4 Show पक्षी और बादल की चिट्ठयों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं? पक्षी और बादलों को भगवान का डाकिया कहा गया है। पक्षी और बादल प्रकृत्ति यानी पेड़-पौधे, पानी, फूलों और पहाड़ के के लिए भगवान का संदेशा लेकर आते हैं। पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे,
पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सद्भावना के सन्देश को पढ़ पाते हैं| इस सन्देश पर अमल करते हुए प्रकृति के सभी घटक इस सन्देश के अनुसार ही प्रतिक्रिया करते हैं| इस सन्देश को पढने के पश्चात नदियाँ बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों में समान रूप से अपने पानी का वितरण करती हैं, पहाड़ सभी को मजबूती देने का कार्य करते हैं| Advertisement Remove all ads Advertisement Remove all ads Advertisement Remove all ads One Line Answer पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए। Advertisement Remove all ads Solutionपक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को केवल पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, नदियाँ व पहाड़ ही पढ़ सकते हैं। Concept: पद्य (Poetry) (Class 8) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 6: भगवान के डाकिए - कविता से [Page 32] Q 2Q 1Q 3 APPEARS INNCERT Class 8 Hindi - Vasant Part 3 Chapter 6 भगवान के डाकिए Advertisement Remove all ads पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं? भगवान के डाकिए कौन कौन है? पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन कौन पढ़ पाते हैं सोचकर लिखिए? बादल और पक्षी क्या संदेश लेकर आते हैं ? भगवान के डाकिए कविता के कवि कौन हैं? 1 Answers पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान का संदेश पढ़ पाते हैं क्योंकि प्रकृति की चीज़ों पर किसी एक देश का अधिकार नहीं
है। प्रकृति की वस्तुएँ समान रूप से सबकी होती हैं। फूलों की सुगंध पक्षियों के पंखों पर तैरकर दूसरे देश में पहुँच जाती है। इसी प्रकार एक देश के पानी की भाप बादल बनकर दूसरे देश में बरस जाती है। इस प्रकार पक्षी और बादल मनुष्य को विश्व-बन्धुत्व का संदेश देते हैं, जिसे प्रकृति के विभिन्न अवयव ही अनुभव कर पाते हैं तथा उसका प्रसार करते हैं। मनुष्य अपनी सीमाओं में बँधा हुआ होने के कारण ऐसा नहीं कर पाता। प्रश्न 2: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए। उत्तर: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़, पौधे, पहाड़ और पानी पढ़ पाते हैं। शायद जंगली जानवर भी उन्हें समझ पाते हैं। बादल जब अपने साथ बरसात लाते हैं तो पेड़ पौधे खुशी से झूम उठते हैं। पक्षी जब कोई संदेश लाते हैं तो पेड़ उनकी मेजबानी में फल और आसरा देते हैं। जंगली जानवर भी बारिश आने की खुशी में झूमने लगते हैं। प्रश्न 3: किन पंक्तियों का भाव है: (a) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश भेजते हैं। उत्तर: पहला अंतरा (b) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है। उत्तर: दूसरा अंतरा प्रश्न 4: पक्षी और बादल की चिट्टियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं? उत्तर: इन चिट्टियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ खुशहाली और भाईचारे का संदेश पढ़ते हैं। प्रश्न 5: “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है” – कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। उत्तर: इस धरती पर सीमाएँ इंसानों ने बनाई है, प्रकृति ने नहीं। प्रकृति को तो शायद यह भी नहीं पता होगा कि इस पृथ्वी पर इतने सारे देश या राज्य हैं। इसलिए प्रकृति विभिन्न स्थानों में कोई भेदभाव नहीं करती है और हर स्थान के लिए अपना प्यार बराबर बाँटती है। पक्षी और बादल की चिट्टियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं? पक्षी और बादल की लाई हुई चिट्ठियों में से पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ ईश्वर का दिया विश्व बंधुत्व का संदेश पढ़ लेते हैं। वे यह अहसास करते हैं कि हवा व पक्षियों के पंखों से उड़-उड़कर आने वाली सुगंध और एक देश के जल की भाप से बना बादल दूसरे देश में बरसकर विश्व-बंधुत्व की भावना का ही प्रसार करते हैं। जबकि मानव सीमाओं के बंधनों में बंधे होने के कारण यह कार्य नहीं कर सकता परंतु वे बंधन मुक्त होने के कारण यह कार्य स्वच्छंदतापूर्वक कर सकते हैं। 1096 Views कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए। पक्षी व बादल देशों की सीमा रेखाओं को नहीं मानते। वे ईश्वर का विश्व--बंधुत्व का संदश सभी को समान रूप से बाँटते हैं। पक्षी के पंखों द्वारा फूलों की सुगंध दूर-दूर के देशों तक जाती है और बादल एक देश के पानी से बनकर दूसरे देश में बरसते हैं अर्थात् ये दोनों न कोई बंधन अपने पर रखते हैं और न किसी बंधन को मानते हैं। जबकि मनुष्य इस विश्व-बंधुत्व की भावना को समझ नहीं पाते और अपनी ही बनाई सीमा रेखाओं में बंद रहते हैं। इसीलिए कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए माना है। 2643 Views किन पंक्तियों का भाव है- हम तो
केवल यह आँकते हैं 776 Views पक्षी और बाबल द्वारा लाई गई चिट्टियों को कौन-कौन पढ पाते हैं? सोचकर लिखिए। पक्षी और बादलों द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़, पौधे, नदियाँ, झरने, पानी और पहाड़ यानी प्रकृति के सभी रूप पढ़ लेते हैं। 858 Views किन पंक्तियों का भाव है- पक्षी और बादल, 946 Views डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू www.) तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। “चट्टियों की अनूठी दुनिया” पाठ का सहयोग ले सकते हैं। 1349 Views पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़ पौधे पानी और पहाड़ क्या पड़ पाते है?पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं। इसपर अमल करते नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने पानी को बाँटती है। पहाड़ भी समान रूप से सबके साथ खड़ा होता है। पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगंध को बाँटते हैं, कभी भेदभाव नहीं करते।
पक्षी और बादल की छुट्टियां कौन कौन पढ़ पाते हैं?Solution : पक्षी और बादलों द्वारा लाई गयी चिट्ठियों को मनुष्य के अलावा प्रकृति के विभिन्न अंग पेड़-पौधे, तालाब, नदियाँ, सागर तथा पहाड़ पढ़ पाते हैं।
पक्षी और बादल ईश्वर का क्या संदेश पढ़ते हैं?पक्षी और बादल की लाई हुई चिट्ठियों में से पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ ईश्वर का दिया विश्व बंधुत्व का संदेश पढ़ लेते हैं। वे यह अहसास करते हैं कि हवा व पक्षियों के पंखों से उड़-उड़कर आने वाली सुगंध और एक देश के जल की भाप से बना बादल दूसरे देश में बरसकर विश्व-बंधुत्व की भावना का ही प्रसार करते हैं।
भगवान के डाकिए कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?'भगवान के डाकिए' कविता से यह संदेश मिलता है कि हमें संसार में मिलजुलकर रहना चाहिए। अपने जीवन काल में हमें ऐसे कार्य करने चाहिए जिनकी सुगंध पूरे विश्व में फैल जाए। पक्षी और बादल प्रेम सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं। दूसरे महादेश को जाते हैं।
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