यातायात का सबसे शीघ्रतम साधन क्या है? - yaataayaat ka sabase sheeghratam saadhan kya hai?

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 23 Means of Transport (यातायात के साधने)

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 23 Means of Transport (यातायात के साधने)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
भारत में सड़क मार्गों के प्रकार तथा मुख्य सड़क मार्गों का वर्णन करते हुए पंचवर्षीय योजनाओं में इनके विकास पर प्रकाश डालिए।
या
टिप्पणी लिखिए-भारत में सड़क-यातायात। [2010]
या
भारत में सड़क परिवहन के विकास का विवरण दीजिए। [2011, 13]
उत्तर
भारत में सड़क परिवहन – आदिकाल से ही भारत के परिवहन पथों में सड़कों का सर्वाधिक महत्त्व है। भारतीय सड़कों का जाल विश्व का सबसे बड़ा सड़क जाल है। यात्री एवं सामान, दोनों दृष्टियों से सड़क यातायात का कुल यातायात में प्रतिशत बहुत तीव्रता से बढ़ा है। सड़कें राष्ट्रीय जीवन की धमनियाँ हैं। प्रमुख वस्तुओं को लाने-ले जाने, निर्यातक वस्तुओं को पत्तनों तक पहुँचाने, आयात की गयी वस्तुओं को देश के आन्तरिक भागों में भेजने आदि ऐसे कार्य हैं जो सड़क मार्गों द्वारा ही सम्भव हो पाये हैं। सड़क परिवहन के प्रमुख गुण उसकी लचक, सेवा का व्यापक क्षेत्र, माल की सुरक्षा, समय की बचत और बहुमुखी एवं सस्ती सेवा को होना है।

सड़कों के प्रकार
Types of Roads

भारत में 41 लाख किमी से अधिक लम्बे सड़कमार्ग हैं जो विश्व के विशालतम सड़क जालों में से एक है। इनमें निम्नलिखित प्रकार के सड़क मार्ग सम्मिलित हैं –
(1) राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways) – ये मार्ग आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। इन सड़कों द्वारा राज्य की राजधानियों, बड़े-बड़े औद्योगिक तथा व्यापारिक नगरों और पत्तनों को परस्पर मिला दिया गया है। सन् 1980 तक 4,269 किमी लम्बी सड़कें बनायी गयी थीं जो राष्ट्रीय राजमार्गों को परस्पर जोड़ती हैं। वर्ष 2001-2002 में इन मार्गों की लम्बाई 58,112 किमी हो गयी थी। देश को म्यांमार, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और तिब्बत से भी ये सड़कें मिलाती हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय राजमार्ग देश की कुल सड़कों का केवल 4% है। वर्ष 2011-12 के अनुसार इनकी कुल लम्बाई 70,934 किमी है तथा इन मार्गों पर देश का लगभग 40% सड़क परिवहन होता है। केन्द्र सरकार द्वारा 15 जून, 1989 ई० को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन किया गया है।

(2) प्रान्तीय राजमार्ग (State Highways) – ये सड़कें राष्ट्रीय राजमार्गों अथवा निकटवर्ती राज्यों की सड़कों से जोड़ दी गयी हैं। इन सड़कों के निर्माण तथा उन्हें ठीक दशा में रख-रखाव का दायित्व राज्य सरकारों पर होता है। इनकी कुल लम्बाई 1,54,522 हजार किमी है।

(3) स्थानीय अथवा जिले की सड़कें (Local or District Roads) – ये सड़कें जिले के विभिन्न भागों को जोड़ती हैं। इनकी लम्बाई लगभग 4.68 लाख किमी है। इन सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्गों, प्रान्तीय राजमार्गों तथा रेलमार्गों से भी जोड़ा गया है। इनके निर्माण एवं रख-रखाव का दायित्व जिला सार्वजनिक अथवा लोक निर्माण विभाग का होता है।

(4) गाँव की सड़कें (Village Roads) – विभिन्न ग्रामों को परस्पर मिलाने के साथ-साथ ये सड़कें अपने जिले तथा राजमार्गों से भी मिली हैं। ये ग्रामीण जीवन की गतिशीलता के लिए अति महत्त्वपूर्ण हैं। देश की लगभग 26.5 लाख किमी लम्बी ग्रामीण सड़कें हैं जो अधिकतर कच्ची हैं। इनका रख-रखाव एवं निर्माण जिला परिषदों एवं ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है।

