बालक के समाजीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व कौन कौन से हैं? - baalak ke samaajeekaran ko prabhaavit karane vaale tatv kaun kaun se hain?

बच्चों के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?

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UPTET 2017 Paper-1 (Hindi - English/Sanskrit) Hinglish Solution

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  1. आर्थिक तत्व 
  2. सामाजिक-पर्यावरणीय तत्व
  3. शारीरिक तत्व 
  4. वंशानुगत तत्व 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सामाजिक-पर्यावरणीय तत्व

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CT 1: CDP (Growth & Development)

10 Questions 10 Marks 10 Mins

सामाजिक विकास से तात्पर्य किसी व्यक्ति के विकास से है, जैसे वह समाज का एक उपयोगी सदस्य बन जाता है। सामाजिक विकास समूह के मानकों के अनुरूप सीखने की प्रक्रिया है।

बालक के समाजीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व कौन कौन से हैं? - baalak ke samaajeekaran ko prabhaavit karane vaale tatv kaun kaun se hain?
Key Points

सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक:

सामाजिक विकास के स्तर पर असर डालने वाले कुछ कारक सामाजिक-पर्यावरणीय तत्व हैं:

  1. एक बच्चे के सामाजिक विकास को उस संस्कृति और समाज द्वारा नियंत्रित किया जाता है जिसमें वह रहता है। इसीलिए विभिन्न संस्कृतियों से आने वाले बच्चों की सामाजिक प्रतिक्रियाओं की अलग-अलग शैली होती है।
  2. परिवार: बच्चे के समाजीकरण के लिए परिवार सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिक एजेंसी है। जानबूझकर या अनजाने में, बच्चा परिवार में माता-पिता और अन्य सदस्यों के व्यवहार की नकल करता है और इस तरह कई अच्छी या बुरी सामाजिक विशेषताओं को चुनता है।
  3. माता-पिता के बच्चे से रिश्ते, माता-पिता द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा, माता-पिता का शैक्षिक स्तर और माता-पिता की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और माता-पिता के साथ बिताने के लिए अवकाश की उपलब्धता, परिवार में सदस्यों की संख्या अन्य कारक हैं बच्चे के सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं।
  4. सहकर्मी समूह: सहकर्मी समूह बच्चे की स्वीकृति, उपलब्धि, स्नेह, अनुमोदन, निरंतरता, प्रसिद्धि, मान्यता आदि जैसी कई जरूरतों को पूरा करता है। विशेष रूप से पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में साथियों की एक अच्छी कंपनी, अच्छे गुणों को सीखने में बहुत मदद करती है। सहकर्मी समूह बातचीत के माध्यम से, बच्चा समझता है कि कैसे सहयोग करें, कैसे नेतृत्व करें और कैसे पालन करें, एक सामान्य कारण के लिए सोचें, और चुनौतीपूर्ण विभिन्न परिस्थितियों को समायोजित करें।
  5. स्कूल: स्कूल से संबंधित बहुत सारे कारक बच्चे के समाजीकरण को प्रभावित करते हैं। विद्यालय में पारस्परिक संबंध, इसकी परंपरा, मूल्य, और संस्था द्वारा बनाए गए आदर्श, पाठ्यचर्या और सह-पाठयक्रम गतिविधियों, शिक्षकों और स्कूल के साथियों के सामाजिक गुणों और व्यवहार आदि का समाजीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। 

इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि बच्चों के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक सामाजिक-पर्यावरणीय तत्व हैं।

Last updated on Sep 22, 2022

MP TET Revised Result (2020) declared on 3rd October 2022. Earlier, the Professional Examination Board of Madhya Pradesh had declared the MP TET Result 2020 for Primary School Teacher Eligibility Test on 8th August 2022. The MP TET exam was conducted from 5th March to 26th March 2022. Candidates can check out their results from their applicant number/roll number and date of birth. Only candidates with a Diploma/B.Ed degree appeared for the examination. The candidates who will be qualified for the MP TET can earn a salary ranging from INR 2.7 lakhs to INR 3.5 lakhs per annum as a Primary School Teacher

आज हमलोग बालकों में होने वाले समाजीकरण की प्रक्रिया के बारे में अध्ययन करेंगे तथा यह जानेंगे समाजीकरण(Socialisation)क्या है? तथा समाजीकरण के सिद्धांत कौन-कौन से हैं, एवं बालकों में समाजीकरण की प्रक्रिया किस प्रकार से होती है। For CTET, D.El.Ed & B.Ed समाजीकरण (Socialisation) क्या है?


मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा समाज के बिना किसी मनुष्य के सर्वांगीण विकास होना असंभव है समाजीकरण की प्रक्रिया कौशल क्षमता प्राप्त करना, अनुकरण करना इत्यादि के साथ-साथ इसके माध्यम से व्यक्ति जीवन से संबंधित विभिन्न प्रकार की व्यवहार को भी सीखता है जैसे- परोपकार करना, आत्मनिर्भर होना, सभ्य सुशील बनना, इत्यादि समाजीकरण के माध्यम से व्यक्ति अपने संस्कार, मानवीय मूल्यों, नैतिकता इत्यादि को भी सीखता है समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार, समाज तथा समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

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मनोवैज्ञानिकों के अनुसार समाजीकरण की परिभाषा

जॉनसन के अनुसार “समाजीकरण एक प्रकार का सीखना है जो सीखने वाले को सामाजिक कार्य करने योग्य बनाता है” ।

हार्टल और हार्टल के अनुसार – “यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने आप को समुदाय के आदर्शी के अनुकूल बनाता है”।

स्वीर्वट एंव गिलन के अनुसार – “समजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग अपनी संस्कृति के विश्वासो,अभिवृतियों, मूल्यो और प्रथाओं को ग्रहण करते हैं”।

किंबल यंग के अनुसार यंग –समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक संस्कृतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है एवं समाज के विभिन्न समूहों का सदस्य बनता है तथा जिसके द्वारा समाज के मूल्य एवं मान्यताओं को स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है

रॉस के अनुसार – समाजीकरण सहयोग करने वाले व्यक्तियों में “हम” भावना का विकास करता है और उन्हें एक साथ कार्य करने की इच्छा तथा क्षमता का विकास करता है

समाजीकरण (Socialisation) क्या है?

समाजीकरण की विशेषताएं:-

  • एक सीखने वाली प्रक्रिया होती है
  • सामाजिकरण जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया होती है
  • यह मनुष्य को उसकी संस्कृति से आत्मसात कराती है
  • यह एक गत्यात्मक प्रक्रिया है
  • मनुष्य का सर्वांगीण विकास समाजीकरण की प्रक्रिया से ही संभव है

समाजीकरण के उद्देश्य :-

  • प्रत्येक व्यक्ति को उसके सामाजिक पृष्ठभूमि से अवगत कराना
  • बालकों को अनुशासन का पाठ पढ़ना
  • प्रत्येक बालकों में प्रेरणा उत्पन्न करना
  • व्यवहारों में अनुरूपता लाना इत्यादि पाठ्यक्रम का उद्देश्य है

समाजीकरण के प्रकार :-

1. प्राथमिक समाजीकरण

प्राथमिक सामाजिकरण में मुख्य अभिकर्ता के रूप में परिवार तथा बालकों की मित्रों की भूमिका होती है समाजीकरण की इस अवस्था में बालक अपने जीवन की शुरुआत करता है बालक समाज के माध्यम से व्यवहारिक ज्ञान सिखाता है शिक्षा, संस्कृति, मूल्य तथा अभिवृत्ति का विकास सामाजिकरण की इसी चरण में होता है

2.द्वितीय या गौण सामाजिकरण

समाजीकरण की इस अवस्था में बालक सामुदायिक तरीके से सीखने के व्यवहार को अपनाता है इस प्रकार से समाजीकरण का माहौल विद्यालयों, खेल के मैदानों एवं पड़ोसियों के संदर्भ में देखने को मिलता है, जो बालक को व्यवहारिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

समाजीकरण (Socialisation) क्या है? CTET, D.El.Ed & B.Ed

समाजीकरण की अवस्थाएं:-

अध्ययन के दृष्टिकोण से सामाजिकरण को अवस्थाओं में विभाजित किया गया है –

1.शैशवावस्था

  • समाजीकरण के इस अवस्था में बच्चा माता पिता पर निर्भर होता है प्रथम वर्ष तक बच्चों में शर्मीलेपन के भाव दिखते हैं तथा बालक दूसरे का ध्यान अपनी तरफ खींचने का प्रयास करते रहते हैं
  • इस अवस्था में अनुकरण की प्रवृत्ति के आधार पर बच्चों में भाषा तथा अनेक प्रकार के व्यवहार का विकास होता है

2. प्रारंभिक बाल्यावस्था

  • इस अवस्था में बच्चों की नाराज होने की प्रवृत्ति तथा आपस में झगड़ने की प्रवृत्ति का विकास होने लगता है
  • अभिभावक के निर्देशों को इनकार करने की प्रवृत्ति तथा सहानुभूति एवं सहयोग की भावना का विकास एवं जिज्ञासा की प्रवृत्ति का विकास  इसी अवस्था में होता है

3. उत्तर बाल्यावस्था

  • उत्तर बाल्यावस्था में बालकों में अन्य लोगों के विचारों एवं सुझावों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है
  • इस अवस्था में प्रतियोगिता की भावना का विकास तथा सहानुभूति की भावना का विकास भी होता है
  • सामाजिकरण की इस अवस्था में बालकों में पक्षपात, भेदभाव, दायित्व तथा जवाबदेही जैसी प्रवृत्ति का विकास होता है

