संविधान के भाग – भारतीय संविधान में वर्तमान में कुल 25 भाग है भारतीय संविधान के भाग से यह तात्पर्य है की जितने भी क्रमशः अनुछेद संविधान में है उसमें बहुत अनुछेद एक ही विषय के ऊपर बात करते है, तो जो अनुछेद एक ही विषय के ऊपर बात करते है, उन्हें एक करके उनका समूह बना दिया गया, और उन समूह को भाग कहा जाता है दोस्तों, आइये हम इन भागों को पढ़े: हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई संविधान के भाग के बारे में जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो। धन्यवाद। यह भी पढ़े : Directive Principles of State Policy in Hindi यह भी पढ़े : fundamental rights in hindi यह भी पढ़े : भारतीय संविधान की अनुसूचियां यह भी पढ़े : सिंधु घाटी सभ्यता पथ प्रदर्शन: भारतीय संविधान > भाग 3 : मूल अधिकार > शोषण के विरुद्ध अधिकार > अनुच्छेद 23 23(1): मानव का
दुर्व्यापार और बेगार तथा इसी प्रकार का अन्य बलाश्रम प्रतिषिद्ध किया जाता है और इस उपबंध का कोई भी उल्लंघन अपराध होगा जो विधि के अनुसार दंडनीय होगा । 23(2): इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए अनिवार्य सेवा अधिरोपित करने से निवारित नहीं करेगी । ऐसी सेवा अधिरोपित करने में राज्य केवल धर्म, मूलवंश, जाति या वर्ग या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा । -संविधान के शब्द और पढ़े:- अनुच्छेद 24 अनुच्छेद 25 अनुच्छेद 26 नमस्ते! मैं मेहुल जोशी हूँ। मैंने इस ब्लॉग को संवैधानिक प्रावधानों और भारतीय कानूनों को बहुत आसान बनाने की दृष्टि से बनाया है ताकि आम लोग भी कानून आसानी से समझ सकें। Post navigationभारतीय संविधान के भाग 23 24 25 में क्या है?स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)। शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23–24)। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)। सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29–30)।
भारतीय संविधान का 23 भाग क्या है?भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 23: भारत के संविधान के अंतर्गत अनुसूचित जातियां, आंग्ल भारतीय समुदाय, पिछड़े वर्ग तथा अल्पसंख्यकों के लिए विशेष आरक्षण के उपबंध
आर्टिकल 23क्या है?Indian Penal Code यानी आईपीसी की धारा 23 सदोष अभिलाभ और संपत्ति से संबंधित है.
24 वां संविधान संशोधन क्या है?5 नवंबर, 1971 को संविधान (24वां संशोधन) अधिनियम को मंजूरी दी गई थी। इस संशोधन का उद्देश्य आई.सी. गोलक नाथ बनाम पंजाब राज्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को रद्द करना था। जिसमें कहा गया था कि संसद किसी भी तरह से मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित नहीं कर सकती है।
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