भैंस का थन सूख जाए तो क्या करें? - bhains ka than sookh jae to kya karen?

भैंस का थन सूख जाए तो क्या करें? - bhains ka than sookh jae to kya karen?

भैंस का थन सूख जाए तो क्या करें? - bhains ka than sookh jae to kya karen?

भैंस के थन में सूजन - Udder Edema in buffalo in Hindi

शेयर करें

August 11, 2020

कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है!

भैंस का थन सूख जाए तो क्या करें? - bhains ka than sookh jae to kya karen?

भारत में लोग बकरी व गाय से भी ज्यादा भैंस के दूध को प्राथमिकता देते हैं। भैंस रखने वाले लोगों का मानना है कि भैंस का दूध अधिक स्वादिष्ट होता है और उसमें घी भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यही वजह है कि भारत के कुछ प्रांतों में गाय व बकरी के मुकाबले भैंसों की संख्या काफी अधिक है। हरियाणा व पंजाब जैसे प्रांतों में लोग दूध के लिए लगभग पूरी तरह से भैंस पर आश्रित रहते हैं और इसलिए उन्हें काफी देखभाल के साथ पाला जाता है। लेकिन देखभाल के बावजूद भी भैंसों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं जिनमें थनों से संबंधित रोगों के काफी मामले देखे गए हैं।

भैंस के थन काफी संवेदनशील होते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों के मुकाबले वे रोगों से जल्दी प्रभावित होते हैं। भैंस के एक या अधिक थनों में सूजन आना एक आम समस्या है, लेकिन कई मामलों में यह गंभीर रूप से विकसित हो जाती है और थन को क्षतिग्रस्त कर देती है है। ऐसे में थन से दूध न आना या थन पूरी तरह से काम करना बंद कर देना आदि समस्याएं भी हो जाती हैं। वैसे तो थन में सूजन की स्थिति भैंस के पहली बार ग्याभिन (गर्भवती) होने या पहले ब्यांत के बाद होती है।

  1. भैंस के थन में सूजन क्या है - Bhains ke than mein sujan kya hai
  2. भैंस के थन में सूजन के लक्षण - Bhains ke than mein sujan ke lakshan
  3. भैंस के थन की सूजन के कारण - Bhains ke than mein sujan ke karan
  4. भैंस के थन में सूजन से बचाव - Bhains ke than mein sujan se bachav
  5. भैंस के थन में सूजन का परीक्षण - Bhains ke than mein sujan ka parikshan
  6. भैंस के थन में सूजन का इलाज - Bhains ke than mein sujan ka ilaj

भैंस का थन सूख जाए तो क्या करें? - bhains ka than sookh jae to kya karen?

भैंस के थन की सूजन क्या है?

थन व उसके आस-पास के भाग में असामान्य रूप से द्रव जमा होने की स्थिति को थन की सूजन कहा जाता है।

भैंस के थन में होने वाली सूजन आमतौर पर उनके ब्यांत से ठीक तीन से चार दिन पहले विकसित होती है। लेकिन जो भैंस पहली ब्यांत आई है, तो उसके थनों में सूजन गंभीर हो सकती है।

भैंस के थन में सूजन के लक्षण - Bhains ke than mein sujan ke lakshan

भैंस के थन में सूजन के क्या लक्षण हो सकते हैं?

भैंस के थनों में विकसित होने वाली सूजन ज्यादातर मामलों में एक साथ दो या चारों थनों में दिखाई देती है, जबकि कभी-कभी एक या तीन थनों में भी एक साथ विकसित हो जाती है। कुछ मामलों में भैंस के थन में आई सूजन अधिक गंभीर नहीं होती है और इतनी आसानी से कोई लक्षण नहीं दिख पाता है। यदि सूजन गंभीर रूप से बढ़ गई है, तो वह स्पष्ट दिखाई देती है और साथ ही साथ कुछ अन्य लक्षण भी विकसित हो सकते हैं, जैसे:

  • थनों में दर्द होना
  • थनों का आकार छोटा बड़ा हो जाना
  • थन से खून या कोई अन्य द्रव आना
  • थनों में लालिमा होना
  • भैंस द्वारा थनों पर जीभ या टांग से खुजली करने की कोशिश करना

इसके अलावा यदि ब्यांत के बाद भैंस के थन में सूजन आई है, तो प्रभावित थन से दूध न आना, फिर दूध के साथ खून या अन्य कोई द्रव निकलना आदि लक्षण भी देखे जा सकते हैं। स्थिति गंभीर होने पर सूजन थनों के ऊपरी भाग में भी आ सकती है। थनों के ऊपर के हिस्सो को भारत के कुछ भागों में लेवटी व अन्य भागों में लूटी आदि कहा जाता है।

