किसको कौन से प्रकार का पत्र और संबोधन लिखा जाएगा - kisako kaun se prakaar ka patr aur sambodhan likha jaega

पत्र लेखन में संबोधन के बाद क्या लिखा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंसंबोधन – विषय के बाद पत्र के बाई और संबोधन सूचक शब्द का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत पत्रों में प्रिय लिखकर प्राप्तकर्ता का नाम लिख दिया जाता है ; जैसे – प्रिय भाई रमेश, प्रिय मित्र, आदरणीय चाचा जी आदि। बड़ों के लिए प्रिय के स्थान पर पूज्य, श्रद्धेय , मान्यवर, आदरणीय, माननीय आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

किसको कौन से प्रकार का पत्र और संबोधन लिखा जाएगा उत्तर?

इसे सुनेंरोकेंपत्र लेखन के महत्वपूर्ण अंग (1) प्रेषक का पता और तिथि― पत्र – लेखन के लिए जिस कागज का प्रयोग किया जाता है उसके उपर के स्थान पर दाहिनी और प्रेषक का पता एवं पत्र लेखन की तिथि का उल्लेख होना चाहिए। (2) मूल संबोधन – पत्र के बायीं और घनिष्ठता, श्रद्धा या स्नेह-सूचक संबोधन होना चाहिए। जैसे- पूज्य, माननीय, श्रद्धेय, श्रीमान्।

पत्र लेखन का क्या उद्देश्य है?

इसे सुनेंरोकेंपत्र लेखन का कार्य अत्यंत प्रभावशाली होता है, क्योंकि इस साधन के द्वारा अनेकों लोगो से संपर्क स्थापित करने में भी सुविधा रहती है। आजकल दूर-दूर रहने वाले सगे संबंधियों व व्यापारियों को आपस में एक दूसरे के साथ मेल जोल रखने एवं संबंध रखने की आवश्यकता पड़ती है, इस कार्य में पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पत्र लेखन क्या है वह कितने प्रकार का होता है?

इसे सुनेंरोकेंऔपचारिक पत्रों के अनेक प्रकार हो सकते हैं जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं: आवेदन पत्र, शुल्क मुक्ति के लिए प्रार्थना पत्र, किसी प्रकार की सामग्री मँगाने के लिए पत्र, संपादक के नाम पत्र, शिकायती पत्र, व्यावसायिक पत्र, निमंत्रण पत्र, बधाई पत्र, संवेदना पत्र, सरकारी पत्र, अर्द्ध सरकारी पत्र।

आवेदन पत्र कार्यालयी पत्र सरकारी पत्र एवं विभिन्न संस्थाओं को जिस तरह के पत्र लिखे जाते हैं वे पत्र क्या कहलाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंऐसा पत्र जिसके माध्यम से किसी एक सूचना या निर्देश को एक साथ अनेक मंत्रालय कार्यालय विभाग और अधिकारियों तथा कर्मचारियों को भेजा जाता है वह पत्र परिपत्र कहलाता है। परिपत्र को लिखते समय निम्न बातों का ध्यान में रखना आवश्यक है। ऊपर में बाई तरफ प्रेषक का नाम पद और पता नहीं लिखना चाहिए।

ज्ञापन कैसे लिखा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंज्ञापन संक्षिप्त और विषयानुरूप ही लिखे जाने चाहिए। ज्ञापन तैयार करते समय ध्यान रहे कि लंबे चौड़े और वर्णात्मक लेखन नहीं हो। ज्ञापन में ना तो संबोधन होता है और ना ही अत्मनिर्देश होता है किंतु उसके अंत में केवल प्रेषक के हस्ताक्षर तथा पदनाम दिया जाता है।

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इसे सुनेंरोकेंउत्तर : पत्र लेखन की कला को विकसित करने के लिए स्कूली पाठयक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य कई देशों में भी प्रयास किए गए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम सन्‌ 1972 से शुरू किया गया।

2 पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या क्या प्रयास हुए लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंपत्र लेखन की कला के विकास के लिए स्कूली पाठयक्रमों में पत्र लेखन विषय के रूप में शामिल किया गया है। विश्व डाक संघ की ओर से पत्र लेखन को बढ़ावा दिया गया। इसके साथ ही विश्व डाक संघ ने 1972 से 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम शुरू किया है।

