बच्चा उल्टा क्यों हो जाता है? - bachcha ulta kyon ho jaata hai?

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बच्चा उल्टा होने या फिर मुंह मेें गंदगी का डर दिखा कर हो रहे ऑपरेशन

कुछप्राइवेट अस्पतालोंमें सीजेरियन डिलीवरी के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। बच्चा उल्टा होने। बच्चे के गले में कॉर्ड फंस जाने या फिर बच्चे के मुंह में गंदा पानी चला जाने का रिस्क दिखाकर ही गर्भवती महिलाओं को सीजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जाती है। बच्चे के रिस्क में ये सलाह माननी ही पड़ती है।

नॉर्मल डिलीवरी की अपेक्षा सीजेरियन में कमाई भी मोटी होती है। इसी वजह से सिविल की अपेक्षा प्राइवेट अस्पतालों में सीजेरियन केसों की संख्या डबल है। स्वास्थ्य महकमे के अफसर भी यह बात स्वीकार करते हैं। पर काफी हद तक इसके लिए गर्भवती महिला उनके परिजन ही जिम्मेदार होते हैं।

20से 40 हजार में हो रही है डिलीवरी : प्राइवेटअस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी की एवज में 20 से 40 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। कुछेक अस्पताल तो 50 हजार रुपए तक ले रहे हैं। जबकि सिविल अस्पताल में ऐसी डिलीवरी पर खर्च काफी कम आता है। सरकारी अस्पताल में 60 से 70 फीसदी नॉर्मल डिलीवरी हो रही है जबकि प्राइवेट अस्पताल में यह संख्या 20 से 30 प्रतिशत ही है। आंकड़ों से साफ जाहिर है कि प्राइवेट अस्पताल सीजेरियन डिलीवरी को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि इसके पीछे असल वजह किसी को मालूम ही नहीं है।

कमाईबढ़ाने का जरिया है सीजेरियन डिलीवरी : निजीचिकित्सकों के लिए कमाई बढ़ाने का जरिया है सीजेरियन डिलीवरी। दरअसल नॉर्मल डिलीवरी से प्राइवेट अस्पतालों को इतनी कमाई नहीं होती। मोटी कमाई के लिए ही सीजेरियन को तवज्जो दी जा रही है। दूसरी ओर सिविल अस्पताल में चिकित्सक नॉर्मल डिलीवरी को ही बढ़ावा दे रहे हैं। जरूरी केसों में ही सीजेरियन डिलीवरी का निर्णय लिया जाता है। इसी वजह से सरकारी अस्पताल में ऐसे केसों की संख्या बेहद कम है।

तीनमहीने में 335 सीजेरियन डिलीवरी : सिविलअस्पताल यमुनानगर में तीन महीने के भीतर महज 335 सीजेरियन डिलीवरी हुई है। प्राइवेट अस्पतालों की अपेक्षा यह संख्या काफी कम है। सिविल अस्पताल में जनवरी महीने में कुल 346 नॉर्मल 129 सीजेरियन डिलीवरी हुई। जबकि फरवरी में नॉर्मल डिलीवरी 259 सीजेरियन डिलीवरी 105 हुई। इसी तरह मार्च में 256 नॉर्मल 101 सीजेरियन डिलीवरी हुई हैं।

प्राइवेटमें हर दूसरी डिलीवरी सिजेरियन से : भास्करने शहर के एक दर्जन से ज्यादा अस्पतालों का सर्वे किया। वहां के रिकार्ड के मुताबिक हर दूसरी डिलीवरी सिजेरियन की जाती है। मरीज के परिजनों को जच्चा-बच्चा की सुरक्षा की दुहाई दी जाती है। जिससे मरीज के परिजन डर के मारे सिजेरियन के लिए सहमति दे देते हैं।

^ ये बात बिल्कुल सही है कि प्राइवेट अस्पतालों में सबसे ज्यादा सीजेरियन डिलीवरी हो रही हैं। इसकी वजह से सब वाकिफ हैं। इसके लिए महिलाएं उनके परिजन भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं। मगर सिविल अस्पताल में सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी ही होती है। जरूरत पड़ने पर ही महिला को सीजेरियन की सलाह दी जाती है। डॉक्टरशिवेंद्र सिंह, डिप्टी सीएमओ, स्वास्थ्य विभाग, यमुनानगर

