प्रथम संश्लेषित रेशा कौन है?... Show
2 जवाब Related Searches: प्रथम पूर्ण रूप से संश्लेषित रेशा है ; प्रथम पूर्ण रूप से संश्लेषित रेशा था ; प्रथम पूर्ण रूप से संश्लेषित रेशा ; Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App! दोसा में प्रश्न दिया हुआ है कि प्रथम पूर्ण रूप से संश्लेषित रेशा था हमें बताना है कि पहली बार ऐसा रेशा जो पूरी तरीके से मानव ने बनाया था वह कौन सा था ऑप्शन 1 है आपका नायलॉन ऑप्शन दो या आपके रहे हो लोकेशन 31 कराल एक ऑप्शन 4 है इनमें से कोई भी नहीं दोस्तों हम जानते हैं कि स्रोत के आधार पर जो शुरू होता है उसके आधार पर आप किधर ऐसे होते हैं उनको दो भागों में बांटा जाता है एक तो होता है कि वह कहां से प्राप्त होते हैं होते आपके प्राकृतिक यदि वह प्रकृति से प्राप्त होंगे तो उनको प्राकृतिक आ जाता है यदि वह कृत्रिम रूप से प्राप्त होंगे जिनको मानव बना था तुम को बोला जाता है संश्लेषित रेशे तीन सौ में से पहला मानव निर्मित रेशा कौन सा था संश्लेषित एवं मेरे मित्र देशों में से सबसे पहला देश कौन सा था दोस्तों यह सबसे पहला जो संश्लेषित रेशा था बहुत आपके नायलॉन नायलॉन को 18वीं सदी में बनाया गया था नायलॉन को सबसे पहले संश्लेषित तौर पर बनाया गया था और इस को बनाया गया था आपकी तो कॉल से स्कोर बनाया था आपके तीन पाठ थे सबसे पहले तब कॉल कॉल से वायु से और जल से इनके द्वारा इसको बनाएगा तो कॉल मतलब कोई लाभ या कार्बन जिसको बोलते हैं इसकी सहायता से इसको बनाया गया था सबसे पहले साथ आपके नायलॉन क्योंकि इससे पहले तक क्या था जो वैज्ञानिक थे वो अन्य देशों की खोज नहीं कर पाए थे अधिकतर रेसिपी को प्राकृतिक तौर से प्राप्त होते तो उनको प्रकृति से प्राप्त किया जाता था डायरेक्ट ही प्रकृति से प्राप्त किया जाता था जैसे कि आप जानते हैं उन्हें उन्हें इसके अलावा हम जानते हैं उनके अलावा रेशम होता है जो रेशम को से तू तो मैं पढ़ने वाले रेशम किससे प्राप्त किया जाता है चोरी शाम में उन्हें यह प्राकृतिक तौर से प्राप्त किए जाते हैं लेकिन जब वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिकों ने थी कि उन्होंने संश्लेषित रेशे बनाना शुरू कर दिया और जिसको आप लोग मानव निर्मित ऋषि कहते हैं और जो सबसे पहले उन्होंने बनाया था मानव निर्मित रेशा बनाना शुरू किया और अब से पहले उन्होंने उनको बनाया था वह तो नायलॉन आपका सर्वप्रथम मानव निर्मित रेशा है और यह प्रथम संश्लेषित रेशा पूर्ण रूप से संशोधित रेशन नायलॉन है प्रश्न नंबर दो आपके रहे हो नमन जिन्होंने एक और संश्लेषित रेशा है लेकिन सबसे पहले से नहीं बनाएगा तो सबसे पहले बनाया था नायलॉन को तो यह आपके सही नहीं है ऑप्शन नंबर करा ले तो दोस्तों आप लोग जानते हैं कि सबसे पहले की नायलॉन कोई बनाया गया था और यह सत्य कथन है तो एक कर ले उसके बाद में बनाया गया था तो यह भी आपके असत्य होगा ऑप्शन नंबर 4 इनमें से कोई नहीं इस प्रश्न को देखने के बाद हमको पता लगता है कि जिन महिलाओं ने उसको सबसे पहले प्राकृतिक रूप से ना बना करके और संश्लेषित रूप से बनाया गया था और प्रथम पूर्ण रूप से संश्लेषित रेशा आपके नए लोनी था तो हमारे जो एपिरोसी एकदम सही उत्तर है वह आएगा आपके नायलॉन तो जो आपका सही उत्तर है इसका जो ऑप्शन एक ऑप्शन 19 लोन इस प्रश्न का उत्तर होगा तो मिला दोस्तों आपको यह उत्तर प्रश्न होगा थैंक यू
