Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 1 पालमपुर गाँव की कहानी Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 9 Social Science Solutions Economics Chapter 1 पालमपुर गाँव की कहानीRBSE Class 9 Social Science पालमपुर गाँव की कहानी InText Questions and Answersपृष्ठ 3 प्रश्न 1.
उत्तर: उपर्युक्त आरेख में भारत में पिछले वर्षों में जुताई क्षेत्र को दर्शाया गया है। उपर्युक्त आरेख से स्पष्ट है कि वर्ष 1950-51 में देश का जुताई क्षेत्र 129 मिलियन हेक्टेयर था वह 1990-91 में बढ़कर 157 मिलियन हेक्टेयर हो गया। उसके पश्चात् यह जुताई क्षेत्र लगभग स्थिर रहा है। यह 2000-01 में 156 मिलियन हेक्टेयर था वह 2010-11 व 2011-12 में समान रहा। 2013-14 में भी जुताई क्षेत्र 156 मिलियन हेक्टेयर था जो 2014-15 में 155 मिलियन हेक्टेयर रहा। प्रश्न 2. पृष्ठ 5 प्रश्न 1. (2) बहुविध फसल प्रणाली में खेती की परम्परागत या आधुनिक किसी भी विधि का प्रयोग हो सकता है जबकि आधुनिक कृषि विधि में आधुनिक कृषि यंत्र, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक दवाइयां तथा गहन सिंचाई का ही प्रयोग किया जाता है। प्रश्न 2.
उत्तर: उपर्युक्त आरेख में भारत में विभिन्न वर्षों में दाल एवं गेहूँ के उत्पादन को दर्शाया गया है। उपर्युक्त आरेख से स्पष्ट है कि रित क्रान्ति का सकारात्मक प्रभाव नहीं पडा है क्योंकि इनका उत्पादन लगभग स्थिर रहा है 1965 66 से 2000-01 तक की समय अवधि में। हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप गेहूँ के उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है। गेहूँ का उत्पादन 1965-66 में 10 करोड़ टन से बढ़कर 2000-01 में 70 करोड़ टन पहुँच गया। अतः हरित क्रान्ति दालों के मामले में असफल रही जबकि गेहूँ के मामले में यह काफी सफल रही। प्रश्न 3. प्रश्न 4. वर्तमान में कृषि हेतु आधुनिक विधियों का प्रयोग किया जाता है जिसमें आधुनिक कृषि आगतों जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, उन्नत बीजों, ट्रेक्टर, थ्रेसर तथा अन्य आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। ये सभी जार से क्रय करनी पडती हैं जिसके कारण कृषकों को अधिक नकदं की जरूरत पड़ती है। अतः परम्परागत विधियों की तुलना में कृषि की आधुनिक विधियों के लिए कृषकों को अधिक नकद की आवश्यकता पड़ती है। प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. पृष्ठ 7 प्रश्न 1. पालमपुर की ही भाँति भारत में भी कृषि भूमि के वितरण में काफी असमानता पाई जाती है। भारत में कुल किसानों के लगभग 85 प्रतिशत किसान छोटे कृषक हैं जिनके पास छोटी-छोटी जोतें हैं तथा इन 85 प्रतिशत कृषकों के पास कृषि क्षेत्र का मात्र 44.6 प्रतिशत भाग ही है जबकि दूसरी तरफ कुल किसानों के 15 प्रतिशत किसान मझोले एवं बड़े कृषक हैं जिनके पास कुल कृषि क्षेत्र का लगभग 55.4 प्रतिशत है। अतः भारत में कृषि भूमि के वितरण में काफी असमानता है। पृष्ठ 11 प्रश्न 1. (अ) तीनों किसानों के गेहूँ के तीनों वर्षों के उत्पादन की तुलना कीजिए। (ब) तीसरे वर्ष, तीसरे किसान के साथ क्या हुआ? क्या वह उत्पादन जारी रख सकता है? उत्पादन जारी रखने के लिए उसे क्या करना चाहिए? उत्तर: (अ) तीनों कृषकों के उत्पादन की तुलना करने से स्पष्ट होता है कि पहले किसान का उत्पादन निरन्तर बढ़ रहा है, जबकि दूसरे किसान का उत्पादन स्थिर है तथा तीसरे किसान का उत्पादन कम हो रहा है। (ब) तीसरे वर्ष तीसरे किसान का उत्पादन शून्य हो गया तथा वह कोई उत्पादन नहीं कर पाया किन्तु उसका उपभोग स्थिर रहा। यदि तीसरा किसान चाहे तो उत्पादन जारी रख सकता है किन्तु उसे खेती करने के लिए पूँजी हेतु ऋण लेना होगा। पृष्ठ 12-I प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. पृष्ठ 12-II प्रश्न 1. प्रश्न 2. पृष्ठ 13 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. RBSE Class 9 Social Science पालमपुर गाँव की कहानी Textbook Questions and Answersप्रश्न
1. (घ) सुविधाएँ :
उत्तर: (घ) सुविधाएँ-
प्रश्न 2. प्रश्न 3. सम्पूर्ण कृषि क्षेत्र के सिंचित होने से कृषकों की आय में भी वृद्धि हुई, क्योंकि सिंचाई सुविधाओं में विस्तार से कृषक बहुविध फसल प्रणाली द्वारा पहले से अधिक पैदावार करने लगे। प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
पालमपुर में कुल 450 परिवार हैं जिनमें से 150 परिवारों के पास कोई भूमि नहीं है। वहाँ 240 परिवार छोटे किसानों के हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है तथा 60 परिवार मझोले एवं बड़े किसानों के हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर से अधिक की भूमि जोतें हैं। पालमपुर में कुछ बड़े किसानों के पास 10 हेक्टेयर या इससे अधिक भूमि भी है। प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. (2) बहुविध फसल प्रणाली-एक ही भूमि पर एक से अधिक फसल उगाने की प्रणाली को बहुविध फसल प्रणाली कहा जाता है। एक वर्ष में एक ही भूमि पर कई फसल उगाने से उत्पादन में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग के गाँवों में कृषक बरसात के मौसम में ज्वार और बाजरा उगाते हैं, जिसका उपयोग वे पशुओं के चारे के रूप में करते हैं। इसके पश्चात् वे अक्टूबर और दिसम्बर के मध्य आलू की खेती करते हैं। सर्दी के मौसम में वे अपने खेतों में गेहूँ उगाते हैं तथा भूमि के एक भाग पर गन्ने की खेती करते हैं। इस प्रकार वहाँ के किसान एक ही भूमि पर एक वर्ष में कई खेती कर उत्पादन में वृद्धि करते हैं। प्रश्न 9. प्रश्न 10. छोटे किसानों के पास बहुत कम कृषि भूमि होती है तथा कई बार तो अपनी पारिवारिक आवश्यकता योग्य अनाज भी उत्पादित नहीं कर पाते । इन किसानों को अपनी अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े किसानों के यहाँ काम करना पड़ता है तथा उनसे ऋण भी लेना पड़ता है। अधिशेष के बारे में ये छोटे किसान सोच भी नहीं पाते हैं। अतः इनके पास कृषि उत्पादन से किसी प्रकार की पूँजी एकत्रित नहीं होती है। प्रश्न 11. यदि सविता को यही ऋण बैंक से प्राप्त होता तो उसकी स्थिति विपरीत होती। एक तो उसे बहुत कम ब्याज का भुगतान करना पड़ता जिससे उसकी आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता। इसके अतिरिक्त बैंक से ऋण लेने पर उसे बहुत कम मजदूरी पर दूसरे के खेतों पर काम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। वह स्वयं का कार्य आराम से कर सकती थी तथा अपने पारिवारिक कामों को भी आसानी से पूरा कर लेती। प्रश्न 12. सिंचाई के तरीकों में परिवर्तन- पिछले 30 वर्षों में सिंचाई के तरीकों में व्यापक परिवर्तन आया है। 