विश्वामित्र जी के पिताजी का नाम क्या था? - vishvaamitr jee ke pitaajee ka naam kya tha?

विश्वामित्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक प्रसिद्ध ब्रह्रर्षि जो गाधिज, गाधेय और कौशिक भी कहै जाते हैं । विशेष—विश्वामित्र कान्यकुब्ज के पुरुवंशी महाराज गाधि के पुत्र थे, परंतु क्षत्रिय कुल में जन्म लेने पर भी अपने तपोबल से ब्रह्मर्षियो में पारगणित हुए । ऋग्वेद के अनेक मंत्र ऐसे हैं जिनके द्रष्टा वश्वमित्र अथवा उनके वंशज माने जाते हैं । इनका विश्वामित्र नाम ब्राह्मणत्व प्राप्त करने पर पड़ा था; नहीं तो इनका पहला क्षत्रिय दशा का नाम 'विश्वरथ' था । ऋग्वेद में अनेक मंत्र ऐसे मिलते हैं जिनसे सिद्ध होता है कि ये यज्ञों में पुरोहित का कार्य करते थे, और वृत्ति के संबंध मे ं इनमें तथा वशिष्ठ में बहुत समय तक बराबर झगड़े बखेड़े होते रहते थे । पुराणों में लिखा है कि राजा गाधि को सत्यवती नाम की एक सुंदरी कन्या उत्पन्न हुई थी । वह कन्या उन्होंने ऋचीक ऋषि को के दी थी । ऋचोक ने एक बार दो अलग अलग चरु तैयार करके अपनी स्त्री सत्यवती को दिए थे और कहा था कि इसमें से यह एक चरु तो तुम खा लेना जिसमें तुम्हें ब्राह्मणों के गुण से संपन्न एक पुत्र होगा; और एक दूसरा चरु अपनी माता को दे देना जिससे उन्हें क्षत्रियों के गुणवाला एक बहुत तेजस्वी पुत्र उत्पन्न होगा । इसी बीच में राजा गाधि अपनी स्त्री सहित वहाँ आए । सत्यवती ने वे दोनों चरु अपनी माता के सामने रख दिए और उनका गुण बतला दिया । माता ने समझा कि ऋचीक ने अपनी स्त्री के लिये बढ़िया चरु तैयार किया होगा; इसलिये उसने उसका चरु तो आप खा लिया और अपना उसे खिला दिया । इससे उसके गर्भ से तो विश्वामित्र का जन्म हुआ, जिसमें क्षत्रिय होने पर भी ब्राह्मणों के से गुण थे, और सत्यवती के गर्भ से जमदग्नि का जन्म हुआ जो ब्राह्मण होने पर भी क्षत्रियों के गुणों से संपन्न थे । विश्वामित्र को शुनःशेफ, देवरात, देवश्रवा, हिरण्याक्ष, गालव, जय, अष्टक, कच्छप, नारायण, नर आदि सौ पुत्र उत्पन्न हुए थे, जिनके कारण इनके कौशिक वंश की बहुत अधिक वृद्धि हुई थी । कहते हैं, एक बार जब विश्वामित्र ने बहुत बड़ा तप किया था, तब इंद्र तथा समस्त देवताओंने भयभीत होकर मेनका नामक अप्सरा को उनका तप भंग करने के लिये भेजा था । इसी मेनका से विश्वामित्र को शकुंतला नामक कन्या उत्पन्न हुई थी जो दुष्यंत को ब्याही गई थी । यह भी प्रसिद्ध है कि इक्ष्वाकु वंश के राजा त्रिशंकु ने एक बार सशरीर स्वर्ग जाने की कामना से एक यज्ञ करना चाहा था । परंतु उनके पुरोहित वशिष्ठ ने कहा कि ऐसा होना असंभव है । इसपर त्रिशंकु ने विश्वामित्र की शरण ली और विश्वामित्र ने उन्हें सशरीर स्वर्ग पहुँचा दिया । यह भी कहा जाता है कि विश्वामित्र बहुत बड़े क्रोधी थे और प्रायः लोगों को शाप दे दिया करते थे । राजा हरिश्चंद्र के सत्य की सुप्रसिद्ध परीक्षा लेनेवाले भी यही माने जाते हैं । पुराणों में इनके संबंध में इसी प्रकार की और भी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं ।

   अ    आ    इ    ई    उ    ऊ    ए    ऐ    ओ    औ    अं    क    ख    ग    घ    ङ    च    छ    ज    झ    ञ    ट    ठ    ड    ढ    ण    त    थ    द    ध    न    प    फ    ब    भ    म    य    र    ल    व    श    ष    स    ह    क्ष    त्र    ज्ञ    ऋ    ॠ    ऑ    श्र    अः

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मुझसे पूछा विश्वामित्र के माता-पिता का क्या नाम था तो मैं आपको बताना चाहूंगा दोस्तों विश्वामित्र की माता पिता का नाम वायु पुराण के अनुसार इनके पिता का नाम शासक था और उनकी माता का नाम पुरुष पुरुष की कन्या थी इनकी माता पुरुष की कन्या थी यह जो मैंने आपको बताया है यह वायु पुराण के अनुसार मैंने आपको विश्वामित्र के माता पिता का नाम बताएं धन्यवाद

mujhse poocha vishwamitra ke mata pita ka kya naam tha toh main aapko batana chahunga doston vishwamitra ki mata pita ka naam vayu puran ke anusaar inke pita ka naam shasak tha aur unki mata ka naam purush purush ki kanya thi inki mata purush ki kanya thi yah jo maine aapko bataya hai yah vayu puran ke anusaar maine aapko vishwamitra ke mata pita ka naam bataye dhanyavad

मुझसे पूछा विश्वामित्र के माता-पिता का क्या नाम था तो मैं आपको बताना चाहूंगा दोस्तों विश्व

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विश्वामित्र जी के पिताजी का नाम क्या था? - vishvaamitr jee ke pitaajee ka naam kya tha?
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विश्वामित्र जी के पिता का नाम गांधी गांधी है

vishwamitra ji ke pita ka naam gandhi gandhi hai

विश्वामित्र जी के पिता का नाम गांधी गांधी है

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विश्वामित्र जी के पिताजी का नाम क्या था? - vishvaamitr jee ke pitaajee ka naam kya tha?

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विश्वामित्र जी के पिता कौन थे?

गाधिविश्वामित्र / पिताnull

क्या विश्वामित्र क्षत्रिय थे?

ऋषि विश्वामित्र एक क्षत्रिय महाराजा थे, जिनका जन्म कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को एक राज परिवार में हुआ था। उन्होंने गायत्री मंत्र का जप किया और राजा से साधु हो गए थे