किसको कौन से प्रकार का पत्र और संबोधन लिखा जाएगा - kisako kaun se prakaar ka patr aur sambodhan likha jaega

दूर-संचार साधनों के क्षेत्र में आज क्रांति हुई है तथा दूरभाष (टेलीफोन) जैसे साधन सर्व-सुलभ होने के अतिरिक्त उपयोग भी सिद्ध हुए हैं। इन साधनों के बावजूद आज भी पत्रों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। अनेक दृष्टियों से पत्र लेखन (Patra Lekhan in Hindi) आवश्यक और उपयोगी हैं। यही नहीं, आधुनिक युग में पत्रों के प्रकार और आकार विषय और शैली में भी परिवर्तन हुए हैं।

एक ओर पत्र के माध्यम से हम वैयक्तिक विचार, चिंतन, अनुभूति और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति करते हैं, तो दूसरी ओर व्यापार और व्यवसाय के क्षेत्र मे, कार्यालय की औपचारिकताओं के संदर्भ में तथा पत्र-पत्रिकाओं में अपनी समस्याओं को प्रकाशित करवाने में भी पत्र-लेखन को ही महत्व देते हैं। अतएव इस युग में पत्र-लेखन का भी विशेष महत्व हैं।

प्रभावशाली पत्र लेखन एक कला है, जो दूसरों को प्रभावित ही नहीं करती है, अपितु उद्देश्य-पूर्ति में भी सहायक होती है। पत्र की विषय-वस्तु, भाषा तथा शैली, लेखक की योग्यता, मनःस्थिति, वैचारिकता एवं संवेदनात्मकता को प्रकट करती है। अवसर के अनुकूल ही पत्रों का स्वरूप, भाषा और विषय निर्धारित होते हैं। अतः पत्र व्यक्तित्व की अभिव्यंजना करने में समर्थ होते हैं।

पत्रों के प्रकार- पत्रों को विषय वस्तु एवं शैली के आधार पर दो वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं:

  1. औपचारिक पत्र (Formal Letter)
  2. अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)

औपचारिक पत्र (Formal Letter)

   सरकारी, अर्धसरकारी और गैर-सरकारी संदर्भों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को औपचारिक पत्र कहते हैं। इनमें व्यावसायिक, कार्यालयी और सामान्य जीवन-व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों (patra lekhan) को शामिल किया जा सकता है। इन पत्रों में संक्षिप्तता, स्पस्टता और स्वतःपूर्णता की अपेक्षा रहती हैं औपचारिक पत्रों के अंतर्गत दो प्रकार के पत्र आते हैं-

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(क) सरकारी, अर्धसरकारी और व्यावसायिक संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र - इनकी विषयवस्तु प्रशासन, कार्यालय और करोबार से संबंधित होती है। इनकी भाषा-शैली निश्चित सांचे में ढली होती है और प्रारूप निश्चित होता है। सरकारी कार्यालयों, बैंकों और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा किया जाने वाला पत्र व्यवहार  इस वर्ग के अंतर्गत आता है। विभिन्न पदों के लिए लिखे गए आवेदन पत्र भी इसी श्रेणी में आते हैं।

(ख) सामान्य जीवन व्यवहार तथा अन्य विशिष्ट संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र - ये पत्र परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों को तथा विविध क्षेत्रों से संबद्ध अधिकारियों को लिखे जाते हैं। इनकी विषयवस्तु सामान्य जीवन की विभिन्न स्थितियों से संबद्ध होती है। ये प्रायः सामान्य और औपचारिक भाषा-शैली में लिखे जाते हैं। इनके प्रारूप में प्रायः स्थिति और संदर्भ के अनुसार परिवर्तन हो सकता है। इनके अंतर्गत शुभकामना-पत्र, बधाई-पत्र, निमंत्रण-पत्र, शोक-संवेदना पत्र, पूछताछ पत्र, शिकायती पत्र, समस्यामूलक पत्र, संपादक को पत्र आदि आते हैं।

अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)

