पितरों को मनाने के लिए क्या करें? - pitaron ko manaane ke lie kya karen?

पितृपक्ष में यदि किसी कारणवश पितरों के निमित्त किया जाने वाला श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान न संभव हो पाए तो आखिर किस उपाय को करने पर उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

हिंदू धर्म में पितरों की मुक्ति और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए पितृपक्ष को उत्तम माना गया है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध एवं पिंडदान से न सिर्फ पितर प्रसन्न होते हैं, बल्कि उन्हें इस पूजन कार्य से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि जब तक इंसान पितृ ऋण से मुक्ति नहीं हो जाता है, तब तक उसे ईश्वरीय कृपा भी नहीं प्राप्त होती है. यही कारण है कि पितृपक्ष आते ही लोग अपने घर के दिवंगत लोगों के लिए श्राद्ध-तर्पण आदि की तैयारी करना शुरु कर देते हैं, लेकिन यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश अपने पितरों का विधि-विधान से श्राद्ध न कर पाएं तो उसे उनकी नाराजगी का डर सताने लगता है. आइए जानते हैं कि जब परंपरागत तरीके से पितरों को श्राद्ध न कर पाएंं तो उन्हें मनाने और प्रसन्न करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए.

आदर के साथ ब्राह्मण को भोजन कराएं

यदि आप किसी कारणवश पितृपक्ष के दौरान तिथि विशेष पर अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान नहीं कर पा रहे हैं तो आप बिल्कुल भी परेशान न हों और पितृपक्ष के अंत में पड़ने वाली सर्व पितृ अमावस्या के दिन किसी योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण को आदरपूर्वक अपने घर में बुलाकर भोजन कराएं. भोजन के बाद ब्राह्मण को अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा, वस्त्र आदि जो संभव हो दान करें, लेकिन ऐसा करते समय भूलकर भी किए जाने वाले दान का अभिमान न करें.

दक्षिण दिशा की ओर करें ये सरल उपाय

यदि आप किसी ऐसी जगह पर हों जहां पर पितरों का श्राद्ध करने के लिए सामान न उपलब्ध हो या फिर आपको भोजन कराने के लिए ब्राह्मण न मिल पाए तो आपको पितरों को प्रसन्न दक्षिण दिशा की ओर मुंह करने के बाद दोनों हाथ उपर करके पितरों को याद करें. पितरों से श्राद्ध न कर पाने के लिए माफी मांगते हुए अपने उपर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें.

इस उपाय से भी प्रसन्न होंगे पितर

पितृपक्ष में यदि किसी कारणवश आप पितरों का श्राद्ध न कर पाएं और आपको भोजन कराने अथवा दान देने के लिए कोई ब्राह्म्मण भी न मिले तो आपको किसी गाय को एक मुट्ठी घास खिलाना चाहिए.मान्यता है कि पितरों के निमित्त किए जाने वाले इन उपायों के माध्यम से की जाने वाली क्रिया का लोप नहीं होना चाहिए.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

रिलिजन डेस्क. पितृपक्ष में आप गया, गोदावरी तट और प्रयाग में श्राद्ध- तर्पण नहीं कर सकते हैं तो घर पर रहकर भी पितरों को खुश कर सकते हैं। महाभारत और पद्मपुराण सहित अन्य स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि जो पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त सामर्थ्य के अनुरूप पूरी विधि से श्राद्ध करता है, उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। घर-परिवार में शांति होती है। व्यवसाय तथा आजीविका में उन्नति होती है। साथ ही हर तरह की रुकावटें दूर हो जाती हैं।

यदि और अधिक पुण्य हैं तो आत्मा सूर्य लोक से स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है, लेकिन करोड़ों में भी शायद कोई आत्मा ही ऐसी होती है, जो परमात्मा में समाहित होती है, जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता यानि उसे मुक्ति मिल जाती है। मनुष्य लोक और पितृ लोक में बहुत सारी आत्माएं पुनः अपनी इच्छावश, मोहवश अपने कुल में जन्म लेती हैं।

MUST READ : पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने सहित मोक्ष की प्राप्ति तक के लिए बेहद खास है ये शिला

पितरों को मनाने के लिए क्या करें? - pitaron ko manaane ke lie kya karen?
पितृ दोष क्या होता है?
हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग न तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है। न ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं, न ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं, तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसे "पितृ- दोष" कहा जाता है।

