प्रावस्था घटक एवं स्वतंत्रता की कोटि से आप क्या समझते हैं? - praavastha ghatak evan svatantrata kee koti se aap kya samajhate hain?

Swatantrata Ki Koti in chemistry

GkExams on 26-03-2022


स्वतंत्रता की कोटि (Degree Of Freedom) : किसी कण या सिस्टम की स्थिति और विन्यास को पूर्ण रूप से निर्देशांक या स्वतंत्र चरो का उपयोग किया जाता है उन्हें ही उस सिस्टम या कण की स्वतंत्रता की कोटि कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है, जो निम्नलिखित है.....

1. स्थानान्तरीय स्वतंत्रा की कोटि :

जब कोई कण सीधी रेखा में गति करता है अर्थात किसी एक अक्ष पर ही गति करता है तो उस कण की स्वतंत्रता की कोटि एक होती है।

उदाहरण : सरल लोलक की गति।

2. घूर्णी स्वंत्रता की कोटि :

कोई ठोस पदार्थ या वस्तु घूर्णी तथा स्थानान्तरीय , दोनों प्रकार की गति कर सकती है। घूर्णन गति भी तीन अक्षों में हो सकती है जिस प्रकार स्थानान्तरीय गति होती है, इसलिए कोई भी ठोस वस्तु की स्वतंत्रता की कोटि 6 होती है , जिनमे 3 स्थानान्तरीय गति के कारण और 3 घूर्णन गति के कारण।

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Neer tembhre on 02-12-2021

Savtantrata ki koti ke example

Anita Ekka on 04-10-2020

Sunya swatantrata ki koti wale tantra kon h

Rajat Tiwari on 23-09-2020

स्वतंत्रता की कोटि

Ram Saran prajapati on 31-07-2020

Swatantrata ki koti se aap kya samjhte Hain. Isko uchit udahran dekar samjhaiye.

Chemistry on 31-07-2020

Swatantrata Ki Kothi se a aap kya samajhte udaharan sahit samjhaie

Shraddha on 29-07-2020

Swatantrata ki kothi ke udaharn

Shubham Dubey on 14-07-2020

Explain Digress of freedom in chemistry with example

Akanksha on 10-04-2020

Suatantrata ki koi

सुभाष on 25-06-2019

सल्फर तंत्र में यदि तिन प्रवस्थाएं Sr,Sm व्Sv किसी बिंदु पर साम्य हो तो इस बिंदु परस्वतंत्रता कोटि का क्या मन होगा?

राजुल् on 15-04-2019

Swatantrata ki koti in chemistry



स्वातंत्र्य कोटि क्या है

यदि किसी गतिकीय निकाय के विन्यास को पूर्णतः विनिर्दिष्ट करने के लिए आवश्यक स्वतंत्र निर्देशांकों की कुल संख्या को उस निकाय की स्वातंत्र्य कोटियाॅं ” कहते हैं। इसे f से प्रदर्शित करते हैं।
अर्थात् माना किसी कण की स्वातंत्र कोटि उन स्वतंत्र दिशाओं की संख्या है। जिनमें वह गति कर सकता है। उदाहरण के लिए

एक-परमाणुक गैस (A-nuclear gas in Hindi)

एक-परमाणुक गैस के अणु में केवल एक परमाणु होता है। जोकि दिक् स्थान में किसी भी दिशा में स्थानांतरण गति कर सकता है। तथा इस गति को तीन परस्पर लंबवत अक्षों के समांतर वियोजित किया जा सकता है। जैसे कि चित्र-1 में दिखाया गया है। तथा अणु के वेग v को X-अक्ष, Y-अक्ष तथा Z-अक्ष के समांतर घटकों a, b व c में वियोजित किया गया है। तथा (v2 = a2 + b2 + c2) है। इस प्रकार यह तीन स्वतंत्र दिशाओं में गति कर सकता है। अर्थात् इसकी स्वातंत्र्य कोटियाॅं 3 है।
चूंकि “एक परमाणुक गैस के अणु का अपने अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण बहुत कम होता है। अतः इसकी घूर्णन गतिज ऊर्जा उपेक्षीणिय होती है।” इस प्रकार, एक-परमाणुक गैस के अणु की घूर्णन गति की कोई स्वतंत्र्य कोटियाॅं नहीं होती है।

प्रावस्था घटक एवं स्वतंत्रता की कोटि से आप क्या समझते हैं? - praavastha ghatak evan svatantrata kee koti se aap kya samajhate hain?
स्वातंत्र्य कोटि- एक-परमाणुक गैस

द्वि-परमाणुक गैस (Double-atomic gas in Hindi)

यदि “द्वि-परमाणुक गैस का अणु दोनों परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के परितः भी घूर्णन गति कर सकता है। परंतु इस अक्ष के परितः अणु का जड़त्व आघूर्ण बहुत कम होता है। जिससे इस अक्ष के परितः घूर्णन गतिज ऊर्जा उपेक्षीणिय होती है।” अतः

प्रावस्था घटक एवं स्वतंत्रता की कोटि से आप क्या समझते हैं? - praavastha ghatak evan svatantrata kee koti se aap kya samajhate hain?
स्वातंत्र्य कोटि-द्वि-परमाणुक गैस