भारत के प्रमुख सड़क मार्ग
Major Road Routes of India

भारत के प्रमुख सड़क मार्ग निम्नलिखित हैं –

  1. ग्राण्ड ट्रंक रोड (Grand Trunk Highway) – भारत की यह सबसे प्रमुख एवं प्राचीन सड़क है, जो कोलकाता को अमृतसर से जोड़ती है। यह कोलकाता से आसनसोल, धनबाद, सासाराम, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, अलीगढ़, दिल्ली, करनाल, अम्बाला, लुधियाना, जालन्धर होती हुई अमृतसर तक चली गयी है। इसकी एक शाखा जालन्धर से श्रीनगर तक जाती है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पूर्व यह अमृतसर को पेशावर से जोड़ती थी।
  2. कोलकाता-चेन्नई राजमार्ग (Kolkata-Chennai Highway) – यह मार्ग कोलकाता से खड़गपुर, सम्बलपुर, विजयवाड़ा और गुण्टूर होते हुए चेन्नई तक गया है।
  3. मुम्बई-आगरा राजमार्ग (Mumbai-Agra Highway) – यह सड़क मार्ग मुम्बई से नासिक, धूलिया, इन्दौर और ग्वालियर होता हुआ आगरा तक जाता है।
  4. ग्रेट दक्कन रोड (Great Deccan Highway) – यह सड़क मार्ग मिर्जापुर से जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद होते हुए बंगलुरु तक चला गया है। मिर्जापुर से एक छोटे सड़क मार्ग द्वारा इसे माधो सिंह के समीप ग्राण्ड ट्रंक रोड से मिला दिया गया है। इसे वाराणसी-कन्याकुमारी राजमार्ग भी कहते हैं।
  5. कोलकाता-मुम्बई राजमार्ग (Kolkata-Mumbai Highway) – यह राजमार्ग कोलकाता से खड़गपुर, सम्बलपुर, नागपुर, धूलिया, आमलनेर होते हुए मुम्बई-आगरा राजमार्ग से मिल जाता है।
  6. चेन्नई-मुम्बई राजमार्ग (Chennai-Mumbai Highway) – यह मार्ग मुम्बई से पूना, बेलगाम, बंगलुरु होते हुए चेन्नई तक गया है।
  7. पठानकोट-जम्मू राजमार्ग (Pathankot-Jammu Highway) – यह सड़क मार्ग पठानकोट से जम्मू तक जाता है। यहाँ से इसका सम्बन्ध श्रीनगर जाने वाली सड़क से है।
  8. गुवाहाटी-चेरापूँजी राजमार्ग (Guwahati-Cherrapunji Highway) – यह सड़क मार्ग गुवाहटी से शिलांग होते हुए चेरापूंजी तक गया है।
  9. दिल्ली-मुम्बई राजमार्ग (Delhi-Mumbai Highway) – यह मार्ग दिल्ली से जयपुर, अजमेर, उदयपुर, अहमदाबाद, सूरत होते हुए मुम्बई तक जाता है।
  10. लखनऊ-बरौनी राजमार्ग (Lucknow-Barauni Highway) – यह मार्ग लखनऊ से गोरखपुर, मुजफ्फरपुर होते हुए बरौनी तेक जाता है। इसकी एक शाखा मुजफ्फरपुर से नेपाल सीमा तक जाती है।
  11. दिल्ली-लखनऊ राजमार्ग (Delhi-Lucknow Highway) – यह मार्ग दिल्ली से गाजियाबाद, हापुड़, गढ़, गजरौला, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली व हरदोई होते हुए लखनऊ तक गया है।

पंचवर्षीय योजनाओं में सड़क मार्गों का विकास
Development of Road Routes in Five Year Plans

पंचवर्षीय योजनाओं में सड़क मार्गों का विकास एवं उनके पुनर्निर्माण पर अधिक ध्यान दिया गया है। सन् 1991 में भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई 34,058 किमी थी। कुल-सड़कों की लम्बाई में राष्ट्रीय सड़कें 2% हैं। इनके द्वारा देश का 35% से 40% तक सड़क परिवहन होता है। इस समय पक्की संडंकों की लम्बाई 262,700 किमी से बढ़कर 6,23,402 किमी तक पहुँच गयी है। इससे स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास को प्रमुखता दिया जाना अति आवश्यक हैं। इनके अतिरिक्त निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण सड़कों को भी प्राथमिकता देने का प्रावधान किया गया था –

  1. सामरिक महत्त्व की सड़कें,
  2. अन्तर्राज्यीय अथवा आर्थिक महत्त्व की सड़कें एवं
  3. सीमान्त क्षेत्रों में सड़क संचार की सुविधा।

