प्रश्न 92. लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्त्व लिखिए। Show
उत्तर-लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्त्व निम्नलिखित कारणों से है— (1) ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अनुकूल- भारत की लगभग 58.4 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। लेकिन कृषकों को पूरे वर्ष भर काम नहीं मिल पाता है। अतः लघु उद्योग उनके लिए महत्वपूर्ण है और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी अनुकूल है। (2) बेरोजगारी में कमी- ये लघु उद्योग कम पूँजी निवेश के द्वारा अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करके बेरोजगारी दूर करते हैं। (3) आय की विषमता को दूर करने में सहायक- लघु उद्योगों का स्वामित्व लाखों व्यक्तियों व परिवारों के हाथ में होता है जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक शक्ति का केन्द्रीयकरण नहीं हो पाता है। (4) व्यक्तिगत एवं कला का विकास- लघु उद्योग व्यक्तिगत एवं कला को विकसित करने में सहायक होते हैं। (5) कृषि पर जनसंख्या के दबाव में कमी-भारत में कृषि पर पहले ही जनसंख्या का बड़ा भाग आश्रित है। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों का विकास कर दिया जाता है तो कृषि पर | जनसंख्या का भार कम हो जायेगा। (6) औद्योगिक विकेन्द्रीयकरण में सहायक- बड़े उद्योग तो कुछ विशेष बातों के कारण एक ही स्थान पर केन्द्रित हो जाते हैं, लेकिन लघु उद्योग गाँव व कस्बों में ही बिखरे होते हैं। (7) कम तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता- लघु उद्योगों की स्थापना में कम पूँजी के साथ-साथ कम तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। कर्मचारियों को कम प्रशिक्षण देकर भी काम चलाया जा सकता है। (8) शीघ्र उत्पादन उद्योग-इन उद्योगों की स्थापना से कुछ ही दिन में भरपूर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसीलिए इनको शीघ्र उत्पादन उद्योग कहते हैं। (9) विदेशी मुद्रा की प्राप्ति- लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है जो देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायता दे रहा है। (10) स्थानीय साधनों का प्रयोग-लघु उद्योग स्थानीय साधनों का उपयोग करते हैं। ये उद्योग ग्रामीणों व छोटे व्यक्तियों को उद्यमी बनाने तथा ग्रामीण बचतों को विनियोजित करने में सहायक होते हैं। भारत में लघु उद्योगों का योगदान कुल राष्ट्रीय उत्पादन में 10%, कुल औद्योगिक उत्पादन में 39%, रोजगार में 32% व देश के निर्यात में 35% है। लघु उद्योगों के महत्त्व के कारण ही इन्हें औद्योगिक नीतियों में मुख्य स्थान दिया गया है। लघु उद्योगों के लिए 590 वस्तुओं का उत्पादन सुरक्षित है। लघु उद्योग वे उद्योग हैं जो विनिर्माण, उत्पादन और सेवाओं के प्रतिपादन में छोटे पैमाने पर किए जाते हैं। निवेश की सीमा 5 करोड़ रुपये तक है जबकि वार्षिक मतदान सीमा 10 करोड़ रुपये तक है। कुटीर उद्योग आमतौर पर बहुत छोटे होते हैं और कॉटेज या निवास स्थानों में स्थापित होते हैं। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) एक वैधानिक संगठन है जो ग्रामोद्योग को बढ़ावा देता है जो कुटीर उद्योगों की भी मदद करता है।
लघु और कुटीर उद्योगों के बीच अंतर: लघु उद्योग में श्रम के बाहर श्रम का उपयोग किया जाता है जबकि कुटीर उद्योगों में पारिवारिक श्रम का उपयोग किया जाता है। SSI आधुनिक और पारंपरिक दोनों तकनीकों का उपयोग करता है। कुटीर उद्योग उत्पादन की पारंपरिक तकनीकों पर निर्भर करते हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 के प्रावधान के अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है:
यह IAS परीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। इस लेख में लघु और कुटीर उद्योगों के संबंध में प्रासंगिक जानकारी प्रदान की गई है। MSMEs का वर्गीकरण – तुलना
लघु उद्योगों का योगदानआर्थिक विकास की दिशा में लघु उद्योगों के प्रमुख योगदान नीचे दिए गए हैं:
देश भर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अन्य सेवाओं में लाख रुपये।
महत्वपूर्ण तथ्य: 1.मूल रूप से, लघु उद्योग मंत्रालय था, हालांकि, कृषि और ग्रामीण उद्योग मंत्रालय के साथ 9 मई 2007 को एमएसएमई मंत्रालय में विलय किया गया था। 2.सितंबर 2015 में, उद्योग आधार ज्ञापन (यूएमए) ने जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) में पंजीकरण करने के लिए पहले छोटे पैमाने की इकाइयों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रणाली को बदल दिया। लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकारी उपायसंगठनात्मक उपाय
वित्तीय उपाय
राजकोषीय उपाय
तकनीकी सहायता
एसएसआईएस के लिए मदों का आरक्षण
कुटीर और लघु उद्योग की समस्याएंकुटीर और लघु उद्योगों के सामने आने वाली प्रमुख समस्याएं नीचे दी गई हैं:
भारत में लघु एवं कुटीर उद्योग का क्या महत्व है?लघु एवं कुटीर उद्योग अपनी वस्तुओं का उत्पादन करके राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान देते है। यदि इनके तकनीकी स्तर पर सुधार किया जाय एवं बिजली से संचालित मशीनों के उपयोग की सुविधाएं इन्हे प्रदान की जाएं तो लघु उद्योगों की उत्पादकता में सुधार किया जा सकता है और राष्ट्रीय उत्पादन में इनके और अधिक योगदान की आशा की जा सकती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कुटीर उद्योग का क्या महत्व है?कुटीर उद्योगों में इस्तेमाल होने वाला अधिकतर कच्चा माल कृषि क्षेत्र से आता है अतः किसानों के लिये अतिरिक्त आय की व्यवस्था कर यह भारत की कृषि-अर्थव्यवस्था को बल प्रदान करता है। इनमें कम पूंजी लगाकर अधिक उत्पादन किया जा सकता है और बड़ी मात्रा में अकुशल बेरोज़गारों को रोज़गार मुहैया कराया जा सकता है।
कुटीर उद्योग का क्या महत्व है?प्रथम- कुटीर उद्योग श्रम सघन होते हैं। कुटीर उद्योगों में विनियोग की गई राशि भारी उद्योग में लगी बराबर राशि से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर सकती है। भारत जैसे देश में जहां आंशिक रोजगार युक्त या बेरोजगार लोगों की संख्या बहुत अधिक है यह महत्व की बात है।
भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों की समस्या क्या है?( 6 ) अकुशल कारीगरों की समस्या (Problem in Inefficient Workers) – कुटीर एवं लघु उद्योगों में अकुशल श्रमिकों की एक प्रमुख समस्या है, क्योंकि लघु उद्यमी न्यूनतम मजदूरी पर श्रमिकों को उद्योग में रखते हैं, इसका कुप्रभाव उत्पादन पर पड़ता है। अतः असल मजदूरी न मिलने के कारण भी कुशल कारीगर उपलब्ध नहीं होते हैं।
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