लिखित भाषा का क्या महत्व है उदाहरण सहित समझाइए? - likhit bhaasha ka kya mahatv hai udaaharan sahit samajhaie?

लिखित भाषा की परिभाषा – जब मनुष्य अपने मन के भावों को मुँह से न बोलकर लिखकर व्यक्त करता है तो उसके द्वारा लिखे गए उन सब विचारों को लिखित भाषा कहा जाता है। 

साधारण शब्दों में कहें तो जब हम अपने विचारो को बोलने की जगह लिखकर दूसरों के समक्ष व्यक्त करते है तो उसे लिखित भाषा कहा जाता है। प्राचीन समय से ही लिखित भाषा का प्रयोग विचारों के आदान-प्रदान के लिए किया जाता रहा है। 

सरल शब्दों में लिखित भाषा की परिभाषा दें तो – मनुष्य के द्वारा अपने विचारों का आदान- प्रदान जब लिखकर किया जाता है तो उसे उनकी लिखित भाषा कहा जाता है। 

लिखित भाषा को समझने से पहले भाषा का ज्ञान होना अत्यधिक महवपूर्ण है कि भाषा किसे कहा जाता है और यह कितने प्रकार की होती है। उसके पश्चात् हम मौखिक भाषा को विस्तार से पढ़ और समझ सकते है। 

भाषा की परिभाषा – भाषा वह तरीका है जिसकी मदद से हम यानि मनुष्य अपने विचारों, भावनाओं जैसे ख़ुशी, दुःख, प्यार, गुस्सा, नाराजगी आदि को दूसरे लोगो के समक्ष रखते है। 

साधारण शब्दों में कहें तो मन के विचारो को दूसरों के समक्ष प्रकट करना ही भाषा है। आप अपने मन के भावों को बोलकर या लिखकर दूसरों के साथ व्यक्त करते हैं। 

स्वीट के अनुसार – जब हम ध्वन्यात्मक शब्दों को विचारों के माध्यम से प्रकट करते है तो वह भाषा कहलाती है। 

ब्लाक तथा ट्रेगर के अनुसार – भाषा यादृच्छिक भाष् प्रतिकों का तंत्र है जिसके द्वारा एक सामाजिक समूह सहयोग करता है। 

भाषा के रूप – 

सम्पूर्ण संसार में प्राया भाषा को तीन प्रकार का ही माना जाता है और वह है – 

(1) मौखिक भाषा 

(2) लिखित भाषा 

(3) सांकेतिक भाषा 

(1) मौखिक भाषा –  जब हम अपने मन के भावों को अपने होठों पर लाते है और उनको दुसरो के साथ व्यक्त करते है तो विचारों के इस आदान प्रदान को ही मौखिक भाषा कहा जाता है। मौखिक भाषा में मनुष्य अपने मन के विचारों को मुख से व्यक्त करता है। 

मौखिक भाषा के उदाहरण के लिए – 

1. कक्षा में एक अध्यापक मौखिक भाषा में (बोलकर) बच्चों को पढ़ता है। 

2. नेता रैली में भाषण बोलकर देता है अर्थात वह मौखिक भाषा का इस्तेमाल करता है। 

3. हम अपने दोस्तों से बात बोलकर करते है। (मौखिक भाषा से)

4. हमारे द्वारा किसी को फ़ोन कॉल करना और उनसे बात करता भी मौखिक भाषा का एक रूप है। इस रूप में हम आमने सामने न होकर बात करते है। 

(2) सांकेतिक भाषा – जब हम एक -दूसरे से इशारों के माध्यम से बात करते है तो इसे सांकेतिक भाषा कहा जाता है। सांकेतिक भाषा में न कुछ बोला जाता है और न ही कुछ लिखा जाता है। 

सांकेतिक भाषा का प्रयोग बेहरो को बात समझाने के लिए किया जाता है तथा मूक (जो बोल नहीं सकते) अपनी बात का उत्तर देने के लिए करते है। 

