ग्रामीण समाज का महत्व क्या है? - graameen samaaj ka mahatv kya hai?

शुरुवाती समय से ही मनुष्य जीवन का निवास स्थान ग्रामीण समुदाय रहा है। आज रोजगार, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण का प्रभाव मानव को शहर की तरफ आकर्षित तो हो रहा है, लेकिन आज भी शहर की दूषित वातावरण से प्रभावित लोग ग्रामीण पवित्रता और शुद्धता को देख ग्रामीण समुदाय में बसने के लिए प्रोत्साहित हो रहे है। ग्रामीण समुदाय की कुछ प्राचीन प्रचलित विशेषतायें जैसे- हम भावना, कृषि व्यवसाय, साधारण जीवन का स्तर आदि थीं।

सामग्री तालिका :-

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  • प्रस्तावना :-
  • ग्रामीण समुदाय का अर्थ :-
  • ग्रामीण समुदाय की परिभाषा :-
  • ग्रामीण समुदाय की विशेषतायें :-
    • कृषि व्यवसाय –
    • प्राकृतिक निकटता –
    • जातिवाद एवं धर्म का अधिक महत्व-
    • सरल और सादा जीवन –
    • संयुक्त परिवार –
    • सामाजिक जीवन में समीपता –
    • सामुदायिक भावना –
    • स्त्रियों की निम्न स्थिति –
    • धर्म एवं परम्परागत बातों में अधिक विश्वास –
    • भाग्यवादिता एवं अशिक्षा का बाहुल्य –
  • संक्षिप्त विवरण :-
  • FAQ

ग्रामीण समुदाय का अर्थ :-

ग्रामीण समुदाय का तात्पर्य एक ऐसे भू-क्षेत्र से है, जहाँ के लोगो का जीवन कृषि से सम्बन्धित कार्य पर निर्भर है एवं उनमें एक-दूसरे के प्रति लगाव, नजदीक का सम्बन्ध, हम की भावना तथा उन का जीवन सामाजिक मूल्यों एवं संस्थाओं से प्रभावित होता है |

ग्रामीण समुदाय की परिभाषा :-

ग्रामीण समुदाय को और भी स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाओं का उल्लेख कर सकते हैं –

“समाजशास्त्रीयों में ग्रामीण समुदाय शब्द की कुछ ऐसे विस्तृत क्षेत्रों तक सीमित कर देने की बढ़ती हुई प्रवृत्ति है जिनमें कि सब या अधिकतर मानवीय स्वार्थों की पूर्ति होती है।”

एन.एल. सिम्स

“ग्रामीण समुदाय के अन्तर्गत संस्थाओं और ऐसे व्यक्तियों का संकलन होता है, जो छोटे से केन्द्र के चारों और संगठित होते हैं तथा सामान्य प्राकृतिक हितों में भाग लते हैं।”

मेरिल और एलरिज

ग्रामीण समुदाय की विशेषतायें :-

ग्रामीण समुदाय की कुछ विशेषतायें होती है जो नगरीय समुदाय से अलग होती है जो निम्न है –

कृषि व्यवसाय –

ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश ग्रामवासियों का खेती मुक्त व्यवसाय/कार्य होता है। धीरे-धीरे आज सरकार के बढ़ते कृषि विकास कार्यक्रम एवं उपलब्ध आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों के फलस्वरूप उपज में इज़ाफ़ा हुई है। ग्रामवासियों भूमि के प्रति अटूट श्रद्धा होती है। कुछ गरीब और कृषि योग्य जमीन न रखने वाले ग्रामीण लोगो  का भी जीवन कृषि कार्य से जुड़ा होता है, उनका जीवन भी कृषि कार्य पर निर्भर होता है।

प्राकृतिक निकटता –

ग्रामवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं उससे सम्बन्धित कार्य होता है, और खेती का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। स्पष्ट है कि ग्रामीण जीवन प्रकृति पर आश्रित रहता है।

जातिवाद एवं धर्म का अधिक महत्व-

रूढ़िवादिता और परम्परावाद ग्रामीण जीवन के मूल है। इसलिये आज भी हमारे ग्रामीण समुदाय में अधिकांश लोगों की जाति वाद, धर्मवाद में अटूट श्रद्धा है। ग्रामीण समुदाय में जातीयता के आधार पर ही पंचायतों का निर्माण होता है। ग्रामीण समाज में छुआ-छूत आज भी है। ग्रामीण समाज स्वर्ग व नरक की भावना से ही लोग पापों से दूर रहते है।

सरल और सादा जीवन –

ग्रामीण समुदाय के अधिकांश सदस्यों का जीवन सरल एवं सामान्य होता है। उनका जीवन सादगी में रमा होता है। उनका भोजन, खान-पान एवं रहन-सहन सादा और शुद्ध होता है। और अतिथि के प्रति अटूट श्रद्धा और लगाव होती है।

संयुक्त परिवार –

ग्रामीण समुदाय में संयुक्त परिवार का अपना विशेष महत्व होता है | इसीलिए ग्रामीण लोग पारिवारिक सम्मान के विषय में सदैव सजग रहते हैं। पारिवारिक विघटन का सम्बन्ध उनकी सामाजिक परिस्थिति और सम्मान से जुड़ा होता है।

सामाजिक जीवन में समीपता –

ग्रामीण लोगो के जीवन में अत्यधिक समीपता पाई जाती है। ग्रामीण लोगो के सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन में अत्यधिक समीपता पाई जाती है | इस समीपता का मुख्य कारण कृषि और उससे सम्बन्धित व्यवसाय है। ग्रामीण समुदाय के एक सीमित क्षेत्र/स्थान में बसने के कारण लोगो की आपसी समीपता बड़ जाती है।