30 वर्ष पहले बिजली नहीं होती थी तथा किसान कुओं से रहट के माध्यम से पानी निकाल कर अपने खेतों की सिंचाई किया करते थे। पिछले कुछ वर्षों में हुए विकास के फलस्वरूप गाँवों में बिजली से चलने वाले नलकूपों से ज्यादा प्रभावकारी ढंग से अधिक क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। अधिक सिंचाई सुविधाओं के आधार पर गाँवों में बहुविध फसल प्रणाली अपनाई जा रही है। उत्पादन के तरीकों में परिवर्तन- विगत 30 वर्षों में उत्पादन के तरीकों में भी व्यापक परिवर्तन हुए हैं। पहले परम्परागत तरीकों से खेती की जाती थी। कृषक बैलों से खेत जोतते थे तथा परम्परागत बीजों का उपयोग करते थे। वे खाद के रूप में गोबर की खाद या अन्य प्राकृतिक खाद काम में लेते थे तथा परम्परागत तरीकों से ही अनाज निकालते थे। पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन के तरीकों में परिवर्तन आए हैं। जुताई हेतु ट्रेक्टर काम में लिए जाते हैं, बिजली चालित नलकूपों से सिंचाई होती है, रासायनिक उर्वरक काम में लिए जाते हैं, कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, उच्च उत्पादकता वाले बीजों का उपयोग किया गया तथा अनाज निकालने हेतु भी आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जाता है। कृषि क्षेत्र में आधुनिक विधियों का उपयोग करने से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। इससे स्पष्ट होता है कि पुराने समय में कृषि कार्य में मानवीय श्रम की अधिकता थी जबकि वर्तमान समय में योंत्रिक श्रम अधिक काम आता है। प्रश्न 13. प्रश्न 14.
पालमपुर गांव में कृषि कार्य क्या थी?पालमपुर में समस्त भूमि पर खेती की जाती है जुलाई से सितंबर तक ज्वार और बाजरा अक्टूबर से दिसंबर तक आलू और सर्दी के मौसम से गेहूं की खेती की जाती है भूमि के एक भाग में गन्ने की खेती भी की जाती है भूमि के एक भाग में गन्ने की खेती भी की जाती हैं इस प्रकार 1 वर्ष में अधिक फसलें पैदा कर ली जाती है इसे बहुविध फसल प्रणाली में ...
पालमपुर में कृषि क्रियाएं कौन सी है?पालमपुर गांव की मुख्य क्रिया कृषि है, जबकि अन्य क्रियाएं जैसे लघु-स्तरीय विनिर्माण, डेयरी, परिवहन आदि सीमित स्तर पर की जाती है। पालमपुर अपने आस पास के गाँवो और क़स्बों से जुड़ा हुआ हैं। रायगंज एक बड़ा गाँव है जो पालमपुर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
पालमपुर में कृषि कार्य हेतु श्रमिक कौन उपलब्ध करता है?ये कृषि मजदूर या तो भूमिहीन परिवारों से होते हैं या छोटे खेतों पर काम करने वाले परिवारों में से। किसानों के विपरीत इन लोगों को खेत में उगाई गई फसल पर कोई अधिकार नहीं होता। इन्हें किसान द्वारा काम के बदले में पैसे या किसी अन्य प्रकार से मजदूरी मिलती है जैसे कि फसल।
पालमपुर में खेती के अतिरिक्त अन्य कौन से कार्य होते हैं?पास अधिक मात्रा में गेहूँ होता है। 34. पालमपुर गाँव की मुख्य क्रियाएँ कौन-सी है? उत्तर― खेती मुख्य क्रिया, लघुस्तरीय निर्माण कार्य, डेरी, परिवहन आदि।
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