यदि सूजन थनों के ऊपरी भाग में भी आ जाती है, तो इससे भैंस को ऊठने, बैठने और चलने आदि में काफी तकलीफ होने लगती है। इसके साथ-साथ थनों में स्थायी रूप से क्षति होने का खतरा भी बढ़ जाता है, ऐसे में प्रभावित थन में अन्य थनों के मुकाबले दूध कम आना या फिर पूरी तरह से बंद हो जाना आदि समस्याएं होने लगती हैं।

भैंस के स्वास्थ्य, शारीरिक बनावट, अन्य किसी बीमारी और यहां तक कि मौसम के अनुसार भी लक्षण अलग-अलग देखे जा सकते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि भैंस में ऊपर बताए गए लक्षण विकसित हो गए हैं और वे दो या तीन दिनों के भीतर ठीक नहीं हो पा रहे हैं, तो डॉक्टर को बुला लेना चाहिए। यदि आप सूजन का घरेलू उपचार कर रहे हैं और उससे भी कोई आराम नहीं मिल रहा है या फिर स्थिति गंभीर हो रही है तो भी डॉक्टर से सलाह लें।

इसके अलावा कुछ अन्य संकेत भी हैं, जिनके देखने पर डॉक्टर को बुला लेना बेहतर है:

  • थन में गांठ महसूस होना
  • एक थन का दूध कम होना
  • बच्चे को अपने थनों पे मुंह न लगाने देना

भैंस के थन की सूजन के कारण - Bhains ke than mein sujan ke karan

भैंस के थन में सूजन क्यों आती है?

भैंस के थन की सूजन के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि हाल ही में किए गए कुछ अध्ययनों के अनुसार भैंस के ब्यांत के दौरान होने वाली थन की सूजन का मुख्य कारण थनों व उसके आसपास के भागों में खून का बहाव बढ़ना होता है, जो कि एक सामान्य स्थिति है। हालांकि अगर सूजन बढ़ती जा रही है या फिर दो दिनों के बाद भी ठीक नहीं हो पा रही है, तो वह स्वास्थ्य संबंधी किसी अन्य बीमारी का संकेत हो सकता है।

भैंस के शरीर में मौजूद हार्मोन के स्तर में असाधारण रूप से बदलाव होना भी, उनके थनों में सूजन का कारण बन सकता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन के स्तर में असामान्य रूप से बदलाव होने पर भैंस के थन में सूजन आने लगती है।

यदि भैंस को आहार में अधिक नमक मिलाकर दिया जा रहा है या फिर उसको दिए गए चारे में नमक की मात्रा अधिक है, तो यह भी उसके थनों में सूजन का एक कारण बन सकता है। सामान्य से अधिक मात्रा में नमक खाने से शरीर में सोडियम क्लोराइड जमा होने लगता है। सोडियम क्लोराइड तरल पदार्थ के रूप में थनों व उनके आसपास के भागों में जमा होने लगता है और परिणामस्वरूप भैंस के थन में सूजन आने लगती है।

भैंस के थन में सूजन होने का खतरा कब बढ़ता है?

इसके अलावा कुछ अन्य स्थितियां भी हैं, जो भैंस के थन में सूजन आने के जोखिम को बढ़ा देती है:

  • भैंस के बच्चे द्वारा थन को अधिक जोर से दबाना या फिर दांत लगना
  • बैठने के दौरान भैंस का थन असाधारण रूप से भैंस के पिछले घुटने के नीचे आ जाना

भैंस के थन की त्वचा अधिक संवेदनशील होती है और पहली बार दूध दुहते समय दबाव व खिंचाव के कारण भी सूजन आ जाती है। ऐसा खासतौर पर भैंस को अपने पहले प्रसव के बाद होता है।

भैंस के थन में सूजन से बचाव - Bhains ke than mein sujan se bachav

भैंस के थन में सूजन की रोकथाम कैसे की जाती है?

यदि भैंस के थन में सूजन आ गई है, तो प्रभावित हिस्से की नियमित रूप से ठंडी व गर्म सिकाई करके सूजन को कम किया जा सकता है।

यदि सूजन कम है या फिर थन में किसी प्रकार का दर्द नहीं है, तो रोजाना सुबह शाम लगातार 20 मिनट तक हल्के हाथों के दबाव के साथ मालिश करना भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि अगर भैंस को पहली का बार प्रसव हुआ है, तो ऐसा न करें क्योंकि पहली बार में भैंस के थन संवेदनशील हो सकते हैं और बार-बार छूने व दबाव देने से समस्या और बढ़ सकती है।

डॉक्टर से बात करके भैंस के आहार से नमक को कम या कुछ समय के लिए पूरी तरह से बंद करने की कोशिश करें। ऐसा करने से भैंस के शरीर में अतिरिक्त मात्रा में सोडियम क्लोराइड जमा नहीं हो पाता है और परिणामस्वरूप सूजन कम होने लगती है।

इस बारे में आप पशुओं के डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं, वे भैंस के लिए विशेष प्रकार का नमक लिख सकते हैं जो भैंसों में थनों की सूजन को कम करने के अलावा उन्हें मिल्क फीवर जैसे रोगों से भी बचाता है।

ब्यांत के समय में भैंस को रोजाना थोड़ा बहुत चलाने-फिराने से उसका शारीरिक व्यायाम हो जाता है, जिससे शरीर में खून का संचारण सही रहता है। ऐसा करने से थनों में सूजन होने के खतरा व उसकी गंभीरता को कम किया जा सकता है।

भैंस के थन में सूजन का परीक्षण - Bhains ke than mein sujan ka parikshan

भैंस के थन में सूजन का परीक्षण कैसे किया जाता है?