पितृ दोष : पितरों के रुष्ट होने के कारण...
माना जाता है कि पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है। ये बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है। पितरों के रुष्ट होने के कई कारण हो सकते हैं। आपके आचरण से, किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से, श्राद्ध आदि कर्म ना करने से, अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।

पितृ दोष से क्या होती हैं परेशानियां...
इसके अलावा मानसिक अवसाद,व्यापार में नुकसान,परिश्रम के अनुसार फल न मिलना, विवाह या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, कॅरिअर में समस्याएं या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है। पितृ दोष होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति, गोचर, दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते, कितना भी पूजा पाठ, देवी, देवताओं की अर्चना की जाए,उसका भी पूर्ण शुभ फल नहीं मिल पाता।

पितृ दोष : दो प्रकार से करता है प्रभावित...

1.अधोगति वाले पितरों के कारण

2.उर्ध्वगति वाले पितरों के कारण

अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किया गया गलत आचरण, अतृप्त इच्छाएं, जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर, विवाह में परिजनों द्वारा गलत निर्णय, परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं, परिवार जनों को श्राप दे देते हैं और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।

उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यतः पितृदोष उत्पन्न नहीं करते, परन्तु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वह पितृदोष उत्पन्न करते हैं।

MUST READ : सूर्यदेव देते हैं पितरों को मुक्ति का मार्ग, जानें पितृ पक्ष के दौरान क्या करें और क्या न करें

पितरों को मनाने के लिए क्या करें? - pitaron ko manaane ke lie kya karen?

इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है, फिर चाहें कितने भी प्रयास क्यों ना किये जाएं, कितने भी पूजा पाठ क्यों ना किए जाएं,उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता। पितृ दोष निवारण के लिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी होता है कि किस गृह के कारण और किस प्रकार का पितृ दोष उत्पन्न हो रहा है।

जन्म पत्रिका और पितृ दोष जन्म पत्रिका में लग्न ,पंचम ,अष्टम और द्वादश भाव से पितृदोष का विचार किया जाता है। पितृ दोष में ग्रहों में मुख्य रूप से सूर्य, चंद्रमा, गुरु, शनि और राहू -केतु की स्थितियों से पितृ दोष का विचार किया जाता है।

इनमें से भी गुरु ,शनि और राहु की भूमिका प्रत्येक पितृ दोष में महत्वपूर्ण होती है। इनमें सूर्य से पिता या पितामह , चंद्रमा से माता या मातामह , मंगल से भ्राता या भगिनी और शुक्र से पत्नी का विचार किया जाता है।

अधिकांश लोगों की जन्म पत्रिका में मुख्य रूप से क्योंकि गुरु, शनि और राहु से पीड़ित होने पर ही पितृ दोष उत्पन्न होता है, इसलिए विभिन्न उपायों को करने के साथ साथ व्यक्ति यदि पंचमुखी, सातमुखी और आठ मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर ले तो पितृ दोष का निवारण शीघ्र हो जाता है। पितृ दोष निवारण के लिए इन रुद्राक्षों को धारण करने के अतिरिक्त इन ग्रहों के अन्य उपाय जैसे मंत्र जप और स्तोत्रों का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है।

विभिन्न ऋण : पितृ दोष
माना जाता है कि हमारे ऊपर मुख्य रूप से 5 ऋण होते हैं जिनका कर्म न करने (ऋण न चुकाने ) पर हमें निश्चित रूप से श्राप मिलता है। ये ऋण हैं : मातृ ऋण ,पितृ ऋण, मनुष्य ऋण ,देव ऋण और ऋषि ऋण।

1. मातृ ऋण - माता एवं माता पक्ष के सभी लोग जिनमें मां, मामी, नाना, नानी, मौसा, मौसी और इनके तीन पीढ़ी के पूर्वज होते हैं ,क्योंकि मां का स्थान परमात्मा से भी ऊंचा माना गया है। अतः यदि माता के प्रति कोई गलत शब्द बोलता है अथवा माता के पक्ष को कोई कष्ट देता रहता है, तो इसके फलस्वरूप उसको नाना प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। इतना ही नहीं, इसके बाद भी कलह और कष्टों का दौर भी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है।

