाथ से कोई काम ना करना , निहायत आरामतलब होना

कर पानी न मुँह पानी

यह कहावत गंदे व्यक्ति के संबंधित कहते हैं, जो हाथ मुंह भी न धोए, ऐसा गंदा लड़का जो कभी न हाथ धोता है, न मुँह

खड़े पानी न पीना

۔(ओ) ज़रा ना ठहरना। फ़ौरन चला जाना। निहायत नफ़रत या ख़फ़गी के मौक़ा पर मुस्तामल है।

खड़ा पानी न पीना

फ़ौरन चला जाना, ज़रा देर भी न ठहरना (घृणा या आक्रोश के अवसर पर प्रयुक्त)

उठ कर पानी न माँगना

बहुत दुर्बल होना, कमज़ोरी के बाइस न उठ सकना

घाट-घाट का पानी पीना

जगह जगह फिर कर तजुर्बा हासिल करना, मुख़्तलिफ़ मुल्कों का सफ़र करना, जहाँ-दीदा और तजरबाकार होना

हिल न सकूँ मेरे सौ नख़रे

जो मांगे बहुत और काम कुछ ना करे, काहिल और हीला करनेवाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

हिल न सकूँ मिरे सौ नख़रे

जो मांगे बहुत और काम कुछ ना करे, काहिल और हीला करनेवाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

डग़्डग़ा कर पीना

लंबे लंबे घूओंट लेना, डगडगा कर पीना, गटागट गले से उतारना

पैर धो-धो कर पीना

रुक : पांव धो धो के पीना

खाना वहाँ खाना तो पानी यहाँ पीना

जल्द वापिस आने की ताकीद के मौक़ा पर बोलते हैं, फ़ौरन चले आओ, बहुत जल्द पहुंचो, तुरत आ जाओ, ज़रा भी देर ना करो, जिस हालत में हो उसी हालत में चल दो

पाँव धो कर पीना

बहुत ज़्यादा अज़ीज़ रखना

बाघ बकरी का एक जा पानी पीना

उच्च और निम्न सभी के लिए समान न्याय, शक्तिहीन को शक्तिशाली के अत्याचार का भय या डर न होना, कमज़ोर को ताक़तवर के ज़ुल्म का ख़ौफ़ न होना

पानी न माँगना

۔ झटपट मर जाना कि पानी मांगने का भी मौक़ा ना मिले। दफ़्फ़ातन मर जाना।

नित कुँवाँ खोदना नित पानी पीना

जितना कमाना इतना खाना, रोज़ मज़दूरी करना, रोज़ खाना

नित कुवाँ खोदना नित पानी पीना

जितना कमाना इतना खाना, रोज़ मज़दूरी करना, रोज़ खाना

नया कुँवाँ खोदना और पानी पीना

हर-रोज़ नया काम कर के पेट भरना, हर-रोज़ नया धंदा या हर-रोज़ नई मज़दूरी करना , हर-रोज़ नया सफ़र पेश रहना

क़दम धो-धो कर पीना

बहुत इज़्ज़त करना

न पीना लड़ना

वहाँ मारिए जहाँ पानी न मिले

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

वहाँ मारिए जहाँ पानी न हो

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

पानी-कर-देना

(किसी मज़मून या इलमी-ओ-फ़न्नी मसले को) आसान बना देना, हल करदेना

बकरी और शेर का एक घाट पानी पीना

अदल वानसाफ़ का दौर दौरा होना हुकूमत के अदल वानसाफ़ के बाइस ज़ालिमों का अपने ज़ुलम-ओ-सितम से बाज़ आना

चरण धो धो कर पीना

पांव धो धो कर पीना , बहुत मुहब्बत करना, हद दर्जा अक़ीदत रखना , बहुत ताज़ीम करना

ला-मकाँ हिल जाना

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हिल के फली न फोड़ना

इंतिहाई काहिल होना, निहायत आराम का आदी होना नीज़ इंतिहाई नाज़ुक होना

पानी पीजिए छान कर , पीर कीजिए जान कर

हिल-जुल

हिल-डोल

हिल-मिल

हिल-डुल

पाँव धो धो कर पीना

ख़ाक को पानी कर डालना

इंसान का मरने के बाद मिट्टी हो कर पानी में मिल जाना

पानी काँटे में तुल कर मिलना

मुक़र्ररा नाप के मुताबिक़ मिलना

वहाँ गर्दन मारिये जहाँ पानी न मिले

इस को निहायत सख़्त और संगीन सज़ा देनी चाहिए

वहाँ गर्दन मारिए जगाँ पानी न हो

इस को निहायत सख़्त और संगीन सज़ा देनी चाहिए

पानी पी कर गुज़र करना

बेहद तंगदस्ती से गुज़ारा करना

गढ़े के पानी में मँह धो कर आओ

तुम इस क़ाबिल नहीं कि ये चीज़ दी जाये, जब कोई शेखी मारे या किसी चीज़ के देने से इनकार मक़सूद हो तो कहते हैं