देश में राज्यों की सडेकों के विकास के लिए न्यूनतम आवश्यकताकार्यक्रम स्वीकार किया गया है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण का कार्यक्रम सम्मिलित है। इस परियोजना के अनुसार ऐसा ग्राम जिसकी जनसंख्या 1,500 या उससे अधिक है, राजमार्गों से जोड़े जाने का प्रावधान रखा गया है। देश के पिछड़े क्षेत्रों तथा पर्वतीय, जनजातीय, मरुस्थलीय एवं तटीय क्षेत्रों में, जहाँ बिखरी जनसंख्या निवास करती है, वहाँ एक समूह के रूप में सड़कों का विकास किया जाएगा। इस आधार पर 20,000 ग्रामों को जिला मुख्यालयों से मिलाने वाली सड़कों से जोड़ा जाएगा। इस विकास के लिए हैं 1164.90 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

नागपुर सड़क योजना (Nagpur Road Plan) – इस योजना के अन्तर्गत सन् 1943 में सड़कों के विकास की एक दीर्घकालीन योजना तैयार की गयी थी, जिसे ‘नागपुर सड़क योजना’ के नाम से पुकारा जाता है। आगामी 20 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर कुछ लक्ष्य निर्धारित किये गये थे। संशोधित योजना के अनुसार 5.2 लाख किमी लम्बी सड़कें बनाने का निश्चय किया गया था।

बीस-वर्षीय सड़क विकास योजना (Twenty-Year Road Development Programme) – द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अन्त में नागपुर सड़क योजना में निर्धारित लक्ष्यों की समीक्षा की गयी तथा पाया गया कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन होगा। अत: राज्य सरकारों की एक समिति ने सन् 1960 से एक 20 वर्षीय सड़क योजना निर्धारित की, जिसके अन्तर्गत राष्ट्रीय सड़कों में 132%, राज्य सड़कों में 100%, जनपद सड़कों में 80% एवं ग्राम सड़कों में 43% वृद्धि के लक्ष्य अपनाये गये। इस योजना में देश के चहुंमुखी विकास का ध्यान रखा गया है। इसमें दो प्राथमिकताएँ रखी गयी थी –

  • सभी प्रमुख सड़कों पर जहाँ-जहाँ पुल छूटे हैं, इन्हें तैयार किया जाए तथा सड़कों को डामर से पक्का किया जाए।
  • नगरों को निकटवर्ती ग्रामों से जोड़ने वाली सड़कों को न केवल चौड़ा बनाया जाए, बल्कि उन पर एक तरफा यातायात की सुविधा भी प्रदान की जाये।

सड़क विकास की इस दीर्घकालीन योजना के पूर्ण होने पर भारत के प्रति 100 वर्ग किमी क्षेत्रफल के पीछे 32 किमी लम्बी सड़क होगी। कोई भी केन्द्र समीपवर्ती राष्ट्रीय राजमार्ग से 60 से 96 किमी से अधिक दूरी पर नहीं होगा। इस योजना पर १ 5,200 करोड़ के व्यय का अनुमान किया गया था। इस योजना के कार्यान्वित हो जाने पर देश में 10,51,200 किमी लम्बी सड़कें हो जाएँगी, परन्तु इनका विकास हो जाने के उपरान्त भी जनसंख्या के अनुपात में सड़क परिवहन विकसित रूप में नहीं हो सकेगी।

प्रश्न 2
भारत की रेलों पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
या
टिप्पणी लिखिए-भारत में रेल यातायात।
या
भारत में रेलमार्गों के विकास तथा महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
किसी देश के आर्थिक विकास में एक यातायात के साधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन तथा व्यापार आदि यातायात साधनों के विकास से प्रत्यक्ष रूप से सम्बद्ध होते हैं। वास्तव में यातायात के साधन स्वयं उत्पादन की एक प्रक्रिया है, क्योंकि इसके द्वारा देश भर के उपभोक्ताओं को वस्तुओं एवं सेवाओं को भेजने के लिए परिवहन साधनों एवं मार्गों की आवश्यकता पड़ती है। मानव एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवागमन के लिए इन्हीं साधनों का उपयोग करता है। भारत में यातायात साधनों में सड़कों, रेलों, आन्तरिक जलमार्गों एवं वायुमार्गों का महत्त्व अत्यधिक है। संलग्न तालिका इनके सापेक्षिक महत्त्व को प्रकट करती है।

यातायात का सबसे शीघ्रतम साधन क्या है? - yaataayaat ka sabase sheeghratam saadhan kya hai?