2. पितृ ऋण - पिता पक्ष के लोगों जैसे बाबा ,ताऊ ,चाचा, दादा-दादी और इसके पूर्व की तीन पीढ़ी का श्राप हमारे जीवन को प्रभावित करता है। पिता हमें आकाश की तरह छत्रछाया देता है। हमारा जिंदगी भर पालन -पोषण करता है और अंतिम समय तक हमारे सारे दुखों को खुद झेलता रहता है। पर आज के के इस भौतिक युग में पिता का सम्मान क्या नयी पीढ़ी कर रही है? पितृ -भक्ति करना मनुष्य का धर्म है, इस धर्म का पालन न करने पर उनका श्राप नयी पीढ़ी को झेलना ही पड़ता है। इसमें घर में आर्थिक अभाव, दरिद्रता, संतानहीनता, संतान को विभिन्न प्रकार के कष्ट आना या संतान अपंग रह जाने से जीवन भर कष्ट की प्राप्ति आदि होती है।

MUST READ : इन दिनों सपने में आकर पितर देते हैं संकेत, ऐसे समझें उनके इशारे

पितरों को मनाने के लिए क्या करें? - pitaron ko manaane ke lie kya karen?

3. देव ऋण - माता-पिता प्रथम देवता हैं, जिसके कारण भगवान गणेश महान बने | इसके बाद हमारे इष्ट भगवान शंकर जी, दुर्गा मां, भगवान विष्णु आदि आते हैं, जिनको हमारा कुल मानता आ रहा है। हमारे पूर्वज भी भी अपने अपने कुल देवताओं को मानते थे, लेकिन नयी पीढ़ी ने बिलकुल छोड़ दिया है। इसी कारण भगवान /कुलदेवी /कुलदेवता उन्हें नाना प्रकार के कष्ट /श्राप देकर उन्हें अपनी उपस्थिति का आभास कराते हैं।

4. ऋषि ऋण - जिस ऋषि के गोत्र में पैदा हुए, वंश वृद्धि की, उन ऋषियों का नाम अपने नाम के साथ जोड़ने में नयी पीढ़ी कतराती है। उनके ऋषि तर्पण आदि नहीं करती है। इस कारण उनके घरों में कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। इसलिए उनका श्राप पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त होता रहता है।

5. मनुष्य ऋण - माता -पिता के अतिरिक्त जिन अन्य मनुष्यों ने हमें प्यार दिया, दुलार दिया, हमारा ख्याल रखा, समय समय पर मदद की, गाय आदि पशुओं का दूध पिया जिन अनेक मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों ने हमारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की, उनका ऋण भी हमारे ऊपर हो गया, लेकिन लोग आजकल गरीब, बेबस, लाचार लोगों की धन संपत्ति हरण करके अपने को ज्यादा गौरवान्वित महसूस करते हैं। इसी कारण देखने में आया है कि ऐसे लोगों का पूरा परिवार जीवन भर नहीं बस पाता है। वंशहीनता, संतानों का गलत संगति में पड़ जाना, परिवार के सदस्यों का आपस में सामंजस्य न बन पाना, परिवार कि सदस्यों का किसी असाध्य रोग से ग्रस्त रहना इत्यादि दोष उस परिवार में उत्पन्न हो जाते हैं।

ऐसे परिवार को पितृ दोष युक्त या शापित परिवार कहा जाता है। रामायण में श्रवण कुमार के माता -पिता के श्राप के कारण दशरथ के परिवार को हमेशा कष्ट झेलना पड़ा। ये जग -ज़ाहिर है इसलिए परिवार कि सर्वोन्नती के पितृ दोषों का निवारण करना बहुत आवश्यक है।

पितरों के रूष्‍ट होने के लक्षण...
पितरों के रुष्ट होने के कुछ असामान्‍य लक्षण जो क्रमशः इस प्रकार माने गए हैं-

: खाने में से बाल निकलना : अक्सर खाना खाते समय यदि आपके भोजन में से बाल निकलता है तो इसे नजरअंदाज न करें। बहुत बार परिवार के किसी एक ही सदस्य के साथ होता है कि उसके खाने में से बाल निकलता है। यह बाल कहां से आया इसका कुछ पता नहीं चलता। यहां तक कि वह व्यक्ति यदि रेस्टोरेंट आदि में भी जाए तो वहां पर भी उसके ही खाने में से बाल निकलता है और परिवार के लोग उसे ही दोषी मानते हुए उसका मजाक तक उडाते है।

: बदबू या दुर्गंध : कुछ लोगों की समस्या रहती है कि उनके घर से दुर्गंध आती है। यह भी नहीं पता चलता कि दुर्गंध कहां से आ रही है। कई बार इस दुर्गंध के इतने अभ्‍यस्‍त हो जाते है कि उन्हें यह दुर्गंध महसूस भी नहीं होती लेकिन बाहर के लोग उन्हें बताते हैं कि ऐसा हो रहा है अब जबकि परेशानी का स्रोत पता ना चले तो उसका इलाज कैसे संभव है।

