पान का पत्ता कैसे चढ़ाया जाता है? - paan ka patta kaise chadhaaya jaata hai?

आज हम आपको पान के ऐसे कुछ उपाय बताएंगे जिन्हें आजमाकर जीवन में धन, सुख, समृद्धि, सफलता, उन्नति और शांति प्राप्त कर सकते हैं।

मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमानजी को अच्छे से बनाया गया बीड़ा अर्पित किया जाए तो सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। बीड़ा अर्पित करने का अर्थ है कि अब से हनुमानजी आपका बीड़ा उठाएंगे।

मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमानजी को विशेष पान चढ़ाएं। इस दिन तेल, बेसन और उड़द के आटे से बनाई हुई हनुमानजी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करके तेल और घी का दीपक जलाएं तथा विधिवत पूजन कर पूआ, मिठाई आदि का भोग लगाएं। इसके बाद 27 पान के पत्ते तथा गुलकंद, सौंफ आदि मुख शुद्धि की चीजें लेकर इनका बीड़ा बनाकर हनुमानजी को अर्पित करें।

इस पान में केवल ये पांच चीज़ें डलवाएं: कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बूरा और सुमन कतरी। पान बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें चूना एवं सुपारी नहीं हो। साथ ही यह पान तंबाकू लगे हाथ से नहीं बनना चाहिए।

हनुमानजी का विधि-विधान से पूजन करने के बाद यह पान हनुमानजी को अर्पण करें और साथ ही प्रार्थना करते हुए कहें, ‘हे हनुमानजी, आपको मैं यह मीठा रस भरा पान अर्पण कर रहा हूं। इस मीठे पान की तरह आप मेरा जीवन भी रसीला कर दीजिए, मिठास से भर दीजिए’। हनुमानजी की कृपा से कुछ ही दिनों में आपकी हर समस्या दूर हो जाएगी।

पान का दान : ताम्बूल अर्थात् पान होता है। पान का दान करने से मनुष्य पापों से छुटकारा पा जाता है, जबकि पान खाने से पाप होता है। वह पाप पान (ताम्बूल) दान करने से नष्ट हो जाता है।

नजरदोष : पान का पत्ता नकारात्मक उर्जा को दूर करने वाला और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला भी माना जाता है इसलिए नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की सात पंखुड़ियां रखकर खिलाएं।

भगवान शिव को अर्पित करें विशेष पान : यह बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान शिव को पान भी अर्पित किया जाता है। सावन माह में अगर भगवान शिव को विशेष पान अर्पित किया जाए तो हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।

इस विशेष पान में केवल कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बुरा और सुमन कतरी डली हुई होती है। महादेव का पूजन कर नैवेद्य के पश्चात उनको पान अर्पण करें।

बिक्री बढ़ाने का उपाय : यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी ने तांत्रिक क्रिया करके आपकी दुकान बांध दी है तो आप शनिवार प्रात: पांच पीपल के पत्ते और 8 पान के साबूत डंडीदार पत्ते लेकर उन्हें एक ही धागे में पिरोकर दुकान में पूर्व की ओर बांध दें। ऐसा कम से कम पांच शनिवार करें। पुराने पत्तों को किसी नदी या कुएं में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से आपकी बिक्री बढ़ेगी।

सुबह स्नान कर घर के देवालय या श्रीगणेश मंदिर में जाकर मूर्ति के समक्ष एक पान के पत्ते पर सिंदूर में घी मिलाकर या कुमकुम से रंगे चावल से स्वस्तिक बनाएं। अब उस पर कलावे यानी लाल नाड़े में एक सुपारी लपेटकर रखें। यह श्रीगणेश स्वरूप मानी जाती है। इस सुपारी की पूजा अच्छे से करेंगे तो मंगल होगा।

रुके काम शुरू होंगे : यदि आप रविवार को एक पान का पत्ता लेकर घर से बाहर निकलेंगे तो आपके रुके हुए सभी कार्य संपन्न होना शुरू हो जाएंगे।

विवाह हेतु : होने वाले जीवनसाथी को अपने प्रति आकर्षित करने के लिए तांबूल यानि पान के पत्ते की जड़ को घिसकर तिलक लगाएं। ऐसा करने से विवाह हेतु देखने आए लोग मोहित हो जाएंगे और आपका विवाह पक्का हो जाएगा।

होली के दिन का उपाय : घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में देशी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताश और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए। इसके बाद होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए। इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है तथा हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं।