इस प्रकार के पत्रों में पत्र लिखने वाले और पत्र पाने वाले के बीच नजदीकी था घनिष्ठ संबंध होता है। यह संबंध पारिवारिक तथा अन्य हो सगे-संबंधियों का भी हो सकता है और मित्रता का भी। इन पत्रों को व्यक्तिगत पत्र भी कहते हैं। इन पत्रों की विषयवस्तु निजी और घरेलू होती है। इनका स्वरूप संबंधों के आधार पर निर्धारित होता है। इन पत्रों की भाषा-शैली प्रायः अनौपचारिक और आत्मीय होती है।

पत्र के अंग (Parts of Letter)

पत्र चाहे औपचारिक हो या अनौपचारिक, सामान्यतः पत्र के निम्नलिखित अंग होते हैं, जैसे-

  • पता और दिनांक
  • संबोधन तथा अभिवादन शब्दावली का प्रयोग
  • पत्र की सामग्री
  • पता की समाप्ति, स्वनिर्देश और हस्ताक्षर

आइए, अब इनके बारे में जानकारी प्राप्त कर लें-

पता और दिनांक - पत्र के बाई ओर कोने में पत्र-लेखक का पता लिखा जाता है और उसके नीचे तिथि दी जाती है।

संबोधन तथा अभिवादन - जब हम किसी को पत्र लिखना (patra lekhan) शुरू करते हैं तो उस व्यक्ति के लिए किसी न किसी संबोधन शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे- पूज्य/आदरणीय/पूजनीय/श्रद्धेय/प्रिय/प्रियवर/मान्यवर

1.  प्रिय - संबोधन का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है-

  • अपने से छोटे के लिए
  • अपने बराबर वालों के लिए
  • घनिष्ठ व्यक्तियों के लिए

औपचारिक स्थिति में-

  • मान्यवर/प्रिय महोदय/महोदया
  • प्रिय श्री / श्रीमती / सुश्री / नाम या उपनाम
  • प्रिय - नाम - जी आदि।

अनौपचारिक पत्रों में महोदय / महोदय संबोधन शब्द के बाद अल्पविराम का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि अगली पंक्ति में हमें अभिवादन के लिए कोई शब्द नहीं देना होता हैं।

अनौपचारिक पत्रों में अपने से बड़े के लिए नमस्कार, नमस्ते, प्रमाण जैसे अभिवादनों का प्रयोग होता है।

जब स्नेह, शुभाशीष, आर्शीवाद जैसे अभिवादनों का प्रयोग होता है तो मात्र संबोधन देखते ही हम समझा जाते हैं कि संबोधित व्यक्ति लिखने वाले से आयु में छोटा है। औपचारिक पत्रों में इस प्रकार के अभिवादन की आवश्यकता नहीं रहती।

अभिवादन शब्द लिखने के बाद पूर्ण विराम अवश्य लगाना चाहिए, जैसे-

  • पूज्य भाई साहब,
  • सादर प्रणाम,
  • प्रिय विवेक,
  • प्रसन्न रहो।

पत्र- सामग्री - पत्रों में अभिवादन के बाद पत्र की साम्रगी देनी होती है। पत्र के माध्यम से जो हम कहना चाहते हैं या कहने जा रहे हैं वही पत्र की सामग्री कहलाती है।

पत्र की समाप्ति, स्वनिर्देश और हस्ताक्षर - अनौपचारिक पत्र के अंत में लिखने वाले और पाने वाले की आयु, अवस्था तथा गौरव-गरिमा के अनुरूप् स्वनिर्देश बदल जाते हैं, जैसे - तुम्हारा, आपका, स्नेही, आपका आज्ञाकारि, शुभचिंतक, विनीत आदि।

औपचारिक पत्रों का अंत प्रायः निर्धारित स्वनिर्देश द्वारा होता है, यथा - भवदीय, आपका शुभेच्छु आदि।

इसके बाद पत्र-लेखक के हस्ताक्षर होते हैं। औपचारिक पत्रों में हस्ताक्षर के नीचे प्रायः प्रेषक का पूरा नाम और पदनाम लिखा जाता है।

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औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों के उदाहरण (Examples of Formal and Informal Letters)

