JAC Class 9th Economics निर्धनता: एक चुनौती InText Questions and Answers Show पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या- 32 प्रश्न 1. प्रश्न 2. 1. 1993-94 और 2004-05 के मध्य निर्धनता अनुपात में गिरावट आने के बावजूद निर्धनों की संख्या 407 मिलियन के आस-पास क्यों बनी रही? 2. क्या भारत में निर्धनता में कमी की गति ग्रामीण और शहरी भारत में समान है? पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या 36 प्रश्न 4. 2. तीन राज्यों की पहचान करें जहाँ निर्धनता अनुपात सबसे कम है। JAC Class 9th Economics निर्धनता: एक चुनौती Textbook Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. लेकिन अगले 5 वर्षों में न केवल निर्धनता का प्रतिशत घटकर 26 रह गया बल्कि कुल निर्धनों की संख्या भी घटकर 26 करोड़ रह गयी। निर्धनों की संख्या में कमी का यह क्रम शीघ्र ही टूट गया तथा 2009-10 में यह संख्या पुन: बढ़कर 35 करोड़ के लगभग हो गयी जो कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत थी परन्तु सरकारी आँकड़ों के अनुसार 2011-12 में निर्धनों की संख्या में तेजी गिरावट आई, तब यह संख्या 27 करोड़ हो गई थी। प्रश्न 4. उड़ीसा, मध्य-प्रदेश, बिहार व उत्तर-प्रदेश में ग्रामीण निर्धनता के साथ-साथ नगरीय निर्धनता का प्रतिशत भी अधिक है। उक्त राज्यों की तुलना में केरल, आन्ध्र-प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिमी बंगाल में उल्लेखनीय कमी आई है। पंजाब, हरियाणा में उच्च कृषि वृद्धि दर से, केरल में मानव संसाधन विकास से, पश्चिमी बंगाल में भूमि सुधार कार्यक्रमों से, आन्ध्र-प्रदेश व तमिलनाडु में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सुधार से निर्धनता को कम करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की गई है। प्रश्न 5. अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सामाजिक रूप से सुविधा वंचित समूहों का भूमिहीन अनियत दिहाड़ी श्रमिक होना उनकी दोहरी असुविधा की समस्या की गम्भीरता को दिखाता है। 1990 के दशक के दौरान अनुसूचित जनजाति परिवारों को छोड़कर अनुसूचित जाति, ग्रामीण कृषि श्रमिक और शहरी अनियत मजदूर परिवार की निर्धनता में कमी आई है। 2. आर्थिक समूह: इस समूह के अन्तर्गत ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार तथा शहरी अनियत श्रमिक परिवार आते प्रश्न 6.
प्रश्न 7. चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में तीव्र आर्थिक विकास और मानव संसाधन विकास में वृहत् निवेश से विशेष कमी हुई है। चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 88.3 प्रतिशत से घटकर 2008 में 14.7 प्रतिशत और वर्ष 2013 में 1.9 प्रतिशत रह गई है। दक्षिण एशिया के देशों जैसे भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान में निर्धनों की संख्या में गिरावट इतनी ही तीव्र रही है। यह 54 प्रतिशत से गिरकर 15 प्रतिशत हो गई है। निर्धनों के प्रतिशत में गिरावट के बावजूद निर्धनों की संख्या में भी कमी आई जो 1990 में 44 प्रतिशत से घटकर 2013 में 17 प्रतिशत रह गई। भिन्न निर्धनता रेखा परिभाषा के कारण भारत में भी निर्धनता राष्ट्रीय अनुमान से अधिक है। सब-सहारा अफ्रीकी देशों में निर्धनता वास्तव में 1991 के 54 प्रतिशत से घटकर 2013 में 41 प्रतिशत हो गई है। लैटिन अमेरिका निर्धनता का अनुपात वही रहा है। यहाँ पर निर्धनता रेखा 1990 में 16 प्रतिशत से गिरकर 2013 में 5.4 प्रतिशत रह गई है। रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में भी निर्धनता पुनः समाप्त हो गई, जहाँ पहले आधिकारिक रूप से कोई निर्धनता थी ही नहीं। संयुक्त राष्ट्र के नये सतत विकास के लक्ष्य को 2030 तक सभी प्रकार की गरीबी खत्म करने का प्रस्ताव है। प्रश्न 8.
