राजस्थान का राज्य पशु पहले कौन था? - raajasthaan ka raajy pashu pahale kaun tha?

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चिंकारा दक्षिण एशिया में पाया जाने वाला एक प्रकार का गज़ॅल है। यह भारत, बांग्लादेश के घास के मैदानों और मरुभूमि में तथा ईरान और पाकिस्तान के कुछ इलाकों में पाया जाता है। इसकी ऊँचाई कन्धे तक ६५ से.मी. होती है और वज़न २३ कि. तक होता है। गर्मियों में इसकी खाल का रंग लाल-भूरा होता है और पेट तथा अंदुरुनी टांगों का रंग हल्का भूरा लिये हुये सफ़ेद होता है। सर्दियों में यह रंग और गहरा हो जाता है। इसके चेहरे के किनारों में आँख के किनारे से नथुनों तक एक काली धारी होती है जिसके किनारे में सफ़ेद धारी होती है। सींग ३९ से.मी. तक लम्बे हो सकते हैं।[1] यह शर्मीला प्राणी है और इन्सानी आबादी से बचते रहता है। बिना पानी के यह लम्बे समय तक रह सकता है। हालांकि यह एकाकी प्राणी है लेकिन कभी-कभी यह १-४ प्राणियों के झुण्ड में पाये जा सकते हैं।

यह हिरण-जैसा एक जानवर है जिसे भारतीय गजेला के नाम से भी पहचाना जाता हैं. इसका वैज्ञानिक नाम गजेला बेनेट्टी हैं. मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में यह पाया जाता हैं. देखने में यह हिरण जैसा ही होता हैं. घास मैदानों में चिकारा को विचरण करते हुए आसानी से देखा जा सकता हैं. इसका वजन 25 किलो के आसपास होता है तथा यह विभिन्न ऋतुओं के अनुसार अपना रंग बदलता रहता हैं. यह शर्मिला प्राणी है मनुष्य तथा मानव प्रजाति से दूर बसना पसंद करता हैं.

22 मई 1981 को इसे राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया था. वर्तमान में राजस्थान का वन्य श्रेणी का राज्य पशु चिंकारा तथा पालतू पशु श्रेण में ऊँट को रखा गया हैं. राजस्थान में जयपुर के नाहरगढ़ में इसे अक्सर देखा जा सकता हैं.

भारत, आधिकारिक भारत गणराज्य एक दक्षिण एशियाई देश है। यह 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों से मिलकर बना है। सभी भारतीय अपनी स्वयं की सरकार रखते हैं और केन्द्रशासित प्रदेश केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। अधिकतर अन्य देशों की तरह भारत में भी राष्ट्रीय प्रतीक पाये जाते हैं। राष्ट्रीय प्रतीकों के अतिरिक्त सभी भारतीय राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनेखुद की राज्य मोहर और प्रतीक रखते हैं जिसमें राज्य पशु, पक्षी, पेड़, फूल आदि शामिल हैं।[1] भारत के सभी राज्य पशुओं की सूची निचे दी गयी है।