औपचारिक शिकायती पत्र

1. बिजली की समस्या के संबंध में शिकायती-पत्र

सेवा में,
कार्यपालक अभियंता
झारखंड विद्युत बोर्ड, सरोजनी नगर
राँची



विषयः अत्यधिक राशि के बिलों के संदर्भ में


महोदय,

मैं गत चार वर्षों से सरोजनी नगर में रह रहा हूं। मैं नियमित रूप से बिजली के बिल का भुगतान भी करता हूं। भुगतान किए गए सभी बिल मेरे पास सुरक्षित हैं। औसतन मेरे घर का बिल 800 रू. प्रति मास आता है। इस बार यह बिल 2200 रूपए का आ गया है। इसे देखकर मैं अत्यधिक परेशान हूं। मेरे घर में बिजली की खपत के किसी भी बिंदु पर कोई बढ़तरी नहीं हुई है। महोदय मुझे पर पिछली अवधि का कोई भुगतान भी शेष नहीं है। बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। अतः अतने अधिक बिल का कोई कारण मेरी समझ में नहीं आ रहा है।

मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि प्राप्त बिल पर 'प्रोविजनल बिल' लिखा हुआ है। बिना मीटर-रीडिंग के भेजे गए इस अत्यधिक राशि के बिल का भुगतान मेरे लिए संभव नहीं है। कृपया संशोधित बिल भेजें ताकि मैं समय पर भुगतान कर सकूं।

आशा है आप मेरे अनुरोध पर शीघ्र विचार करेंगे।

धन्यवाद सहित,
भवदीय



(हस्ताक्षर.........................)
अमन वर्मा
16-डी, सरोजनी नगर, रांची
दिनांक 7 फरवरी, 2006

2. टेलीफोन का कनेक्शन कटने संबंधी पत्र

सेवा में,
प्रबंधक,
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड
जनकपुरी, नई दिल्ली-110058

विषय: टेलीफोन कनेक्श्न कटने के संदर्भ में

महोदय,

मेरा टेलीफोन नंबर 25523540 विगत दस दिनों से काम नहीं कर रहा है। पता करने पर बताया गया है कि यह कनेक्शन काट दिया गया है। इस मास मेरे पास टेलीफोन बिल नहीं आया था। अतः मैं बिल समय पर जमा नहीं करा पाया। बाद में मैंने डुप्लीकेट बिल बनवाकर जमा भी कर दिया। इसके बावजूद मेरा टेलीफोन कनेक्शन काट दिया गया है। मैं इस प्रार्थनापत्र के साथ जमा किए गए बिल की फोटो प्रति संलगन कर रहा हूँ। अतः आपसे अनुरोध है कि मेरा टेलीफोन तत्काल चालू करवाने की व्यवस्था करवाएँ। घर में पिताजी अस्वस्थ रहते हैं। अतः डॉक्टर से संपर्क बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

आशा है आप इस काम को करवाने में रूचि लेंगे।

भवदीय
हस्ताक्षर..................
(एस. रघुरामन)
C-5/70, जनक पुरी
नई दिल्ली-110058
दिनांक 25 सितंबर, 2016
संलग्न: जमा किए गए बिल की फोटो प्रति

अनौपचारिक पत्र

1. माताजी को पत्र

950, सेक्टर-38, बोकारो
10 अक्टूबर, 2006


परमपूज्य माताजी,


चरण-वंदना।

कल आपका पत्र मिला, पढ़कर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि घर में सब सकुशल हैं। आपने पत्र में मुझे लिखा है कि मैं पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य क्रिया-कलापों में भी भाग लूं, क्योंकि आज के परिवेश में अतिरिक्त क्रिया-कलापों का महत्वपूर्ण स्थान है। मैंने आपके निर्देशानुसार अपने विधालय की वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा संगीत कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए नामांकन करवा दिया है तथा तैयारी भी आरंभ कर दी है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि विद्यालय की हॉकी टीम में भी मेरा चयन हो गया है। सहपाठियों के साथ मेरा अच्छा संपर्क स्थापित हो गया है। मेरी पढ़ाई भी ठीक प्रकार से चल रही है। स्वाति और दिव्या को मेरा बहुत-बहुत प्यार तथा पिताजी को सादर प्रणाम।



