स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य
Show स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्यस्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य- स्वास्थ्य शिक्षा वह शिक्षा है जिसके द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान को व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर व्यावहारिक रूप में परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है, जिसमें न केवल एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा हो बल्कि संपूर्ण समाज के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय उन समस्त साधनों से है जो व्यक्ति को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करें। स्वास्थ्य शिक्षा सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक रूप से सम्पूर्ण विद्यालयी शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। क्योंकि शिक्षा का एक महत्तवपूर्ण सामान्य उद्देश्य स्वास्थ्य निर्माण भी है, इसलिए स्कूल के सभी विषयों का इसमें अपना योगदान करना चाहिए। ऐसा करते समय वे स्वास्थ्य शिक्षा का एक अंग बन जाते हैं। संक्षेप में स्वास्थ्य शिक्षा वह प्रक्रिया है जो अर्जित किए हुए ज्ञान का अनुभव कराती है जिसका उद्देश्य ज्ञान के द्वारा शिक्षा और आचरण पर प्रभाव डालना है जो कि व्यक्ति और लोगां के स्वास्थ्य से सम्बन्धित है। क्योंकि हर प्रकार की शिक्षा का पहला उद्देश्य अच्छा स्वास्थ्य है। क्रो व क्रो इसके महत्तव पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहते हैं, “यदि बच्चों, किशोरों तथा वयस्कों के शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य सुधार की ओर ध्यान न दिया जाए तो स्कूलों के विशाल भवन, शैक्षिक सामग्री का अतुल भंडार, योग्य अध्यापक, निरीक्षक तथा अन्य कार्यकर्ता, विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई पाठ्यचर्या, मूल्यांकन के अच्छे ढंग आदि सभी शैक्षिक क्रियाएँ अपने उद्देश्य की प्राप्ति में असफल हो जाती हैं।” शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति बच्चों के स्वास्थ्य पर निर्भर है। स्वास्थ्य शिक्षा का सम्बन्ध व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य दोनों से होता है। इसलिए स्वास्थ्य शिक्षा अध्यापक से सम्बन्ध रखती है और आधुनिक अध्यापक बच्चे के मानसिक विकास तथा उसके भावी निर्माण को ही शिक्षा का लक्ष्य नहीं मानता। वह जितना महत्त्व मानसिक शक्तियों के विकास को देता है उतना ही महत्त्व स्वास्थ्य शिक्षा का होता है क्योंकि मानसिक विकास से पहले बच्चे का शारीरिक विकास होता है यदि बच्चे का स्वास्थ्य ही बिगड़ जाये तो कुशलताएँ सिखाने व पुस्तकें रटाने का कोई लाभ नहीं है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्र को ऐसे साधन प्रदान करना है जिनकी सहायता से वे अपनी क्षमता तथा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक व सामाजिक गुणों का पूर्ण विकास कर सकें। उपरोक्त विवरण के आधार पर हम स्वास्थ्य शिखा के अर्थ को विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं। साधारण तौर पर – “स्वास्थ्य शिक्षा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा लोगों की स्वास्थ्य सबन्धी आदतों में परिवर्तन लाया जा सकता है और स्वास्थ्य के प्रति उनके दृष्टिकोण और ज्ञान में वांछनीय सुधार किया जा सकता है।” अतः इस आधार पर स्वास्थ्य शिक्षा जीने की एक कला है’ हम इस कला का प्रयोग स्वास्थ्य शरीर में स्वास्थ्य मन प्राप्त करने के लिए करते हैं। डॉ. थॉमस वुड के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन सभी अनुभवों का जोड़ है, जो हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक, सामुदायिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित आदतों, प्रवृत्तियों तथा ज्ञान पर लाभदायक प्रभाव डालते हैं।” स्वास्थ्य शिक्षा समिति (1973) न्यूयार्क के प्रतिवेदन के अनुसार- “स्वास्थ्य शिक्षा वह प्रक्रिया है जो स्वास्थ्य सूचना और स्वास्थ्य व्यवहारों के मध्य खाई को पाटती है।” उपरोक्त परिभाषा के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा को अनुप्रेरित करती है कि वह सूचना लेकर कुद ऐसा करे जिससे वह अधिक स्वस्थ बनने के लिए हानिप्रद कार्यों की अवहेलना कर सके और ऐसी आदतों का निर्माण कर सके जो उपयोगी हैं। रूथ ई. ग्राउट का अभिमत स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में कुछ और विस्तार से है, उनके अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से स्वास्थ्य के विषय में जो कुछ ज्ञात है उसे उचित व्यकिगत एवं सामुदायिक व्यवहार के नमूनों में परिवर्तित करने का नाम हैं। यह परिभाषा स्वास्थ्य के बारे में तीनों बातों पर ध्यान आकर्षित करती है-
सरल शब्दों में बच्चे को स्वास्थ्य सम्बन्धी मूलभूत अवधारणाएँ स्पष्ट होनी चाहिए। उसे यह ज्ञात होना चाहिए कि ‘क्यों करना है’, ‘क्या करना है’ और ‘कैसे करना है’- उदाहरण के तौर पर भोजन करने से पहले हाथ धोना आवश्यक है। क्यों? क्योंकि यह बीमारी के खतरे को कम करता है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा, निःसन्देह एक मानवीय रचना है। यद्यपि यह कई प्रकार से अपरिपक्व है तो भी यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे व्यवस्थित किया जा सकता है। शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षाशिक्षा से अभिप्राय शिक्षा ग्रहण करना ही नहीं बल्कि व्यक्ति की शारीरिक मानसिक तथा भौतिक शक्तियों का निर्माण करना है। इसका उद्देश्य व्यक्ति की आदतों को बदलना है तथा उसके चरित्र को बनाना है— आधुनिक युग में शिक्षा के तरीके बदल गए हैं तथा संपूर्ण शिक्षा