प्रश्न। जल-संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है? ( NCERT class 12, अध्याय 6: जल संसाधन , भारत लोग और
अर्थव्यवस्था) उत्तर। व्यापक अर्थों में, जल-संभर प्रबंधन में सभी संसाधनों का संरक्षण, पुनरुत्पादन, और विवेकपूर्ण उपयोग को शामिल है जिसमे प्राकृतिक संसाधन (भूमि, जल, पौधे, पशु) और मानवीय संसाधन शामिल हैं। एक संकीर्ण अर्थ में, जल-संभर प्रबंधन मूल रूप से जल प्रबंधन तकनीक है जो सतही और भूजल के कुशल प्रबंधन और संरक्षण का कुशल प्रबंधन से है। जल-संभर प्रबंधन में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:
जल-संभर प्रबंधन की सफलता काफी हद तक सामुदायिक भागीदारी पर निर्भर करती है। कुछ महत्वपूर्ण जल-संभर प्रबंधन परियोजनाएं हैं जो भारत के विभिन्न भाग में चलाए गए है -
हां, जलसंभर प्रबंधन सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है;
इस प्रकार जल-संभर प्रबंधन सतत पोषणीय विकास में मदत करता हैं। You may like also:
जलसंभर का उदहारण - लाल रंग की लकीर जलविभाजक क्षेत्र को दर्शा रही है जलसंभर या द्रोणी उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है।[1] उस स्थान से या तो एक ही बड़ी नदी में पानी जलसंभर क्षेत्र से निकास कर के आगे बह जाता है, या फिर किसी सरोवर, सागर, महासागर या दलदली इलाक़े में जा के मिल जाता है। इस सन्दर्भ में कभी-कभी जलविभाजक शब्द का भी प्रयोग होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न जलसंभर किसी भी विस्तृत क्षेत्र को अलग-अलग जल मंडलों में विभाजित करते हैं।[2] जलसंभर खुले या बंद हो सकते हैं। बंद जलसंभारों में पानी किसी सरोवर या सूखे सरोवर में जा कर रुक जाता है। जो बंद जलसंभर शुष्क स्थानों पर होते हैं उनमें अक्सर जल आ कर गर्मी से भाप बनकर हवा में वाष्पित (इवैपोरेट) हो जाता है या उसे धरती सोख लेती है। पड़ौसी जलसंभर अक्सर पहाड़ों, पर्वतों या धरती की भिन्न ढलानों के कारण एक-दुसरे से विभाजित होते हैं। भौगोलिक दृष्टि से जलसंभर एक कीप (यानि फनल) का काम करते हैं क्योंकि वे एक विस्तृत क्षेत्र के पानी को इक्कठा कर के एक ही नदी, जलाशय, दलदल या धरती के भीतर पानी सोखने वाले स्थान पर ले जाते हैं। अन्य भाषाओं में[संपादित करें]अंग्रेज़ी में "जलसंभर" को "वॉटरशॅड" (watershed) या "कैचमेंट" (catchment), "जलविभाजक" को "ड्रेनेज डिवाइड" (drainage divide) और "द्रोणी" को "बेसिन" (basin) कहा जाता है। जलाविभाजकों की श्रेणियां[संपादित करें]जलविभाजक तीन मुख्य प्रकार के होते हैं -
विश्व के महत्वपूर्ण जलसंभर[संपादित करें]पृथ्वी के इस नक्शे में विश्व के बड़े जलसंभर क्षेत्र दिखाए गएँ हैं। भिन्न महासागरों और सागरों में ख़ाली होने वाले जलसंभर भिन्न रंगों में दर्शाए गएँ हैं। स्लेटी रंग का प्रयोग बंद जलसंभरों के लिए हुआ है जो किसी सागर या महासागर में पानी नहीं बहाते। इन्हें भी देखिये[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
जल संभर प्रबंधन से आप क्या समझते?जल-संभर प्रबंधन: जल संभर प्रबंधन से तात्पर्य, मुख्य रूप से, धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों, जैसे- अंत:स्रवण तालाब, पुनर्भरण, कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल हैं।
जल सांभर क्या है?जलसंभर या द्रोणी उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। उस स्थान से या तो एक ही बड़ी नदी में पानी जलसंभर क्षेत्र से निकास कर के आगे बह जाता है, या फिर किसी सरोवर, सागर, महासागर या दलदली इलाक़े में जा के मिल जाता है।
जल संभर प्रबंधन का प्रमुख उद्देश्य क्या है?Solution : जल संभर प्रबंधन में मिट्टी एवं जल संरक्षण पर जोर दिया जाता है ताकि . जैव-मात्रा. उत्पादन में वृद्धि हो सके। इसका प्रमुख उद्देश्य भूमि एवं जल के प्राथ िक स्रोतों का विकास, द्वितीय संसाधन पौधों एवं जंतुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिससे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा न हो।
जल प्रबंधन क्या होता है?परिभाषित पानी नीतियों और नियमों के तहत योजना बनाना, विकास, वितरण और जल संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने को जल प्रबंधन कहते है। जल चक्र, वाष्पीकरण और वर्षा के माध्यम से हाइड्रोलॉजिकल प्रणालियों को बनाये रखते है जिससे नदियां और झीलें बनती है और सहारा देते हैं कई तरह के जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों को।
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