राजस्थान का सामान्य परिचय राजस्थान की सीमा राजस्थान के जिले व संभाग राजस्थान के प्रतीक चिन्ह राजस्थान की जलवायु राजस्थान के भौतिक विभाग राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम राजस्थान की झीले राजस्थान की नदियां(बंगाल की खाड़ी तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(अरब सागर तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(आंतरिक प्रवाह तंत्र की नदियां) राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ प्राचीन सभ्यताऐं राजस्थान का इतिहास जानने के स्त्रोत गुर्जर प्रतिहार वंश राजपूत युग आमेर का कछवाह वंश सांभर का चौहान वंश मारवाड का राठौड वंश बीकानेर का राठौड़ वंश 1857 की क्रान्ति राजस्थान में किसान तथा आदिवासी आन्दोलन राजस्थान में प्रजामण्डल राजस्थान का एकीकरण राजस्थान जनगणना व साक्षरता - 2011 राजस्थान में वन वन्य जीव अभ्यारण्य राजस्थान में कृषि पशु सम्पदा खनिज संसाधन राजस्थान में ऊर्जा विकास राजस्थान में औद्योगिक विकास राजस्थान में वित्तीय संगठन राजस्थान में पर्यटन विकास राजस्थान में लोक देवता राजस्थान में लोक देवियां राजस्थान में सम्प्रदाय राजस्थान में त्यौहार राजस्थान के मेले राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज & प्रथाएं आभूषण और वेशभूषा राजस्थान की जनजातियां राजस्थान के दुर्ग भारत की प्रमुख संगीत गायन शैलियां राजस्थान में नृत्य राजस्थान में लोकनाट्य वाद्य यंत्र प्रमुख वादक राजस्थान की चित्र शैलियां लोक कलाएं राजस्थान के लोकगीत राजस्थान में हस्तकला छतरियां , महल &हवेलियां राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल राजस्थानी भाषा एवं बोलियां राजस्थान में परिवहन राजस्थान की प्रमुख योजनाएं राजस्थान की मिट्टियाँ शिक्षा राजस्थान मंत्रिमंडल और मंत्रियों के विभाग राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था लोकसभा चुनाव-2019 राजस्थान राज्य से राज्यसभा सदस्य राजस्‍थान लोक सेवा आयोग राजस्थान के महत्वपूर्ण पदाधिकारी आर्थिक समीक्षा 2019-20 राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व राजस्थान इतिहास की प्रसिद्ध महिला व्यक्तित्व ब्रिटिश शासन के दौरान प्रेस और पत्रकारिता मुख्यमंत्री राज्य मंत्रिपरिषद् राज्यपाल राज्य विधान मंडल उच्च न्यायालय राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग राजस्थान राज्य महिला आयोग राजस्‍व मण्‍डल राजस्‍थान राजस्थान में लोकायुक्त राजस्थानी शब्दावली राजस्थान बजट 2022-23 स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गठित संगठन महाजनपद काल में राजस्थान एक जिला एक उत्पाद में चिन्हित प्रोडक्ट्स की सूची

राजस्थान जी.के.

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राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

राजस्थान का राज्य पशु पहले कौन था? - raajasthaan ka raajy pashu pahale kaun tha?

राज्य वृक्ष - खेजड़ी

“रेगिस्तान का गौरव” अथवा “थार का कल्पवृक्ष” जिसका वैज्ञानिक नाम “प्रोसेसिप-सिनेरेरिया” है। इसको 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया।

5 जून 1988 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर खेजड़ी वृक्ष पर 60 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया।

खेजड़ी के वृक्ष सर्वाधिक शेखावटी क्षेत्र में देखे जा सकते है तथा नागौर जिले सर्वाधिक है। इस वृक्ष की पुजा विजयाशमी/दशहरे पर की जाती है। खेजड़ी के वृक्ष के निचे गोगाजी व झुंझार बाबा का मंदिर/थान बना होता है। खेजड़ी को पंजाबी व हरियाणावी में जांटी व तमिल भाषा में पेयमेय कन्नड़ भाषा में बन्ना-बन्नी, सिंधी भाषा में - धोकड़ा व बिश्नोई सम्प्रदाय के लोग शमी के नाम से जानते है। स्थानीय भाषा में सीमलो कहते हैं।

खेजडी की हरी फली-सांगरी, सुखी फली- खोखा, व पत्तियों से बना चारा लुंग/लुम कहलाता है।

खेजड़ी के वृक्ष को सेलेस्ट्रेना(कीड़ा) व ग्लाइकोट्रमा(कवक) नामक दो किड़े नुकसान पहुँचाते है।

वैज्ञानिकों ने खेजड़ी के वृक्ष की कुल आयु 5000 वर्ष मानी है। राजस्थान में खेजड़ी के 1000 वर्ष पुराने 2 वृक्ष मिले है।(मांगलियावास गाँव, अजमेर में)