पद्धति में क्रन्ति आ गई है। वह दिन गए जब शिक्षा देते समय व्यक्ति की इच्छा उसके स्वभाव तथा उसकी शक्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता था, परन्तु आधुनिक शिक्षा पद्धति में व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों व क्षमता के विकास पर जोर दिया गया है जो कि शिक्षा द्वारा उसकी आदतों, स्वभाव, विचारों पर प्रभाव डालती है तथा मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, भावात्मक तथा सर्वांगीण विकास करती है। जबकि स्वास्थ्य शिक्षा का तात्पर्य उन सम्पूर्ण साधनों से है जो मानव को स्वास्थ्य के विषय में जानकारी प्रदान करते हैं। शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा में घनिष्ट सम्बन्ध है। यद्यपि स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र सीमित है, क्योंकि इसका सम्बन्ध केवल मनुष्य के स्वास्थ्य से है और शिक्षा क्षेत्र विस्तृत है क्योंकि यह व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करती है तथापि ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक छात्र को जहां अक्षर ज्ञान के साथ सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक है, वहीं उसको अपने को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों को जानने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा ग्रहण करना भी आवश्यक है। इसके बाद ही शिक्षक छात्रों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ उनका मानसिक तथा शारीरिक विकास करने में सफल हो सकेगा। अतः स्पष्ट है कि शिक्षा व स्वास्थ्य शिक्षा एक दूसरे के बगैर अधूरी हैं। स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्यस्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य व उद्देश्यों को समझने से पहले हमें अनके आधार को जानना होगा। सामान्यतः हम इन दोनों का अर्थ एक ही लेते हैं जबकि यह दोनों भिन्न हैं। लक्ष्य- स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य शारीरिक तथा माँसपेशियों का ही विकास नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा सांवेगिक पक्षों का भी विकास करना है। स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य (लक्ष्य) लोगों को सक्रिय रूप से उन कार्यक्रमों और उन सेवाओं में लगाना और भागीदार बनाना है जिनका आयोजन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता हैं अर्थात् लोगों को अपने स्वास्थ्य सुधार के लिए सिखाना और सीखने में सहायता देना स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वास्थ्य शिक्षा पर विशेषज्ञ समिति के अनुसार — “स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य लोगों की अपने कार्यों और प्रयासों द्वारा स्वास्थ्य प्राप्त करने में सहायता करना है।” इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा जीवन का वह गुण उत्पन्न करने का उद्देश्य सामने रखती है जो कि एक व्यक्ति को अधिक जीने और अच्छे से अच्छे ढंग से सेवा करने योग्य बनाए। अतः स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य का अभिप्राय यह हुआ कि यह मनुष्य को समाज में सुखी, व्यवस्थित, संतोषजनक और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के ढंगों का ज्ञान कराती है। सी दी. गुड के अनुसार, “लक्ष्य पूर्व निधारित साध्य होता है, जो किसी क्रिया का मार्गदर्शन करता है। “ उद्देश्य (Objectives) – उद्देश्य को परिभाषित करते हुए सी.वी. गुड कहते हैं, “स्कूल . द्वारा निर्देशित अनुभवों के द्वारा छात्रों के व्यवहार में आया वांछित परिवर्तन ही उद्देश्य है। ” सी.ई. टर्नर के अनुसार- “छात्रों का समुचित विकास स्वास्थ्य शिक्षा पर निर्भर करता है।” अतः उनके लिए शिक्षा के निम्न उद्देश्य होने चाहिए-
स्वास्थ्य शिक्षा के सामान्य लक्ष्य की पूर्ति के लिए – रूथ ई. ग्राऊट ने भी कुछ विशिष्ट उद्देश्य बताए हैं जो सामान्य शिक्षा के उद्देश्यों से सम्बद्ध हैं। ग्राऊट के अनुसार ये उद्देश्य हैं-
प्रो. एण्डरसन ने स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों के बारे में अपने विचार निम्न से व्यक्त किए हैं।-
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा के निम्न उद्देश्य दर्शाए गए हैं-
उपरोक्त विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों के साथ स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्य भी हैं जो विभिन्न स्तर पर अपना महत्तव रखते हैं- Important Links
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शारीरिक शिक्षा का अर्थ क्या है *?शारीरिक शिक्षा की अवधारणा से अभिप्राय है, अच्छे स्वास्थ्य की कामना से शारीरिक श्रम को महत्त्व देना । शरीर को स्वस्थ और सबल रखने की चाह मानव मन में प्रारंभिक काल से ही रही है। प्रारंभ में हिंसक पशुओं से स्वयं की रक्षा के लिए मनुष्य ने अपनी शारीरिक शक्ति की आवश्यकता और महत्त्व को समझा।
स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं?1) दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना) ही स्वास्थ्य है। 2) किसी व्यक्ति की मानसिक,शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं।। स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
शारीरिक शिक्षा क्यों आवश्यक हैं?शारीरिक शिक्षा शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने के साथ-साथ बालक के मानसिक, सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों के विकास के लिए आवश्यक है। यह शिक्षा शारीरिक अंगों के विकास के साथ, खेल व तैराकी सिखाने, अपनी रक्षा करने, शरीर को स्वस्थ रखने, फुर्तीला बनाने तथा मनोरंजन हेतु आवश्यक है।
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