4. किशोरावस्था

  • किशोरावस्था को समाजीकरण की सबसे जटिल अवस्था माना गया है
  • इस अवस्था को “आंधी- तूफान” की अवस्था भी कहा गया है
  • इस अवस्था में बालक अपने समकक्ष मित्रों एवं समूह के साथ समायोजन करने लगता है तथा उनमें सामाजिक सूझबूझ का विकास होने लगता है
  • सामाजिकरण की इस अवस्था में बालकों का आत्मविश्वास मजबूत होने लगता है
  • विचारक जोजेफ का मानना है कि- ” अधिकांश किशोर ऐसे लोगों को मित्र बनाना चाहते हैं जिन पर विश्वास किया जा सके, जिनसे खुले मन से बात की जा सके”

समाजीकरण (Socialisation) क्या है? CTET, D.El.Ed & B.Ed

समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक

1. पालन- पोषण

बालक के समाजीकरण में पालन पोषण का महत्वपूर्ण भूमिका होती है प्रारंभिक जीवन बालोंको को जिस प्रकार का वातावरण मिलता है, जिस प्रकार का माहौल मिलता है उसी के अनुसार बालक में भावनाएं तथा अनुभूतियां विकसित हो जाती है एक बालक समाज विरोधी आचरण उसी समय करता है, जब वह स्वयं को समाज के साथ व्यवस्थापित नहीं कर पाता

2. सहानुभूति

सहानुभूति का भी बालक के समाजीकरण में गहरा प्रभाव पड़ता है इसका कारण यह है कि सहानुभूति के द्वारा बालक में  अपनत्व  की भावना विकसित होती है जिसके परिणाम स्वरूप व एक दूसरे में भेदभाव करना सीख जाता है वह उस व्यक्ति को अधिक प्यार करने लगता है जिसका व्यवहार उसके प्रति सहानुभूतिपूर्ण होता है

3. सामाजिक शिक्षण

सामाजिक शिक्षण का आरंभ परिवार से होता है, जहां पर बालक माता पिता, भाई-बहन तथा अन्य सदस्यों से खान-पान तथा रहन-सहन आदि से शिक्षा ग्रहण करता है

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4. पुरस्कार एवं दंड

जब बालक समाज के आदर्शों तथा मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करता है, तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं तथा लोग में उस कार्य के लिए पुरस्कार की देते हैं वहीं दूसरी तरफ जब बालक कोई असामाजिक व्यवहार करता है, तो दंड दिया जाता है जिससे भयभीत होकर वह दोबारा ऐसा व्यवहार नहीं करता है

5. वंशानुक्रम

बालक ने वंशानुक्रम से प्राप्त कुछ अनुवांशिक गुण होते हैं जैसे- मूलभाव, संवेग, सहज क्रिया तथा क्षमताए इत्यादि इसके अतिरिक्त उनके अनुकरण एवं सहानुभूति जैसे गुणों में भी वंशानुक्रम की प्रमुख भूमिका होती है यह सभी तत्व बालक के समाजीकरण के लिए उत्तरदाई होते हैं

6. परिवार

बालक के समाजीकरण उसके परिवार से ही आरंभ होता है बालक अपने परिवार के लिए लोगों के संपर्क में रहता है, तो उनसे सीखता है परिवार के लोगों के रहन-सहन, बात- विचार, इत्यादि का अनुकरण करने लगता है इस प्रकार से परिवार बालक की समाजीकरण में अहम भूमिका निभाता है

प्रतिभाशाली बालक किसे कहते हैं  :- Click Here

बच्चे के समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?

समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक.
स्वयं केंद्रित बालक.
माता पिता पर आश्रित बालक.
सामाजिक खेल का विकास.
स्पर्धा की भावना.
मैत्री और सहयोग.
सामाजिक स्वीकृति.

बालक के समाजीकरण में सबसे महत्वपूर्ण कारक क्या है?

परिवार: परिवार को आमतौर पर समाजीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। शिशुओं के रूप में, हम जीवित रहने के लिए पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हैं। हमारे माता-पिता, या जो माता-पिता की भूमिका निभाते हैं, वे हमें कार्य करने और खुद की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार हैं।

समाजीकरण करने वाले तत्व कौन कौन से हैं?

समाजीकरण की परिभाषा मार्गरेट मीड और लिण्टन जैसे मानव-विज्ञानियों के अनुसार किसी समूह की संस्कृति को ग्रहण करने की प्रक्रिया को समाजीकरण कहा जाता है। ... .
समाजीकरण करने वाले तत्व (समाजीकरण के तत्व) ... .
परिवार- ... .
उत्सव- ... .
विद्यालय- ... .
खेल- ... .
स्काउटिंग तथा गर्लगाइडिंग- ... .
बाल-गोष्ठियां-.

बालक के समाजीकरण से आप क्या समझते हैं?

ग्रीन के अनुसार, " समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चा सांस्कृतिक विशेषताओं, आत्म एवं व्यक्तित्व को प्राप्त करता हैं। फिचर के शब्दों में "समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों को स्वीकार करता है और उसके साथ अनुकूलन करता हैं