पंकज कुमार Show स्त्री विमर्श अपने आप में पुरुष द्वारा थोपी गई जाति के लैंगीकरण की अमानवीय व्यवस्था के विरूद्ध
स्त्रीत्व का जीवंत संघर्ष है. पितृसत्ता तथा पुरुषवाद स्त्री जाति का जन्म से ही बनावटी भेदमूलक कसौटियों पर स्त्रीलिंगी जैविकता में कैद कर उनकी यौनिकता, प्रजनन क्षमता, उत्पादन क्षमता को मनमाने सता आधारित अर्थों व उद्देश्यों के लिए मालिकाना हक से निचोड लेते हैं। स्त्री-विमर्श स्त्री के जीवन देह, श्रम, सौन्दर्य, छवि को दोहने वाली मादाभक्षी पितृसत्ता के सार्वभौमिक लिंगवादी वर्चस्व विरोधी, स्त्रीजाति का अस्मितामूलक विमर्श और सामाजिक-राजनीतिक उन्नयन के लिए चौतरफा संघर्ष है। यह संघर्ष साहित्य के
जरिये जिन लेखिकाओं ने किया है उनमें प्रभा खेतान प्रमुख हैं. प्रभा खेतान कृष्णा सोबती, मन्नू भंडारी और उषा प्रियंवदा के बाद की पीढी की महत्वपूर्ण उपन्यासकार हैं। स्त्री
आत्मकथा : आत्माभिव्यक्ति और मुक्ति प्रश्न
अपने अधिकांश उपन्यासों में स्त्री जीवन की विविध समस्याओं को प्रभा खेतान ने चित्रित किया है। चाहे पूरब हो या पश्चिम, स्त्रियाँ इस पुरुषवादी व्यवस्था के बीच शोषित होने के लिए अभिशप्त रही हैं. अपनी बात को वो ‘अपने-अपने चेहरे’ उपन्यास में स्पष्ट कहती है कि ‘‘आप नहीं जानती बहन जी! औरत की सारी स्वतन्त्रता उसके पर्स में निहित है।’’ औरत को सही रूप में आजाद देखने के लिए उसे आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनना पडेगा। स्त्रियाँ आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी है फिर भी वह बार-बार पुरुष से छली जा रही है। इस छल के कारण वह कुंठित हो गई है। ‘‘केवल आर्थिक ढाँचा बदलने से स्त्री को पुरुष के दिमाग में जो स्त्री की पुरुष-हित में छवियों गढ़ता है सम्पूर्ण बदलाव नहीं लाया जाता है।’’ जेंडर की अवधारणा और अन्या से अनन्या पितृसत्तात्मक क समाज द्वारा स्त्री को बच्चा बनाने वाली मशीन समझे जाने पर व्यंग्य करते हुए कहती है, ‘‘मुझे क्यों लाए थे आपके भाई बच्चा पैदा करने ही ना? तो जनकर पटक दिया। बच्चे क्या मेरे कहलाए।’’ पत्नी पति की सुख-सुविधा के लिए है यह एक ऐसी मानसिकता है जहाँ पुरुष प्रधानता हमेशा गौण स्त्रित्व पर हावी रहती है। ‘छिन्नमस्ता’ इसका एक पुख्ता उदाहरण है। इसी के समरूप ‘‘अरस्तु ने स्त्रियों को गुलाम के बराबर ला खडा किया और कहा कि ‘‘उनके अस्तित्व की सार्थकता इसी में है कि वे slaves, artisans and traders की तरह highest happiness of the few के लिए प्रस्तुत रहें- राहों में बिछी हुई सी।’’
सन्दर्भ सूची दलित स्त्रीवाद , मेरा कमरा, जाति के
प्रश्न पर कबीर छाया के अनुसार स्त्री पुरुष के जीवन में क्या महत्त्व रखती है?छाया के अनुसार स्त्री पुरुष के जीवन में क्या महत्व रखती है? उत्तर: छाया के अनुसार जिस प्रकार कविता पुरुष के सूने मन को प्रसन्न कर देती है वैसे ही स्त्री भी पुरुष के बोझिल मन को बहलाने का साधन है। जब पुरुष जीवन के संघर्षों का सामना करते हुए थक जाता है तब वह स्त्री पर अपना सारा प्रेम और अरमान लुटाता है।
स्त्री को सबसे ज्यादा मजा कब आता है?महिलाओं को कब पसंद है सेक्स करना
लेकिन महिलाओं का मानना था कि सुबह के समय उन्हें सेक्स करने में ज्यादा आनंद आता है। जब वह सुबह के समय यौन संबंध बनाती हैं तो उन्हें जल्दी ही संतुष्टि प्राप्त हो पाती है। यही कारण है कि ज्यादातर महिलाएं सुबह के समय सेक्स करना ज्यादा पसंद करती हैं।
पराई स्त्री अच्छी क्यों लगती है?पुरुष क्यों पराई स्त्री से आकर्षित होते हैं
बच्चे के जन्म के बाद अक्सर ये देखा गया है कि स्त्री बच्चों का ध्यान अधिक रखती है. ऐसे में पुरुष का अपनी पत्नी के ओर से आकर्षण खत्म हो जाता है और वो पराई स्त्री से आकर्षित हो जाता है. उससे संबंध बना लेता है. कुछ पत्नी ऐसी होती हैं जो अपने पति का सम्मान नहीं करती हैं.
महिलाएं कैसे पुरुषों को पसंद करती है?आत्मविश्वासी पुरुष
इनका कॉन्फिडेंस से परिपूर्ण डॉमिनेटिंग नेचर महिलाओं को बहुत पसंद होता है, इसलिए वे आत्मविश्वासी पुरुषों पर आसानी से भरोसा कर लेती हैं। कॉन्फिडेंट पुरुष किसी भी बात में महिलाओं पर निर्भर नहीं रहते, वे ख़ुद के निर्णय ख़ुुद लेते हैं। यही बातें महिलाओं को उनकी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखती है।
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