समानता का प्रकार कौन कौन है? - samaanata ka prakaar kaun kaun hai?

समानता का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है, जिसमें सभी लोग समान अधिकार या प्रतिष्ठा रखते हैं। कानून भी कहता है, हर किसी को एक समान अधिकार मिलें। इसके तहत सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, संपत्ति का अधिकार, सामाजिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान पहुंच आदि आते हैं। सामाजिक समानता में स्वास्थ्य की समानता, आर्थिक समानता व अन्य सामाजिक सुरक्षा के अलावा समान अवसर व समान दायित्व भी आता है। वास्तव में यही वह अवस्था है, जब हर व्यक्ति को समान महत्व दिया जाए।

समान ने बनाईं अससमानएं

दो या दो से अधिक लोगों या समूहों के बीच के संबंध की स्थिति को समानता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। पहली प्रकृतिक असमानताएं जैसे एक दिव्यांग व्यक्ति और एक सामान्य व्यक्ति.. यह प्राकृतिक असमानता है, लेकिन कुछ असमानताएं समाज ने बनाई हैं, जिनमें जाति, अमीर-गरीब, मजदूर, पूंजीपति, मालिक नौकर आदि शामिल हैं।

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कानून में सभी बराबर

इन सबसे इतर कानून सभी के साथ समान व्यवहार करता है। कहने का मतलब, कानून के हर स्तर पर समानता का हक मिला है। कानूनी समानता का मतलब है कानून के सामने समानता और सभी को कानूनन समान सुरक्षा। अगर कोई व्यक्ति बुद्धिमान हो या मूर्ख, तेजस्वी हो या बुद्धू, नाटा हो या लंबा, अमीर हो या गरीब। कानून को उसके रूप रंग, कद या आर्थिक स्थिति से कोई मतलब नहीं होता। वह तो सभी के साथ समान व्यवहार करेगा।

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राजनीतिक समानता का अधिकार

राजनीतिक स्वतंत्रता का मतलब बुनियादी तौर पर मताधिकार और प्रतिनिधि सरकार है। मताधिकार का मतलब यह है कि सभी व्यस्कों मत देने का अधिकार और एक व्यक्ति का एक ही मत से होता है। प्रतिनिधि सरकार होने का अर्थ है कि सभी को बिना किसी भेदभाव के चुनाव में स्पष्ट होने का अधिकार है और वह सार्वजनिक सेवा के लिए चुनाव में खड़ा हो सकता है। उसके साथ भेदभाव नहीं कर सकते हैं।

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आर्थिक और सामाजिक समानता

आर्थिक और सामाजिक समानाता की अवधारणा का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग है। आर्थिक समानता का अर्थ है हर व्यक्ति को उसकी पारिवारिक या आर्थिक स्थिति से है। चाहे जो हो उसे अपने धंधा और पेशा चुनने का अधिकार है। प्रत्येक व्यक्ति को ऐसा करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए ताकि देश के लिए हर व्यक्ति के साथ समान हो सके।

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विशेषाधिकारों का हो अंत

सामाजिक समानता का अर्थ है, रंग ¨लग जाति लैंगिक प्रवृत्ति आदि के आधार पर भेदभाव की अनुपस्थिति। समानता के कानूनी, राजनीतिक और आर्थिक पहुलओं से भिन्न वर्षों से यह महसूस किया जाता रहा है। सामाजिक समानता के लिए कई स्थतियों का होना जरूरी है। समाज में विशेषाधिकारों का अंत होना चाहिए। यह असमानता का सबसे बड़ा कारण है।

तब उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा समाज

सभी के लिए विकास करने का पर्याप्त अवसर हो। सामाजिक लाभ पाने की सुविधा मिले। जिसमें पारिवारिक स्थिति या धन अथवा उत्तराधिकार आदि के आधार पर कोई प्रतिबंध न रहे। आर्थिक और सामाजिक शोषण को पूरी तरह से खत्म करना होगा। व्यक्तियों के बीच मूलभूत समानता जरूरी होगी। जो सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सामाजिक संस्थाओं में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी की मदद करने की भावना होनी चाहिए। लोग समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। सामाजिक कार्यों के लिए पूरी तरह से ईमानदारी जरूरी है। जब ऐसा होगा तो हम समाजिक असमानता को पूरी तरह से खत्म करेंगे। जिससे समाज को उन्नति के पथ पर अग्रसर किया जा सकता है।

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समानता किसे कहते हैं? Samantakya hai | समानता का अर्थ क्या है? | समानता का परिभाषा क्या है? | समानता की आवश्यकता एवं उद्देश्य क्या है?