Testbook Edu Solutions Pvt. Ltd. 1st & 2nd Floor, Zion Building, [email protected] Toll Free:1800 833 0800 Office Hours: 10 AM to 7 PM (all 7 days) कृत्रिम सूत (Synthetic fibers) वे सूत या रेशे हैं जिन्हें प्राकृतिक रूप से (जानवरों एवं पौधों) नहीं बल्कि कृत्रिम रूप से निर्मित किया जाता है। सामान्य रूप से कहा जाय तो सूत बनाने वाले पदार्थ को किसी पतले छिद्र से बलात भेजकर सूत का निर्माण किया जाता है। जैसे-नाइलान,रेयान,ऐकि्लिक आदि। कृत्रिम रेशे का इतिहास[संपादित करें]कृत्रिम ढंग से सूत (रेशा, Fibre) निर्माण करने का विचार पहले पहल एक अंग्रेज वैज्ञानिक राबर्ट हुक के दिमाग में उठा था। इसका उल्लेख 1664 ई. में प्रकाशित उसकी माइक्रोग्राफिया नामक पुस्तक में है। इसके बाद 1734 ई. में एक फ्रेंच वैज्ञानिक ने रेजिन से कृत्रिम सूत बनाने की बात कही; लेकिन उसे भी कोई व्यावहारिक रूप नहीं दिया जा सका। 1842 ई. में पहली बार अंग्रेज वैज्ञानिक लुइस श्वाब ने कृत्रिम सूत बनाने की मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन में महीन सूराखवाले तुंडों (nozzles) का प्रयोग किया गया जिसमें से होकर निकलनेवाला द्रव पदार्थ सूत में परिवर्तित हो जाता था। सूत बनानेवाली आज की मशीनों का भी मुख्य सिद्धांत यही है। श्वाब ने काँच से सूत का निर्माण किया था; लेकिन वह इससे संतुष्ट न था। उसने ब्रिटिश वैज्ञानिकों से कृत्रिम सूत बनाने हेतु अच्छे पदार्थ की खोज की अपील की। 1845 ई. में स्विस रसायनशास्त्री सी. एफ. शूनबेन ने कृत्रिम सूत के निर्माण के निमित्त नाइट्रो सेल्यूलोज की खोज की। कृत्रिम सूत के निर्माण का पहला पेटेंट 1855 में जार्ज एडेमर्स ने प्राप्त किया। उसने कृत्रिम सूत के निर्माण के लिए शहतूत और कुछ अन्य वृक्षों के भीतरी भाग का प्रयोग किया। शहतूत के वृक्ष के भीतरी भाग को पहले उसने नाइट्रीकृत किया। फिर ईथर और ऐलकोहल के साथ-साथ रबर के विलयन में उसका मिश्रण तैयार किया। फिर उसका उपयोग उसने कृत्रिम सूत के निर्माण के लिए किया। दो वर्ष बाद ई. जे. हग्स को कुछ लचीले पदार्थो जैसे स्टार्च, ग्लेटिन, रेजिन, टैनिन और चर्बी आदि से कृत्रिम सूत के निर्माण के लिए पेटेंट मिला। इसके बाद जोसेफ स्वान ने इस दिशा में और अधिक कार्य किया। तब से अब तक इस क्षेत्र में अनेक वैज्ञानिकों ने बहुत काम किया है। फलस्वरूप अनेक प्रकार के कृत्रिम सूत बाजार में उपलब्ध हैं। भारत में कृत्रिम सूत का निर्माण 1950 ई. में आरंभ हुआ। जब प्रयोगशाला में पहले पहल कृत्रिम सूत बने तब रंगरूप, कोमलता और चमक दमक में वे रेशम से थे, यद्यपि उनकी दृढ़ता और टिकाऊपन रेशम के बराबर नहीं थी। उनका तनाव सामर्थ्य भी निम्न कोटि का था। फिर भी उन्हें कृत्रिम रेशम का नाम दिया गया। 1924 ई. तक ऐसे मानवनिर्मित सूतों को कृत्रिम रेशम ही कहते थे। बाद में अमरीका में कृत्रिम सूत के लिए रेयन शब्द का उपयोग आरंभ हुआ और आज सारे संसार में कृत्रिम सूत के लिए रेयन शब्द का ही उपयोग होता है।