संघीय व्यवस्था वह रूप है, जिसमें शक्ति का विभाजन आंशिक रूप से केन्द्र सरकार और राज्य सरकार अथवा क्षेत्रीय सरकारों के मध्य होता है। संघवाद संवैधानिक तौर पर शांति को साझा करता है क्योंकि इसमें स्वषासन तथा साझा शासन की व्यवस्था होती है आजादी के बाद से अब तक भारतीय राजनीति में कई ऐसे परिवर्तन हुए जिसने संघीय प्रणाली को कई स्तरों पर प्रभावित किया, इसके कारण देष में संघवाद के अलग-अलग चरण देखने को मिलते है। Show
भारतीय संघीय व्यवस्था के प्रमुख तत्व
संघीय शासन प्रणाली के प्रकार(केन्द्र राज्य संबंधों के आधार पर) 1. परिसंघात्मक प्रणाली संघात्मक प्रणाली 2. एकात्मक प्रणाली संघीय 1. व्यवस्था में अपनी-अपनी बातों का ध्यान रखना एवं शक्ति का विभाजन एवं केन्द्र का अस्तित्व बना रहेगा, केन्द्र यदि मजबूत रहता है । 2. भारतीय संघीय व्यवस्था में संविधान द्वारा क्षेत्र के आधार पर शक्तियों के विभाजन या केन्द्रीयकरण के आधार पर दो प्रकार की शासन व्यवस्थाएं हैं-
भारत क्षेत्र और जनसंख्या की दृष्टि से विषाल एवं अधिक विविधताएं से परिपूर्ण हैं ऐसी स्थितियों में संघात्मक शासन व्यवस्था भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त की गई है। भारतीय संविधान के संघात्मक लक्षण
एकात्मक शासन एैसी शासन व्यवस्था है, जिसमें शासन की सम्पूर्ण सत्ता तक केन्द्रीय सरकार में निहित होती है, यदि स्थानीय सरकारों को कोई शक्ति दी गई होती तो वह केन्द्र सरकार द्वारा दी जाती।
एकात्मक सरकार के गुण
एकात्मक सरकार के दोष
संघात्मक शासन वह शासन व्यवस्था जिसमें कई छोटे-छोटे राज्य एक समझौते के आधार पर एक संध में सम्मिलित होते हैं, तथा अपने लिए एक सम्मिलित संघ सरकार के अधिपत्य को स्वीकार करते हैं। स्थानीय सरकार की जिम्मेदारीः-सरकारी व्यवस्था को बेहतर करना जिन विभागों में काम सही ढंग से नहीं चल रहा है उनकी समस्याएं और कमजोरियाॅ समझना और उन्हें हल करना नये नियम बनाना जिससे विभाग ठीक प्रकार से काम कर सके, एवं जनता को बेहतर सुविधाएं दे पायें। सरकारी कम्पनियों की समस्याएं हल करने के बजाय उन्हें निजी हाथों में सौपने की तैयारी की ओर बढ़ती जा रही है। सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है, तंत्र को बेहतर बनाना, उसका प्रबंध करने के लिए उसे चुना गया है, निजीकरण के लिए नहीं। लोकतंत्र में सबसे बड़ी चिन्ता लोगों का अपना शासक चुनन े का अधिकार और शासकों पर नियंत्रण बरकरार रहे। एक व्यापक धरातल पर लोकतांत्रिक सरकारों से यह उम्मीद की जाती है कि वे लोगों की जरूरतों और माँगो का ध्यान रखने वाली हो, और भ्रष्टाचार मुक्त शासन दें। लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं अक्सर लोगों को उनकी जरूरतों के लिए परेशान करने के साथ-साथ आबादी के एक बड़े हिस्से की माँगो की उपेक्षा करती है। कई मामलों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर हो यह वैध शासन-व्यवस्था है। यह सुस्त हो सकती है, कम कार्यकुशल हो सकती है। इसमें भ्रष्टाचार हो सकता है। यह लोगों की जरूरतों को कुछ हद तक अनदेखी कर सकती है। लेकिन यह शासन व्यवस्था लोगों की अपनी व्यवस्था हो इसी कारण पूरी दुनिया में लोकतंत्र के विचार के प्रति जबरदस्त समर्थन का भाव है। संघात्मक शासन के प्रमुख लाभ
संघीय शासन व्यवस्था के दोष
संघीय शासन की क्या विशेषताएं हैं?संघवाद की विशेषताएँ
सरकार के दो या दो से अधिक स्तर होते हैं। कानून, कराधान और प्रशासन के संबंध में सरकार के विभिन्न स्तरों का अपना क्षेत्राधिकार है। सरकार के प्रत्येक स्तर के अस्तित्व और अधिकार की संवैधानिक प्रत्याभूति है। संविधान के मौलिक प्रावधानों में बदलाव के लिए सरकार के दोनों स्तरों की सहमति की आवश्यकता होती है।
संघीय शासन व्यवस्था के उद्देश्य क्या है?इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं : देश की एकता की सुरक्षा करना और उसे बढ़ावा देना तथा इसके साथ ही क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करना। इस कारण संघीय व्यवस्था के गठन और कामकाज के लिए दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण हैं।
क्या भारत में संघीय शासन व्यवस्था है?Solution : भारत की शासन व्यवस्था संघीय है। संविधान में भारत को राज्यों का एक संघ घोषित किया गया है। संघीय व्यवस्था के अंतर्गत शाशन के दो स्तर हैं - केंद्र तथा राज्य। हाल ही में इस व्यवस्था के अंतर्गत तीसरा स्तर -पंचायती राज तथा नगरपालिका को जोड़ा गया है।
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