भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्या जरूरत है? - bhaarat mein rn ke aupachaarik sroton ko badhaane kee kya jaroorat hai?

विषयसूची

  • 1 ऋण के औपचारिक स्रोत कौन कौन से हैं?
  • 2 अनौपचारिक ऋण क्या है?
  • 3 ऋण के औपचारिक स्रोत की क्या विशेषता है?
  • 4 हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों का विस्तार करने की आवश्यकता क्यों है?
  • 5 औपचारिक साख क्या है?
  • 6 रिंकी शर्तों से क्या तात्पर्य है?

ऋण के औपचारिक स्रोत कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंबैकिंग उधार देने या निवेश करने के ध्येय से जनता से मांगने पर या चैक आदि के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय जमाएं स्वीकार करने को बैकिंग कहते है। औपचारिक ऋण के अन्तर्गत बैकों और सहकारी समितियों से लिए गए कर्ज आते है। अनौपचारिक ऋण में साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार दोस्त आदि से लिया गया ऋण आता है।

इसे सुनेंरोकेंउदाहरण: साहूकार, व्यापारी, श्रमिक(कर्मचारी), रिश्तेदार और दोस्त आदि।

अनौपचारिक ऋण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअनौपचारिक ऋण क्या है? Answer – साहूकार, मालिक, व्यापारी या किसी व्यक्ति से उधार लिए गए ऋण को अनौपचारिक ऋण कहते है।

साख के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकें(ii) औपचारिक ऋणदाता कर्जदार से समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जबकि अनौपचारकि ऋण में किसी प्रकार के समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता नहीं पड़ती। (iii) औपचारिक ऋणदाता एक निश्चित तथा निम्न ब्याज दर पर ऋण देते हैं जबकि अनौपचारिक ऋणदाता मनमानी तथा उच्च ब्याज दर पर ऋण देते हैं।

ऋण के औपचारिक स्रोत की क्या विशेषता है?

इसे सुनेंरोकें(ii) उधारकर्ता अदालती ऋण लेने वाले के खिलाफ अपने मूलधन और ब्याज को पुनः प्राप्त करने के लिए जा सकते हैं। (iii) कभी-कभी, ऋणदाता बैंक या सहकारी सोसायटी या क्रेडिट की कोई अनौपचारिक एजेंसी के साथ गठित संपार्श्विक के रूप में सुरक्षा या परिसंपत्तियों को बेच सकता है।

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों का विस्तार करने की आवश्यकता क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की ज़रूरत इसलिए है क्योंकि भारत में ग्रामीण परिवार की जरूरतों को केवल 50% औपचारिक ऋण स्रोतों द्वारा पूरा किया जाता है। बाकी के परिवारों की जरूरत अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती है।

समर्थक ऋणाधार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसमर्थक ऋणाधार : यह ऐसी सम्पति है, जिसका मालिक कर्जदार है (जैसे, कि भूमि, इमारत, गाड़ी, पशु, बैंकों में पूंजी) और इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गारंटी देने के रूप में करता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता।

औपचारिक साख क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसाख की औपचारिक स्रोत से से तात्पर्य उन संस्थानों से है, जो बेहद कम दर पर ऋण उपलब्ध कराते है। ये संस्थान बैंक, सहकारी समितियां तथा अन्य आधिकारिक वित्तीय संस्थान आदि होते हैं। यह औपचारिक स्रोत एक निश्चित और बेहद कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराते हैं।

रिंकी शर्तों से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंसाख की आवश्यक शर्तें इस तरह होती हैं… किसी साख के समझौते में एक निश्चित ब्याज दर होती है, जिसे ऋणकर्ता को उधारप्रदाता को चुकाना होता हैस यह ब्याज दर साख के औपचारिक स्रोतों (बैंक, सरकारी वित्तीय संस्थान) में कम होती है जबकि साख के अनौपचारिक स्रोतों (महाजन, साहूकार) में अधिक हो सकती है।

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है ?

                                         अथवा
आर्थिक विकास में ऋण के औपचारिक स्रोतों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर: ऋण के औपचारिक स्रोतों के अन्तर्गत बैंकों व सहकारी समितियों से लिए गए ऋण आते हैं। हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को निम्नलिखित कारणों से बढ़ाने की जरूरत है

1. ऋणदाताओं की तुलना में अधिकांश अनौपचारिक ऋणदाता; जैसे-साहूकार, व्यापारी आदि ऋणों पर अधिक ऊँची ब्याज माँगते हैं।

2. अनौपचारिक ऋणदाता अपना ऋण वसूलने करने के लिए प्रत्येक अनुचित साधन अपना सकते हैं। इन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है।

3. अनौपचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है जबकि औपचारिक क्षेत्र में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋणों के औपचारिक स्रोतों की कार्यप्रणाली पर नजर रखी जाती है।

4. वे लोग जो ऋण लेकर अपना कोई उद्यम शुरू करना चाहते हैं, वे अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेने की अधिक लागत के कारण ऐसा नहीं कर पाते हैं।

5. ऋण के औपचारिक स्रोतों से लोग साहूकार, व्यापारी, भूस्वामी आदि से बच सकते हैं जो लोगों को सदैव अपने चंगुल में फंसाने का अवसर ढूँढ़ते रहते हैं।

6. इन सब कारणों को देखते हुए भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की जरूरत है।

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भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की आवश्यकता क्यों है?

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है? Solution : (i) अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनमें में उच्च ब्याज दर होती है और कर्ज़दार को ज्यादा लाभ नहीं मिलता है। (ii) सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज़ देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।

भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों का पर्यवेक्षण कौन करता है?

भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के कामकाज की निगरानी करता है

औपचारिक ऋण के स्रोत क्या है?

Detailed Solution. सही उत्तर नियोक्ता है।

ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अंतर है?

ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अंतर है ? - Quora. औपचारिक स्त्रोतो की कार्यप्रणाली में रिजर्व बैंक की नजर होती है, जबकि अनौपचारिक स्त्रोतों की देख- रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।