भारत और जापान के बीच क्या संबंध है? - bhaarat aur jaapaan ke beech kya sambandh hai?

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक स्थानीय जापानी अखबार में एक लेख लिखा है। श्री मोदी जापान के आधिकारिक दौरे पर हैं।

इस अवसर पर अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा,

"भारत और जापान के बीच जीवंत संबंधों पर एक लेख लिखा है। शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हमारी एक साझेदारी है। 70 गौरवशाली वर्षों को पूर्ण करने वाली हमारी इस विशेष मित्रता की यात्रा को और परिपुष्ट बनाने के लिए मैं भी इसका अनुगमन करता हूँ।"

"कोविड के पश्चात दुनिया में भारत-जापान सहयोग महत्वपूर्ण है। हमारे राष्ट्र लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम दोनों स्थिर एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत के अहम स्तंभ हैं। मुझे प्रसन्नता है कि हम विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर भी साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं।"

"मुझे गुजरात का मुख्यमंत्री होने के दिनों से ही जापान के लोगों के साथ नियमित रूप से संवाद करने का अवसर मिलता रहा है। जापान की विकासात्मक प्रवृत्ति हमेशा प्रशंसनीय रही है। जापान बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष, स्टार्ट-अप सहित कई अहम क्षेत्रों में भारत के साथ भागीदारी कर रहा है।"

जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री किशिदा फुमियो अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा के रूप में भारत के प्रधानमंत्री महामहिम श्री नरेन्द्र मोदी के साथ 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर बैठक में भाग लेने के लिए 19 मार्च से 20 मार्च 2022 के दौरान एक आधिकारिक दौरे पर भारत आए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह स्वीकार किया कि यह शिखर बैठक एक ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हो रही है जब दोनों देश अपने द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। दोनों नेताओं ने पिछले वार्षिक शिखर बैठक के बाद के घटनाक्रमों की समीक्षा की और आपसी सहयोग के व्यापक मुद्दों पर चर्चा की।


1. भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को दोहराते हुए, दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि 2018 में जारी किए गए भारत-जापान दृष्टिकोण वक्तव्य में प्रतिपादित साझा मूल्य और सिद्धांत वर्तमान संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक हैं, जहां बेहद गंभीर हो चुकी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत पहले से कहीं अधिक है। उन्होंने राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने वाली एक नियम-आधारित व्यवस्था की नींव पर टिके एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध विश्व की दिशा में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और सभी देशों द्वारा धमकी या बल प्रयोग या यथास्थिति को एकतरफा बदलने के किसी भी प्रयास का सहारा लिए बिना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार अपने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत पर बल दिया। इस संबंध में, उन्होंने जोर-जबरदस्ती से मुक्त, स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपने साझा दृष्टिकोण को दोहराया। उन्होंने इस विचार को साझा किया कि वर्तमान की दुनिया में दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को विविधतापूर्ण, लचीले, पारदर्शी, खुली, सुरक्षित और संभावित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से मजबूत द्विपक्षीय निवेश और व्यापार के प्रवाह द्वारा संचालित किया जाएगा जो उनके लोगों को आर्थिक सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करेगा। इस बात को दोहराते हुए कि दोनों देश इन साझा उद्देश्यों को साकार करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे,  दोनों नेताओं ने भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को और आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

समावेशिता और नियम-आधारित व्यवस्था की नींव पर टिके एक स्वतंत्र एवं खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए साझेदारी


2. दोनों प्रधानमंत्रियों ने सुरक्षा और रक्षा सहयोग के क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की तथा इसे और अधिक गहरा बनाने की अपनी इच्छा को दोहराया। उन्होंने नवंबर 2019 में नई दिल्ली में अपने विदेश और रक्षा मंत्रियों की पहली 2+2 बैठक आयोजित करने का स्वागत किया और अपने मंत्रियों को टोक्यो में जल्द से जल्द इसकी दूसरी बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया। उन्होंने जापान के आत्मरक्षा बलों और भारतीय सशस्त्र बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान से संबंधित समझौते के कार्यान्वन का भी स्वागत किया। उन्होंने मिलन अभ्यास में पहली बार जापान की भागीदारी का स्वागत करते हुए,  क्रमशः "धर्म गार्डियन" और "मालाबार" सहित द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय अभ्यासों को जारी रखने और साथ ही भविष्य में उनकी जटिलता को बढ़ाने के प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने जापान वायु आत्मरक्षा बल और भारतीय वायु सेना के बीच पहले लड़ाकू अभ्यास के लिए समन्वय के साथ आगे बढ़ने के निर्णय को दोहराया और इस अभ्यास को जल्द से जल्द आयोजित करने के प्रयासों का स्वागत किया। उन्होंने मानव रहित ग्राउंड व्हीकल (यूजीवी) और रोबोटिक्स के क्षेत्र में चल रहे सहयोग को रेखांकित किया और अपने मंत्रियों को भविष्य में रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के ठोस क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश दिया।

3. भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ दोनों प्रधानमंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका (क्वाड) सहित इस क्षेत्र के समान विचारधारा वाले देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारी के महत्व को दोहराया। उन्होंने मार्च और सितंबर 2021 में हुए क्वाड लीडर्स समिट का स्वागत किया और क्वाड के सकारात्मक एवं रचनात्मक एजेंडे, विशेष रूप से कोविड के टीकों, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु संबंधी कार्रवाई, बुनियादी ढांचे के समन्वय, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और शिक्षा के संबंध में ठोस नतीजे देने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया। दोनों नेताओं ने आने वाले महीनों में जापान में आयोजित होने वाले अगले क्वाड लीडर्स समिट के माध्यम से क्वाड सहयोग को और आगे बढ़ाने के प्रति उत्सुकता जतायी।


4. प्रधानमंत्री किशिदा ने 2019 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आईपीओआई और स्वतंत्र एवं खुले भारत-प्रशांत (एफओआईपी) क्षेत्र के बीच बढ़ते सहयोग को रेखांकित किया। भारत ने आईपीओआई के कनेक्टिविटी स्तंभ के संदर्भ में एक प्रमुख भागीदार के रूप में जापान की भागीदारी की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आसियान की एकता एवं केंद्रीयता के प्रति अपने मजबूत समर्थन और "आसियान आउटलुक ऑन द इंडो-पैसिफिक (एओआईपी)", जोकि कानून के शासन, खुलेपन, स्वतंत्रता, पारदर्शिता और समावेश जैसे सिद्धांतों का समर्थन करता है, के प्रति अपने पूर्ण समर्थन को दोहराया।


5. दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-प्रशांत क्षेत्र की दो प्रमुख शक्तियों के रूप में भारत और जापान इस इलाके में समुद्री क्षेत्र की संरक्षा एवं सुरक्षा, नौवहन (नेविगेशन) और उड़ान (ओवरफ्लाइट) की स्वतंत्रता, निर्बाध वैध वाणिज्यिक गतिविधियों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप कानूनी एवं राजनयिक प्रक्रियाओं के प्रति पूर्ण सम्मान बरतते हुए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में साझा रुचि रखते हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों, विशेष रूप से समुद्र के कानून के संबंध में संयुक्त राष्ट्र समझौता (यूएनसीएलओएस) की भूमिका को प्राथमिकता देना जारी रखने और पूर्वी एवं दक्षिणी चीन सागर में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के खिलाफ चुनौतियों का सामना करने के लिए समुद्री सुरक्षा सहित सहयोग की सुविधा प्रदान करने के प्रति अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया । दोनों नेताओं ने गैर-सैन्यीकरण और आत्म-संयम के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दक्षिण चीन सागर में विभिन्न पक्षों के आचरण से संबंधित घोषणा के पूर्ण एवं प्रभावी कार्यान्वयन और दक्षिण चीन सागर में अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस, के अनुरूप  सभी देशों, जिनमें वे देश भी शामिल हैं जो इन वार्ताओं में पक्ष नहीं हैं, के अधिकारों और हितों के लिए पूर्वाग्रहरहित एक मौलिक एवं प्रभावी आचार संहिता के संबंध में शीघ्र निर्णय का आह्वान किया।

6. दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों (यूएनएससीआर) का उल्लंघन करते हुए उत्तर कोरिया द्वारा अस्थिर करने वाले बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण की निंदा की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुरूप उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार से संबंधित उत्तर कोरिया की चिंताओं को दूर करने के महत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने उत्तर कोरिया से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पूरी तरह से पालन करने और अपहरण से संबंधित मुद्दे का तत्काल हल निकालने का आग्रह किया।


