विकारी शब्दों के कौन कौन से भेद होते है? - vikaaree shabdon ke kaun kaun se bhed hote hai?

उपरोक्त उदाहरण में ‘मनुष्य’ और ‘प्रजाति’ किसी एक मनुष्य या प्रजाति का बौध नहीं करा रही है, बल्कि सभी मनुष्य और प्रजाति के बारे में बता रही है। इसीलिए ये दोनों जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण वाक्य हैं।

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दुसरे उदाहरण में उसी प्रकार ‘कुत्ता’ और ‘जानवर’ जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण हैं, क्योंकि ये सभी कुत्तों और जानवरों के बारे में बात करते हैं।

भाववाचक संज्ञा की परिभाषा (bhav vachak sangya definition in hindi)

परिभाषा: जो शब्द किसी चीज़ या पदार्थ की अवस्था, दशा या भाव का बोध कराते हैं, उन शब्दों को भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- बचपन, बुढ़ापा, मोटापा, मिठास, उमंग, चढाई, थकावट, मानवता, चतुराई, जवानी, लम्बाई, मित्रता, मुस्कुराहट, अपनापन, परायापन, भूख, प्यास, चोरी, क्रोध, सुन्दरता आदि।

उपर्युक्त उदाहरणों में से आप किसी को छू नहीं सकते; केवल अनुभव कर सकते हैं।

भाववाचक संज्ञा के कुछ अन्य उदाहरण (bhav vachak sangya examples in hindi)

  • भारत में गरीबी बढ़ रही है।

गरीबी शब्द से गरीब होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः गरीबी एक भाववाचक संज्ञा शब्द है।

  • मेरा बचपन खेलकूद में बीता।

बचपन शब्द से बच्चा होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः बचपन एक भाववाचक संज्ञा है।

  • मेरे दोस्त की लम्बाई मेरे से अधिक है।

लम्बाई शब्द से लम्बा होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः लम्बाई एक भाववाचक संज्ञा है।

  • रमेश और सुरेश की आपस में दोस्ती है।

दोस्ती शब्द से दोस्त होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः दोस्ती एक भाववाचक संज्ञा है।

  • विकास की आवाज़ में बहुत मिठास है।

मिठास शब्द से आवाज़ मीठी होने का बोध हो रहा है। अतः मिठास एक भाववाचक संज्ञा है।

  • तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा।

आज़ादी शब्द से आज़ाद होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः आज़ादी एक भाववाचक संज्ञा है।

  • मुझे तुम पर काफी गुस्सा आ रहा है।

इस वाक्य में गुस्सा आना एक भाव को प्रदर्शित करता है, इस कारण यह भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।

  • मैं तुम से प्रेम करता हूँ।

इस वाक्य में ‘प्रेम’ एक भाव यानी अनुभव को जताता है, जिसकी वजह से यह भाववाचक है।

  • इंसानियत के नाते तुम्हें उसकी मदद करनी चाहिए।

उपरोक्त वाक्य भाववाचक संज्ञा का उदाहरण वाक्य है, जिसमें में ‘इंसानियत’ एक भाव है।

भाववाचक संज्ञा बनाना (bhav vachak sangya banana in hindi)

जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

  • मनुष्य = मनुष्यता
  • मित्र = मित्रता
  • प्रभु = प्रभुता
  • बच्चा = बचपन
  • शैतान = शैतानी
  • शत्रु = शत्रुता
  • समाज = सामाजिकता
  • मूर्ख = मूर्खता
  • डाकू = डकैती
  • माता = मातृत्व
  • युवक = योवन
  • भ्राता = भ्रातृत्व
  • आदमी = आदमियता
  • सेवक = सेवा
  • अध्यापक = अध्यापन
  • भाई = भाईचारा
  • वकील = वकालत
  • साधू = साधुता
  • इंसान = इंसानियत
  • पात्र = पात्रता

सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना

  • सर्व = सर्वस्व
  • माँ = ममता, ममत्व
  • पराया = परायापन
  • अपना = अपनापन
  • निज = निजत्व

विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

  • अच्छा = अच्छाई
  • सुन्दर = सुन्दरता, सौंदर्य
  • शीतल = शीतलता
  • सफल = सफलता
  • कायर = कायरता
  • चतुर = चातुर्य, चतुराई
  • निर्बल = निर्बलता
  • बड़ा = बड़प्पन
  • कातर = कातरता
  • मधुर = मधुरता, माधुर्य
  • छोटा = छुटपन
  • भला = भलाई
  • तीखा = तीखापन
  • मीठा = मिठास
  • सरल = सरलता
  • निपुण = निपुणता
  • नीच = नीचता
  • तीक्ष्ण = तीक्ष्णता
  • ऊँचा = ऊंचाई
  • बूढा = बुढ़ापा
  • काला = कालापन
  • नीला = नीलापन
  • लाल = लाली
  • वीर = वीरता
  • लालची = लालच
  • डरावना = डर
  • क्रोधी = क्रोध
  • भिन्न = भिन्नता
  • शांत = शांति
  • दुष्ट = दुष्टता
  • संपन्न = संपन्नता
  • प्रयुक्त = प्रयाग
  • अंध = अधिकार , अँधेरा
  • सुखद = सुखदायी
  • विपन्न = विपन्नता
  • साहित्यिक = साहित्य
  • एक = एकता
  • शूर = शूरता , शौर्य
  • सम = समता , समानता
  • पथरीली = पथरीलापन
  • क्षुब्ध = क्षोभ
  • बहुत = बहुतायत
  • शीघ्र = शीघ्रता
  • अमीर = अमीरी
  • रोगी = रोग

क्रिया से भाववाचक बनाना

  • पढना = पढाई
  • खोजना = खोज
  • सीना = सिलाई
  • जितना = जीत
  • रोना = रुलाई
  • लड़ना = लड़ाई
  • पढना = पढाई
  • चलना = चाल , चलन
  • खेलना = खेल
  • थकना = थकावट
  • लिखना = लेख
  • हँसना = हँसी
  • दौड़ना = दौड़
  • लूटना = लुट
  • जोड़ना = जोड़
  • घटना = घटाव
  • नाचना = नाच
  • बोलना = बोल
  • पूजना = पूजन

संज्ञा से भाववाचक बनाना

  • मनुष्य = मनुष्यता
  • पशु = पशुत्व
  • भार = भारीपन
  • मित्र = मित्रता
  • किशोर = किशोरपन
  • दास = दासता
  • मानव = मानवता
  • प्रभु = प्रभुता
  • पंडित = पांडित्य
  • शत्रु = शत्रुता
  • बाल = बालपन
  • देव = देवत्व
  • बालक = बालकपन
  • नारी = नारीत्व
  • बच्चा = बचपन
  • स्त्री = स्त्रीत्व
  • लड़का = लडकपन
  • पुरुष = पुरुषत्व
  • नुष्य = मनुष्यता
  • दानव = दानवता
  • बूढ़ा = बुढ़ापा
  • शत्रु = शत्रुता
  • मित्र = मैत्री
  • शिष्य = शिष्यत्व
  • माता = मातृत्व
  • भ्राता = भ्रातृत्व

द्रव्यवाचक संज्ञा की परिभाषा (dravya vachak sangya ki paribhasha in hindi)

परिभाषा: जो शब्द किसी ठोस, तरल, पदार्थ, धातु, अधातु या द्रव्य का बोध करते हैं, द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाते हैं। द्रव्यवाचक संज्ञाएँ ढेर के रूप में नापी या तोली जाती हैं। ये अगणनीय हैं।

जैसे- कोयला, पानी, तेल, घी, लोहा, सोना, चांदी, हीरा, चीनी, फल, सब्ज़ी आदि।

द्रव्यवाचक संज्ञा के कुछ अन्य उदाहरण (dravya vachak sangya examples in hindi)

  • हमे रोजाना फल खाने चाहिए।

इस वाक्य में फल शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • मुझे पानी पीना है।

इस वाक्य में पानी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः पानी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • बाज़ार से सब्ज़ी लेकर आओ।

इस वाक्य में सब्ज़ी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रह है। अतः सब्ज़ी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • मेरा मोबाइल मुझे वापस दो।

इस वाक्य में ‘मोबाइल’ द्रव्यवाचक संज्ञा का उदाहरण है, क्योंकि मोबाइल हमें किसी ठोस द्रव्य का बोध करा रहा है।

