हरतालिका तीज की पूजा कैसे करते हैं? - harataalika teej kee pooja kaise karate hain?

Hartalika Teej Vrat Rules: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जाता है. इस त्यौहार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां बिना अन्न-जल ग्रहण किए कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. इस बार हरतालिका तीज का त्यौहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा. मान्यता है कि जो महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखकर सच्चे मने से मां पार्वती और भगवान की पूजा करती हैं उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं हरतालिका तीज पर कैसे करें पूजा और कब है पारण करने का समय?

हरतालिका तीज शुभ-मुहूर्त व पारण समय
हिंदी पंचाग के अनुसार भाद्रपक्ष की तृतीया तिथि 29 अगस्त के दिन दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू हो गई है, जो 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक रहेगी. हिंदू धर्म में उदया तिथि सर्वमान्य तिथि होती है. इसलिए हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 33 मिनट से लेकर 11 बजकर 05 मिनट तक और शाम को पूजा करने का शुभ मुहूर्त 03 बजकर 49 मिनट से लेकर 07 बजकर 23 मिनट तक है. तीज व्रत का पारण 31 अगस्त को किया जाएगा.

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हरतालिका तीज पूजा विधि
हरतालिका तीज का व्रत करने वाली सुहागन इस दिन सुबह स्नान करने के पश्चात हरे रंग की साड़ी पहने. यदि संभव हो तो आस-पास के शिव मंदिर में नहीं तो घर के पूजा वाले स्थान पर जाएं और मां पार्वती और भगवान शंकर का ध्यान करते हुए इनकी प्रतिमा पर पवित्र गंगा जल छिड़कें. इसके बाद मां पार्वती का 16 श्रृंगार करें. अब भगवान शंकर को भांग, धतूरा, बेलपत्र और चंदन अर्पित करें. इस दिन शिव पार्वती के पूजा के साथ गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जो सुहागिन स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत इस विधि से करती हैं उन पर मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और उन्हें सदा सुहागिन होने का वर प्राप्त होता है.

कुंवारी लड़कियां इस विधि से करें पूजा
हरतालिका तीज पर कुंवारी लड़कियां जिनकी शादी में विलंभ हो रही है वे मनचाहे वर के लिए इस दिन व्रत रखकर मंत्र 'हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया. तथा माम कुरु कल्याणी कांतकांता सुदुर्लाभाम्.. का जाप करें.

हरतालिका तीज पर इन चीजों का करें दान
हरतालिका तीज के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं गरीब जरूरतमंद सुहागिन महिलाएं चावल, गेहूं, उड़द की दाल, हरे फल, साड़ी और श्रृंगार की सोलह सामग्री अर्पित करें. ऐसा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का फल मिलता है.

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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Hartalika teej 2022 हरतालिका तीज का व्रत सुहाग के प्रति आपके संकल्‍प और दृढ़निश्‍चय को दर्शाता है। हरतालिका तीज इस बार 30 अगस्‍त को है और अब इसकी तैयारियां लोगों ने शुरू कर दी हैं। आज हम आपको इसकी तैयारियों से जुड़ी कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं। पूजा की सामग्री में क्‍या-क्‍या होना चाहिए। पूजा कैसे की जाती है और हरतालिका तीज की कथा भी जानिए।

हरतालिका तीज का महत्व

हरतालिका तीज का व्रत पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और सदैव सुहागिन रहने का आशीर्वाद प्राप्‍त करती हैं। हरतालिका तीज का व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।

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हरतालिका तीज की तैयारी और पूजाविधि

  • हरतालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
  • सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।
  • इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमीपत्र अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
  • तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  • इसके बाद श्रीगणेशीजी की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।

हरतालिका तीज की कथा

कथा इस प्रकार है कि पिता के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान देवी सती सह न सकीं। उन्‍होंने खुद को यज्ञ की अग्नि में भस्‍म कर दिया। अगले जन्‍म में उन्‍होंने राजा हिमाचल के यहां जन्‍म लिया और पूर्व जन्‍म की स्‍मृति शेष रहने के कारण इस जन्‍म में भी उन्‍होंने भगवान शंकर को ही पति के रूप में प्राप्‍त करने के लिए तपस्‍या की। देवी पार्वती ने तो मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह सदैव भगवान शिव की तपस्‍या में लीन रहतीं। पुत्री की यह हालत देखकर राजा हिमाचल को चिंता होने लगी। इस संबंध में उन्‍होंने नारदजी से चर्चा की तो उनके कहने पर उन्‍होंने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्‍णु से कराने का निश्‍चय किया। पार्वतीजी विष्‍णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं। इस तरह सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा। पार्वतीजी तब तक शिवजी की तपस्‍या करती रहीं जब तक उन्‍हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्‍त नहीं हुए। तभी से पार्वतीजी के प्रति सच्‍ची श्रृद्धा के साथ यह व्रत किया जाता है और भगवान शिव जैसा सुहाग पाने की कामनी की जाती है।

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व्रत की पूजा के लिए सामग्री

हरतालिका तीज व्रत की पूजा के लिए मूर्ति बनाने के लिए गीली काली मिट्टी, बेलपत्र, केले का पत्‍ता, पान, फूल, फल, बताशे, मेवा, कपूर, कुमकुम आदि की आवश्‍यकता होती है। प्रतिमा को स्‍थापित करने के लिए लकड़ी का पाटा, पीला कपड़ा, पूजा के लिए नारियल और माता के लिए चुनरी चाहिए होती है।

दान करने का सामान

हरितालिका तीज व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है और सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है। जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम और दीपक शामिल है।

शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा ऊं जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥ ऊं जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ऊं जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ऊं जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ऊं जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ऊं जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ऊं जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ऊं जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ऊं जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ऊं जय शिव...॥

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हरितालिका तीज की पूजा कैसे की जाती है?

हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में उत्तम मानी जाती है. इस दिन सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर बालू या शुद्ध काली मिट्‌टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएं. अब केले के पत्तों से मंडप बनाएं. एक बड़े से तांबे के पात्र में गौरी-शंकर, गणपति की प्रतिमा स्थापित करें.

तीज व्रत में क्या क्या चढ़ाते हैं?

हरितालिका तीज व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है और सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है। जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम और दीपक शामिल है।

हरतालिका तीज के दिन क्या क्या खाना चाहिए?

1. व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व जब फल, मिठाई आदि खाना होता है. उस समय में आपको रसीले फल, नारियल पानी आदि का सेवन करना चाहिए ताकि पूरे दिन शरीर में पानी की मात्रा बनी रहे. ​मिठाई भी इसलिए खाया जाता है ताकि पानी अधिक पी सकें.

हरतालिका तीज में क्या नहीं करना चाहिए?

अन्न-जल के ग्रहण से बचें हरतालिका तीज का व्रत निर्जला होता है। फल व पानी का भी सेवन नहीं किया जाता है। वहीं व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद होता है। ऐसे में इस दिन गलती से भी अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए