पितरों को जल चढ़ाने के लिए सोने का लोटा कांसे का लोटा या तांबे का लोटा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सबसे अच्छा तांबे का लोटा माना जाता है। मिट्टी के बर्तन या लोटा पितरों की पूजा में वर्जित होता है । नोट – नीचे दिए हुए यूट्यूब वीडियो के माध्यम से आप पितरों को जल देने के सही तरीके को पूरी तरह से समझ सकते हैं कि लोटे से अंगूठे के माध्यम से किस प्रकार से जल गिराया जाता है यूट्यूब वीडियो नीचे दिया हुआ है – खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? Show
खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? पितरों को पानी देने का मंत्र / पितरों को किस दिशा में जल देना चाहिए – पितरों को शांत करने के लिए तथा पितरों की तुप्ती के लिए पितृपक्ष में पितरों को पानी देने का नियम हैं. ऐसा माना जाता है की पितृपक्ष में पितरों को मंत्र सहित सही दिशा में पानी दिया जाए. तो उनकी आत्मा को शांति मिलती हैं. और पितृ हमारे पर प्रसन्न होते हैं. तथा उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं. कई बार पितृदोष लगने की वजह से भी हमारे परिवार की शांति भंग हो जाती हैं. ऐसे पितृदोष को दूर करने के लिए पितृपक्ष में पितरों को पानी देने का नियम हैं. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से पितरों को पानी देने का मंत्र बताने वाले हैं. इसके अलावा यह भी बताने वाले है की पितरों को किस दिशा में जल देना चाहिए. तथा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. Table of Contents
पितरों को पानी देने का मंत्रपितृ हमारे माता-पिता, दादा-दादी कोई भी हो सकता हैं. अगर आप पितृ को पानी दे रहे हैं. तो नीचे दिए गए मंत्रो का जाप करते हुए. पितरों को पानी दे. जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलेगी. और आपको उनके शुभ आशीर्वाद की प्राप्ति होगी. माता को पानी देने का मंत्रअगर आप अपनी माता को पानी दे रहे हैं. तो इस मंत्र का जाप करे.
पिता को पानी देने का मंत्रअगर आप अपने पिता को पानी दे रहे हैं. तो इस मंत्र का जाप करे.
दादा को पानी देने का मंत्रअगर आप अपने दादा को पानी दे रहे हैं. तो इस मंत्र का जाप करे.
दादी को पानी देने का मंत्रअगर आप अपनी दादी को पानी दे रहे हैं. तो इस मंत्र का जाप करे.
इस प्रकार से आप अपने रिश्तेदार को पानी देने के लिए मंत्र जाप कर सकते हैं. लेकिन ज्योतिष के अनुसार अगर आप अलग-अलग मंत्र जाप करने में असमर्थ हैं. तो सिर्फ एक मंत्र का जाप करके ही पितरों को पानी दे सकते हैं. जिसे पितृ गायत्री मंत्र के नाम से जाना जाता हैं. कन्या के विवाह के लिए किस मंत्र का जाप करें – सम्पूर्ण जानकारी पितृ गायत्री मंत्र
यह मंत्र जाप आप अपने किसी भी पितृ के लिए कर सकते हैं. मनमुटाव दूर करने का उपाय / रिश्तों में मिठास लाने के उपाय पितरों को किस दिशा में जल देना चाहिएज्योतिष शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा को पितृ की दिशा माना जाता हैं. इसलिए आपको भी पितरों को दक्षिण दिशा में जल देना चाहिए. पितरों को जल देने का समयपितरों को जल देने का सही समय प्रात:काल 11:30 बजे से 12:30 के बीच का होता हैं. पितरों को जल देने का तरीकापितरों को जल देने के लिए तांबे के लौटे में जल लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके ऊपर दिए गए मंत्र जाप करते हुए पितरों को जल देना चाहिए. पूजा सफल होने के संकेत क्या होते है निष्कर्षदोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से पितरों को पानी देने का मंत्र बताया है. इसके अलावा यह भी बताया की पितरों को किस दिशा में जल देना चाहिए. तथा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके. दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह पितरों को पानी देने का मंत्र / पितरों को किस दिशा में जल देना चाहिए आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद पूर्वजों को पानी कैसे दिया जाता है?पितृ पक्ष में पितरों को पानी कैसे दें? श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है यानी पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है. मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है.
पितरों को जल देते समय क्या बोलना चाहिए?जल देते समय ध्यान करें कि वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों। इसके बाद पितामह को जल जल दें। अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें।
पितरों को पानी कौन कौन दे सकता है?कौन कर सकता है पितरों का श्राद्ध या तर्पण
हिंदू धर्म के अनुसार, घर के मुखिया या प्रथम पुरुष अपने पितरों का श्राद्ध कर सकता है। अगर मुखिया नहीं है, तो घर का कोई अन्य पुरुष अपने पितरों को जल चढ़ा सकता है। इसके अलावा पुत्र और नाती भी तर्पण कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार, पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए।
पितरों को तिलांजलि कैसे दी जाती है?कपालक्रिया व चिता की प्रदक्षिणा तथा तिनका तोड़ने के बाद आए हुए सभी लोग सरोवर व अन्य जल युक्त स्थान पर जाकर गो-गोबर से हाथ धोकर, वस्त्रों सहित स्नान करके, मृतक प्राणी का ध्यान करते हुए, तिलों के साथ जल-अंजली देने को तिलांजलि कहते हैं।
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