सामुदायिक भावना –

ग्रामीण समुदाय की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनमें मौजूद सामुदायिक भावना है। ग्रामीण समुदाय के लोगों में व्यक्तिगत निर्भरता के स्थान पर सामुदायिक निर्भरता पायी जाती है। इस करण लोग एक दूसरे पर आश्रित होते हैं।

सामुदायिक विकास एवं विघटन के लिए न केवल समुदाय का व्यक्ति विशेष जिम्मेदार होता है, बल्कि सम्पूर्ण सदस्यों को जिम्मेदार समझा जाता है। सामुदायिक सदस्य बुराइयों के जिम्मेदार लोगो को दण्ड देने, आपसी ताल-मेल को बनाये रखने तथा पारस्परिक विकास के लिये नियम भी बनाते है।

स्त्रियों की निम्न स्थिति –

ग्रामीण समुदाय की अशिक्षा, अज्ञानता और रूढ़िवादिता का सीधा प्रभाव ग्रामीण स्त्रियों की स्थिति पर पड़ता है। भारतीय ग्रामीण समुदाय में अभी भी अशिक्षा है, जिसके करण ग्रामीण लोगो का व्यवहार रूढ़ियों एवं पुराने सामाजिक मूल्यों से प्रभावित होता है।

आज भी ग्रामीण समुदाय में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा, पर्दा-प्रथा, लड़कियों की शिक्षा और विधवाओं को पुनर्विवाह अस्वीकृत करना आदि तथ्य दिखाई देते हैं, जो स्त्रियों की दयनीय दशा के लिये उत्तरदायी है।

धर्म एवं परम्परागत बातों में अधिक विश्वास –

ग्रामीण समुदाय में लोग धर्म, पुरानी परम्पराओं एवं रूढ़ियों में विश्वास करते हैं। और उनका जीवन सामुदायिक व्यवहार, धार्मिक नियमों एवं परम्पराओं से प्रभावित होता है। ग्रामीण लोग नयी चीजों से दूर अपनी पुरानी परम्पराओं में विश्वास करते हैं।

भाग्यवादिता एवं अशिक्षा का बाहुल्य –

ग्रामीण समुदाय में शिक्षा का प्रचार-प्रसार कम है। शिक्षा के अभाव में ग्रामवासी अनेक अन्धविश्वासों और सामाजिक कुरीतियां का शिकार हैं, और  भाग्यवादिता पर अधिक विश्वास करते हैं।

ग्रामीण समाज का महत्व क्या है? - graameen samaaj ka mahatv kya hai?
RURAL COMMUNITY

संक्षिप्त विवरण :-

ग्रामीण समुदाय में संयुक्त परिवार होता है, और परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होती है। ग्रामीण समुदाय में परिवारिक प्रथाओं, रीति-रिवाजों और परम्पराओं के द्वारा सामाजिक नियंत्रण होता है। कृषि प्रमुख व्यवसाय है तथा ग्रामीण सदस्यों का जीवन सरल और सादा होता है।

FAQ

ग्रामीण समुदाय की विशेषतायें क्या है ?

१ कृषि व्यवसाय, २ प्राकृतिक निकटता, ३ जातिवाद एवं धर्म का अधिक महत्व, ४ सरल और सादा जीवन, ५ संयुक्त परिवार, ६ सामाजिक जीवन में समीपता, ७ सामुदायिक भावना, ८ स्त्रियों की निम्न स्थिति, ९ धर्म एवं परम्परागत बातों में अधिक विश्वास, १० भाग्यवादिता एवं अशिक्षा का बाहुल्य

ग्रामीण समाज का क्या महत्व है?

ग्रामीण समाज की प्रथाएं, रूढ़ियां एवं नियम सभी इसके अंतर्गत आते हैं। ग्रामीण समाज का ढांचा अपनी मौलिकता पर आधारित है इसलिए इस मौलिकता के अध्ययन का विशेष महत्व है। इसमें कुटुंबिक जीवन का अध्यय,न वैवाहिक प्रथा तथा सामाजिक असंतोष का अध्ययन सम्मिलित है। नगरीय जीवन की तुलना में ग्रामीण जीवन की विशेषताओं का अध्ययन करना।

ग्रामीण समाजशास्त्र क्या है और इसका महत्व?

ग्रामीण समाजशास्त्र का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समाजों का समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से अध्ययन करके इन समाजों को सामाजिक व्यवस्था, सामाजिक संरचना, प्रकार्य और उनमें होने वाले परिवर्तनों का गहन अध्ययन करना व उनसे सम्बन्धित समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों का निर्माण करना है ।

ग्रामीण समाज का क्या अर्थ है?

ग्रामीण समाज का अर्थ (gramin samaj ka arth) जिस समुदाय की अधिकांशतः अवयश्कताओं की पूर्ति कृषि या पशुपालन से हो जाती है उसे ग्रामीण समाज समुदाय के नाम से जाना जाता है। नगर की अपेक्षा गाँव में जनसंख्या का धनत्व बहुत ही कम होता है। गाँव में घनी जनसंख्या न होने के कारण कृषक का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से होता है।

भारतीय ग्रामीण समाज की विशेषता क्या है?

ग्रामीण लोग जीवन यापन के लिए प्रकृति पर निर्भर होते हैं। इनके प्रमुख कार्य कृषि आधारित व्यवसाय, पशुपालन, शिकार, मछली मारना और भोजन की व्यवस्था करना आदि होते हैं। भूमि जंगल, मौसम आदि प्रकृति के अंग होते हैं और वे दशाएँ ग्रामीण जीवन को प्रभावित करती है।