शुक्र ग्रह के देवता कौन हैं - shukr grah ke devata kaun hain

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ग्रह शांति के वैदिक उपाय एंव मंत्र - 7 वारों के देवताओ - कुण्डली के अनुसार आपके इष्ट देवी - देवता कौन हैं ग्रहों की...

Posted by Koti Devi Devta on Friday, December 10, 2021

शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला होता है और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। जिनकी जन्म कुंडली में शुक्र अपनी दशा के चलते अशुभ फल दे रहा हो और इसके प्रभाव से बीमारियों का सामना करना पड़ रहा हो, जिससे जीवन में सुख की अनुभव हो तो कुछ खास उपाय करने से आपका ग्रह सही हो सकता है। जिन्हे शुक्रवार के दिन करने से आप कई खुशियां पा सकते हैं। शुक्र मुख्य रूप से हमारे जीवन के सुख से संबंध रखता है। वैभव, ऐश्वर्य, सम्पदा और प्रसिध्दि, शुक्र की कृपा से ही मिलते हैं। ऐसे में ये जानना आवश्यक है कि किन उपायों से शुक्र को प्रसन्न किया जा सकता है। 

ये हैं उपाय

शुक्र से पीड़ित होने पर ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए। रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है। शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है। इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है। शुक्रवार के दिन व्रत रखें। मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें। ब्राह्मणों और गरीबों को घी भात खिलाएं। अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं। शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाने से भी लाभ होता है। काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए। किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए। किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए। अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए। किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए। 

शुक्रवार को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय

अगर आप चाहते है आपके घर में हमेशा धन वर्षा होती रहे तो शुक्रवार के दिन इन उपायों से आप लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते है। तंत्र शास्त्र के अनुसार कुछ साधारण मगर सटीक उपाय करने से मां लक्ष्मी अपने भक्त पर जल्दी ही प्रसन्न हो जाती हैं। ज्योतिषों के अनुसार शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें, इससे मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। साथ ही इस दिन धन पाने के लिए व्यवसाय के स्थान पर लक्ष्मी जी , गणेश जी और विष्णु जी की स्थापना करें। प्रातः काम शुरू करने के पहले माता को एक गुलाब का फूल चढायें और घी का दीपक और गुलाब की सुगंध वाली धूप जलायें। रोज शाम पूजा की समाप्ति के बाद तीन बार शंख जरूर बजायें 

सूर्य आदि सात ग्रहों के नाम पर सप्ताह के सात दिन तय किए गए हैं। हर वार का अधिपति कोई एक ग्रह है, लेकिन ग्रह देवों को भी अन्य प्रधान देवों के साथ जोड़ा गया है। इस सबके पीछे विज्ञान, ग्रहों की चाल,...

शुक्र ग्रह के देवता कौन हैं - shukr grah ke devata kaun hain

लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 22 Aug 2011 10:43 PM

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सूर्य आदि सात ग्रहों के नाम पर सप्ताह के सात दिन तय किए गए हैं। हर वार का अधिपति कोई एक ग्रह है, लेकिन ग्रह देवों को भी अन्य प्रधान देवों के साथ जोड़ा गया है। इस सबके पीछे विज्ञान, ग्रहों की चाल, ऋतुचर्या, दिनचर्या और स्वस्थ सुखी रहने के तौर-तरीके बड़ी कुशलता के साथ पिरोए गए हैं। बता रहे हैं डॉ. सुरेश चंद्र मिश्र

वारों का क्रम किस प्रकार तय है यह समझने के लिए हमें आसमान में ग्रहों की कक्षाओं के क्रम को समझना होगा। ये इस प्रकार हैं-  1. शनि 2. गुरु 3. मंगल 4. रवि 5. शुक्र  6. बुध 7. चंद्रमा। इनमें हर चौथा ग्रह अगले वार का मालिक होता है जैसे, रविवार के बाद उससे चौथे चन्द्रमा का, फिर चन्द्र से चौथे मंगल का क्रमश: वार आता-जाता है।

