ज्योतिबा फुले का उद्देश्य क्या था? - jyotiba phule ka uddeshy kya tha?

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नमस्कार आपका सवाल है कि ज्योतिबा फुले की शोधक समाज का उद्देश्य क्या था ज्योतिबा फुले बहुत ही ऊंचे समाजसेवी और भारतीय समाज को आधुनिक बनाने के अपने जो आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए ही उन्होंने 24 सितंबर 18 से 2:00 तक समाज की नींव रखी कि मुझे सामाजिक न्याय की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम था महा मना खेती बगुले को शत-शत नमन धन्यवाद

namaskar aapka sawaal hai ki jyotiba phule ki shodhak samaj ka uddeshya kya tha jyotiba phule bahut hi unche samajsevi aur bharatiya samaj ko aadhunik banane ke apne jo andolan ko aage badhane ke liye hi unhone 24 september 18 se 2 00 tak samaj ki neev rakhi ki mujhe samajik nyay ki disha me ek bahut bada kadam tha maha mana kheti bagule ko shat shat naman dhanyavad

नमस्कार आपका सवाल है कि ज्योतिबा फुले की शोधक समाज का उद्देश्य क्या था ज्योतिबा फुले बहुत

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ज्योतिबा फुले का उद्देश्य क्या था? - jyotiba phule ka uddeshy kya tha?
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ज्योतिबा फुले का उद्देश्य क्या था? - jyotiba phule ka uddeshy kya tha?

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इसे सुनेंरोकेंसत्यशोधक समाज 24 सितम्बर सन् 1873 में ज्योतिबा फुले द्वारा स्थापित एक पन्थ है। यह एक छोटे से समूह के रूप में शुरू हुआ और इसका उद्देश्य शूद्र एवं अस्पृश्य जाति के लोगों को विमुक्त करना था। इनकी विचार “गुलामगिरी, सार्वजनिक सत्यधर्म ” में निहित है ।

सत्यशोधक मण्डल का उद्देश्य क्या था?

इसे सुनेंरोकेंसत्य शोधक समाज के प्रमुख उद्देश्य : शूद्रों-अतिशूद्रों को पुजारी, पुरोहित, सूदखोर आदि की सामाजिक-सांस्कृतिक दासता से मुक्ति दिलाना, धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यों में पुरोहितों की अनिवार्यता को खत्म करना, शूद्रों-अतिशूद्रों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि वे उन धर्मग्रंथों को स्वयं पढ़-समझ सकें, जिन्हें उनके शोषण …

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सत्यशोधक समाज की स्थापना कब और कहां हुई?

24 सितंबर 1873, पुणेसत्यशोधक समाज / स्थापना की तारीख और जगह

सत्यशोधक समाज के संस्थापक कौन थे?

ज्योतिराव गोविंदराव फुलेसत्यशोधक समाज / संस्थापक
इसे सुनेंरोकेंसत्यशोधक समाज के संस्थापक, महान विचारक एवं दलित चिंतक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर शत्-शत् नमन।

ज्योतिबा फुले ने कौन सी समानता पर जोर दिया?

इसे सुनेंरोकेंज्‍योतिबा फुले को एहसास हो गया था कि ईश्‍वर के सामने स्‍त्री-पुरुष दोनों का अस्तित्‍व बराबर है. फिर दोनों में भेद-भाव करने का कोई मतलब नहीं. ऐसे में स्त्रियों की दशा सुधारने और समाज में उन्‍हें पहचान दिलाने के लिए उन्‍होंने 1854 में एक स्‍कूल खोला. यह देश का पहला ऐसा स्‍कूल था जिसे लड़कियों के लिए खोला गया था.

सत्यशोधक समाज के प्रसार के लिए महात्मा फुले ने कौन सा ग्रंथ लिखा?

इसे सुनेंरोकेंलोगों ने धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यों में पुरोहित को बुलाना छोङ दिया। इसी समय ज्योतिबा फुले ने 1873 ई. को ‘गुलामगिरी’ नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने ब्राह्मणों के प्रभुत्व को चुनौति दी एवं पुरोहित वर्ग को समाज का शोषक बताया।

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गुलामगिरी पुस्तक 1871 में ज्योतिबा फुले ने क्यों लिखी थी?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. 1873 में लिखी गई इस किताब का उद्देश्य दलितों और अस्पृश्यों को तार्किक तरीके से ब्राह्मण वर्ग की उच्चता के झूठे दंभ से परिचित कराना था. इस किताब के माध्यम से ज्योतिबा फूले ने दलितों को हीनताबोध से बाहर निकलकर, आत्मसम्मान से जीने के लिए भी प्रेरित किया था.

ब्राह्मण समाज की स्थापना कब हुई?

20 अगस्त 1828, कोलकाताब्रह्म समाज / स्थापना की तारीख और जगह

1873 ईसवी में ज्योतिबा फुले ने कौन सी किताब लिखी?

इसे सुनेंरोकेंउन्होंने गुलामगिरी लिखा – जाति व्यवस्था के पहले आलोचकों में से एक। यह एक अंग्रेजी प्रस्तावना के साथ मराठी में लिखा गया है, पाठ का अंग्रेजी में अनुवाद गुलामी के रूप में किया गया है। 1873 में, ज्योतिबा फुले ने समाज में समानता को बढ़ावा देने के लिए सत्यशोधक समाज का गठन किया।

ज्योतिबा फुले का मुख्य उद्देश्य क्या था?

जोतिबा गोविंदराव फुले इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे।

1 ज्योतिराव फूले के मुख्य विचार क्या थे?

ज्‍योतिबा फुले भारतीय समाज में प्रचलित जाति आधारित विभाजन और भेदभाव के खिलाफ थे। उन्‍होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए काफी काम किया। उन्होंने इसके साथ ही किसानों की हालत सुधारने और उनके कल्याण के लिए भी काफी प्रयास किये। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1854 में एक स्कूल खोला।

ज्योतिबा फुले का शिक्षा में क्या योगदान है?

ज्योतिबा फुले द्वारा पूरे महाराष्ट्र में विद्यालयों का विकास कराया गया। उनके द्वारा संचालित 18 विद्यालय का जिक्र बंबई प्रेसीडेंसी के शिक्षा अभिलेखों से मिलता है। उन्होंने प्रौढ़ - शिक्षा, स्त्री-पुरुष के लिए अलग-अलग रात्रि पाठशालाएं खोली ।

ज्योतिबा फुले के सत्यशोधक समाज का उद्देश्य क्या था?

सत्य शोधक समाज के प्रमुख उद्देश्य : शूद्रों-अतिशूद्रों को पुजारी, पुरोहित, सूदखोर आदि की सामाजिक-सांस्कृतिक दासता से मुक्ति दिलाना, धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यों में पुरोहितों की अनिवार्यता को खत्म करना, शूद्रों-अतिशूद्रों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि वे उन धर्मग्रंथों को स्वयं पढ़-समझ सकें, जिन्हें उनके शोषण ...