लेने योग्य आहार खोज में पाया गया है कि इस बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक खाद्य एलर्जी है। इसलिए उन खाद्य पदार्थों
जिस से आपको एलर्जी होती हैं – उनसे परहेज़ करना बेहतर है। रक्त में इओसिनोफिल की मात्रा को कम करने में सहायक योगासन: प्राणायाम श्वसन तंत्र की माँसपेशियों के लिए लाभकारी होते हैं। इओसिनोफिलिया, इओसिनोफिल्स, श्वेत रक्त कणिकाएँ (डब्लूबीसी), श्वेत रक्त कणिकाएँ, रक्त विकार, हेमोटोलोजी, हीमेटोलोजी, निओप्लास्टिक इओसिनोफिलिया, इओसिनोफिलिया – आयुर्वेदिक दवा और इलाज,
Eosinophilia rog, Eosinophilia ka gharelu upchar, upay, Eosinophilia me parhej, Eosinophilia ka ilaj, Eosinophilia ki dawa, Eosinophilia treatment in hindi, मौसम में बदलाव कई तरह की बीमारियों को आमंत्रित कर सकता है। इन्हीं बीमारियों में से एक है ‘इओसिनोफिलिया’। हालांकि, इसके और भी कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में आगे लेख में बताया गया है। संभव है कि कुछ लोगों को इओसिनोफिलिया के बारे में पहले से ही थोड़ी-बहुत जानकारी हो। वहीं, कुछ लोगों के लिए यह बीमारी नई हो सकती है। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम ‘इओसिनोफिलिया’ से जुड़ी आवश्यक जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इस लेख में इओसिनोफिलिया क्या है? इओसिनोफिलिया के कारण, लक्षण और इओसिनोफिलिया का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है, इस संबंध में बताया जाएगा। साथ ही आप पाठकों के लिए हमारा यह सुझाव भी है कि इओसिनोफिलिया के लक्षण गंभीर हों, तो वो डॉक्टरी उपचार में देर न करें। जब तक बीमारी की जानकारी नहीं होगी तब तक उसका सही इलाज संभव नहीं है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम इओसिनोफिलिया क्या है? इस बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। विषय सूची
इओसिनोफिल सफेद रक्त कोशिका का एक प्रकार है। ये कोशिकाएं शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं (1), लेकिन जब इनकी संख्या रक्त में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो इस स्थिति को इओसिनोफिलिया कहा जाता है (2)। इओसिनोफिलिया की अवस्था में फेफड़े, त्वचा, हृदय, रक्त वाहिकाएं, साइनस, गुर्दे और मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है (3)। अब बारी आती है इओसिनोफिलिया के कारण जानने की। लेख के इस भाग में हमारी कोशिश यही रहेगी कि आसान से आसान शब्दों में हम अपने पाठकों को इओसिनोफिलिया के कारण समझा सकें। इओसिनोफिलिया के कारण – Causes of Eosinophilia in Hindiआमतौर पर व्यक्ति के खून में बड़ी संख्या में इओसिनोफिल नहीं होते, लेकिन नीचे बताए गए कारणों से खून में इनकी संख्या बढ़ सकती है (1) (3)।
इसके अलावा, इओसिनोफिलिया के सामान्य कारणों में हेल्मिंथिक परजीवी संक्रमण (Helminthic Parasite Infections), एटोपिक, एलर्जी रोग या दवा का रिएक्शन भी शामिल है (4)। किसी भी बीमारी के लक्षण जानना बहुत ही जरूरी है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम इओसिनोफिलिया के लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इओसिनोफिलिया के लक्षण – Symptoms of Eosinophilia in Hindiअगर किसी बीमारी का लक्षण पता हो, तो उसका इलाज करना आसान हो जाता है। इसलिए, हम नीचे इओसिनोफिलिया के लक्षणों की जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। आमतौर पर इओसिनोफिलिया का कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता है, लेकिन दुर्लभ मामलों में नीचे बताए गए लक्षण दिख सकते हैं (5)।