7. दोनों प्रधानमंत्रियों ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए निकटता के साथ सहयोग करने के अपने इरादों को दोहराया और मानवीय संकट को दूर करने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और एक वास्तविक प्रतिनिधिक एवं समावेशी राजनीतिक प्रणाली की स्थापना सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 (2021), जोकि स्पष्ट रूप से अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय देने, उसका प्रशिक्षण देने, उसकी योजना बनाने या वित्तपोषण के लिए नहीं करने की मांग करता है, के महत्व को भी दोहराया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों समेत सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।


8. दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर गहरी चिंता व्यक्त की और आतंकवाद का व्यापक तरीके से एवं निरंतर मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने सभी देशों से आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों एवं बुनियादी ढांचे को खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्क और उनके वित्तपोषण के चैनलों को अवरुद्ध करने और आतंकवादियों की सीमा पार से आवाजाही को रोकने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। इस संदर्भ में, उन्होंने सभी देशों से उनके नियंत्रण वाले क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी हमले के लिए न होने देने और इस तरह के हमलों के अपराधियों को शीघ्रता से दंडित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों सहित भारत में आतंकवादी हमलों की फिर से निंदा की और पाकिस्तान से अपनी जमीन से संचालित होने वाले आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ दृढ़ और अचूक कार्रवाई करने और एफएटीएफ सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से पालन करने का आह्वान किया। दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय मंचों में आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता (सीसीआईटी) को शीघ्र अपनाने की दिशा में मिलकर काम करने पर भी सहमति व्यक्त की।

9. दोनों प्रधानमंत्रियों ने म्यांमार की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की और हिंसा को समाप्त करने, हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने और लोकतंत्र के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया। उन्होंने म्यांमार समस्या का समाधान खोजने के आसियान के प्रयासों के प्रति अपने समर्थन को दोहराया और गतिरोध को तोड़ने की दिशा में आसियान अध्यक्ष के रूप में कंबोडिया की सक्रिय भागीदारी का स्वागत किया। उन्होंने म्यांमार से आसियान की पांच सूत्री सहमति को तत्काल लागू करने का आह्वान किया।


10. दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष और मानवीय संकट के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की और विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में इसके व्यापक प्रभावों का आकलन किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानूनों और राज्यों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है। उन्होंने यूक्रेन में परमाणु प्रतिष्ठानों की संरक्षा और सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया और इस दिशा में आईएईए के सक्रिय प्रयासों का अनुमोदन किया। उन्होंने हिंसा की तत्काल समाप्ति के अपने आह्वान को दोहराया और कहा कि इस संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। दोनों नेताओं ने इस बात को दोहराया कि वे यूक्रेन में मानवीय संकट से निपटने के लिए उचित कदम उठायेंगे।


11. प्रधानमंत्री किशिदा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में “अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के रखरखाव: समुद्री सुरक्षा” विषय पर एक उच्चस्तरीय खुली बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता समेत अगस्त 2021 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सफल अध्यक्षता के लिए भारत को बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2023-2024 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक अस्थायी सीट के लिए जापान की उम्मीदवारी के प्रति भारत का समर्थन दोहराने की प्रधानमंत्री किशिदा ने सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और जापान के संबंधित कार्यकाल के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से संबंधित मामलों में साथ मिलकर काम करना जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने 21वीं सदी की समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शीघ्र सुधार के लिए मिलकर काम करना जारी रखने का संकल्प लिया। उन्होंने एक निश्चित समय सीमा में ठोस परिणाम प्राप्त करने के समग्र उद्देश्य से अंतर-सरकारी वार्ताओं (आईजीएन) में टेक्स्ट-आधारित वार्ता शुरू करने के जरिए इसकी प्रक्रिया में तेजी लाने के प्रति अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने अपनी इस साझा मान्यता को दोहराया कि भारत और जापान विस्तारित राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए वैध/योग्य उम्मीदवार हैं।