वारों के अधिदेवता

ग्रहों को मूल रूप से विष्णु या महादेव के अंश से उत्पन्न समझा जाता है। सूर्य की पूजा, नमस्कार, अर्घ्य देना तो खास तौर पर विष्णु और शिव ही क्यों, सब तरह की पूजा में अनिवार्य कहा गया है। वारपति ग्रह और अवतारों का संबंध इस तरह से है-
1. सूर्य- रामावतार, 2. चन्द्र- श्रीकृष्णावतार, 3. मंगल- नृसिंह अवतार, 4. बुध- बुद्ध अवतार, 5. गुरु-वामन अवतार, 6. शुक्र- परशुराम अवतार, 7. शनि- कर्म अवतार।
इससे हम आसानी से समझ सकते हैं कि सब ग्रह आदि देव विष्णु या शिव जो भी नाम दें, उसी से निकले हैं।

रविवार का वारपति सूर्य स्वयं जीवन का आधार होने से विष्णु रूप कहा गया है। अत: ’आरोग्यं भास्करादिच्छेत्’ के नियम से रोग के प्रकोप को कम करने, स्वस्थ रहने, दवा का अनुकूल प्रभाव पैदा करने और आयु की रक्षा तथा आत्मबल, तन व मन की ताकत को देने वाला सूर्य है। जन्म का कारण होने से सविता, प्रसविता, प्रसव कराने वाला परिवार वृद्धि का देवता है। जो लोग प्रजनन अंगों के विकार के कारण, अज्ञात कमी की वजह से औलाद का सुख नहीं देख पाते हैं, उनके लिए सूर्य की उपासना बहुत मुफीद होती है। सूर्य के लिए गायत्री मंत्र, केवल ओम् नाम या ‘ओम् घृणि: सूर्य आदित्य:’ का जप करना, जल चढ़ाना, माता पिता या उनके जैसे जनों को ठेस न पंहुचाना अच्छा है।
सूर्य को प्रसन्न रखने के कुछ अन्य मार्ग ये हैं-
सुबह मुंह को गीला रखकर सूर्य के सामने गायत्री मन्त्र या ओम् नाम का 10 या 28 बार जप करना चाहिए।
घर में धूप और खुली हवा का प्रबंध, धूप सेंकना, बुजुर्गो के मन को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए।
घर में गंगाजल या किसी कुदरती सोते का जल सहेजना चाहिए।
संक्रान्ति, अमावस्या, पूर्णिमा, अष्टमी के दिन और दोनों वक्त मिलने के समय कलह, बहस, देर तक सोना और संभोग से बचें। इनसे सारे ग्रहों की अनुकूलता बनती है।

सोमवार का पति चंद्रमा मन, विचार, भावुकता, चंचलता, आवेग और आवेश का प्रतीक है। चंद्र की अनुकूलता से मन पर नियंत्रण, निर्णय करने की सही दिशा और दिल के बजाए दिमाग से अधिक काम लेने की आदत बनती है। सोम जल का ग्रह होने से शिव को खास प्रिय है। इस दिन शिवजी की पूजा, आराधना करना उपयुक्त है। ध्यान रखें शिव की पूजा सदा माता पार्वती के साथ ही साम्बसदाशिव के रूप में ही सांसारिक सुखों के लिए अधिक फलदायी है।
चंद्र को प्रसन्न रखने के कुछ  तरीके ये हैं-
दूध, खीर, सेवई, मिठाई, पनीर, दान करना चाहिए और तारों की छांव या चांदनी में कुछ देर बैठना चाहिए।
बड़, पीपल, गूलर की गोलियां, फल या जड़ घर में रखें। अपनी कुल प्रतिष्ठा, सम्पदा को संभालें। पानी का सेवन करना और माता-पिता से अलगाव या दूरी न रखना चन्द्रमा को प्रसन्न रखने का कारगर तरीका है।
दूध में मुल्तानी मिट्टी, चोकर या बेसन मिला कर उबटन करें। किसी के सामने अपनी व्यथा का रोना न रोएं।