लेख में आगे जानते हैं कि इओसिनोफिलिया के जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं। इओसिनोफिलिया के जोखिम कारक – Risk Factors of Eosinophilia in Hindiनीचे बताए गए इओसिनोफिलिया के जोखिम कारकों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। ये सारे जोखिम कारक सिर्फ एक अनुमान के तौर पर बताए जा रहे हैं। इसलिए, सही जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
लेख के इस भाग में जानते हैं कि इओसिनोफिलिया का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है। इओसिनोफिलिया का इलाज – Treatment of Eosinophilia in Hindiइओसिनोफिलिया का इलाज इसके कारण और इससे प्रभावित शरीर के हिस्से पर निर्भर करता है। डॉक्टर मरीज में इओसिनोफिलिया के प्रभाव की ठीक प्रकार से जांच करके ही इसके उपचार को आगे बढ़ाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में एल्बेंडाजोल (Albendazole) जैसी दवा और स्टेरॉयड के जरिए भी इसका इलाज किया जा सकता है (1) (5) (6)। ध्यान रहे कि बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें। इसके अलावा, इओसिनोफिलिया का इलाज इस पर भी निर्भर करता है कि शरीर का कौन-सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। इओसिनोफिलिक के कारण किस मरीज को कैसी समस्या हुई है, इलाज उसी पर निर्भर करता है। इसलिए, यहां एक-एक विकार के बारे में विस्तार से बताना संभव नहीं है। बेहतर यही है कि मरीज को बिना देरी किए डॉक्टर के पास लेकर जाया जाए और उचित उपचार कराया जाए। लेख के आगे के भाग में हम इओसिनोफिलिया से बचने के कुछ उपायों की जानकारी देंगे। इओसिनोफिलिया से बचने के उपाय – Prevention Tips for Eosinophilia in Hindiहालांकि, इओसिनोफिलिया से बचाव के लिए कोई सटीक वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है, लेकिन नीचे बताए गए उपायों का पालन कर इस समस्या से बचा जा सकता है।
आशा करते हैं कि पाठकों को इस लेख से इओसिनोफिलिया के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल गई होगी। पाठक, इओसिनोफिलिया के लक्षण पर ध्यान देकर और लेख में बताए गए बचाव के उपायों का पालन कर इस समस्या से अपना बचाव कर सकते हैं। ध्यान रखें कि सही वक्त पर इओसिनोफिलिया का इलाज जरूरी है। जैसे ही इओसिनोफिलिया के लक्षण दिखें, बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही इस लेख को दूसरों के साथ साझा कर इओसिनोफिलिया के बारे में जागरूकता बढ़ाएं। इसके अलावा, इओसिनोफिलिया से संबंधित अन्य जानकारी के लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद जरूर लें। और पढ़े:
Was this article helpful? इस्नोफीलिया कैसे ठीक होगा?इओसिनोफिलिया के लक्षणों को कम करने के लिए निम्न घरेलू नुस्खों को इस्तेमाल किया जा सकता है:. हल्का गर्म पानी में नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदें डालकर उसका भाप लेना. चाय में हल्का सा अदरक डालकर इसका सेवन करना. एक गिलास पानी में दो चम्मच मेथी के बीज उबालकर उससे गरारे करना. इस्नोफीलिया में क्या क्या परहेज करना चाहिए?इस्नोफिलिया के दौरान परहेज (Avoid These in Eosinophilia Disease). मसालेदार खाना (तेल, मिर्च युक्त) न खाए. खट्टे पदार्थ जैसे- इमली, आचार, दही आदि का सेवन ना करें।. इस्नोफिलिया में दूध और दूध से बने उत्पाद का सेवन नहीं करना चाहिए। खासकर दही और मीठा बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।. इस्नोफीलिया बढ़ने का क्या कारण है?इस रोग में मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है गले में सूजन बढ़ने लगती है और मस्तिष्क पर इसका विपरीत असर पड़ता है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है। -गले में सूजन बढ़ने लगती है।
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