  • हमें स्वस्थ रहने के लिए घी खाना चाहिए।

ऊपर दिए गए वाक्य में घी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः घी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • मुझे सोने का हार खरीदना है।

ऊपर दिए गए वाक्य में सोना शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः सोना एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • मुझे चांदी के आभूषण पसंद हैं।

ऊपर दिए गए वाक्य में चांदी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः चांदी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • लोहा बहुत कठोर पदार्थ है।

ऊपर दिए गए वाक्य में लोहा शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः लोहा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • कोयले का रंग काला होता है।

ऊपर दिए गए वाक्य में कोयला शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः कोयला एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • मुझे दूध पीना बहुत पसंद है।

ऊपर दिए गए वाक्य में दूध शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः दूध एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • मीठे व्यंजनों में चीनी इस्तेमाल की जाती है।

ऊपर दिए गए वाक्य में चीनी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः चीनी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • इस बार गेहूँ की फसल बहुत अच्छी हुई।

ऊपर दिए गए वाक्य में गेहूँ शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः गेंहू एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • आम को फलों का राजा कहा जाता है।

ऊपर दिए गए वाक्य में आम शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • सबसे महंगा हीरा कोहिनूर है।

ऊपर दिए गए वाक्य में हीरा शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः हीरा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।

  • मुझे लड्डू बहुत पसंद हैं।

इस उदाहरण वाक्य में लड्डू द्रव्यवाचक है, क्योंकि यह किसी ठोस वस्तु का बोध करा रहा है।

  • कृपया, मेरा झोला उठा लो।

इस वाक्य में झोला शब्द एक ठोस वस्तु का बोध कर रहा है, इसलिए यह द्रव्यवाचक संज्ञा का उदाहरण है।

समूहवाचक संज्ञा की परिभाषा (samuh vachak sangya definition in hindi)

जिन संज्ञा शब्दों से किसी भी व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है, उन शब्दों को समूहवाचक या समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- भीड़, मेला, सभा, कक्षा, परिवार, पुस्तकालय, झुंड, गिरोह, सेना, दल, गुच्छा, दल, टुकड़ी आदि।

समूहवाचक संज्ञा के कुछ अन्य उदाहरण (samuh vachak sangya examples in hindi)

  • क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘टीम’ शब्द से खिलाडियों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘टीम’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।

  • मुझे एक दर्जन केले खरीदने हैं।

यहाँ दिए गए वाक्य में ‘दर्जन’ एक समूह का बोध करा रहा है, इसलिए यह समूहवाचक संज्ञा का उदाहरण है।

  • भारतीय सेना विश्व की सबसे बड़ी सेना है।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘सेना’ शब्द से जवानों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘सेना’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।

  • मेरी पूरी कक्षा के विद्यार्थी घूमने जा रहे हैं।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘कक्षा’ शब्द से विद्यार्थियों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘टीम’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।

  • कल बस स्टैंड पर भीड़ जमा हो गयी।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘भीड़’ शब्द से लोगों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘भीड़’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।

  • मेरे परिवार में चार सदस्य हैं।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘परिवार’ शब्द से सदस्यों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘परिवार’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।

  • कल रात को एक चोरों का गिरोह रंगे हाथों पकड गया।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘गिरोह’ शब्द से चोरों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘गिरोह’ शब्द समुदायवाचक संज्ञा हैं।

  • पुलिस ने चोरो की गाडी से हथियारों का जखीरा बरामद किया।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘जखीरा’ शब्द से हथियारों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘जखीरा’ समुदायवाचक संज्ञा हैं।

  • कालेधन की बात चलते ही सभा में सन्नाटा छा गया।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘सभा’ शब्द से एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘सभा’ शब्द समुदायवाचक संज्ञा हैं।

  • मैंने जंगल में हिरणों का झूंड देखा।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘झुण्ड’ शब्द से हिरणों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘झुण्ड’ समुदायवाचक संज्ञा हैं।

  • मैंने अपने दोस्त को जन्मदिन पर फूलो का गुदस्ता दिया।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘गुलदस्ता’ शब्द से फूलों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘गुलदस्ता’ समुदायवाचक संज्ञा हैं।