पाण्डुओं ने अज्ञातवास के समय अपने अस्त्र-शस्त्र खेजड़ी के वृक्ष पर छिपाये थे। खेजड़ी के लिए राज्य में सर्वप्रथम बलिदान अमृतादेवी के द्वारा सन 1730 में दिया गया। अमृता देवी द्वारा यह बलिदान भाद्रपद शुक्ल दशमी को जोधुपर के खेजड़ली गाँव 363 लोगों के साथ दिया गया। इस बलिदान के समय जोधपुर का शासक अभयसिंग था। अभयसिंग के आदेश पर गिरधरदास के द्वारा 363 लोगों की हत्या कर दी गई। अम ृता देवी रामो जी बिश्नोई की पत्नि थी। बिश्नोई सम्प्रदाय द्वारा दिया गया यह बलिदान साका/खडाना कहलाता है। 12 सितम्बर को प्रत्येक वर्ष खेजड़ली दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रथम खेजड़ली दिवस 12 सितम्बर 1978 को मनाया गया था। वन्य जीव सरंक्षण के लिए दिया जाने वाला सर्वक्षेष्ठ पुरस्कार अमृता देवी वन्य जीव पुरस्कार है। इस पुरस्कार की शुरूआत 1994 में की गई। इस पुरस्कार के तहत संस्था को 50,000 रूपये व व्यक्ति को 25,000 रूपये दिये जाते है। प्रथम अमृता देवी वन्यजीव पुरस्कार पाली के गंगाराम बिश्नोई को दिया गया।

आॅपरेशन खेजड़ा की शुरूआत 1991 में हुई।

वैज्ञानिक नाम के जनक

वर्गीकरण के जन्मदाता: केरोलस लीनीयस थे।

उन्होने सभी जीवों व वनस्पतियों का दो भागो में विभाजन किया। मनुष्य/मानव का वैज्ञानिक नाम: “होमो-सेपियन्स” रखा होमो सेपियन्स या बुद्धिमान मानव का उदय 30-40 हजार वर्ष पूर्व हुआ।

राज्य पुष्प - रोहिडा का फुल

रोहिडा के फुल को 1983 में राज्य पुष्प घोषित किया गया। इसे “मरूशोभा” या “रेगिस्थान का सागवान” भी कहते है। इसका वैज्ञानिक नाम- “टिको-मेला अंडुलेटा” है।

रोहिड़ा सर्वाधिक राजस्थान के पष्चिमी क्षेत्र में देखा जा सकता है। रोहिडे़ के पुष्प मार्च-अप्रैल के महिने मे खिलते है। इन पुष्पों का रंग गहरा केसरिया-हीरमीच पीला होता है।

जोधपुर में रोहिड़े को मारवाड़ टीक के नाम से जाना जाता है।

राज्य पशु - चिंकारा, ऊँट

चिंकारा- चिंकारा को 1981 में राज्य पशु घोषित किया गया।यह “एन्टीलोप” प्रजाती का एक मुख्य जीव है। इसका वैज्ञानिक नाम गजैला-गजैला है। चिंकारे को छोटा हरिण के उपनाम से भी जाना जाता है। चिकारों के लिए नाहरगढ़ अभ्यारण्य जयपुर प्रसिद्ध है। राजस्थान का राज्य पशु ‘चिंकारा’ सर्वाधिक ‘मरू भाग’ में पाया जाता है।

“चिकारा” नाम से राजस्थान में एक तत् वाद्य यंत्र भी है।

ऊँट- राजस्थान का राज्यपशु(2014 में घोषित)

ऊँट डोमेस्टिक एनिमल के रूप में संरक्षित श्रेणी में और चिंकारा नाॅन डोमेस्टिक एनिमल के रूप में संरक्षित श्रेणी में रखा जाएगा।

राज्य पक्षी - गोेडावण

1981 में इसे राज्य पक्षी के तौर पर घोषित किया गया। इसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी कहा जाता है। यह शर्मिला पक्षी है और इसे पाल-मोरडी व सौन-चिडिया भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम “क्रोरियोंटिस-नाइग्रीसेप्स” है।