भैंस के थन की सूजन का परीक्षण करना कोई मुश्किल काम नहीं है। परीक्षण की मदद से यह पुष्टि की जाती है कि यह थन की सूजन ही है या थन संबंधी किसी अन्य रोग का संकेत है। साथ ही परीक्षण की मदद से यह भी पता लगाया जाता है कि थन में कितनी मात्रा में द्रव जमा हुआ है।

पशु के डॉक्टर थन को सामान्य रूप से देखकर या छूकर स्थिति का पता लगा लेते हैं। इस दौरान थन को टटोल कर या उसे हल्के-हल्के दबा कर देखना, प्रभावित थनों के तापमान की जांच करना आदि भी शामिल है। इसके अलावा मालिक से भैंस के स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी ली जाती है।

भैंस के थन में सूजन का इलाज - Bhains ke than mein sujan ka ilaj

भैंस के थन की सूजन का इलाज कैसे किया जाता है?

ज्यादातर मामलों में थन में सूजन आना कोई गंभीर स्थिति नहीं होती है और ऐसे में इसका इलाज करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। ब्यांत के दौरान आने वाली सूजन एक सामान्य प्रक्रिया होती है, जो अक्सर भैंस के प्रसव के बाद धीरे-धीरे अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि उचित तरीके से ठंडी व गर्म सिकाई की मदद से लक्षणों से राहत दिलाई जा सकती है। इसके अलावा यदि सूजन गंभीर हो गई है या फिर सिकाई आदि जैसे घरेलू उपचारों से आराम नहीं मिल रहा है, तो पशुओं के डॉक्टर को बुला लेना चाहिए।

डॉक्टर भैंस के थन में सूजन के पीछे का कारण बनने वाली स्थितियों के अनुसार ही उनका इलाज शुरु करते हैं। यदि थनों व उनके आसपास के हिस्से (जैसे लूटी आदि) में तरल पदार्थ जमा हो गया है, तो डॉक्टर कुछ प्रकार की डाईयुरेटिक दवाएं देते हैं, जिनकी मदद से शरीर में जमा अतिरिक्त द्रव को निकाल दिया जाता है। साथ ही साथ एंटीहिस्टामिन व एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं भी दी जा सकती हैं। ये दवाएं हिस्टामिन नामक रसायन के स्राव और इससे संबंधित थनों व उनके आस-पास आई सूजन को कम कर देती हैं।

भैंस का थन सूख जाए तो क्या करें? - bhains ka than sookh jae to kya karen?

सम्बंधित लेख

भैंस के थन में सूजन आ जाए तो क्या करना चाहिए?

दूध निकालने वाले व्यक्ति को जैसे ही पता लगे कि थन या लेवटी में सूजन है या फिर दूध के स्वाद में बदलाव है तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। पशु चिकित्सक इसमें एंटीबायोटिक का ट्रीटमेंट करके इसे ठीक कर सकता है। इस बीमारी में स्टेरॉयड का कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

थनैला रोग को कैसे ठीक करें?

फिनाइल से सफाई करें। दूध दुहने से पहले हाथ साफ करें और साफ बर्तन में ही दूध निकालें। दूध दुहने से पूर्व तथा बाद में एक प्रतिशत लाल दवा के घोल से थन साफ करना भी अच्छा रहता है। दुधारू पशुओं का दूध सूख जाने पर उनके थन में प्रतिजैविक उपचार करने पर अगले ब्यात तक थनैला की संभावना कम हो जाती है।

थनैला रोग कितने दिन में ठीक होता है?

इसके अंतर्गत थनैला रोग से ग्रसित दुधारू पशुओं 15 दिन तक आवले की निर्धारित खुराक देने से न सिर्फ रोग दूर होगा बल्कि दूध की गुणवत्ता में सुधार हुआ।

थनैला रोग के लक्षण क्या है?

रोग की प्रारंभिक अवस्था में पशु के थनों पर सूजन की शुरूआती होती है, जिसे पशुपालक छछूंदर आदि के सूंघने के कारण होना समझकर थनों की गर्म पानी से सिकाई करते रहते हैं। इसके चलते रोग की तीव्रता और बढ़ जाती है। थनैला रोग पशु के अयन की संरचना और संक्रमण को दर्शाता है।