  • भारत एक महान देश है।

इस वाक्य में ‘देश’ शब्द एक बड़े समूह या समुदाय का बोध करा रहा है और इस प्रकार यह समुदायवाचक संज्ञा का उदाहरण वाक्य है।

  • आज मैंने अंगूरों का एक गुच्छा खाया।

ऊपर दिए गए वाक्य में ‘गुच्छा’ शब्द से विद्यार्थियों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘गुच्छा’ समुदायवाचक संज्ञा हैं।

सर्वनाम की परिभाषा:

संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त वाले शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है। सर्वनाम संज्ञाओं की पुनरावृति रोककर वाक्यों को सौंदर्ययुक्त बनता है।

सर्वनाम के उदाहरण:

आइये एक उदाहरण के द्वारा सर्वनाम को विस्तार से समझते हैं। नीचे लिखे वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखे – :

  1. पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के दरम्यान ऑक्सीजन मुक्त करते हैं।
  2. पेड़-पौधे पर्यावरण को संतुलित बनाये रखते हैं।
  3. पेड़-पौधे विभिन्न जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं।
  4. पेड़-पौधे भू-क्षरण को रोकते हैं।
  5. पेड़-पोधो से हमें फल-फूल, दवाएँ, इमारती लकड़ी आदि मिलते हैं।

अब इन वाक्यों पर गौर करें -:

  1. पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के दरम्यान ऑक्सीजन मुक्त करते हैं।
  2. वे पर्यावरण को संतुलित बनाये रखते हैं।
  3. वे विभिन्न जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं।
  4. वे भू-क्षरण को रोकते हैं।
  5. उनसे हमें फल-फूल, दवाएँ, इमारती लकड़ी आदि मिलते हैं।

आपने क्या देखा? प्रथम पांच वाक्यों में संज्ञा ‘पेड़-पौधे’ दुहराए जाने पर वाक्य भद्दे हो गए, जबकि नीचे के पांच वाक्य सुन्दर हैं। आपने यह भी देखा होगा की ‘वे’ और ‘उनसे’ पद पेड़-पौधे की और संकेत करते हैं। अतः उक्त वाक्यों में ‘वे’ और ‘उनसे’ सर्वनाम हैं।

मूलतः सर्वनामों की संख्या ग्यारह है –

मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, कोई और कुछ आदि।

सर्वनाम के भेद:

सर्वनाम के पांच भेद होते हैं –

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम
  2. निजवाचक सर्वनाम
  3. निश्चयवाचक सर्वनाम
  4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  5. प्रश्नवाचक सर्वनाम
  6. सम्बन्धवाचक सर्वनाम

1. पुरुषवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा खुद के लिए या दुसरो के लिए किया जाता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे – मैं, हम (वक्ता द्वारा खुद के लिए), तुम और आप (सुनने वाले के लिए) और यह, वह, ये, वे (किसी और के बारे में बात करने के लिए) आदि।

पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

नीचे लिखे उदाहरणों को देखें –

  • मैं फिल्म देखना चाहता हूँ।
  • मैं घर जाना चाहती हूँ।
  • आप कहते हैं तो ठीक ही होगा।
  • तुम जब तक आये तब तक वह चला गया।
  • आजकल आप कहाँ रहते हैं।
  • वह पढने में बहुत तेज है।

पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद

पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं -:

  1. उत्तमपुरुष : जिन शब्दों का प्रयोग बोलने वाला खुद के लिए करता है। इसके अंतर्गत मैं, मेरा, मेरे, मेरी, मुझे, मुझको, हम, हमें, हमको, हमारा, हमारे, हमारी आदि आते हैं। जैसे – मैं फुटबॉल खेलता हूँ। हम दो, हमारे दो।
  2. मध्यम पुरुष : जिन शब्दों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है। इसके अंतर्गत तू, तुझे, तुझको, तेरा, तेरे, तेरी, तुम, तुम्हे, तुमको, तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी, आप आदि आते हैं। जैसे – तुम बहुत अच्छे हो।
  3. अन्य पुरुष : जिन शब्दों का प्रयोग किसी तीसरे व्यक्ति के बारे में बात करने के लिए होता है। इसके अंतर्गत यह, वह, ये, वे आदि आते हैं। इनमें व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण भी शामिल हैं।

(पुरुषवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – पुरुषवाचक सर्वनाम – भेद, उदाहरण)

2. निजवाचक सर्वनाम

जिन शब्दों का प्रयोग वक्ता किसी चीज़ को अपने साथ दर्शाने या अपनी बताने के लिए करता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

निजवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे-:

  • मैं अपने कपडे स्वयं धो लूँगा।
  • मैं वहां अपने आप चला जाऊंगा।

ऊपर दिए वाक्यों में वक्ता ने खुद के लिए स्वयं और अपने आप का प्रयोग कामों को खुद से जोड़ने के लिए किया।

जहाँ ‘आप’ शब्द का प्रयोग श्रोता के लिए हो वहाँ यह आदर-सूचक मध्यम पुरुष होता है और जहाँ ‘आप’ शब्द का प्रयोग अपने लिए हो वहाँ निजवाचक होता है।

(निजवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – निजवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण)

3. निश्चयवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों से किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की निश्चितता का बोध हो वे शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे -: यह, वह आदि।

  • यह मेरी कार है।
  • वह तुम्हारी मोटरबाइक है।
  • ये मेरी पुस्तकें हैं।
  • यह एक गाय है।

ऊपर दिए वाक्यों में यह, वह, ये आदि का इस्तेमाल वस्तु, व्यक्ति आदि की निश्चितता का बोध कराने के लिए किया गया है अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम कहलायेंगे।

(निश्चयवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – निश्चयवाचक सर्वनाम – भेद, उदाहरण)

4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों से वस्तु, व्यक्ति, स्थान आदि की निश्चितता का बोध नही होता वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे-: कुछ, कोई आदि।

  • मुझे कुछ खाना है।
  • मेरे खाने में कुछ गिर गया।
  • मुझे बाज़ार से कुछ लाना है।
  • कोई आ रहा है।
  • मुझे कोई नज़र आ रहा है।

ऊपर दिए गए वाक्यों में वक्ता सिर्फ अंदाजा लगा रहा है लेकिन हमे कस्तू या व्यक्ति की निश्चितता का बोध नहीं हो रहा है। अतः कुछ, कोई आदि शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आते हैं।

(अनिश्चयवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – अनिश्चयवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण)

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम

जिन शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु, व्यक्ति आदि के बारे में कोई सवाल पूछने या उसके बारे में जान्ने के लिए किया जाता है उन शब्दों को प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।

प्रश्नवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे- कौन, क्या, कब, कहाँ आदि।

  • देखो तो कौन आया है।
  • आपने क्या खाया है।

ऊपर दिए वाक्यों में ‘कौन‘ तथा ‘क्या‘ शब्दों का प्रयोग करके किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में जानने की कोशिश की जा रही है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आएंगे।

(प्रश्नवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – प्रश्नवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण)

6. सम्बन्धवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति का सम्बन्ध बताने के लिए किया जाए वे शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

सम्बन्धवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे :- जो-सो, जैसा-वैसा आदि।

  • जैसी करनी वैसी भरनी।
  • जो सोवेगा सो खोवेगा जो जागेगा सो पावेगा।
  • जैसा बोओगे वैसा काटोगे।

ऊपर दिए वाक्यों में ‘जो-सो’ ‘जैसे-वैसे’ शब्दों का प्रयोग करके किसी वस्तु या व्यक्ति में सम्बन्ध बताया जा रहा है। अतःये शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आते हैं।

#क्रिया की परिभाषा

ऐसे शब्द जो हमें किसी काम के करने या होने का बोध कराते हैं, वे शब्द क्रिया कहलाते हैं।

जैसे: पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, खेलना, सोना आदि।

क्रिया के उदाहरण:

  • राकेश गाना गाता है।
  • मोहन पुस्तक पढता है।
  • मनोरमा नाचती है।
  • मानव धीरे-धीरे चलता है।
  • घोडा बहुत तेज़ दौड़ता है।

ऊपर दिए गए वाक्यों में गाता है, पढता है, नाचती है, दौड़ता है, चलता है आदि शब्द किसी काम के होने का बोध करा रहे हैं। अतः यह क्रिया कहलायेंगे।