: पूर्वजों का स्वप्न में बार बार आना : मेरे एक मित्र ने बताया कि उनका अपने पिता के साथ झगड़ा हो गया है और वह झगड़ा काफी सालों तक चला। पिता ने मरते समय अपने पुत्र से मिलने की इच्छा जाहिर की परंतु पुत्र मिलने नहीं आया। पिता का स्वर्गवास हो गया हुआ। कुछ समय पश्चात मेरे मित्र मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता को बिना कपड़ों के देखा है ऐसा स्‍वप्‍न पहले भी कई बार आ चुका है।

: शुभ कार्य में अड़चन : कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कोई त्यौहार मना रहे हैं या कोई उत्सव आपके घर पर हो रहा है, ठीक उसी समय पर कुछ ना कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि जिससे रंग में भंग डल जाता है। ऐसी घटना घटित होती है कि खुशी का माहौल बदल जाता है। मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि शुभ अवसर पर कुछ अशुभ घटित होना पितरों की असंतुष्टि का संकेत है।

: घर के किसी एक सदस्य का कुंवारा रह जाना : बहुत बार आपने अपने आसपास या फिर रिश्‍तेदारी में देखा होगा या अनुभव किया होगा कि बहुत अच्‍छा युवक है, कहीं कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी शादी नहीं हो रही है। एक लंबी उम्र निकल जाने के पश्चात भी शादी नहीं हो पाना कोई अच्‍छा संकेत नहीं है। यदि घर में पहले ही किसी कुंवारे व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है तो उपरोक्त स्थिति बनने के आसार बढ़ जाते हैं। इस समस्‍या के कारण का भी पता नहीं चलता।

: प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में दिक्कत आना : आपने देखा होगा कि कि एक बहुत अच्छी प्रॉपर्टी, मकान, दुकान या जमीन का एक हिस्सा किन्ही कारणों से बिक नहीं पा रहा। यदि कोई खरीदार मिलता भी है तो बात नहीं बनती। यदि कोई खरीदार मिल भी जाता है और सब कुछ हो जाता है तो अंतिम समय पर सौदा कैंसिल हो जाता है। इस तरह की स्थिति यदि लंबे समय से चली आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि इसके पीछे अवश्य ही कोई ऐसी कोई अतृप्‍त आत्‍मा है जिसका उस भूमि या जमीन के टुकड़े से कोई संबंध रहा हो।

: संतान ना होना : मेडिकल रिपोर्ट में सब कुछ सामान्य होने के बावजूद संतान सुख से वंचित है। हालांकि आपके पूर्वजों का इससे संबंध होना लाजमी नहीं है परंतु ऐसा होना बहुत हद तक संभव है जो भूमि किसी निसंतान व्यक्ति से खरीदी गई हो वह भूमि अपने नए मालिक को संतानहीन बना देती है।

पितृ-दोष कि शांति के उपाय...
1- सामान्य उपायों में षोडश पिंड दान, सर्प पूजा, ब्राह्मण को गौ -दान, कन्या -दान, कुआं, बावड़ी, तालाब आदि बनवाना, मंदिर प्रांगण में पीपल, बड़(बरगद) आदि देव वृक्ष लगवाना एवं विष्णु मन्त्रों का जाप आदि करना, प्रेत श्राप को दूर करने के लिए श्रीमद्द्भागवत का पाठ करना चाहिए।

2- वेदों और पुराणों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र, स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन है जिसके नित्य पठन से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों ना हो ,शांत हो जाती है। अगर नित्य पठन संभव ना हो, तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात पितृपक्ष में अवश्य करना चाहिए। वैसे तो कुंडली में किस प्रकार का पितृ दोष है उस पितृ दोष के प्रकार के हिसाब से पितृदोष शांति करवाना अच्छा होता है।

3- भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठ कर या घर में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान कर निम्न मंत्र की एक माला नित्य जाप करने से समस्त प्रकार के पितृ- दोष संकट बाधा आदि शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होती है। मंत्र जाप प्रातः या सायंकाल कभी भी कर सकते हैं

मंत्र : '' ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।''

4- अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक बनाया गया भोजन तथा चावल बूरा ,घी एवं एक रोटी गाय को खिलाने से पितृ दोष शांत होता है।

5- अपने माता -पिता ,बुजुर्गों का सम्मान,सभी स्त्री कुल का आदर /सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।