पति प्रेम हेतु : शुक्ल पक्ष के प्रारंभ में एक पान का पत्ता लें। उस पर चंदन और केसर का पाउडर मिला कर रखें। फिर दुर्गा माताजी के सामने बैठकर दुर्गा स्तुति में से चंडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें। पान का पता रोज नया लें। रोज प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें। 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाहित कर दें।

चंडी पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगाकर पति के सामने जाएं। इस उपाय से पति का प्रेम आप पर बना रहेगा। यह उपाय किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करना चाहिए।

चाल चक्र के इस स्पेशल एपिसोड में ज्योतिष गुरु शैलेंद्र पांडे बताएंगे कि पान के पत्ते का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व क्या है? दरअसल पान का पत्ता एक विशेष लता का पत्ता है. यह शौक के लिये और औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. यह पाचन तंत्र को अच्छा और शरीर को विषमुक्त करता है. भारतवर्ष में इसे प्राचीनकाल से काफी पवित्र माना जाता है. इसका उल्लेख वेदों में भी किया गया है. लगभग हर तरह के पूजा अनुष्ठान में इसका प्रयोग होता है. इसको शुभ कार्य की शुरुआत के लिये भी प्रयोग करते हैं. देवी की उपासना में पान के पत्ते से विशेष मनोकामनायें पूरी की जा सकती हैं. देखें

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पान का पत्ता एक विशेष लता का पत्ता है. इसका प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. यह पाचन तंत्र को अच्छा और शरीर को विषमुक्त करता है. भारत में इसे प्राचीनकाल से काफी पवित्र माना जाता है. यहां तक की इसका उल्लेख वेदों में भी किया गया है.  लगभग हर तरह के पूजा अनुष्ठान में इसका प्रयोग होता है. इसको शुभ कार्य की शुरुआत के लिये भी प्रयोग करते हैं. देवी की उपासना में पान के पत्ते से विशेष मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं.

पान के विशेष प्रयोग के लिए किन बातों का ध्यान रखें?

पान का पत्ता पूरा होना चाहिए और इसमें डंठल लगी होनी चाहिए. पान का पत्ता कहीं से भी कटा-फटा न हो. पूजा और प्रयोग के लिए हरे पान का पत्ता ही प्रयोग करें.

शीघ्र विवाह के लिये पान के पत्ते का प्रयोग

सिन्दूर को घी में मिलाकर पेस्ट बना लें. पान के पत्ते पर चिकनी तरह इस पेस्ट से अपना नाम लिखें. इसको चिकनी तरफ से ही देवी को अर्पित करें. ये प्रयोग नवरात्रि में लगातार तीन दिन करें.

धन लाभ के लिये पान के पत्ते का प्रयोग

नवरात्रि में रोज शाम को मां लक्ष्मी की कपूर से आरती करें. इसके बाद पान के पत्ते पर गुलाब की पंखुड़ियां रखकर उन्हें अर्पित करें. नवरात्रि के बाद ये प्रयोग हर पूर्णिमा की रात्रि को करते रहें.

पान का पत्ता कैसे चढ़ाएं?

हनुमान जी को इस तरह अर्पित करें पान का पत्ता धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी को पान का पत्ता अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसके लिए व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत होकर हनुमान मंदिर में पान का पत्ता हनुमान जी के चरणों में अर्पित करना चाहिए.

शिवलिंग पर पान का पत्ता चढ़ाने से क्या होता है?

सभी देवी-देवताओं की उपस्तिथि होने के कारण ही पान के पत्ते को विधिवत पूजन में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि पान के पत्ते को शिवलिंग पर अर्पित करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

पूजा में पान कैसे रखा जाता है?

दक्षिण भारतीय मां को ऐसे अर्पित करते हैं पान दक्षिण भारत में तो पान के पत्ते के बीच पान का बीज एवं साथ ही एक रुपये का सिक्का रखकर भगवान को चढ़ाया जाता है। यहां किसी भी शुभ कार्य में भगवान से प्रार्थना करते समय पत्ते के भीतर पान का बीज तथा एक रुपये का सिक्का रखा जाता है।

भगवान को पान क्यों चढ़ाया जाता है?

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य से पहले या पूजा पाठ के दौरान पान के पत्ते के जरिए भगवान का नमन किया जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया था। यही वजह है कि पूजा में पान के पत्ते के इस्तेमाल का विशेष महत्व है।