गोडावण को सारंग, कुकना, तुकदर, बडा तिलोर के नाम से भी जाना जाता है। गोडावण को हाडौती क्षेत्र(सोरसेन) में माल गोरड़ी के नाम से जाना जाता है।

गोडावण पक्षी राजस्थान में 3 जिलों में सर्वाधिक देखा जा सकता है।

  • मरूउधान- जैसलमेर, बाड़मेर
  • सोरसन- बांरा
  • सोकंलिया- अजमेर

गोडावण के प्रजनन के लिए जोधपुर जंतुआलय प्रसिद्ध है।

गोडावण का प्रजनन काल अक्टूबर-नवम्बर का महिना माना जाता है। यह मुलतः अफ्रीका का पक्षी है। इसका ऊपरी भाग का रंग नीला होता है व इसकी ऊँचाई 4 फुट होती है।इनका प्रिय भोजन मूगंफली व तारामीरा है। गोडावण को राजस्थान के अलावा गुजरात में भी सर्वाधिक देखा जा सकता

राज्य गीत -“केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश।”

इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गया। इस गीत को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बीकानेर की अल्ला जिल्ला बाई के द्वारा गाया गया। अल्ला जिल्ला बाई को राज्य की मरूकोकिला कहते है। इस गीत को मांड गायिकी में गाया जाता है।

राजस्थान का राज्य नृत्य - घुमर

धूमर (केवल महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य) इस राज्य नृत्यों का सिरमौर (मुकुट), राजस्थानी नृत्यों की आत्मा कहा जाता है।

राज्य शास्त्रीय नृत्य - कत्थक

कत्थक उत्तरी भारत का प्रमुख नृत्य है। इनका मुख्य घराना भारत में लखनऊ है तथा राजस्थान में जयपुर है।

कत्थक के जन्मदाता भानू जी महाराज को माना जाता है।

राजस्थान का राज्य खेल - बास्केटबाॅल

बास्केटबाॅंल को राज्य खेल का दर्जा 1948 में दिया गया।

शुभंकर

हर जिले को अब किसी किसी वन्यजीव (पशु या पक्षी) के नाम से जाना जाएगा। हर जिले की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने जिला स्तरीय वन्यजीव को बचाने और संरक्षित करने की दिशा में काम करें। सरकारी कागजों पर भी उस वन्यजीव को लोगो के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे उस वन्यजीव का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार हो सकें।

जिलेवार शुभंकर

2015 में राजस्थान सरकार ने प्रत्येक जिले का एक वन्य जीव घोषित किया। राजस्थान ऐसा पहला राज्य है, जिसने वन्यजीवों के अनुसार जिलों का मस्कट तय किया है। यह अपने आप में एक नया प्रयोग है। अभी तक प्रदेश स्तर पर राज्य पशु या पक्षी के नाम तय किए जाते थे। उसे संरक्षण प्रदान करने की दिशा में सरकारें काम करती थी। नए प्रयोग से सीधे तौर पर प्रदेश की 33 प्रजातियों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

राजस्थान का राज्य पशु पहले क्या था?

चिंकारा को १९८१ में राज्य पशु घोषित किया , इसे छोटा हिरन के नाम से भी जाना जाता है | रेगिस्तान के जहाज कहे जाने वाले ऊंट को १९ सितम्बर २०१४ को राज्य पशु घोषित किया गया।

ऊंट को राज्य पशु कब घोषित किया गया था?

22 मई 1981 को इसे राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया था. वर्तमान में राजस्थान का वन्य श्रेणी का राज्य पशु चिंकारा तथा पालतू पशु श्रेण में ऊँट को रखा गया हैं. राजस्थान में जयपुर के नाहरगढ़ में इसे अक्सर देखा जा सकता हैं.

राज्य पशु कौन है राजस्थान का?

राजस्थान सरकार ने रेगिस्तान के जहाज कहे जाने वाले ऊंट को शुक्रवार को राज्य पशु घोषित कर दिया।

भारत का राजकीय पशु कौन सा है?

राष्‍ट्रीय पशु लावण्‍यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है।