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R.K. RAUSHAN

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इस लेख के माध्यम से आप “समानता (Equality)” के बारे में अध्ययन करेंगे। आप जानेंगे कि – समानता किसे कहते हैं? समानता का अर्थ क्या है? समानता का परिभाषा क्या है? समानता की आवश्यकता एवं उद्देश्य क्या है?

समानता किसे कहते हैं?

समानता का प्रकार कौन कौन है? - samaanata ka prakaar kaun kaun hai?

समानता किसे कहते हैं? समानता का अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता एवं उद्देश्य 

समानता (Equality) का तात्पर्य अवसर की समानता से है।

समानता का मतलब यह नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति हर प्रकार से समान हो।

समानता की परिभाषा

वार्कर के अनुसार :- समानता का अधिकार का अर्थ क्या है कि अधिकारों के रूप में जो सुविधाएं मुझे उपलब्ध है वही सुविधाएं उसी रूप में दूसरे को प्राप्त होगी तथा जो अधिकार दूसरों को प्रदान किए गए हैं वह मुझे भी प्राप्त होंगे।

लॉस्की के अनुसार :- नागरिक होने के नाते जो अधिकार अन्य व्यक्तियों को मिले हैं उसी रूप में तथा उसी सीमा तक वह अधिकार मुझे भी मिलना चाहिए।

समानता अनेकों प्रकार के होते हैं :-

  • सामाजिक समानता
  • नागरिक समानता
  • राजनीतिक समानता
  • सांस्कृतिक समानता
  • शिक्षा में समानता इत्यादि।

समानता की आवश्यकता एवं उद्देश्य

  • सभी वर्गों के लोगों का सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा में समानता होना आवश्यकता है।
  • लोकतंत्र के लिए समानता अनिवार्य है।
  • देश के आर्थिक विकास के लिए समानता आवश्यक है।
  • आधुनिकीकरण के लिए समानता जरूरी है।
  • सभी मानव को उसका अधिकार मिल सके इसके लिए समानता जरूरी है।
  • कल्याणकारी समाज के निर्माण हेतु समानता जरूरी है।

इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि असमानता (Inequality) किसे कहते हैं?

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समानता कितने प्रकार होते हैं?

सामाजिक समानता में स्वास्थ्य समानता, आर्थिक समानता, तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा भी आतीं हैं। इसके अलावा समान अवसर तथा समान दायित्व भी इसके अन्तर्गत आता है। सामाजिक समानता किसी समाज की वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत उस समाज के सभी व्यक्तियों को सामाजिक आधार पर समान महत्व प्राप्त हो।

समानता क्या है समानता के प्रकार?

समानता के प्रकार या रूप (samanta ke prakar) इस प्रकार सभी व्यक्ति जन्म से समान होते है और उनमे कोई असमानता नही पाई जाती है। नागरिकता समानता से तात्पर्य है कि सभी लोगों को नागरिक अधिकार और स्वतंत्रताएं समान रूप से मिलनी चाहिए। कानून की दृष्टि से सभी नागरिक बराबर होने चाहिए।

समानता के ३ आयाम कौन कौन से हैं?

description.
राजनीतिक समानता.
सामाजिक समानता.
आर्थिक समानता.

समानता का क्या महत्व है?

समानता का वास्तविक अर्थ है एक जैसे लोगों के साथ समान व्यवहार करना । समाज में प्रत्येक व्यक्ति का समान महत्व है अतः समाज तथा राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को अपना विकास करने के लिए समान अवसर प्राप्त हो तथा समाज में राज्य सभी व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष आचरण करे ।