रेलमार्ग
Railways

देश के आन्तरिक परिवहन में रेलों का महत्त्व सर्वाधिक है। रेलों द्वारा प्रतिदिन बहुत-सा माल एवं यात्री ढोये जाते हैं। भारतीय रेलें (31 मार्च, 2013 ई० तक) 65,000 किमी की दूरी तय कर रही हैं। इस दृष्टिकोण से यह एशिया में प्रथम तथा विश्व में चौथे स्थान पर है। देश में रेलों द्वारा प्रतिदिन 14.5 लाख किमी दूरी तय की जाती है। रेलवे के पास 9,549 इंजन, 59,713 यात्री-डिब्बे, 4,827 अन्य सवारी के डिब्बे (कोच) तथा 2,39,281 माल डिब्बे (वैगन) है तथा 20,838 रेले हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के इस प्रतिष्ठान में र8,882.2 करोड़ की पूँजी लगी है। देश में 7,500 रेलवे स्टेशन हैं। वर्ष 2013 तक 23,541 किमी रेलमार्गों का विद्युतीकरण कर दिया गया है।

भारत में रेलमार्गों का विकास
Development of Railways in India

भारत में रेलमार्गों का विकास 19वीं शताब्दी से प्रारम्भ हुआ है। पहला रेलमार्ग सन् 1853 में ग्रेट इण्डियन पेनिनसुला था जो थाणे से मुम्बई के मध्य 34 किमी लम्बाई में बनाया गया। दूसरा रेलमार्ग 1854 में ही कोलकाता से पंडुवा के मध्य 63 किमी लम्बाई में बनाया गया। सन् 1950-51 में देश में रेलमार्गों की लम्बाई 59,315 किमी थी जो सन् 2002 में बढ़कर 82,354 किमी हो गयी थी। अब बढ़कर 1,15,000 किमी है। अब इनमें 56% बड़ी लाईन, 37% छोटी लाइन तथा 7% सँकरी लाइन हैं। बड़ी लाइन की चौड़ाई 1,676 मीटर, छोटी लाइन की चौड़ाई 1 मीटर तथा सँकरी लाइन की चौड़ाई 0.762 मीटर होती है। इनमें से सँकरी लाइन को समाप्त किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

भारतीय रेलों की प्रशासनिक व्यवस्था – भारतीय रेलों का संचालन केन्द्र सरकार के आधिपत्य में है। सन् 1949 तक भारतीय रेल व्यवस्था के अन्तर्गत 9 सरकारी और 28 देशी रियासतों की रेलवे प्रणालियाँ थीं जबकि वर्तमान में भारत में 17 रेल-क्षेत्र हैं। आर्थिक एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से इन छोटे-बड़े रेलमार्गों को 1950 ई० में 8 भागों में बाँटा गया। 1966 ई० में एक क्षेत्र और बढ़ा दिया गया। 14,856 किमी मार्ग का विद्युतीकरण हो चुका है जो कुल रेलमार्गों की लम्बाई का 18.8% है। इन रेलमार्गों पर 11,900 रेलगाड़ियाँ 7500 स्टेशनों पर प्रतिदिन आती-जाती हैं। इन रेलगाड़ियों द्वारा प्रतिदिन 14.5 लाख किमी की दूरी तय की जाती है। यात्री-गाड़ियों की दृष्टि से प्रतिदिन लगभग 12,617 यात्री-गाड़ियाँ चलती हैं तथा 41,530 लाख यात्री लगभग 62,300 किमी से भी अधिक दूरी की यात्रा करते हैं। वर्तमान समय में देश के रेलमार्गों को 17 भागों में बाँटकर संचालित किया जा रहा है।

सबसे तेज चलने वाला यातायात का साधन क्या है?

वायु परिवहन यातायात की सबसे तेज गति का साधन है।

यातायात का सबसे महंगा साधन कौन सा है?

Solution : हवाई जहाज अधिक महंगा है।

सबसे तेज वाहन कौन सा है?

2021 Koenigsegg Jesko Absolut वर्तमान समय में यह कार दुनिया की सबसे तेज चलने वाली कार है. इसकी टॉप स्पीड 531 किलोमीटर प्रति घंटा है.

यातायात के साधन कौन से हैं?

सबसे प्रमुख परिवहन के साधन हैं हवाई परिवहन, रेल परिवहन सड़क परिवहन और जल परिवहन, लेकिन अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं जिनमें पाइप लाइन, केबल परिवहन, अंतरिक्ष परिवहन और ऑफ-रोड परिवहन भी शामिल हैं