प्राइवेट में हर महीने 250 डिलीवरी

प्राइवेटअस्पताल में सीजेरियन डिलीवरी की संख्या सरकारी की अपेक्षा डबल है। मगर आईएमए इन आरोपों का कड़ा विरोध कर रही है। आईएमए के प्रधान डॉक्टर अनिल अग्रवाल ने बताया कि यमुनानगर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से 54 प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक जुड़े हैं। इनमें से 47 अस्पतालों में सीजेरियन दूसरे ऑप्रेशन होते हैं। इन अस्पतालों में हर महीने करीब 1200 डिलीवरी होती है। जिसमें से 250 के आसपास ही सीजेरियन डिलीवरी होती है। गर्भवती महिलाएं उनके परिजन ही बच्चे का रिस्क नहीं लेना चाहते। उनकी सहमति से ही ज्यादातर सीजेरियन डिलीवरी होती हैं। रही बात फीस की वो सुविधाओं के लिहाज से निर्धारित है। किसी महिला का पहला बच्चा अगर सीजेरियन डिलीवरी से पैदा होता है तो उसके दूसरे बच्चे की डिलीवरी भी 99 फीसदी सीजेरियन से ही होगी। हां अगर गर्भ में पल रहा शिशु ज्यादा ही कमजोर हो तो चांस नॉर्मल डिलीवरी के बन जाते हैं। दूसरे बच्चे की डिलीवरी से पहले महिला को यह बताना होता है कि पहला बच्चा सीजेरियन डिलीवरी से पैदा हुआ था। उसी आधार पर ही चिकित्सक महिला की दोबारा डिलीवरी होती है।

बच्चा उल्टा क्यों हो जाता है? - bachcha ulta kyon ho jaata hai?

बच्चा उल्टा क्यों हो जाता है? - bachcha ulta kyon ho jaata hai?

'उल्टा पैदा होना' भारत में एक कहावत की तरह इस्तेमाल होता है, खासकर तब जब कोई व्यक्ति कोई अटपटी बात कह दे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ बच्चे वाकई जन्म के समय उल्टे पैदा होते हैं, यानी गर्भ में उनका सिर ऊपर की तरफ और पैर नीचे की तरफ होता है। इसे ब्रीच प्रेगनेंसी (Breech Pregnancy) कहा जाता है। गर्भ में अगर बच्चा उल्टा होगा तो आपको यह महसूस होगा कि वह आपके निचले पेट की ओर लात मार रहा है और उसका सिर भी आपको अपनी पसलियों के आसपास महसूस होगा। अधिकतर ब्रीच बच्चों की डिलीवरी सिजेरियन से ही होती है। आप बच्चे को सही अवस्था में लाने के लिए कई सारे प्राकृतिक तरीकों का प्रयोग कर सकती हैं या फिर आपके डॉक्टर उन्हें सही अवस्था में लाने में मदद कर सकते  हैं। 

इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल की सीनियर आईवीएफ एक्सपर्ट एंड गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर सारिका अग्रवाल के मुताबिक बच्चे के गर्भ में उल्टे होने की 5 अवस्थाएं होती हैं। जैसे कि कंप्लीट, सिंगल फुटलिंग व इनकंप्लीट, फ्रेंक या डबल फुटलिंग ब्रीच वाली अवस्थाएं। किसी-किसी अवस्था में पेट पर हल्का सा प्रेशर डाल कर बच्चे की अवस्था को बदला जा सकता है। जिसको हम मेडिकल भाषा में ईसीवी भी बोलते हैं। लेकिन हर अवस्था में यह संभव नहीं है और न ही हर महिला के साथ। यदि प्रसव के दौरान बच्चे का सिर ऊपर और पैर नीचे की तरफ होता है तो उस समय नॉर्मल डिलीवरी संभव नहीं होती इसलिए ऑपरेशन कर बच्चे को निकाला जाता है। पूरी प्रेगनेंसी के दौरान बच्चा कई बार अपनी पोजीशन बदलता है और इन 9 महीनों में घूमता भी रहता है। इसलिए 3 से 4% महिलाओं के केस में बच्चा डिलीवरी के समय उल्टा (ब्रीच बेबी) हो सकता है।

बच्चा उल्टा क्यों हो जाता है? - bachcha ulta kyon ho jaata hai?

क्या होती है ईसीवी प्रक्रिया? (What Is ECV)

ब्रीच बेबी को उल्टा करके सही अवस्था में लाने की एक प्रक्रिया होती है जिसे ईसीवी कहा जाता है। आपके डॉक्टर आपके पेट में प्रेशर लगा कर बच्चे को उल्टा करने की कोशिश कर सकते हैं। इस स्थिति को कई सारी महिलाएं बहुत दर्दनाक मानती हैं और यह असहज महसूस करने वाली स्थिति भी होती है। इस प्रक्रिया को 55% सफलता मिलने की संभावना रहती है और अगर आपका यह पहला बच्चा नहीं है तो बच्चा उलट भी सकता है। अगर आपके पेट में एक से अधिक बच्चा है या फ्लुइड कम है तो यह प्रक्रिया आपके लिए नहीं है। अगर आप के बच्चे को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है तो आपके डॉक्टर फिर भी इस प्रक्रिया को करने से मना करेंगे। यह प्रक्रिया पूरे 9 महीने के बाद की जाती है ताकि अगर कोई समस्या भी आए तो आप डिलीवरी के लिए भी तैयार की जा सकें।