भारत वर्ष मे पिथौरागड़ के श्री पीताम्बर पाण्डेय जो एक पेट्रोलियम अभियंता थे, उनके द्वारा भी कृतिम रेशा का अविष्कार किया गया था लकिन अल्प काल मृत्यु के कारण वह उसे व्यवसायी रूप नहीं दे पाये। प्रकार[संपादित करें]रेयान सूत का पास से दृष्य मानवनिर्मित सूत (रेशों) के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं- 1. फिलामेंट धागा (Filament yarn)- इन धागों में अनेक महीन अखंड तंतु (filament) होते हैं, जो हलकी ऐंठन से एक साथ जुड़े रहते हैं। 2. एकतंतु धागा (monofilament)- इसमें केवल एक तंतु होता है। 3. स्टेप्ल (staple)- ये कृत्रिम तंतुओं के बने होते हैं और ये 7 से 15 इंच तक लंबे और एकरूप होते हैं 4. टो (Tow)- इसमें भी अनेक अखंड तंतु, रस्सी के रूप में, एक साथ बैटे रहते है, किंतु उनमें ऐंठन नहीं होती तथा वे समांतर रहते हैं। छोटे टो 500 से 5000 डेनियर (Denier) तक के होते हैं, जबकि बड़े टो 75,000 से 5,00,000 डेनियर के होते हैं। 5. कते धागे (Spun yarn)- ये धागे कृत्रिम रेशों को कातकर बनाए जाते हैं। कभी-कभी ये कृत्रिम रेशे कपास, ऊन, पटसन इत्यादि रेशों के मिश्रण से भी बनते हैं। मानवनिर्मित कृत्रिम रेशों के विभिन्न वर्गों, उनके औद्योगिक अथवा वाणिज्य नाम, उनके निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत सामग्री तथा उत्पादक देशों का विवरण इस प्रकार है- वर्ग - औद्योगिक नाम - आधारभूत सामग्री - उत्पादक देश(क). सेल्युलोस रेयन (Rayon) - काष्ठ लुगदी - अनेक देश (ख). प्राकृतिक ऐसीटेट (Acetate) - कपास लिंटर और काष्ठ लुगदी - अनेक देश, संयुक्त राज्य अमेरिका
(ग). संश्लिष्ट तंतु : (घ). खनिज तंतु (काच) सिलिका बालू, चूना पत्थर औद्योगिक उपयोग[संपादित करें]इन मानवनिर्मित रेशों का उपयोग वस्त्रोद्योग तक ही सीमित नहीं है; वरन् इनके अनेक अन्य औद्योगिक उपयोग भी हैं। कुछ मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं : बबलफिल (bubblefill)विस्कोस रेशों का बना होता है, जिसमें वायु पाशित होती है। इसका उपयोग जीवनरक्षी जैकेट, नौकासेतु (pontoon), बेड़ा (raft) तथा हवाई उड़ाकों की वेशभूषा के पृथक्कारी (insulator) माध्यम बनाने के लिए किया जाता है। रेयन का उपयोग श्ल्य संभार (surgical dressing) तैयार करने में भी होता है। सेल्युलोस ऐसीटेटस्त्रियों के लिए सुंदर आकर्षक वस्त्र तथा स्नान वस्त्रों के बनाने में काम आता है। पुरुषों के लिए टाई, ड्रेसिंग गाउन और कॉलर बनाने में भी इसका उपयोग होता है। इसका पारविद्युत् सामर्थ्य (dielectric strength) अधिक होता है। अत: यह बिजली के तार एवं कुंडली (coil) के लिए पृथक्कारी (insulator) के रूप में भी प्रयुक्त होता है। टेनास्को और फॉर्टिसनबड़ी उच्च दृढ़ता (tenacite) के सेज्युलूसीय तंतु हैं। टेनास्को का उपयोग मोटरों तथा वायुयानों के टायरों की रस्सी, वाहक पट्टों तथा रस्सियों के बनाने में होता है। संश्लिष्ट रेशों में फॉर्टिसन सबसे अधिक पुष्ट होता है इसकी दृढ़ता 7 ग्राम प्रति डेनियर होता है। इसका मुख्य उपयोग टायर की रस्सी बनाने में किया जाता है। पैराशूट के कपड़े बनाने में भी इसका व्यापक उप्योग होता है। ऐल्गिनेटइस प्रकार के रेशों की विशेषता यह है कि ये धात्वीय ऐल्गिनेटों के कारण ज्वालासह (flame proof) होते है। इसलिए इनका उपयोग थियेटरों के पर्दे तथा अग्निसह कपड़े बनाने के लिए विशेष रूप से किया जाता है। नाइलॉनइसकी दृढ़ता भी यथेष्ट अधिक होती है (4.5 से 7 ग्राम प्रति डेनियर तक)। इसका उपयोग भी पैराशूट के कपड़े, रस्सी, अश्वसज्जा (harness) और ग्लाइडर की रस्सी बनाने में होता है। एकतंतु (monofilament) नाइलॉन दाँत, कपड़े, बाल एवं बोतल साफ करनेवाले ब्रश तथा टाइपराइटर के फीते बनाने के काम आता है। इसके बने तिरपाल (tarpaulins) भी बड़े हलके और टिकाऊ होते हैं। हवाई जहाज की पेट्रोल टंकी बनाने के लिए नाइलॉन बड़ा उपयुक्त होता है। विद्युल्लेपन (electroplating) द्रव, रंक द्रव एवं प्रबल क्षायतावाले रासायनिक द्रवों को छानने के लिए नाइलॉन बड़ा उपयुक्त माध्यम है। वाहक पट्टी के बनाने में भी नाइलॉन काम आता है। नाइलॉन एकतंतुओं से श्ल्य सीवनी एवं पाश (surgical suture and ligature) भी बनाए जाते है। विनियानइससे छाननेवाले गत्ते (filter pad) तथा रसायनिक कार्य करनेवालों के आरक्षी वस्त्र बनाए जाते हैं। जलरोधी होने के कारण मछली पकड़ने के जाल तथा रस्सियाँ बनाने के लिए इसका अच्छा उपयोग होता है। सारनयह जीवाणुओं, कीटों एवं रस द्रव्यों के प्रति यथेष्ट अवरोधी होता है। इसलिये मसहरी, छनने, मोटरों तथा जलपानगृहों के आलंकारिक पर्दे बनाने में इसका विशेष उपयोग होता है। कलाशानाओं तथा सिनेमागृहों की दीवारों पर भी सारन के आवरण लगाए जाते है, जिससे उनपर सिगरेट के धुएँ का कोई प्रभाव न पड़े। इस्पात की नलियों में सारन का अस्तर लगाने से वे रसद्रव्यों के प्रति अवरोधी हो जाती हैं। पॉलिविनाइल क्लोराइडों का उपयोग भी सारन की ही भाँति होता है। ऑर्लानइसका उपयोग विद्युतल्लेपन में धनाग्र (anode) थैले के बनाने में किया जाता है। कांच तंतुइसके कपड़े अग्निसह होने के कारण जीवनरक्षी नौकाओं तथा तेल की टंकियों में उपयुक्त होते हैं। स्टेपुल तंतु कांच के कपड़े, विद्युत् पृथक्करण एवं उष्मा पृथक्करण के लिए उपयुक्त होते हैं। पॉलिथीनरासायनिक दृष्टिसे स्थायी होने के कारण प्लास्टिक के रूप में व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है। सामग्रियों पर आरक्षी आवरण चढ़ाने अथवा रासायनिक दृष्टि से अवरोधी नलियों और धारको के निर्माण में भी इसका विशेष उपयोग होता है। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
प्रथम पूर्ण संश्लेषित रेशा कौन सा है?इस प्रश्न का सही उत्तर है -नायलॉन। यह पहला पूरी तरह से संश्लेषित रेशा है क्योंकि इसे प्राकृतिक कच्चे माल के उपयोग के बिना बनाया गया था।
* प्रथम पूर्ण रूप से संश्लेषित रेशा कौन सा है ?* १⃣ कपास २⃣ रेशम ३⃣ नायलॉन ४⃣ ऊन?नायलॉन किसी भी प्राकृतिक कच्चे माल (पौधों या जंतुओं से) के उपयोग के बिना बनाया गया था। इसे कोयले, जल और वायु से बनाया गया था। यह पहला पूर्णतः संश्लेषित रेशा था। नायलॉन रेशा मजबूत, लचीला और हल्का था।
मानव द्वारा निर्मित प्रथम संश्लिष्ट रेशा कौन था?मानव निर्मित प्रथम रेशा रेयॉन है . कृत्रिम सूत (Synthetic fibers) वे सूत या रेशे हैं जिन्हें प्राकृतिक रूप से (जानवरों एवं पौधों) नहीं बल्कि कृत्रिम रूप से निर्मित किया जाता है। सामान्य रूप से कहा जाय तो सूत बनाने वाले पदार्थ को किसी पतले छिद्र से बलात भेजकर सूत का निर्माण किया जाता है।
पहला प्राकृतिक रेशा कौन सा है?इस प्रकार पहला संश्लिष्ट रेशा नायलॉन है।
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