6- पितृ दोष जनित संतान कष्ट को दूर करने के लिए "हरिवंश पुराण '' का श्रवण करें या स्वयं नियमित रूप से पाठ करें।

7- प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या सुन्दर काण्ड का पाठ करने से भी इस दोष में कमी आती है।

8- सूर्य पिता है अतः ताम्बे के लोटे में जल भर कर, उसमें लाल फूल, लाल चन्दन का चूरा, रोली आदि डाल कर सूर्य देव को अर्घ्य देकर 11 बार '' ॐ घृणि सूर्याय नमः'' मंत्र का जाप करने से पितरों की प्रसन्नता एवं उनकी ऊर्ध्व गति होती है।

9- अमावस्या वाले दिन अवश्य अपने पूर्वजों के नाम दुग्ध, चीनी, सफ़ेद कपडा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में अथवा किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए।

10- पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य करें अगर 108 परिक्रमा लगाई जाए तो पितृ दोष अवश्य दूर होगा।


पितृ दोष से मुक्ति के कुछ खास उपाय...
1- किसी मंदिर के परिसर में पीपल अथवा बड़ का वृक्ष लगाएं और रोज़ उसमें जल डालें। उसकी देख -भाल करें। जैसे-जैसे वृक्ष फलता -फूलता जाएगा, पितृ -दोष दूर होता जाएगा,क्योकि इन वृक्षों पर ही सारे देवी -देवता, इतर -योनियां, पितर आदि निवास करते हैं।

2- यदि आपने किसी का हक छीना है या किसी मजबूर व्यक्ति की धन संपत्ति का हरण किया है तो उसका हक या संपत्ति उसको अवश्य लौटा दें।

3- पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी एक अमावस्या से लेकर दूसरी अमावस्या तक अर्थात एक माह तक किसी पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय काल में एक शुद्ध घी का दीपक लगाना चाहिए। ये क्रम टूटना नहीं चाहिए। एक माह बीतने पर जो अमावस्या आए उस दिन एक प्रयोग और करें। इसके लिए किसी देसी गाय या दूध देने वाली गाय का थोड़ा सा गौ -मूत्र प्राप्त करें उसे थोड़े जल में मिलाकर इस जल को पीपल वृक्ष की जड़ों में डाल दें। इसके बाद पीपल वृक्ष के नीचे 5 अगरबत्ती, एक नारियल और शुद्ध घी का दीपक लगाकर अपने पूर्वजों से श्रद्धा पूर्वक अपने कल्याण की कामना करें और घर आकर उसी दिन दोपहर में कुछ गरीबों को भोजन करा दें। ऐसा करने पर पितृ दोष शांत हो जाएगा।

4- घर में कुआं हो या पीने का पानी रखने की जगह हो ,उस जगह की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें,क्योंके ये पितृ स्थान माना जाता है इसके अलावा पशुओं के लिए पीने का पानी भरवाने तथा प्याऊ लगवाने अथवा आवारा कुत्तों को जलेबी खिलाने से भी पितृ दोष शांत होता है।

5- अगर पितृ दोष के कारण अत्यधिक परेशानी हो, संतान हानि हो या संतान को कष्ट हो तो किसी शुभ समय अपने पितरों को प्रणाम कर उनसे प्रण होने की प्रार्थना करें और अपने द्वारा जाने-अनजाने में किये गए अपराध/उपेक्षा के लिए क्षमा याचना करें। फिर घर अथवा शिवालय में पितृ गायत्री मंत्र का सवा लाख विधि से जाप कराएं। जाप के उपरांत दशांश हवन के बाद संकल्प लें कि इसका पूर्ण फल पितरों को प्राप्त हो ऐसा करने से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं ,क्योंकि उनकी मुक्ति का मार्ग आपने प्रशस्त किया होता है।

6- पितृ दोष की शांति हेतु ये उपाय बहुत ही अनुभूत और अचूक फल देने वाला देखा गया है। उपाय है किसी गरीब की कन्या के विवाह में गुप्त रूप से अथवा प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहयोग करना | ये सहयोग पूरे दिल से होना चाहिए। केवल दिखावे या अपनी बड़ाई कराने के लिए नहीं | इस से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं, क्योंकि इसके परिणाम स्वरुप मिलने वाले पुण्य फल से पितरों को बल और तेज़ मिलता है ,जिस से वह ऊर्ध्व लोकों की ओर गति करते हुए पुण्य लोकों को प्राप्त होते हैं.|