12. दोनों प्रधानमंत्रियों ने परमाणु हथियारों की पूर्ण समाप्ति और परमाणु अप्रसार एवं परमाणु आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने की दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के कार्य में दृढ़ बने रहने को लेकर अपनी साझा प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया। प्रधानमंत्री किशिदा ने व्यापक परमाणु-परीक्षण-निषेध संधि (सीटीबीटी) के शीघ्र कार्यान्वन के महत्व पर बल दिया। उन्होंने शैनन मैंडेट के आधार पर निरस्त्रीकरण सम्मेलन में एक गैर-भेदभावपूर्ण, बहुपक्षीय, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और प्रभावी रूप से सत्यापन योग्य विखंडनीय सामग्री कट-ऑफ संधि (एफएमसीटी) पर बातचीत को तत्काल शुरू करने और शीघ्र निष्कर्ष निकालने का आह्वान किया। उन्होंने अप्रसार के वैश्विक प्रयासों को मजबूत करने के उद्देश्य से, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की भारत की सदस्यता के लिए मिलकर काम करना जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया।  


कोविड काल के बाद की दुनिया में सतत विकास के लिए साझेदारी


13. दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोहराया कि भारत और जापान कोविड-19 का मुकाबला करने और लोगों के जीवन एवं आजीविका की रक्षा करने के वैश्विक प्रयासों में योगदान देना जारी रखेंगे। उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र और उसके बाहर सुरक्षित एवं प्रभावी टीकों तक समान पहुंच बढ़ाने के लिए क्वाड वैक्सीन पार्टनरशिप के तहत हुई प्रगति का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 का मुकाबला करने और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में भारत सरकार के प्रयासों को जापान द्वारा दिए गए समर्थन की सराहना की। प्रधानमंत्री किशिदा ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत की पहल, विशेष रूप से वैक्सीन मैत्री पहल के माध्यम से दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित करने और सुरक्षित एवं प्रभावी टीके प्रदान करने की प्रशंसा की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), विशेष रूप से सार्वभौमिक स्‍वास्‍थ्‍य कवरेज और वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की अग्रणी एवं भूमिका और सुधार सहित इसकी संरचना को मजबूत करने से संबंधित अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।


14. कॉप26 के परिणामों को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के महत्व और इसकी तत्काल जरूरत को स्वीकार किया और वैश्विक स्तर पर नेट – जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों और निरंतर नवाचार को प्रदर्शित हुए ऊर्जा के क्षेत्र में व्यावहारिक बदलावों से संबंधित विभिन्न विकल्पों के महत्व को साझा किया। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), बैटरी सहित स्टोरेज सिस्टम, इलेक्ट्रिक वाहनों की  चार्जिंग से संबंधित बुनियादी ढांचे (ईवीसीआई), सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन/अमोनिया सहित स्वच्छ पवन ऊर्जा, ऊर्जा के क्षेत्र में बदलावों से संबंधित योजनाओं पर विचारों का आदान-प्रदान, ऊर्जा दक्षता, सीसीयूएस (कार्बन डाइऑक्साइड कैप्चरिंग, उपयोग और भंडारण) और कार्बन रीसाइक्लिंग जैसे क्षेत्रों में सतत आर्थिक विकास प्राप्त करने, जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सहयोग के लिए भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (सीईपी) के शुभारंभ का स्वागत किया। उन्होंने पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के कार्यान्वयन के लिए भारत और जापान के बीच संयुक्त क्रेडिट तंत्र (जेसीएम) की स्थापना के लिए आगे की चर्चा जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने अन्य क्षेत्रों में पर्यावरणीय सहयोग को बढ़ावा देने के अपने दृढ़ संकल्प को भी दोहराया। इस संबंध में, उन्होंने विकेन्द्रीकृत घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओसी) पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी, अहमदाबाद और चेन्नई में स्मार्ट शहरों के मिशन के लिए पूर्व और वर्तमान में चल रहे जापानी सहयोग की सराहना की तथा इस क्षेत्र में और आगे सहयोग की आशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री किशिदा ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) जैसी भारत की पहल की सराहना की और कहा कि जापान भारी उद्योग के क्षेत्र में बदलाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय-स्वीडिश जलवायु पहल लीडआईटी में शामिल होगा। उन्‍होंने सतत शहरी विकास के मामले में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओसी) पर हस्‍ताक्षर किए जाने का स्‍वागत किया।


15. दोनों प्रधानमंत्रियों ने नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के मूल में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को रखते हुए इस प्रणाली को बनाए रखने एवं इसे मजबूत करने और 12वें डब्ल्यूटीओ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी12) में सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने प्रतिशोधात्मक आर्थिक नीतियों एवं प्रथाओं के प्रति अपने विरोध को साझा किया जोकि इस प्रणाली के उलट हैं और इस तरह की कार्रवाइयों के खिलाफ वैश्विक आर्थिक लचीलापन को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक रूप से काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


16. दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात की खुशी व्यक्त की कि द्विक्षीय संबंधों के एक विशेष सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी में बदलने के बाद से,  दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि वर्ष 2014 में घोषित की गई जेपीवाई ने 3.5 ट्रिलियन के निवेश के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। भारत में जापानी निवेशकों के लिए कारोबारी माहौल में सुधार करने के उद्देश्य से भारत द्वारा उठाए गए कदमों के साथ-साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा व्यापार करने को और अधिक आसान बनाने के लिए उठाए गए अन्य उपायों को ध्यान में रखते हुए, दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपसी हित की उपयुक्त सार्वजनिक और निजी परियोजनाओं का वित्त पोषण करने के लिए अगले पांच वर्षों में जापान की ओर से भारत को जेपीवाई के तहत 5 ट्रिलियन के सार्वजनिक एवं निजी निवेश और वित्त पोषण को साकार करने का अपना साझा इरादा व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए जापान द्वारा की गई विभिन्न पहलों की सराहना की। इस संदर्भ में, दोनों प्रधानमंत्रियों ने नवंबर 2021 में भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता भागीदारी (आईजेआईसीपी) की स्थापना को याद किया और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं माध्यम उद्यम) , विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों सहित दोनों देशों के बीच औद्योगिक सहयोग को और अधिक बढ़ावा देने के लिए आईजेआईसीपी के तहत एक रोडमैप तैयार किए जाने का स्वागत किया। उन्होंने इस इलाके में विश्वसनीय, लचीला, कुशल आपूर्ति श्रृंखलाओं की दिशा में मिलकर काम करने की भी पुष्टि की और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने जैसे क्षेत्रों में इस संबंध में हुई प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने अवैध प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की समस्या से निपटने, एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने और क्वाड के माध्यम से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने 75 बिलियन अमरीकी डालर के अपने द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय समझौते के नवीनीकरण का स्वागत किया। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की जरुरत को स्वीकार किया और भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) के तहत भारत और जापान के बीच सुरीमी मछली के व्यापार को बढ़ावा देने वाले संशोधनों का स्वागत किया। दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के महत्व पर बल देते हुए,  दोनों नेताओं ने मौजूदा तंत्र के माध्यम से सीईपीए के कार्यान्वयन की और गहराई से समीक्षा को प्रोत्साहित किया। उन्होंने भारत द्वारा जापानी सेबों के आयात की मंजूरी और जापान को भारतीय आम के निर्यात की प्रक्रियाओं में छूट का स्वागत किया।


17. दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात को स्वीकार किया कि कोविड के बाद की दुनिया में डिजिटल प्रौद्योगिकियां निरंतर महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी और डिजिटल बदलाव के लिए संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देने, भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए जापान और जापानी कंपनियों में काम करने के अवसर तथा आईओटी, एआई एवं अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में किए गए सहयोग के माध्यम से डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की दृष्टि से भारत-जापान डिजिटल साझेदारी के तहत बढ़ते सहयोग का स्वागत किया। इस संबंध में, प्रधानमंत्री किशिदा ने जापानी आईसीटी क्षेत्र में योगदान करने के लिए अधिक संख्या में कुशल भारतीय आईटी पेशेवरों को आकर्षित करने की उम्मीद जतायी। उन्होंने उभरते हुए भारतीय स्टार्ट-अप के लिए धन जुटाने के लिए “भारत-जापान फंड-ऑफ-फंडस” के संबंध में हुई प्रगति का भी स्वागत किया। साइबर सुरक्षा और आईसीटी के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर का स्वागत करते हुए, दोनों प्रधानमंत्रियों ने साइबर डोमेन में द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की सराहना की और संयुक्त राष्ट्र सहित बहुपक्षीय मंचों पर एक दूसरे के साथ साइबर जुड़ाव को और अधिक गहरा करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने 5जी, ओपन आरएएन, टेलीकॉम नेटवर्क सिक्योरिटी, सबमरीन केबल सिस्टम और क्वांटम कम्युनिकेशंस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक सहयोग करने का विचार साझा किया। उन्होंने नवंबर 2020 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय सहयोग पर भारत-जापान संयुक्त समिति की 10वीं बैठक आयोजित करने समेत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति का स्वागत किया और संयुक्त चंद्र अनुसंधान परियोजना के प्रति आशा व्यक्त की। उन्होंने इस दिशा में प्रयासों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दोहराया ताकि  प्रौद्योगिकी डिजाइन, उसके विकास, शासन एवं उपयोग से संबंधित क्वाड सिद्धांतों द्वारा निर्देशित प्रौद्योगिकी के लिए दृष्टिकोण को समान विचारधारा वाले सभी देशों द्वारा और आगे साझा किया जा सके।  