आपका प्रिय पुत्र
राहुल

2. छोटे भाई को पत्र

12/15, शास्त्री नगर, धनबाद
15 नवंबर, 2017
प्रिय धवल,
शुभाशीष।

तुम्हारे विद्यालय की ओर से प्रथम अवधि परीक्षा की अंक-तालिका आज ही मिली है। इसे पढ़कर अच्छा नहीं लगा, क्योंकि दो विषयों में तुम्हारे अंक संतोषजनक नहीं हैं। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि तुम नियमित रूप से पढ़ाई नहीं कर रहे हो। तुम्हें यह बात तो ज्ञात ही है कि पिताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है, फिर भी वे किसी-न-किसी तरह तुम्हें पढ़ाई का खर्चा नियमित भिजवा रहे हैं।

तुम्हारा भी कर्तव्य हो जाता है कि तुम मन लगाकर पढ़ाई करो। हमें तुम्हारी क्षमता पर पूरा विश्वास है। ऐसा लगता है कि तुम समय को ठीक प्रकार से नियोजित नहीं कर पा रहे हो।

स्मरण रखो, कठोर परिश्रम ही सफलता का मूलमंत्र है। समय का नियोजन इस प्रकार करो कि पढ़ाई के लिए भी समय रहे और अन्य गतिविधियों के लिए भी। बीता समय कभी लौटकर नहीं आता।

तुम स्वयं समझदार हो। हमें विश्वास है कि तुम भविष्य में शिकायत का अवसर नहीं दोगे।

शुभकामनाओं के साथ,
तुम्हारा शुभेच्छु
मनोज कुमार

प्रभावशाली पत्र कैसे लिखें (Effective Letter Writing)

  1. पत्र का लेख, सुंदर शुद्ध एवं सुवाच्य हो।
  2. पत्र की भाषा सरल, वाक्य छोटे एवं असंदिग्ध हों।
  3. पत्र के विषय को अलग-अलग अनुच्छेद में लिख सकते हैं।
  4. विषय की पुनरावृत्ति कभी न करें।
  5. औपचारिकता को अधिक विस्तार न दें।
  6. आवश्यक बातों को प्राथमिकता देकर पहले लिखें।
  7. पत्र में कभी कठिन भाषा एवं अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  8. यदि कोई आवश्यक, महत्वपूर्ण बात लिखने से छूट जाए तो अंत में बाई ओर - 'पुनश्च' शब्द लिखकर वही बात लिख देनी चाहिए।

किसको कौन से प्रकार का पत्र और संबंधित लिखा जाएगा?

अनौपचारिक पत्र - अनौपचारिक पत्रों में व्यक्तिगत पत्र, निमंत्रण पत्र और पारिवारिक पत्र आते हैं। अनौपचारिक पत्र तीन प्रकार के होते हैं। (क) व्यक्तिगत पत्र- इसमें बधाई पत्र धन्यवाद पर शुभकामना पत्र, संवेदना पत्र आदि शामिल हैं। (ख) पारिवारिक पत्र - यह पत्र माता - पिता, भाई - बहन या अन्य रिश्तेदारों को लिखे जाते हैं।

किसको कौन से प्रकार का पत्र और संबोधन लिखा जाएगा माता और पिता को?

जैसे- अध्यापक को पत्र लिखते समय आपका आज्ञाकारी शिष्य'; मित्र को 'तुम्हारा', 'तुम्हारा मित्र'; माता-पिता को 'आपका बेटा', 'आपकी बेटी' आदि लिखेंगे। बड़े व्यक्ति अपने से छोटों के लिए 'शुभचिंतक', 'शुभेच्छु' आदि लिख सकते हैं।

पत्रों में संबोधन को कैसे लिखा जाता है?

'विषय' में संक्षिप्त रूप से पत्र के मूल आशय का उल्लेख किया जाता है। संबोधन में व्यक्तियों के लिए महोदय / महोदया का प्रयोग होता है, संस्थाओं या संगठनों के व्यक्तियों के लिए प्रिय महोदय / महोदया का प्रयोग किया जाता है। पत्र का मुख्य भाग अर्थात् कलेवर अत्यंत महत्वपूर्ण है ।

औपचारिक पत्र में संबोधन कैसे किया जाता है?

औपचारिक पत्र का फॉर्मेट संबोधन – जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय/महोदया, माननीय आदि शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें। पहला अनुच्छेद – “सविनय निवेदन यह है कि” से वाक्य आरंभ करना चाहिए, फिर अपनी समस्या के बारे में लिखें।