प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक स्थानीय जापानी अखबार में एक लेख लिखा है। श्री मोदी जापान के आधिकारिक दौरे पर हैं। Show इस अवसर पर अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत और जापान के बीच जीवंत संबंधों पर एक लेख लिखा है। शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हमारी एक साझेदारी है। 70 गौरवशाली वर्षों को पूर्ण करने वाली हमारी इस विशेष मित्रता की यात्रा को और परिपुष्ट बनाने के लिए मैं भी इसका अनुगमन करता हूँ।" "कोविड के पश्चात दुनिया में भारत-जापान सहयोग महत्वपूर्ण है। हमारे राष्ट्र लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम दोनों स्थिर एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत के अहम स्तंभ हैं। मुझे प्रसन्नता है कि हम विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर भी साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं।" "मुझे गुजरात का मुख्यमंत्री होने के दिनों से ही जापान के लोगों के साथ नियमित रूप से संवाद करने का अवसर मिलता रहा है। जापान की विकासात्मक प्रवृत्ति हमेशा प्रशंसनीय रही है। जापान बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष, स्टार्ट-अप सहित कई अहम क्षेत्रों में भारत के साथ भागीदारी कर रहा है।" जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री किशिदा फुमियो अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा के रूप में भारत के प्रधानमंत्री महामहिम श्री नरेन्द्र मोदी के साथ 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर बैठक में भाग लेने के लिए 19 मार्च से 20 मार्च 2022 के दौरान एक आधिकारिक दौरे पर भारत आए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह स्वीकार किया कि यह शिखर बैठक एक ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हो रही है जब दोनों देश अपने द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। दोनों नेताओं ने पिछले वार्षिक शिखर बैठक के बाद के घटनाक्रमों की समीक्षा की और आपसी सहयोग के व्यापक मुद्दों पर चर्चा की।
समावेशिता और नियम-आधारित व्यवस्था की नींव पर टिके एक स्वतंत्र एवं खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए साझेदारी
3. भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ दोनों प्रधानमंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका (क्वाड) सहित इस क्षेत्र के समान विचारधारा वाले देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारी के महत्व को दोहराया। उन्होंने मार्च और सितंबर 2021 में हुए क्वाड लीडर्स समिट का स्वागत किया और क्वाड के सकारात्मक एवं रचनात्मक एजेंडे, विशेष रूप से कोविड के टीकों, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु संबंधी कार्रवाई, बुनियादी ढांचे के समन्वय, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और शिक्षा के संबंध में ठोस नतीजे देने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया। दोनों नेताओं ने आने वाले महीनों में जापान में आयोजित होने वाले अगले क्वाड लीडर्स समिट के माध्यम से क्वाड सहयोग को और आगे बढ़ाने के प्रति उत्सुकता जतायी।
6. दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों (यूएनएससीआर) का उल्लंघन करते हुए उत्तर कोरिया द्वारा अस्थिर करने वाले बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण की निंदा की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुरूप उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार से संबंधित उत्तर कोरिया की चिंताओं को दूर करने के महत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने उत्तर कोरिया से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पूरी तरह से पालन करने और अपहरण से संबंधित मुद्दे का तत्काल हल निकालने का आग्रह किया।
9. दोनों प्रधानमंत्रियों ने म्यांमार की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की और हिंसा को समाप्त करने, हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने और लोकतंत्र के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया। उन्होंने म्यांमार समस्या का समाधान खोजने के आसियान के प्रयासों के प्रति अपने समर्थन को दोहराया और गतिरोध को तोड़ने की दिशा में आसियान अध्यक्ष के रूप में कंबोडिया की सक्रिय भागीदारी का स्वागत किया। उन्होंने म्यांमार से आसियान की पांच सूत्री सहमति को तत्काल लागू करने का आह्वान किया।
19. दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान के बीच सहयोगी परियोजनाओं के महत्व को दोहराया। उन्होंने बांग्लादेश में चल रही परियोजनाओं में प्रगति को रेखांकित किया और आसियान, प्रशांत द्वीप के देशों और अन्य देशों के लिए इस किस्म के सहयोग के विस्तार की संभावना तलाशने के प्रति उम्मीद जतायी। उन्होंने भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सतत आर्थिक विकास और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक्ट ईस्ट फोरम (एईएफ) के माध्यम से अपने निरंतर सहयोग के महत्व की सराहना की। उन्होंने “भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सतत विकास के लिए भारत-जापान पहल" के शुभारंभ का स्वागत किया, जिसमें “उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बांस की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए पहल" और स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, वन संसाधन प्रबंधन, कनेक्टिविटी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग शामिल है। भारत और जापान के संबंध कैसे हैं?भारत जापान संबंध (India Japan Relations) का एक लंबा इतिहास है जो आध्यात्मिक समानता के साथ-साथ ठोस सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों में निहित है। ये दोनों देश एशिया की सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ाने के साथ-साथ विश्व शांति और समान विकास को बढ़ावा देने के लिए एक समान इच्छा साझा करते हैं।
क्या भारत ने जापान की मदद की है?21वीं शताब्दी के शुरू में द्विपक्षीय संबंधों में नाटकीय बदलाव देखने को मिले। प्रधानमंत्री मोरी की वर्ष 2000 में महत्वपूर्ण भारत यात्रा के दौरान 21वीं शताब्दी में भारत जापान वैश्विक साझेदारी शुरू की गई जो नई ऊंचाइयां छूने के लिए दोनों देशों के विकास पथ के लिए अपेक्षित वेग प्रदान करती है।
भारत जापान को क्या निर्यात करता है?भारत से Japan को निर्यात का कुल मूल्य 2,540.528 USD मिलियन है। Japan को निर्यात किए गए शीर्ष उत्पाद हैं Organic chemicals, Fish, crustaceans, molluscs, aquatic invertebrates ne, Pearls, precious stones, metals, coins, etc, Mineral fuels, oils, distillation products, etc, Nuclear reactors, boilers, machinery, etc, .
भारत और जापान के बीच कौन सा युद्ध अभ्यास होता है?India and Japan Navies military exercise: यह अभ्यास हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षित अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और व्यापार सुनिश्चित करने की दिशा में दोनों नौसेनाओं के बीच चल रहे प्रयासों का हिस्सा है।
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