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बच्चा उल्टा (ब्रीच बेबी) होने के लक्षण (Symptoms Of Breech Baby)

अगर आपको बच्चे की लात निचले भाग में महसूस हो रही हैं तो इसका अर्थ है आपका बच्चा उल्टा है। तीसरे महीने में आते आते आपके डॉक्टर आपको यह बता सकते हैं कि आपका बच्चा किस अवस्था में रहने वाला है। अगर 9वें महीने तक भी आपके डॉक्टर बच्चे की अवस्था को नहीं समझ पाते हैं तो उन्हें आपका अल्ट्रा साउंड करवाना पड़ सकता है।

कुछ बच्चे उल्टे (ब्रीच बेबी) क्यों होते हैं? (Breech Baby Causes)

वैसे तो ब्रीच बेबी अधिकतर केसों में बिलकुल स्वस्थ जन्म लेते हैं। लेकिन कुछ बहुत ही दुर्लभ केस ऐसा हो सकता है जिसमें किसी बर्थ डिफेक्ट के कारण वह उल्टी अवस्था में आ गए हों। हालांकि बच्चे पेट में घूमते रहते हैं और अपनी अवस्था बदलते रहते हैं। लेकिन 8वें महीने में बच्चे के पास घूमने के लिए अधिक जगह नहीं बचती है। इसलिए आपका बच्चा उल्टा हो सकता है।

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बच्चा उल्टा क्यों हो जाता है? - bachcha ulta kyon ho jaata hai?

ब्रीच बेबी होने के कुछ निम्न कारण हो सकते हैं: 

  • जब आपके पेट में एक से अधिक बच्चा हो
  • आप पहले भी गर्भवती रह चुकी हैं
  • आपकी प्लेसेंटा आपके यूटरस के खुलने वाले भाग को पूरी तरह से कवर कर रही हो
  • आपका बच्चा समय से पहले जन्म ले रहा हो
  • अम्बिलिकल कॉर्ड छोटी हो
  • आप अपने आप में ही एक ब्रीच बेबी हो या आपकी मां ने किसी अन्य बच्चे को ब्रीच डिलीवर किया हो
  • आपके बच्चे का वजन कम हो
  • जब आपको बेटी पैदा होने वाली हो

अगर आप ईसीवी प्रक्रिया नहीं करवाती हैं तो काफी संभावना रहती है कि आपके बच्चे का जन्म सी सेक्शन से ही हो। वैसे तो वेजिनल डिलीवरी भी हो सकती है लेकिन उसमें बच्चे का सिर आपके सर्विक्स में फंसा रहने का रिस्क होता है जिससे डॉक्टर सी सेक्शन को ही प्राथमिकता देते हैं।

अगर पेट में बच्चा उल्टा हो तो क्या करना चाहिए?

गर्भ में बच्‍चा उल्‍टा हो जाए तो इस स्थिति में ऑपरेशन से ही डिलीवरी करवानी पड़ती है। उल्‍टे बच्‍चे का प्रसव करवाना आसान नहीं होता है लेकिन फिर भी आज के चिकित्‍सा युग में ऑपरेशन की इसका इलाज रह गया है। पुराजे जमाने में दाई बच्‍चे के उल्‍टा होने पर भी बिना ऑपरेशन के सुरक्षित प्रसव करवा देती थीं।

गर्भ में बच्चा सीधा कब होता है?

नॉर्मल प्रेग्‍नेंसी में आमतौर पर बच्‍चे का सिर डिलीवरी के लिए नीचे आ जाता है। प्रेग्‍नेंसी के 35वें हफ्ते से पहले ऐसा हो जाता है लेकिन अगर इस समय तक बच्‍चा नीचे ना आए तो इसके बाद साइज में बड़ा होने और पेट में जगह कम पड़ने की वजह से उसे डिलीवरी के लिए सही पोजीशन में आने में दिक्‍कत होती है।

उल्टा होने का क्या कारण है?

यह कई कारणों से होता है जैसे - मोशन सिकनेस / सीसिकनेस, गर्भावस्था की पहली तिमाही, भावनात्मक तनाव, पित्ताशय की बीमारी, संक्रमण, दिल का दौरा, अधिक भोजन करना, ब्रेन ट्यूमर, कैंसर, अल्सर, बुलिमिया और विषाक्त पदार्थों का सेवन या अधिक शराब।

बच्चे का सिर नीचे लाने के लिए क्या करें?

​जब बच्चा प्रसव के समय नीचे की ओर न खिसके तो क्या करें.
गर्भाशय ग्रीवा खोलने के लिए सही एक्सरसाइज करें।.
इस दौरान क्रॉस लेग करके न बैठें। यह पोजीशन बच्चे को पीछे की ओर धकेलती है।.
आगे की ओर झुक कर बैठे जिससे बच्चा श्रोणि की ओर खिसकता है।.
स्क्वाट्स करें।.