श्री कृष्ण भगवान के गुरु कौन हैं? - shree krshn bhagavaan ke guru kaun hain?

श्री कृष्ण और बलराम जी के गुरु का नाम ऋषि सांदीपनि था. क्या आप जानते हैं श्री कृष्ण और बलराम ने अपने गुरु को क्या गुरु दक्षिणा दी? 

श्री कृष्ण भगवान के गुरु कौन हैं? - shree krshn bhagavaan ke guru kaun hain?


 श्री कृष्ण और बलराम ने कंस वध के बाद अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव को रिहा करवाया और राज्य नाना उग्रसेन को सौंप दिया. वसुदेव जी ने कृष्ण और बलराम को शिक्षा प्राप्ति के लिए   ऋषि  सांदीपनि के आश्रम उज्जैन में दे भेज दिया . वही पर उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी . 

उन्होंने दोनों को वेद पुराण की शिक्षा के साथ-साथ धनुर्विद्या ,राजनीतिक शास्त्र, गणित शास्त्र आदि  की विद्या दी. श्रीकृष्ण की स्मरण शक्ति इतनी तेज थी .माना जाता है कि उन्होंने 64 दिन सांदीपनि ऋषि के आश्रम में रह कर 64 दिनों में 64 विद्याएँ और 16 कलाएं सीख ली थी. 

                    गुरु दक्षिणा का समय आया तो दोनों ने गुरु से गुरु दक्षिणा मांगने को कहा तो ऋषि संदीपनी  और उनकी पत्नी ने श्री कृष्ण और बलराम को गुरु दक्षिणा में उनके पुत्र को वापस लाने के लिए कहा जो कि समुद्र की लहरों में डूब चुका था . 

अपने गुरु की आज्ञा का पालन करने के लिए दोनों कृष्ण और बलराम प्रभास क्षेत्र में गए और समुद्र से लहरों में डूब चुके उनके पुत्र को वापस करने के लिए कहा.  समुद्र में   ने श्रीकृष्ण को बताया कि दैत्य शंखासुर समुद्र में छिपा है .मुझे लगता है कि आपके गुरु का पुत्र उसके पास है. भगवान कृष्ण और बलराम ने समुद्र में जाकर शंखासुर को मारकर उसके पेट में गुरु के पुत्र को खोजा लेकिन वह नहीं मिला. 

शंखासुर के शरीर से  शंख बाहर निकला जिसे पांचजन्य शंख कहा जाता है .शंखाचूर के शरीर का शंख लेकर कृष्ण बलराम यमराज के पास पहुंचे . 

यमलोक में जाकर उन्होंने शंख बजाया. यमराज  ने उनसे पूछा मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं. श्रीकृष्ण कहने लगे ,"मेरे गुरु के पुत्र को उसके पूर्व जन्म के पापों के कारण यहां लाया गया है , अब तुम उसे मुझे सौंप दो ".यह सुनकर यमराज ने श्री कृष्ण को ऋषि संदीपनी के पुत्र को सौंप दिया.

श्री कृष्ण और बलराम अपने गुरु के पास पहुंचे और गुरु दक्षिणा के रूप में उनके पुत्र को सौंप दिया. दोनों ने गुरु  से पूछा कि आपको गुरु दक्षिणा में और क्या चाहिए तो गुरु ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम दोनों ने शिष्य के कर्तव्य को अच्छी तरह से निभाया है .

श्री कृष्ण जी के गुरु का नाम संदीपनी मुनी था, श्री कृष्ण संदीपनी मुनी के आश्रम मे जाकर 1वर्ष तक रहे,श्री कृष्ण ने संदीपनी मुनी जी से शिक्षा ग्रहण की थी।सांदीपनि मुनी ने श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी, मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरु सांदीपनि मुनी का आश्रम है श्री कृष्ण वही रहकर शिक्षा पूरी किये तथा शिक्षा पूरी करने के बाद जब गुरु दक्षिणा की बात आयी तो सांदीपनि गुरु जी ने कहा कि शंखासुर नाम का एक दैत्य मेरे पुत्र को उठाकर ले गया है। मुझे गुरु दक्षिणा के बदले श्री कृष्ण शंखासुर से युद्ध करके मेरे पुत्र को वापस ले आओ और श्री कृष्ण ने अपने गुरु जी की बातो का पालन किया और उन्होंने उस शंखासुर का वध करके उन्हें उनका पुत्र वापस लौटाया।

श्री कृष्ण भगवान के गुरु कौन हैं? - shree krshn bhagavaan ke guru kaun hain?

1. सांदीपनी : भगवान श्रीकृष्ण के सबसे पहले गुरु सांदीपनी थे। उनका आश्रम अवंतिका (उज्जैन) में था। देवताओं के ऋषि को सांदीपनि कहा जाता है। वे भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा के गुरु थे। उन्हीं के आश्रम में श्रीकृष्ण ने वेद और योग की शिक्षा और दीक्षा के साथ ही 64 कलाओं की शिक्षा ली थी।

शास्त्रों में गुरु का स्थान सर्वोच्च बताया गया है। देवी-देवताओं के अवतारों ने भी गुरु से ही ज्ञान प्राप्त किया। रामायण और महाभारत में कई गुरु बताए गए हैं। श्रीराम ने वशिष्ठ और विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त किया था। श्रीकृष्ण ने सांदीपनि ऋषि को गुरु दक्षिणा के रूप में उनका पुत्र खोजकर लौटाया था। कर्ण ने परशुराम को गुरु बनाया था। जानिए शास्त्रों में बताए गए कुछ खास गुरुओं के बारे में...

1. श्रीकृष्ण ने गुरु सांदीपनि को गुरु दक्षिणा में खोज कर लौटाया उनका पुत्र

भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के गुरु महर्षि सांदीपनि थे। सांदीपनि ने ही श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी। मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरु सांदीपनि का आश्रम है। शिक्षा पूरी होने के बाद जब गुरु दक्षिणा की बात आई तो ऋषि सांदीपनि ने कहा कि शंखासुर नाम का एक दैत्य मेरे पुत्र को उठाकर ले गया है। उसे ले लाओ। यही गुरु दक्षिणा होगी। श्रीकृष्ण ने गुरु पुत्र को खोजकर वापस लाने का वचन दे दिया।

श्रीकृष्ण और बलराम समुद्र तक पहुंचे तो समुद्र ने बताया कि पंचज जाति का दैत्य शंख के रूप में समुद्र में छिपा है। संभव है कि उसी ने आपके गुरु के पुत्र को खाया हो। भगवान श्रीकृष्ण शंखासुर को मारकर उसके पेट में गुरु पुत्र को खोजा, लेकिन वह नहीं मिला। तब श्रीकृष्ण शंखासुर के शरीर का शंख लेकर यमलोक पहुंच गए। यमराज से गुरु पुत्र को वापस लेकर गुरु सांदीपनि को लौटा दिया।

2. परशुराम ने कर्ण को दिया था शाप

परशुराम अष्ट चिरंजीवियों में से हैं। परशुराम को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। इन्होंने शिवजी से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की। महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण इनके शिष्य थे। कर्ण ने परशुराम को धोखा देकर शिक्षा प्राप्त की थी। जब परशुराम को ये बात मालूम हुई तो उन्होंने क्रोधित होकर कर्ण को शाप दिया कि जब मेरी सिखाई हुई शस्त्र विद्या की जब तुम्हें सबसे अधिक आवश्यकता होगी, उस समय तुम ये विद्या भूल जाओगे। इसके बाद अर्जुन से युद्ध के समय कर्ण शाप वजह से शस्त्र विद्या भूल गया था, इस वजह से ही कर्ण की मृत्यु हुई।

3. महर्षि वेदव्यास ने गांधारी को दिया था सौ पुत्र होने का वरदान

महर्षि वेदव्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपायन था। इन्होंने ही वेदों का विभाग किया। इसलिए इनका नाम वेदव्यास पड़ा। सभी पुराणों की रचना की। महाभारत की रचना की।

महाभारत काल में महर्षि वेदव्यास ने गांधारी सौ पुत्रों की माता बनने का वरदान दिया था। कुछ समय बाद गांधारी के गर्भ से मांस का एक गोल पिंड निकला। गांधारी उसे नष्ट करना चाहती थी। जब ये बात वेदव्यासजी को मालूम हुई तो उन्होंने 100 कुंडों का निर्माण करवाया और उनमें घी भरवा दिया। इसके बाद महर्षि वेदव्यास ने उस पिंड के 100 टुकड़े करके सभी कुंडों में डाल दिया। कुछ समय बाद उन कुंडों से गांधारी के 100 पुत्र उत्पन्न हुए।