भारत में 1980 के अन्त तक 30 वर्ष की योजना अवधि के दौरान प्रतिव्यक्ति आय में कोई वृद्धि नहीं हुई जिससे निर्धनता में भी अधिक कमी नहीं आई। 1980-90 के दशक में भारतीय आर्थिक संवृद्धि दर विश्व में सबसे ज्यादा 6% के आस-पास रही। इस आर्थिक संवृद्धि दर ने देश में व्याप्त निर्धनता को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इससे एक बात यह स्पष्ट हुई कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता-उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। क्योंकि आर्थिक संवृद्धि अवसरों की व्यापकता को बढ़ाकर मानवीय विकास में निवेश हेतु आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराती है। इसके बाद भी यह सम्भव है कि आर्थिक विकास से उपलब्ध अवसरों के द्वारा निर्धन लोग प्रत्यक्ष रूप में लाभ नहीं उठा पाते। इसके अलावा कृषि क्षेत्रों में संवृद्धि की दर बहुत कम होने का सीधा प्रभाव निर्धनता पर पड़ा क्योंकि निर्धन लोगों की बड़ी संख्या गाँवों में निवास करती है जो कृषि पर निर्भर है। उक्त परिस्थितियों में लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रमों की आवश्यकता प्रत्यक्ष में दिखाई देने लगी। देश में ऐसी अनेक योजनाएँ हैं जिन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्धनता कम करने हेतु तैयार किया गया है इनमें से कुछ निम्नांकित महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) सितम्बर 2005 में पारित किया गया। इस विधेयक द्वारा देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य सतत् विकास में मदद करना ताकि सूखा, वन कटाई एवं मिट्टी के कटाव जैसी समस्याओं से बचा जा सके। इस प्रावधान के अन्तर्गत एक-तिहाई रोजगार महिलाओं के लिये सुरक्षित किया गया है। इस स्कीम के अन्तर्गत 4.78 करोड़ परिवार को 220 करोड़ प्रतिव्यक्ति रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इस योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं का हिस्सा क्रमश: 23 प्रतिशत, 17 प्रतिशत एवं 53 प्रतिशत हैं। औसतन रोजगार वर्ष 2006-07 में 65 रुपये से बढ़कर वर्ष 2013-14 में 132 रुपये कर दिया गया है। केन्द्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष भी स्थापित करेगी। इसी तरह राज्य सरकारें भी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य रोजगार गारंटी कोष की स्थापना करेंगी। कार्यक्रम के अन्तर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अन्दर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोजगार भत्ते का हकदार होगा। एक और महत्वपूर्ण योजना राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम है जिसे 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केन्द्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न नि:शुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। एक बार एन. आर. ई. जी. ए. लागू हो जाए तो काम के बदले अनाज (एन. एफ. डब्ल्यू. पी.) का राष्ट्रीय कार्यक्रम भी इस कार्यक्रम के अन्तर्गत आ जाएगा। इन्हीं कार्यक्रमों के अन्तर्गत एक और योजना ‘प्रधानमन्त्री रोजगार योजना’ सन् 1993 में प्रारम्भ की गई। इसका उद्देश्य ग्रामीण और छोटे शहरों के शिक्षित बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। ‘स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना’ का श्रीगणेश सन् 1999 में सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों का स्वसहायता समूहों में संगठित करके बैंक व सरकारी सहायिकी संयोजन के द्वारा निर्धनता रेखा के ऊपर उठाना है। उक्त योजनाओं के अलावा प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना-2000, अन्त्योदय अन्न योजना आदि निर्धनता निवारण हेतु लक्षित कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। प्रश्न 9. (ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन है? (ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? केन्द्र में राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी कोष की स्थापना के साथ राज्यों में राज्य रोजगार गारण्टी कोषों’ की स्थापना की जायेगी। कार्यक्रम के अन्तर्गत यदि आवेदक को 15 दिन में रोजगार उपलब्ध नहीं होता है तो वह बेरोजगार भत्ता का हकदार होगा। इस योजना के नाम में आंशिक परिवर्तन किया गया है। अब इसका नाम महात्मा गाँधी ग्रामीण रोजगार गारण्टी (मनरेगा) योजना हो गया है। यह योजना अब 600 जिलों में लागू है। JAC Class 9 Social Science Solutionsमानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं उत्तर बताइए?मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं? किसी व्यक्ति को निर्धन माना जाता है, यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी ऐसे 'न्यूनतम स्तर' से नीचे गिर जाए जो मूल आवश्यकताओं जैसे भोजन, कपड़ा और आवास को पुराण करने के लिए आवश्यक है।
निर्धनता क्या है भारत में निर्धनता के कारण बताइए?जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने से सबकी आवश्यकताओं की भली प्रकार पूर्ति नहीं हो पाती और देश में निर्धनता फैलती है । यातायात के साधनों का अभाव आदि उद्योग और व्यापार की उन्नति में बाधक जितने भी कारक हैं उन सभी से निर्धनता बढ़ती है । अतः निर्धनता स्वयं निर्धनता बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है ।
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है class 9?उत्तर: भारत में निर्धनता रेखा का आकलन करने के लिए आय या उपभोग स्तरों पर आधारित एक सामान्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है। भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह हेतु खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रमुख माना जाता है।
निर्धनता ग्रस्त कौन लोग हैं?अगर किसी व्यक्ति की आय राष्ट्रीय औसत आय के 60 फीसदी से कम है, तो उस व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वाला माना जा सकता है। उदाहरण के लिए माध्य निकालने का तरीका। यानी 101 लोगों में 51वां व्यक्ति यानी एक अरब लोगों में 50 करोड़वें क्रम वाले व्यक्ति की आय को औसत आय माना जा सकता है।
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