These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts. पाठ से प्रश्न
1. प्रश्न 2. यासुकी-चान का अनुभव एकदम अलग था. वह पहली और अंतिम बार किसी पेड़ पर चढ़ा था। उस दिन यासुकी-चान ने दुनिया की एक नयी झलक देखी, जिसे उसने पहले कभी न देखा था। “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना”, यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा था। प्रश्न 3. प्रश्न 4. पाठ से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. भाषा की बात प्रश्न 1. प्रश्न 2. गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर 1. यासुकी-चान को पोलियो ………………….. बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. जब तोत्तो-चान में क्यारियों के पास मिला। गरमी की छुट्टियों के कारण सब सूना पड़ा था। यासुकी-चान उससे कुल जमा एक ही वर्ष बड़ा था, पर तोत्तो-चान को वह अपने से बहुत बड़ा लगता था। जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। उसके हाथ अपनी चाल को स्थिर करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे। तोत्तो-चान उत्तेजित थी। वे दोनों आज कुछ ऐसा करने वाले थे जिसका भेद किसी को भी पता न था। वह उल्लास में ठिठियाकर हँसने लगी। यासुकी-चान भी हँसने लगा। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 3. यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी-चान को पीछे से धकियाने लगी। पर तोत्तो-चान थी छोटी और नाजुक-सी, इससे अधिक सहायता क्या करती! यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान को पहली बार लगा कि काम उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी। अब क्या करे वह ? प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. अपूर्व अनुभव Summaryपाठ का सार सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया। उसने अपने माता-पिता से बताए बिना यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता दिया था। तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक पेड़ को अपना पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का भी एक पेड़ था। तोत्तो-चान अक्सर खाने की छुट्टी के समय उस पेड़ पर चढ़कर नीचे सड़क पर चढ़े लोगों को देखा करती थी। सभी बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति समझते थे। यासुकी-चान को पालियो था अतः वह किसी पेड़ पर चढ़ नहीं पाता था। इसलिए तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने अपनी माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। यासुकी-चान उसे मैदान में क्यारियों के पास मिला। यासुकी-चान उससे एक वर्ष बड़ा था। यासुकी-चान को लेकर तोत्तो-चान पेड़ की तरफ आई। उसके बाद वह चौकीदार के छप्पर की ओर गई और एक सीढ़ी को घसीटते हुए लाई। उसने उस सीढ़ी को पेड़ के साथ लगाया। यासुकी-चान को सीढ़ी के द्वारा पेड़ पर चढ़ने को कहा परंतु उसके हाथ-पैर बहुत कमजोर थे वह बिना सहारे के पहली सीढ़ी पर भी नहीं चढ़ पाता था। तोत्तो-चान ने उसे पीछे से धकेलते हुए चढ़ाने की कोशिश की परंतु सफल नहीं हुई। तोत्तो-चान की हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान पेड़ पर चढ़े। अब क्या करे! तभी वह एक बार फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़ी उसे वहाँ एक तिपाई-सीढ़ी मिली जिसे थामे रहना भी जरूरी नहीं था। तोत्तो-चान ने उस तिपाई-सीढ़ी को पेड़ के साथ लगा दिया। तोत्तो-चान ने बहुत ही प्रयास करके यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाया। तोत्तो-चान को यासुकी-चान का पेड़ पर चढ़ाना बहुत अच्छा लगा। काफी मेहनत के बाद दोनों वृक्ष की द्विशाखा पर थे। दोनों पसीने से तरबतर। तोत्तो-चान ने सम्मान से झुककर कहा, “मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।” यासुकी ने कहा, “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ।” शब्दार्थः द्विशाखा-पेड़ के तने के ऊपर का वह भाग जहाँ से शाखाएँ अलग-अलग हो जाती हैं, निजी-व्यक्तिगत/खुद की, शिष्टता-सभ्यता, ठिठियाकर-खिलखिलाकर, छप्पर-घास फूंस से बनी घर की छत, धकियाना-पीछे से धक्का देकर जोर लगाना, हताशा-निराशा। अपनी मां से झूठ बोलते समय तो तो चांद की नजर नीचे क्यों थी?Solution : अपनी माँ से झूठ कहा कि वह यासुकी-चान से मिलने उसके घर . डेनेन चोफु. जा रही है, तोत्तो-चान में आत्मविश्वास पहले जैसा नहीं था। इसी कारण वह अपनी माँ से नज़रें मिलाकर बात नहीं कर पा रही थी और उसकी नज़रें नीची थीं।
तोत्तो चान ने किसे और क्यों न्योता दिया था?तोत्तो-चान ने अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता यासुकी-चान को दिया था।
तोत्तो चान यासुकी चान से उम्र में कितनी छोटी थी?Answer: यासुकी चान और तोत्तो चान की उम्र में कितने वर्ष का अंतर था ??? यासुकी चान और तोत्तो चान की उम्र में 1 वर्ष का अंतर था।
यासुकी चान पेड़ पर क्यों नहीं चढ़ सकता था?यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के नहीं चढ़ पाता था।
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