4. देवताओं के गुरु हैं बृहस्पति, राजा नहुष का घमंड किया था दूर

देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। महाभारत के आदि पर्व के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। एक बार देवराज इंद्र स्वर्ग छोड़ कर चले गए। उनके स्थान पर राजा नहुष को स्वर्ग का राजा बनाया गया। राजा बनते ही नहुष के मन में पाप आ गया। वह अहंकारी हो गया था। उसने इंद्र की पत्नी शची पर भी अधिकार करना चाहा।

शची ने ये बात बृहस्पति को बताई। बृहस्पति ने शची से कहा कि आप नहुष से कहना कि जब वह सप्त ऋषियों द्वारा उठाई गई पालकी में बैठकर आएगा, तभी तुम उसे अपना स्वामी मानोगी। ये बात शची ने नहुष से कही तो नहुष ने भी ऐसा ही किया। जब सप्तऋषि पालकी उठाकर चल रहे थे, तभी नहुष ने एक ऋषि को लात मार दी। क्रोधित होकर अगस्त्य मुनि ने उसे स्वर्ग से गिरने का शाप दे दिया। इस प्रकार देवगुरु बृहस्पति ने नहुष का घमंड तोड़ा और शची की रक्षा की।

5. असुरों के गुरु शुक्राचार्य की नहीं है एक आंख

शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु हैं। ये भृगु ऋषि तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या के पुत्र हैं। शिवजी ने इन्हें मृत संजीवन विद्या का सिखाई थी। इसके बल पर शुक्राचार्य मृत दैत्यों को जीवित कर देते थे। वामन अवतार के समय जब राजा बलि ने ब्राह्मण को तीन पग भूमि दान करने का वचन दिया था। तब शुक्राचार्य सूक्ष्म रूप में बलि के कमंडल में जाकर बैठ गए, जिससे की पानी बाहर न आए और बलि भूमि दान का संकल्प न ले सके। तब वामन भगवान ने बलि के कमंडल में एक तिनका डाला, जिससे शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई।

6. वशिष्ठ ऋषि और विश्वामित्र का प्रसंग

ऋषि वशिष्ठ श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के कुलगुरु थे। एक बार राजा विश्वामित्र शिकार करते हुए ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पहुंच गए। यहां उन्होंने कामधेनु नंदिनी को देखा। विश्वामित्र ने वशिष्ठ से कहा ये गाय आप मुझे दे दें। वशिष्ठ ने ऐसा करने से मना कर दिया तो राजा विश्वामित्र नंदिनी को बलपूर्वक ले जाने लगे। तब नंदिनी गाय ने विश्वामित्र सहित उनकी पूरी सेना को भगा दिया। ऋषि वशिष्ठ का ब्रह्मतेज देखकर विश्वामित्र हैरान थे। इसके बाद उन्होंने राजपाठ छोड़कर तपस्या शुरू कर दी।

कृष्ण के कुलगुरू कौन थे?

भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के गुरु महर्षि सांदीपनि थे। सांदीपनि ने ही श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी। मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरु सांदीपनि का आश्रम है।

कृष्ण जी के कितने गुरु थे?

सान्दीपनि मुनि भगवान् श्री कृष्ण के गुरु थे. सांदीपनि ऋषि परम तेजस्वी तथा सिद्ध ऋषि थे, सांदीपनि, का अर्थ 'देवताओं के ऋषि' होता है।

भगवान श्री कृष्ण के पुत्र का नाम क्या था?

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण के 80 पुत्र थे. किस रानी ने किस पुत्र को जन्म दिया. प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू रुक्मिणी के पुत्र थे. साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु जाम्बवती के पुत्र थे.

कृष्ण जी किसका बेटा है?

भगवान श्री कृष्ण को बचपन में यशोदा और नंद बाबा ने पाला था, वैसे श्री कृष्ण वसुदेव और देवकी के पुत्र थे अपनी मनुष्य रूप वाली लीला में।