मंगलवार का वारपति मंगल, युद्घ और हथियारों का ग्रह हैं। इसके देवता वीर हनुमान, एकदंत गणेश और मलय स्वामी हैं। हनुमान जी की पूजा, प्रसाद चढ़ाना, मंगल का व्रत रखना और इस दिन शाकाहार करना अच्छा है। हनुमान चालीसा का पाठ आसान और कारगर उपाय है। अतिरिक्त शुभता के लिए-
अपने सगे भाई बहनों के लिए अपशब्द न कहें और स्त्रियों से बहस न करें।
मीठी सुहाल, पूए, चीले, पूरनपोली खाएं, खिलाएं और बांटें।
भाभियों से सामान्य व्यवहार रखें और कभी विकलांगों की सहायता करें।
नीम, बबूल का सेवन किसी तरह से करें और पेड़-पौधों की देखभाल करते रहें।

बुधवार का वारपति बुध, बुद्धि, हास-परिहास, अभिनय और कला और वनस्पतियों का ग्रह है। इसके प्रधान देव विष्णु हैं। अत: विष्णु जी के किसी रूप की आराधना करना शुभ है।
ओम् नमो भगवते वासुदेवाय या
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेव।।
का जप करना श्रेयस्कर है।
कुछ बोनस शुभता पानी हो तो अपनाएं-
मांस मदिरा, मानसिक हिंसा, पक्षियों को पालना, ससुराल से गहरे संबंध रखना आदि बातों से बचें।
वनस्पति, जड़ी-बूटी पाले प्रसाधन इस्तेमाल करना, सोना धारण करना, पौधे रखना, बहन बेटी और उनके परिवार जनों का आदर करना, केसर लगी मिठाई या केसरी हलुवा या मूंग दाल के पदार्थ खाना खिलाना शुभ है।
दादी को कोई भेंट देने, सांड को गुड़ रोटी खिलाने, केले और बताशे बांटने से बुध प्रसन्न रहता है।
स्नान जल में चावल डालना, पीपल में जल देना, हरी सब्जी शिवजी को भेंट करना, कभी पत्ते के दोने में कुछ खाना, कभी दान करना मंगलकारक है।

गुरुवार का देवता संसार का सृजनहार ब्रह्मा है। अत: विवाह, संतान सुख, परिवार सुख, ज्ञान, वाणी और हुनर के साथ बड़प्पन अधिकार का स्वामी बृहस्पति है। इसके लिए सिर्फ ओम् नाम का जप करना काफी फायदेमंद है।
अधिक शुभता के लिए-
किसी के साथ कपड़े शेयर न करें। चरित्र, जुबान और आचरण को मजबूत रखें।
हल्दी वाली रोटी, चने की दाल, पीला वस्त्र, घी, बूरे का सेवन वितरण करें।
कन्याओं का आदर करें।

शुक्रवार देवी के आधीन है। अत: दुर्गा पूजा, दीपक जलाना, खेतड़ी बोकर रखना, कन्यापूजन, करना और जालसाजी, झूठी गवाही से बचना अच्छा है। दुर्गाचालीसा आदि पढ़ना, खुशबू का प्रयोग, धूपबत्ती जलाना, साफ-सुथरा और आकर्षक बनने की कोशिश करना शुभ है।

शुक्र ग्रह का देवता कौन है?

शुक्र- परशुराम अवतार, 7. शनि- कर्म अवतार।

शुक्र राशि का स्वामी कौन है?

भारतीय ज्योतिष के अनुसार शुक्र लाभदाता ग्रह माना गया है। यह वृषभ एवं तुला राशियों का स्वामी है। शुक्र मीन राशि में उच्च भाव में रहता है और कन्या राशि में नीच भाव में रहता है। बुध और शनि शुक्र के सखा ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्र शत्रु ग्रह हैं तथा बृहस्पति तटस्थ ग्रह माना जाता है।

शुक्र को किसकी पूजा होती है?

शुक्र ग्रह नवग्रहों में स्थान रखता है और यह एक स्त्री ग्रह है। शुक्र हर प्रकार के सौंदर्य और ऐश्वर्य से सीधे संबंध रखता है। इनके देवता भगवान् इंद्र हैं।

शुक्र देव का नाम क्या है?

शुक्र के अन्य नामः भृगु, भार्गव, सित, सूरि, कवि, दैत्यगुरु, काण, उसना, सूरि, जोहरा (उर्दू का नाम) वीनस (अंग्रेजी)आदि हैं।