द्वि-परमाणुक गैस (जैसे- Cl2, O2, N2, H2 आदि) के अणु में दो परमाणु डम्बल की तरह आपस में बंधे रहते हैं। ऐसे अणु दिक् स्थान में स्थानांतरण गति के साथ-साथ दो स्वतंत्र अक्षों के परितः गति भी कर सकता है‌। ये दोनों अक्ष परमाणुओं को जोड़ने वाली रेखा के तथा एक-दूसरे के लम्बवत् होते है। जैसे कि चित्र-2a में दिखाया गया है। कि इस प्रकार द्वि-परमाणुक अणु की स्थानांतरण गति के लिए 3 स्वातंत्र्य कोटियां (एक-परमाणुक गैस के अणु की तरह) तथा घूर्णन गति के लिए 2 स्वातंत्र्य कोटियां है। अतः द्वि-परमाणुक गैस के अणुओं की कुल 5 स्वातंत्र्य कोटियाॅं होती है।

और पढ़ें… ऊर्जा समविभाजन का नियम

बहु-परमाणुक गैस (Multi-atomic gas in Hindi)

यदि जब किसी बहु-परमाणुक गैस (जैसे- CH4, O3, H2O आदि) के अणु (जिसके सभी परमाणु एक ही सरल रेखा में स्थित नहीं होते) तथा दिक् स्थान में स्थानांतरण गति के साथ-साथ तीन परस्पर लम्बवत् अक्षों के सापेक्ष घूर्णन गति कर सकता है। जैसा कि चित्र-2b में दिखाया गया है। तथा इस प्रकार,

बहु-परमाणुक गैस के अणु की स्वातंत्र्य कोटियां 6 हो जाती हैं। जिनमें से 3 को स्थानांतरण गति के लिए हैं। तथा 3 घूर्णन गति के लिए हैं। अर्थात् यदि द्वि-परमाणुक और बहु-परमाणुक अणुओं के परमाणु एक-दूसरे के सापेक्ष कम्पन भी कर सकते हैं। तब इन अणुओं की कम्पनिक गति के लिए स्वातंत्र्य कोटियों की संख्या बढ़ जाती है। अतः इस प्रकार ‘ स्वातंत्र्य कोटि’ की व्याख्या को स्पष्ट किया जा सकता है।

Note – सम्बन्धित प्रश्न –
Q. 1 स्वातंत्र्य कोटि का क्या अर्थ है ?
Q. 2 स्वातंत्र कोटि की व्याख्या कीजिए ?
Q. 3 स्वातंत्र्य कोटियाॅं किसे कहते हैं। चित्र की सहायता से इसकी व्याख्या को स्पष्ट कीजिए ?

Q. 4 स्वातंत्र्य कोटि के घटक और प्रावस्था को समझाइए ?

Q. 5 स्वतंत्रता की कोटि क्या है ? किसी अणु की स्वातंत्र्य कोटि से क्या तात्पर्य है ?

Q. 6 स्वतंत्रता की कोटि का उदाहरण, प्रावस्था घटक एवं स्वतंत्रता की कोटि से आप क्या समझते हैं ?

2 प्रावस्था घटक एवं स्वतंत्रता की कोटि से आप क्या समझते हैं?

किसी रासायनिक संतुलन तंत्र में स्वतंत्रता की कोटि को दर्शाने वाला नियम जिसके अनुसार स्वतंत्रता की कोटियों का मान घटकों व प्रावस्थाओं की संख्याओं के अंतर से दो अधिक होता है (F=C=P+2)। (P= प्रावस्था संख्या, C= घटक संख्या और F=स्वतंत्रता की कोटि)।

चरण घटक और स्वतंत्रता की डिग्री से आप क्या समझते हैं?

प्रदान करते हैं । विषय -सूची सूचना प्रौद्योगिकी अनुभाग अध्याय 1 परिचय ‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒‒.

स्वतंत्रता की कोटि से आप क्या समझते हैं इसका उचित उदाहरण द्वारा समझाइए?

किसी निकाय के स्वातंत्र्य कोटि (degrees of freedom) से आशय उस तन्त्र में उपस्थित प्राचलों (पैरामीटर्स) की संख्या से है जो परस्पर निर्भर न हों बल्कि स्वतन्त्र हों। उदाहरण के लिये, किसी समतल में स्थित बिन्दु यदि केवल उस समतल में चलने के लिये स्वतन्त्र है तो उसकी स्वातंत्र्य कोटि २ है।

दो प्रावस्था तंत्र में स्वतंत्रता की कोटि कितनी होती है?

स्थानान्तरीय स्वतंत्रा की कोटि जब कोई कण सतह पर गति करता है अर्थात दो दिशाओं या अक्षों में गति करता है तो उस कण की स्वतंत्रता की कोटि दो होती है। उदाहरण : फर्श पर किसी चींटी की गति। जब कोई कण स्वतंत्र आसमान में गति करता है अर्थात तीनों दिशाओं या अक्षों में गति करता है तो उस कण की स्वतंत्रता की कोटि तीन होती है।