18.. प्रधानमंत्री मोदी ने वर्षों से भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए जापान के समर्थन की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने सात येन ऋण परियोजनाओं से संबंधित दस्तावेजों के आदान-प्रदान पर हस्ताक्षर का स्वागत किया, जिसमें जापान कुल मिलाकर 300 बिलियन येन ( 20400 करोड़ रुपये से अधिक) प्रदान करता है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) की प्रमुख द्विपक्षीय सहयोग परियोजना में प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने इस बात को दोहराया कि यह परियोजना भारत-जापान सहयोग का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और इससे प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण होगा जिससे भारत में रेलवे की क्षमता में और अधिक वृद्धि होगी। उन्होंने इस बात को फिर से दोहराया कि वे जल्द से जल्द समय पर इस परियोजना का संचालन शुरू करने के लिए मिलकर काम करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने एमएएचएसआर और भारत में विभिन्न मेट्रो परियोजनाओं के संबंध में जापान के सहयोग की सराहना की और पटना मेट्रो के लिए योजनाबद्ध प्रारंभिक सर्वेक्षण शुरू करने की उम्मीद जतायी।

19. दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान के बीच सहयोगी परियोजनाओं के महत्व को दोहराया। उन्होंने बांग्लादेश में चल रही परियोजनाओं में प्रगति को रेखांकित किया और आसियान, प्रशांत द्वीप के देशों और अन्य देशों के लिए इस किस्म के सहयोग के विस्तार की संभावना तलाशने के प्रति उम्मीद जतायी। उन्होंने भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सतत आर्थिक विकास और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक्ट ईस्ट फोरम (एईएफ) के माध्यम से अपने निरंतर सहयोग के महत्व की सराहना की। उन्होंने “भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सतत विकास के लिए भारत-जापान पहल" के शुभारंभ का स्वागत किया, जिसमें “उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बांस की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए पहल" और स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, वन संसाधन प्रबंधन, कनेक्टिविटी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग शामिल है।

भारत और जापान के संबंध कैसे हैं?

भारत जापान संबंध (India Japan Relations) का एक लंबा इतिहास है जो आध्यात्मिक समानता के साथ-साथ ठोस सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों में निहित है। ये दोनों देश एशिया की सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ाने के साथ-साथ विश्व शांति और समान विकास को बढ़ावा देने के लिए एक समान इच्छा साझा करते हैं

क्या भारत ने जापान की मदद की है?

21वीं शताब्दी के शुरू में द्विपक्षीय संबंधों में नाटकीय बदलाव देखने को मिले। प्रधानमंत्री मोरी की वर्ष 2000 में महत्वपूर्ण भारत यात्रा के दौरान 21वीं शताब्दी में भारत जापान वैश्विक साझेदारी शुरू की गई जो नई ऊंचाइयां छूने के लिए दोनों देशों के विकास पथ के लिए अपेक्षित वेग प्रदान करती है।

भारत जापान को क्या निर्यात करता है?

भारत से Japan को निर्यात का कुल मूल्य 2,540.528 USD मिलियन है। Japan को निर्यात किए गए शीर्ष उत्पाद हैं Organic chemicals, Fish, crustaceans, molluscs, aquatic invertebrates ne, Pearls, precious stones, metals, coins, etc, Mineral fuels, oils, distillation products, etc, Nuclear reactors, boilers, machinery, etc, .

भारत और जापान के बीच कौन सा युद्ध अभ्यास होता है?

India and Japan Navies military exercise: यह अभ्यास हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षित अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और व्यापार सुनिश्चित करने की दिशा में दोनों नौसेनाओं के बीच चल रहे प्रयासों का हिस्सा है।