(3) लिखित भाषा – जब हम अपने मन के विचारों को लिखकर दूसरों के समक्ष प्रकट करते है तो वह लिखित भाषा कहलाती है। लिखित भाषा का एक अच्छा उदहारण चिठ्ठी है। चिठ्ठी में हम अपने मन के विचारों को लिखकर दुसरो के समक्ष रखते है। 

लिखित भाषा का एक उदहारण हम अपनी पुस्तकों को ले सकते है या कहानियों को। जब हम किसी कहानी को पढ़ते है तो उसमे लेखक ने अपने मन के विचारों को लिखा होता। हम लेखक के लिखित विचारों को पढ़ते है और उस कहानी की कल्पना करने लगते है। 

लिखित भाषा के उदहारण – लिखित भाषा के 20 उदहारण निम्नलिखित है – 

1. किसी व्यक्ति को पत्र लिखना ‘लिखित भाषा’ के अंतर्गत आता है। 

2. किताब लिखना ‘लिखित भाषा’ भाषा का एक प्रकार है। 

3. कहानी लिखना भी ‘लिखित भाषा’ के अंतर्गत आता है। 

4. समाचार लिखना ‘लिखित भाषा’ में आता है। 

5. स्कूल के लिए नोटबुक लिखना ‘लिखित भाषा’ है। 

6. परीक्षा हॉल में पेपर लिखना भी ‘लिखित भाषा’ ही है। 

7. फ़ोन पर sms लिखना भी ‘लिखित भाषा’ का एक वर्चुअल रूप है। 

8. काव्य लिखना भी ‘लिखित भाषा’ ही है। 

9. डायरी लिखना भी  ‘लिखित भाषा’ के अंतर्गत आता है इसमें मनुष्य अपने प्रतिदिन के कार्यों को लिखता है। 

10. कंप्यूटर पर कुछ लिखकर उसे दुसरो के साथ साझा करना भी ‘लिखित भाषा’ ही है। 

11. सोशल मीडिया पर अपने विचारों को लिखित रूप से साझा करना भी ‘लिखित भाषा’ का एक रूप है। 

12. समाचार पत्र लिखना भी ‘लिखित भाषा’ है। 

13. अपनी किताबों के नोट्स बनाना भी लिखित भाषा का एक रूप है। इसमें दूसरों की लिखित भाषा को और अधिक सरल शब्दों में लिखा जाता है। 

14. मानचित्र बनाना भी ‘लिखित भाषा’ का एक रूप है हालाँकि इसमें पहले चित्र बनाया जाता है लेकिन बाद में मानचित्र में स्थानों के नाम लिखे जाते है। जिस कारण मानचित्र को भी ‘लिखित भाषा’ का एक रूप कहा जा सकता है। 

15. स्क्रिप्ट लेखन भी ‘लिखित भाषा’ में आता है। 

16. तार लेखन भी ‘लिखित भाषा’ है। 

17. मन में निर्मित विचारों को भी ‘लिखित भाषा’ के माध्यम से पहले लिखा जाता है और बाद में बोला जाता है। 

18. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लिखना भी वर्चुअल ‘लिखित भाषा’ का एक रूप है। 

19. प्रत्येक लिखी गई चीज जिससे मनुष्य अपने विचार साझा करता है वह ‘लिखित भाषा’ है। 

20. आज के समय में लिखित भाषा सिर्फ पत्र ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक इमेल्स भी है। 

लिखित भाषा का क्षेत्र आज के समय में बहुत बढ़ गया है हालाँकि मौखिक भाषा का इस्तेमाल जायदा किया जाता है लेकिन इस बात को भी झुटलाया नहीं जा सकता की लिखित भाषा का क्षेत्र भी अपने चरम पर है। 

लिखित भाषा का महत्व – 

आज का समय वेशक ही मोबाइल फ़ोन्स पर मौखिक रूप से बात करने का है और इससे लिखित भाषा के क्षेत्र में कुछ हानि भी हुई है जैसे पत्र लेखन और तार लेखन की समाप्ति। 

लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि मोबाइल फोन्स की वजह से लिखित भाषा को और भी महत्व मिला है, क्यूंकि आज के समय में लिखित भाषा का प्रयोग – इमेल्स लिखने में, सोशल मीडिया पर अपने विचारों को लिखित रूप से साझा करने में, फ़ोन कॉल न करके sms लिखकर बात करने में बहुत अधिक किया जाने लगा है। 

आज के समय में भी लिखित भाषा का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है फिर चाहे वह – पेपर लिखना हो, ईमेल लिखना हो, समाचार पत्र लिखना हो चाहे नेताओं के बोलने से पहले स्क्रिप्ट लिखकर देना हो। लिखित भाषा का क्षेत्र बहुत व्यापक है। 

विश्व भर में लाखों ऐसे कार्य है जो प्राचीन समय से अब तक ‘लिखित भाषा’ में होते आ रहे है और आज भी बड़ी तादाद में हो रहे है जैसे डायरी लिखना। 

जैसा की डायरी लेखन के नाम से ही पता चल रहा है कि यह लेखन का एक कार्य है। और यह कार्य प्राचीन समय से होता आ रहा है। डायरी लेखन के लिए पहले पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता था फिर धातु से बानी चीजों जैसे ताम्र पत्र का प्रयोग होने लगा। 

उसके बाद कागज का प्रयोग हुआ और आज के समय में कम्प्यूटर्स का प्रयोग डायरी लेखन में किया जाता है। प्राचीन समय से अब तक डायरी लिखने वाले उपकरणों का दर्जनों बार बदलाब हुआ लेकिन एक चीज जो नहीं बदली वह है डायरी को लिखना। 

डायरी को किसी भी उपकरण पर लिखा जाये या किसी भी उपकरण से लिखा जाये उसे जायेगा ‘लिखा’ ही। डायरी लिखने की कला प्राचीन समय से आ रही है और अभी तक चालू है। 

जिस प्रकार से अशोक ने अपनी डायरी लिखी जो आज के समय में ‘अशोक के धम्म’ के नाम से प्रचलित है और कौटिल्य का ‘अर्थशात्र’ जिसमे उन्होंने अपनी और चन्द्रगुप्त की जीवनी लिखी वह भी एक डायरी ही है। और आज के समय में भी हजारो या लाखों लोग डायरी लिख रहे है हालंकि उनके लेखन के उपकरण बदले है लेकिन डायरी को लिखा “लिखित भाषा” में ही जाता है। 

कहने का अर्थ है कि आज के समय में भी लिखित भाषाका महत्व उतना ही है जितना प्राचीन समय में था, और जब तक भाषा को बोला जायेगा तब तक भाषा को लिखित रूप से लिखा भी जायेगा।

लिखित भाषा का महत्व क्या है?

(1) यह भाषा का स्थायी रूप है। (2) इस रूप में हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। (3) यह रूप यह अपेक्षा नहीं करता कि वक्ता और श्रोता आमने-सामने हों। (4) इस रूप की आधारभूत इकाई 'वर्ण' हैं जो उच्चरित ध्वनियों को अभिव्यक्त (represent) करते हैं।

लिखित भाषा के उदाहरण क्या है?

लिखित भाषा के दो उदाहरण निम्नलिखित है: 1. पत्र लिखना। 2. समाचार पत्र।

लिखित भाषा से आप क्या समझते हैं इसके महत्व एवं उद्देश्यों का वर्णन करें?

लिखित भाषा की परिभाषा – जब मनुष्य अपने मन के भावों को मुँह से न बोलकर लिखकर व्यक्त करता है तो उसके द्वारा लिखे गए उन सब विचारों को 'लिखित भाषा कहा जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो जब हम अपने विचारो को बोलने की जगह लिखकर दूसरों के समक्ष व्यक्त करते है तो उसे लिखित भाषा कहा जाता है।

मौखिक और लिखित भाषा का क्या महत्व है?

मौखिक भाषा द्वारा बोलकर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात दूसरों को बताई जा सकती है। इसके प्रयोग के बिना हम किसी मूक और बधिर व्यक्ति के ही समान हैं, जो बोल-सुन नहीं सकता। मौखिक भाषा की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि हर बात लिखकर नहीं बताई जा सकती।