7- अगर किसी विशेष कामना को लेकर किसी परिजन की आत्मा पितृ दोष उत्पन्न करती है तो तो ऐसी स्थिति में मोह को त्याग कर उसकी सदगति के लिए "गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र '' का पाठ करना चाहिए।

8- पितृ दोष दूर करने का अत्यंत सरल उपाय : इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति को अपने घर के वायव्य कोण (N -W) में नित्य सरसों का तेल में बराबर मात्रा में अगर का तेल मिलाकर दीपक पूरे पितृ पक्ष में नित्य लगाना चाहिए। दीपक पीतल का हो तो ज्यादा अच्छा है। दीपक कम से कम 10 मिनट नित्य जलना आवश्यक है।

इन उपायों के अतिरिक्त वर्ष की प्रत्येक अमावस्या को दोपहर के समय गूगल की धूनी पूरे घर में सब जगह घुमाएं, शाम को अंधेरा होने के बाद पितरों के निमित्त शुद्ध भोजन बनाकर एक दोने में साड़ी सामग्री रख कर किसी बबूल के वृक्ष अथवा पीपल या बड़ कि जद में रख कर आ जाएं। पीछे मुड़कर न देखें। नित्य प्रति घर में देसी कपूर जाया करें। ये कुछ ऐसे उपाय हैं, जो सरल भी हैं और प्रभावी भी। हर कोई सरलता से इन्हें कर पितृ दोषों से मुक्ति पा सकता है। लेकिन किसी भी प्रयोग की सफलता आपकी पितरों के प्रति श्रद्धा के ऊपर निर्भर करती है।

पितृदोष निवारण के लिए करें विशेष उपाय (नारायणबलि-नागबलि)...
अक्सर हम देखते हैं कि कई लोगों के जीवन में परेशानियां समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती। वे चाहे जितना भी समय और धन खर्च कर लें लेकिन काम सफल नहीं होता। ऐसे लोगों की कुंडली में निश्चित रूप से पितृदोष होता है।

यह दोषी पीढ़ी दर पीढ़ी कष्ट पहुंचाता रहता है। जब तक कि इसका विधि-विधान पूर्वक निवारण न किया जाए। आने वाली पीढ़ीयों को भी कष्ट देता है। इस दोष के निवारण के लिए कुछ विशेष दिन और समय तय हैं जिनमें इसका पूर्ण निवारण होता है। श्राद्ध पक्ष यही अवसर है जब पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दोष के निवारण के लिए शास्त्रों में नारायणबलि का विधान बताया गया है। इसी तरह नागबलि भी होती है।

पितरों को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सुबह स्नान-पूजन के बाद पितरों को तर्पण के साथ पिंडदान करना चाहिए। हथेली भर अनाज का पिंड (जौ के आटे, खीर या गाय का दूध के खोआ) बनाकर उसे पितरों को अर्पण करना चाहिए। इसके अलावा गंगाजल, कुश, काले तिल, फूल-फल और दूध व उनसे बने पकवान अर्पण करना चाहिए।

पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए क्या करना चाहिए?

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में इन पांच चीजों के दान से बरसता है पितरों का आशीर्वाद.
गोदान हिंदू धर्म में गाय का बहुत महत्व है. ... .
तिल दान पितरों के लिए की जाने वाली पूजा में तिल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है. ... .
घृत दान आश्विन मास में घी का दान बहुत ज्यादा पुण्यदायी माना गया है. ... .
अन्न दान ... .
नमक दान.

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है?

पितृ दोष के लक्षण.
परिवार में आकस्मिक निधन या दुर्घटना होना।.
बीमारी होना और लंबे समय तक चलना।.
परिवार में विकलांग या अनचाहे बच्चे का जन्म होना।.
बच्चों द्वारा असम्मान व प्रताड़ना का व्यवहार करना।.
गर्भ धारण न होना।.
परिवार के किसी सदस्य का विवाह न होना।.
बुरी आदतों की लत लग जाना।.
परिवार में किसी बात को लेकर झगड़ा होना।.

पितृ दोष से मुक्ति कैसे पाए?

पितृदोष से मुक्ति दिलाएंगे ये उपाय अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो पितरों की फोटो दक्षिण दिशा की ओर लगाएं। इसके साथ ही रोजाना माला चढ़ाकर उनका स्मरण करना चाहिए। पीपल के पेड़ पर दोपहर के समय जल चढ़ाएं। इसके साथ ही फूल, अक्षत, दूध, गंगाजल और काले तिल भी चढ़ाएं और पितरों का स्मरण करें।