जिस का काटा पानी न माँगे

पानी का घूँट गले से न उतरना

नज़ा की हालत में होना या किसी मर्ज़ की वजह से पानी का हलक़ से नीचे ना जाना , ग़म-ओ-ग़ुस्से के मारे पानी ना पिया जाना

आँसू पीना

(ग़म तकलीफ़ या सदमे की हालत में) आँसूओ आंख से बाहर ना निकलने देना, ज़बत करना, सब्र-ओ-तहम्मुल से काम लेना

घूँट पीना

घूँट लेना, कश लेना, मुँह से एक बार में ली जानेवाली तरल पदार्थ की मात्रा

आँख बराबर न कर सकना

आँख न मिला पाना, शर्मिंदा होना

ख़ून-ए-जिगार पीना

कड़ा परिश्रम करना, बहुत मेहनत करना

जुर'आ-जुर'आ पीना

रुक-रुक कर पीना, यदा-यदा पीना, यदा-कदा पीना

पानी पी पी कर ज़ात पूछना

ख़ून-ए-दिल पीना

ग़म में घुटना, रंज उठाना, दुख सहना

घूँट घूँट पीना

वहाँ लटका के मारे जहाँ पानी न मिले

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

पेट में पानी न पचना

पेट का हल्का होना। राज़ छिपाना सकना।

ज़मीन हिल जाना

ज़मीन थर्राना, ज़मीन कांपना, धरती हिलना और दहलना, हंगामा हो जाना, सारे काम अस्तव्यस्त हो जाना

नाफ़ हिल जाना

रुक : नाफ़ टल जाना

मज़ार हिल जाना

मज़ार हिला देना (रुक) का लाज़िम

हिल-मिल रहना

मिल-जुल के रहना, मेल-जोल के साथ रहना

ग़ट-ग़ट पीना

तेज़ी से पी जाना, बग़ैर सांस लिए जल्द जलद पीना

रोज़ कुंवाँ खोदना और नया पानी पीना

पानी पी कर ज़ात पूछना

۔(मजाज़न) कोई काम कर के पछताना। बेवक़त अफ़सोस करना। बात हो चिकने केबाद उस की तहक़ीक़ात करना। (नोट) एक मुसाफ़िर ब्रहमन को राह में प्यास का ग़लबा हुआ। एक शख़्स कुँवें पर पानी भर रहा था इस ने पानी मांग कर पी लिया। फिर पूछा तेरी ज़ात किया है। इस ने कहा कोली तब ये ब्रहमन बहुत नादिम हुआ लेकिन अब क्या होसकता था

आँख उठा कर न देखना

डर या भय से किसी पर दृष्टि न डालना, बिना भय या डर के सामने न जाना

हिल हिलकर पानी पीने का क्या अर्थ है?

۔ झटपट मर जाना कि पानी मांगने का भी मौक़ा ना मिले। दफ़्फ़ातन मर जाना।

हिलकर पानी पीने का क्या अर्थ है बच्चों ने इसका क्या अर्थ निकाला?

उत्तर : बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि वह अब हिलकर पानी नहीं पिएँगे। क्योंकि उनके पिताजी तो यह चाहते थे कि वह स्वयं उठकर जाएँ और पानी पिएँ जिससे वह कमज़ोर न बनें परन्तु सब बच्चों ने उससे तात्पर्य निकला कि पानी हिल-हिलकर पीना चाहिए।

हिल कर पानी भी नहीं पिएंगे से क्या तात्पर्य होता है?

5. क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे। उत्तर:- बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय उचित नहीं था क्योंकि स्वयं हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा। वे कभी-भी कोई काम करना सीख ही नहीं पाएँगें।

बच्चों नेपहला काम कि या

Answer. Answer: इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों ने पानी पीते-पीते हिलना आरम्भ कर दिया और धक्का-मुक्की आरम्भ कर दी और सारे मटके और सुराही इधर-उधर गिरा दिए, ना तो उन्होनें ठीक से पानी पीया और न दूसरों को पीने दिया।