मरने के बाद आदमी को क्यों जलाया जाता है? - marane ke baad aadamee ko kyon jalaaya jaata hai?

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हिंदू धर्म में क्यों जलाया जाता है शव, जानिए

शास्त्रों में कहा गया है कि मानव शरीर की रचना पांच तत्वों से मिलकर हुई है। ये हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।

नई दिल्ली

Updated: November 26, 2018 6:55:29 pm

मरने के बाद आदमी को क्यों जलाया जाता है? - marane ke baad aadamee ko kyon jalaaya jaata hai?

दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार की तस्वीर। (सांकेतिक प्रयोग) (Express Photo by Tashi Tobgyal)

हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मौत होने के बाद उसके शव को जलाने का परंपरा है। यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है। हिंदू धर्म में इसे अंतिम संस्कार या अन्तयोष्टि कहा जाता है। हिंदू धर्म में कुल सोलह संस्कार माने गए हैं। शव दहन की क्रिया को अंतिम संस्कार कहा गया है। लेकिन यह महज शव दहन तक ही सीमित नहीं है। अंतिम संस्कार में शव को लकड़ी के ढेर के ऊपर लिटाया जाता है। इसके बाद मृतात्मा को मुखाग्नि दी जाती है। और फिर संपूर्ण शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है। शव दहन हो जाने के बाद मृतक की अस्थियां रख ली जाती हैं। इसे किसी नदी(आमतौर पर गंगा) में प्रवाहित किया जाता है। इसके बाद श्राद्धकर्म और पिंडदान की प्रक्रिया सम्पन्न होती है।

शास्त्रों में कहा गया है कि मानव शरीर की रचना पांच तत्वों से मिलकर हुई है। ये हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। माना जाता है कि शव दहन करने से व्यक्ति का मृत शरीर इन्हीं पंच तत्वों में मिल जाता है। इससे व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद भी इस ब्रंहाण्ड का हिस्सा बना रहता है। शव दहन को व्यवहारिक दृष्टि से भी उपयुक्त माना गया है। शव दहन का कार्य मृत व्यक्ति के परिवार, रिश्तेदार और अन्य लोगों के द्वारा एकजुट होकर किया जाता है।

शव दहन या अंतिम संस्कार की एक निश्चित प्रक्रिया बताई गई है। अंतिम संस्कार को ठीक ढंग से निभाने के लिए इसका पालन किया जाना अनिवार्य माना गया है। मृत्यु के बाद सबसे पहले भूमि को गोबर से लिपने के लिए कहा गया है। इसके बाद कुश बिछाकर व्यक्ति का शव उस पर रखा जाता है। मृत व्यक्ति के मुख में स्वर्ण तथा पंचरत्न डालने का भी विधान है। इससे व्यक्ति को उसके पाप कर्मों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। फिर, पुत्र या पौत्र द्वारा मरे हुए व्यक्ति को कंधा दिया जाता है। कंधा देने की प्रक्रिया में कुछ लोग भी शामिल होते हैं। अंत में बड़े पुत्र या पौत्र द्वारा मृत शरीर को मुखाग्नि दी जाती है।

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First published on: 26-11-2018 at 05:14:02 pm

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मरने के बाद शरीर को क्यों जलाया जाता है?

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मानव शरीर अग्नि, जल, वायु, भूमि व आकाश पांच तत्वों से बना है और इसे इन्ही तत्वों में विलीन हो जाना है ! मानव शरीर को अग्नि के हवाले करने से पवित्र अग्नि उसे उसे उसी रुप में वापस भेज देती है ! इसलिए मानव शरीर को जला दिया जाता है !

लाश को रात में क्यों नहीं जलाया जाता?

रात में नहीं किया जाता दाह-संस्‍कार दरअसल, मान्‍यता है कि जब तक शव का अंतिम संस्‍कार नहीं हो जाता है, आत्‍मा उसके करीब ही भटकती रहती है. यदि अंतिम संस्‍कार रात में कर दिया जाएगा तो आत्‍मा वहां से चली जाएगी. इसके अलावा यह भी मान्‍यता है कि रात में दाह संस्‍कार करने से अगले जन्‍म में व्‍यक्ति के अंग में दोष हो सकता है.

हिन्दू मरने के बाद शव क्यों जलाते हैं?

दाह संस्कार के नियम हिंदू धर्म में मृत व्यक्ति के पार्थिव शरीर को शीघ्र जलाने का नियम है। ऐसी मान्यता है कि इस तरह शरीर का कण-कण प्रकृति में विलीन हो जाता है। जिससे कई सूक्ष्म जीव भी मृत शरीर में प्रवेश करने से बच जाते हैं और आसपास किसी प्रकार का इंफेक्शन या रोग नहीं फैलता है।

मृत्यु के बाद लाश को अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?

इसके अलावा शव को अकेला इसलिए भी नहीं छोड़ा जाता क्योंकि माना जाता है कि मरे हुए आदमी की आत्मा वहीं पर भटकती रहती है और अपने परिजनों को देखती रहती है. ऐसे में कहा जाता है कि इंसान की मौत के बाद शरीर आत्मा से खाली हो जाता है. जिस वजह से उस मृत शरीर में कोई बुरी आत्मा का साया अपना अधिकार जमा सकता है.