मुनि परशुराम के क्रोधित होने का क्या कारण था? - muni parashuraam ke krodhit hone ka kya kaaran tha?

प्रश्न-2-परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएं हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएं अपने शब्दों में लिखिए 


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उत्तर-परशुराम के क्रोध करने पर राम ने अत्यंत विनम्र शब्दों में कहा धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा। इससे सिद्ध होता है कि उनके मन में बड़ों के प्रति श्रद्धा एवं आदर भाव था।


लक्ष्मण का चरित्र श्री राम के चरित्र के बिल्कुल विपरीत था उनका स्वभाव उग्र एवं उद्दंड था परशुराम को उत्तेजित एवं क्रोधित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते थे


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प्रश्न-3-लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए|

 

उत्तर-लक्ष्मण और परशुराम के मध्य हुए संवाद का यह भाग सबसे अच्छा लगा

लक्ष्मण- आप तो मेरे लिए कल को ऐसे बुला रहे हैं जैसे वह आपके वश में हो और भागा भागा चला आएगा |

परशुराम- यह कटुवादी बालक निश्चित रूप से मरने के योग्य है अब तक मैं इसे बालक समझकर बचाता रहा।

लक्ष्मण- मेरा फरसा अत्यंत तेज धार वाला है और मैं निर्दयी हूं विश्वामित्र जी मैं इसे आपके स्वभाव के कारण छोड़ रहा हूं अन्यथा इसी फरसे से इसे काटकर गुरु ऋण से उऋण हो जाता |


प्रश्न-4- परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए।


बाल ब्रम्हचारी अति कोही। बिश्वविदित क्षत्रिय कुल द्रोही।। 

भूजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल महिदेवन्ह दीन्ही।।

सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीप कुमारा।।

मातु पितही जनु सोचि बस करसि महिसकिसोर।

गर्भन्ह के आर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।




उत्तर- परशुराम जी कहते हैं संसार के सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं कि मैं बाल ब्रह्मचारी अत्यधिक क्रोधी और क्षत्रियों के कुल का नाश करने वाला हूं। मैंने अनेक बार अपने भुजाओं के बल से पृथ्वी को राजाओं से रहित कर दिया है और उसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया। हे राजकुमारों मेरा फरसा सहस्त्रबाहु की भुजाओं को छिन्न-भिन्न कर देने वाला है। हे कुमार बालकों अपने माता-पिता के बारे में भी कुछ सोचो। मेरा फरसा गर्भ में पलने वाले बच्चे का भी अंत कर देने वाला है।

प्रश्न-5- लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएं बताएं?

उत्तर-लक्ष्मण ने वीर योद्धा की विशेषताएं बताते हुए कहा है कि---

1- वीर योद्धा शत्रु से अपनी वीरता का बखान नहीं करते हैं

2-वीर योद्धा रणक्षेत्र में शत्रु को सम्मुख देखकर युद्ध करते हैं और अपनी वीरता दिखाते हैं

3-वीर योद्धा शत्रु को देखकर भयभीत नहीं होते हैं

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प्रश्न-6-साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है इस कथन पर अपने विचार लिखिए|

 

उत्तर-यह पूर्णतया सत्य है कि साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल हो तो सोने पर सुहागा होने जैसी स्थिति हो जाती है। अन्यथा विनम्रता के अभाव में व्यक्ति उद्दंड हो जाता है वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए दूसरों का अहित करने लगता है साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल श्रीराम में है जो स्वयं को दास शब्द से संबोधित करके प्रभावित करते हैं |


प्रश्न-7- भाव स्पष्ट कीजिए-(क)- बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँँकि पहारू।।

उत्तर- लक्ष्मण जी हंसते हुए मधुर वाणी में कहते हैं हे मुनिवर आप तो अपने आप को महान योद्धा मानते हैं। ऐसा लगता है बार-बार अपने कुठार को या फरसे को दिखाकर फूक से पहाड़ को उड़ाना चाहते हैं।


(ख)-इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।

उत्तर- लक्ष्मण जी कहते हैं हे मुनि श्रेष्ठ यहां कोई कुम्हड़े की बतिया के समान नहीं है जो आपकी उंगली दिखाने से मर जाएगा मैंने उनके फरसे की ओर देखते हुए कुछ अभिमान के साथ कहां था।


(ग)- गाधिसूनु कह ह्रदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ बूझ न अबूझ।।

उत्तर- विश्वामित्र मन में हंसते हुए कहते हैं की मुनि को या परशुराम को चारों तरफ हरियाली ही हरियाली सूझ रही है या चारों तरफ विजय ही विजय दिख रही है। वह इन बालकों को नहीं पहचान पा रहे हैं। इन बालकों के शरीर वज्र से भी कठोर है ये कोई चाक-चूने के ढेले से नहीं बने हैं जो पानी पढ़ते ही पिघल जाए।


प्रश्न-8-पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर 10 पंक्तियां लिखिए|

 

उत्तर-तुलसी के भाषा सौंदर्य की पंक्तियां निम्नलिखित हैं

1- तुलसीदास ने रामचरितमानस में लोक भाषा को ही माध्यम बनाया है।

2-उन्होंने अवधी भाषा के परिमार्जित साहित्यिक रूप का भी प्रयोग किया है।

3-उन्होंने अभिधा लक्षणा व्यंजना शब्द शक्तियों का पर्याप्त ध्यान रखा है।

4-संवादात्मक शैली को अपनाया है।

5-दोहा और चौपाई छंद का प्रयोग किया गया है।


तुलसी की भाषा सरल सरस सहज और अत्यंत लोकप्रिय भाषा है। वीर रस सिद्ध और अलंकार प्रिय कवि हैं। उन्हें अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं पर समान अधिकार है। रामचरितमानस की अवधि भाषा तो इतनी लोकप्रिय है कि वह जन-जन की कंठहार बनी हुई है इसमें चौपाई छंदों के प्रयोग से गेयता और संगीतात्मकता बढ़ गई है। इसके अलावा उन्होंने दोहा सोरठा छंद का भी प्रयोग किया है।

 

प्रश्न-9-इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए|

 

उत्तर-‘राम-लक्ष्मण-परशुराम’ संवाद में व्यंग्य का अनूठा प्रसंग है। व्यंग्य का यह प्रसंग लक्ष्मण और परशुराम के मध्य देखने को मिलता है इसकी शुरुआत वीरता एवं वाक चातुर्य की धनि लक्ष्मण से शुरू होती है लक्ष्मण उनसे युद्ध तो नहीं करते हैं पर व्यंग्योक्तियों के माध्यम से उनका क्रोध इतना बड़ा देते हैं कि परशुराम उन्हें मारने के लिए अपना फरसा उठा लेते हो पर लक्ष्मण अपने व्यंग्य बाणों से उनकी वीरता की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं


· बहु धनुही तोरी लरिकाई। कबहुँ न असि रिसि किन्ह गोसाई

   पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।

प्रश्न-10-निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए-

क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही । 

उत्तर-अनुप्रास

ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा । 

उत्तर-उपमा,अनुप्रास

ग) तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा ।। 

उत्तर-उत्प्रेक्षा

घ) लखन उतर आहुति सरिस भृगबरकोपु कृसानु। बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु 


उत्तर-उपमा, रूपक


राम लक्ष्मण परशुराम संवाद के परीक्षोपयोग महत्वपूर्ण प्रश्न---

प्रश्न-1-धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम ने राम से क्या कहा ? 

उत्तर-धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम ने राम से कहा कि सेवक वह है जो सेवा का कार्य करें शत्रुता का कार्य करके वैर ही मोल लिया जाता है।


प्रश्न-2-न तो मारै जयि हैं सब राजा परशुराम के मुंह से ऐसा सुनकर लक्ष्मण की क्या प्रतिक्रिया रही ?

 

उत्तर-सारे राजाओं के मारे जाने की बात सुनकर लक्ष्मण मुस्कुराने लगे | उन्होंने परशुराम से व्यंग्य के स्वर में कहा कि बचपन में मैंने बहुत सी धनुहियाँ तोड़ी थी तब तो आपने ऐसा क्रोध कभी नहीं किया।

प्रश्न-3-परशुराम के अनुसार लक्ष्मण क्या भूल कर रहे थे उनकी भूल का परशुराम ने क्या कारण बताया?

 

उत्तर-परशुराम के अनुसार लक्ष्मण संसार की सभी धनुष को एक समान समझने की भूल कर रहे थे जबकि शिवजी का यह धनुष सारे संसार में प्रसिद्ध है लक्ष्मण की इस भूल का कारण परशुराम यह मानते हैं कि लक्ष्मण काल के वश में होने से ऐसा कह रहा है।


प्रश्न-4-धनुष टूटने पर लक्ष्मण किन कारणों के आधार पर राम को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास कर रहे थे ?

 

उत्तर-धनुष टूट जाने पर लक्ष्मण इसका जिम्मेदार राम को नहीं मान रहे थे। उनका मानना था कि धनुष बहुत पुराना और कमजोर था जो राम के छूते ही टूट गया राम ने तो इसे नया समझकर उठाया था। ऐसा पुराना धनुष टूटने से हमारा क्या लाभ इन तर्कों द्वारा वे परशुराम के समक्ष राम को निर्दोष सिद्ध कर रहे थे।


प्रश्न-5-परशुराम ने अपनी कौन-कौन सी विशेषताएं द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया ? 


उत्तर-परशुराम ने लक्ष्मण के मन में भय उत्पन्न करने के लिए अपने निम्नलिखित विशेषताएं बताएं

1- लक्ष्मण को सठ कहकर चेताया कि तूने अभी मेरे स्वभाव के बारे में नहीं सुना।

2-मैं तुझे बालक समझकर नहीं मार रहा हूं।

3-तुम मुझे मूर्ख मुनि समझने की भूल कर रहा है।

4-मैं बाल ब्रह्मचारी और क्षत्रियों का नाश करने वाला हूं।

5-मैंने अनेक बार इस पृथ्वी को जीत कर ब्राह्मणों को दे दिया।

प्रश्न-6-परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड क्यों था ?

उत्तर-परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड इसलिए था क्योंकि--

1-इसी फरसे के बल पर उन्होंने सहस्रबाहु को हराया था।

2-उनका फरसा अत्यंत भयानक और कठोर है।

3-यह फसा गर्भ में पल रहे बच्चों का भी वध कर डालता है।

4-यह फरसा परशुराम का प्रिय हथियार था।


प्रश्न-7-लक्ष्मण ने क्या-क्या कहकर परशुराम पर व्यंग किया ?

उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि अरे मुनि श्रेष्ठ आप तो महान योद्धा हैं जो बार-बार अपने कुल्हाड़ी को दिखाकर फूंक मारकर पहाड़ उड़ा देना चाहते हो। आपके सामने जो भी है उनमें से कोई भी कुम्हड़े की बतिया के जैसे कमजोर नहीं है जो आप के इशारे मात्र से भयभीत हो जाएगा।


प्रश्न-8-लक्ष्मण अपने कुल की किस परंपरा का हवाला देकर युद्ध करने से बच रहे थे ?

उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि मैं आपसे भयभीत नहीं हूं हमारे कुल की यह परंपरा है कि देवता ब्राह्मण ईश्वर भक्त और गाय के साथ वीरता का प्रदर्शन नहीं किया जाता है। इनकी हत्या करने पर पाप का भागीदार बनना पड़ता है और इनसे हारने पर अपयश मिलता है।


प्रश्न-9-लक्ष्मण के वाक् चातुर्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए | 


उत्तर-परशुराम से लक्ष्मण अपने वाक् चातुर्य का तरह तरह से परिचय देते हैं वह ऐसे सूक्ति बाण चलाते हैं कि परशुराम का क्रोध भड़क उठता है। वह फिर कोमल शब्दों के सहारे गंभीरता से बात करने के लिए विवश हो जाते हैं।

प्रश्न-10-परशुराम विश्वामित्र से लक्ष्मण की शिकायत किस तरह करते हैं ?


उत्तर-परशुराम लक्ष्मण की शिकायत करते हुए विश्वामित्र से कहते हैं कि

1-यह बालक बड़ा ही कुबुध्दि है।

2-यह कुटिल एवं काल के वशीभूत होकर अपने ही कुल का नाश करने वाला है।

3-यह सूर्यवंश रूपी चंद्रमा पर कलंक है।

4-यह पूरी तरह उद्दंड निडर और मूर्ख है।


प्रश्न-11-लक्ष्मण ने परशुराम और उनके सुयश पर किस तरह व्यंग्य किया 

उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम और उनके सुयश पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आपके सुयश का वर्णन आपके अलावा दूसरा कोई नहीं कर सकता है। आपने अपने मुंह से अपनी बड़ाई बार-बार कर चुके हैं इतने पर भी संतोष न हुआ हो तो फिर से कुछ कह डालिए।

प्रश्न-12-लक्ष्मण और श्रीराम के वचनों में मुख्य अंतर क्या था ?


उत्तर-लक्ष्मण और श्रीराम के वचनों में मुख्य अंतर यह था कि लक्ष्मण के वचनों में उद्दंडता व्यंग्यात्मक तथा उग्रता का मेल था । इसके विपरीत श्रीराम के वचनों में विनम्रता और विनय शीलता का भाव था, जो शीतल जल के समान प्रभाव कारी था जिससे परशुराम कि क्रोधाग्नि निशांत हो गई


प्रश्न-13-राम लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए 

उत्तर-‘राम लक्ष्मण परशुराम संवाद’ नामक पाठ में निहित संदेश यह है कि हमें क्रोध करने से बचना चाहिए। यह हमारे बुद्धि विवेक का नाश कर देता है। हमें सदैव विनम्र शांत एवं कोमल व्यवहार करना चाहिए।

👉राम लक्षमण परशुराम संवाद का भावार्थ या व्याख्या 

👉 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद भावार्थ विडियो (भाग-1)👉 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद भावार्थ विडियो (भाग-2)


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परशुराम के क्रोध का मुख्य कारण क्या था?

1. सीता स्वयंवर में शिव-धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हुए श्रीराम द्वारा शिव-धनुष के टूट जाने के कारण परशुराम क्रोधित हुए।

परशुराम लक्ष्मण पर क्यों क्रोधित हो गए?

परशुराम को लक्ष्मण की किस बात पर अधिक गुस्सा आया था? लक्ष्मण ने शिवजी की धनुष को धनुही कहा था। शिवजी के धनुष के अपमान से परशुराम का क्रोध बढ़ गया था। लक्ष्मण के वाक्य से यह प्रकट होता था कि शिवधनु इतना कमजोर था कि उस जैसे धनुहियों को वे अपने बचपन में खेल-खेल में ही तोड़ दिया करते थे।

लक्ष्मण के अनुसार परशुराम का क्रोध कारण है क्योंकि?

लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को अकारण इसलिए कहा क्योंकि धनुष के टूटने में राम का कोई दोष नहीं है। वह तो उनके छूते ही टूट गया था और पुराने धनुष के टूटने पर क्रोध क्यों करना| लक्ष्मण के अनुसार उनके लिए सब धनुष एक समान हैं, यह कोई विशेष धनुष न था। … अब तक वे बालक समझकर ही लक्ष्मण का वध नहीं कर रहे हैं।

परशुराम के क्रोध का मूल कारण क्या था तथा उनके क्रोध को शांत करने में मुख्य भूमिका किसने निभाई?

परशुराम के क्रोध का मूल कारण शिव धनुष का टूट जाना था। वह धनुष स्वयं परशुराम ने राजा जनक को दिया था। जब राम ने धनुष तोड़ा, तो चारों तरफ़ उनकी प्रशंसा होने लगी थी, परंतु परशुराम इससे क्रोधित हो गए थे। जब उन्होंने धनुष तोड़ने वाले के विषय में पूछा, तो लक्ष्मण ने उनके क्रोध मे घी डालने का काम किया।