  • क्रिया हमें समय सीमा के बारे में संकेत देती है। क्रिया के रूप की वजह से हमें यह पता चलता है की कार्य वर्तमान में हुआ है, भूतकाल में हो चूका है या भविष्यकाल में होगा।
  • क्रिया का निर्माण धातू से होता है। जब धातू में ना लगा दिया जाता है तब क्रिया बन जाती। क्रिया को संज्ञा और विशेषण से भी बनाया जाता है। क्रिया को सार्थक शब्दों के आठ भेदों में से एक माना जाता है।

क्रिया के भेद:

कर्म जाती तथा रचना के आधार पर क्रिया के भेद

कर्म जाती तथा रचना के आधार पर क्रिया के मुख्यतः दो भेद होते है :

  1. अकर्मक क्रिया
  2. सकर्मक क्रिया।

1. अकर्मक क्रिया

जिस क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ता है वह क्रिया अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इस क्रिया में कर्म का अभाव होता है। जैसे : श्याम पढता है।

इस वाक्य में पढने का फल श्याम पर ही पड़ रहा है। इसलिए पढता है अकर्मक क्रिया है। जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पडती या जो क्रिया प्रश्न पूछने पर कोई उत्तर नहीं देती उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं।

अथार्त जिन क्रियाओं का फल और व्यापर कर्ता को मिलता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।

अकर्मक क्रिया के उदाहरण :

  • राजेश दौड़ता है।
  • सांप रेंगता है।
  • पूजा हंसती है।
  • मेघनाथ चिल्लाता है।
  • रावण लजाता है।
  • राम बचाता है।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं कि दौड़ता हैं, रेंगता है, हंसती है, चिल्लाता है, बचाता है, आदि वाक्यों में कर्म का अभाव है एवं क्रिया का फल करता पर ही पड़ रहा है। अतः यह उदाहरण अकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे।

2. सकर्मक क्रिया

जिस क्रिया में कर्म का होना ज़रूरी होता है वह क्रिया सकर्मक क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं का असर कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है। सकर्मक अर्थात कर्म के साथ।

जैसे : विकास पानी पीता है। इसमें पीता है (क्रिया) का फल कर्ता पर ना पडके कर्म पानी पर पड़ रहा है। अतः यह सकर्मक क्रिया है।

सकर्मक क्रिया के उदाहरण :

  • रमेश फल खाता है।
  • सुदर्शन गाडी चलाता है।
  • मैं बाइक चलाता हूँ।
  • रमा सब्जी बनाती है।
  • सुरेश सामान लाता है।

जैसा कि आप ऊपर दिए गये उदाहरणों में देख सकते हैं कि क्रिया का फल कर्ता पर ना पडके कर्म पर पड़ रहा है। अतः यह उदाहरण सकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे।

3) संयुक्त क्रिया क्या होती है :- जो क्रियाएँ दो या दो से अधिक धातुओं से मिलकर बनी होती हैं उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। अथार्त जो क्रियाएँ दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से बनी होती हैं उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।

जैसे :- (i) मैंने खाना खा लिया।
(ii) तुम घर चले जाओ।
(iii) मीरा बाई स्कूल चली गई।
(iv) वह खा चुका।
(v) मीरा महाभारत पढने लगी।
(vi) प्रियंका ने दूध पी लिया।
(vii) मोहन नाचने लगा।
(viii) राम विद्यालय से लौट आया।
(ix) किशोर रोने लगा।
(x) वह घर पहुंच गया।

(4)प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb)–जिन क्रियाओ से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है।

जैसे- काटना से कटवाना, करना से कराना।

एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है-
मालिक नौकर से कार साफ करवाता है।
अध्यापिका छात्र से पाठ पढ़वाती हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में मालिक तथा अध्यापिका प्रेरणा देने वाले कर्ता हैं। नौकर तथा छात्र को प्रेरित किया जा रहा है। अतः उपर्युक्त वाक्यों में करवाता तथा पढ़वाती प्रेरणार्थक क्रियाएँ हैं।

  • प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं :

(1) प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला; जैसे- मालिक, अध्यापिका आदि।
(2) प्रेरित कर्ता-प्रेरित होने वाला अर्थात जिसे प्रेरणा दी जा रही है; जैसे- नौकर, छात्र आदि।

प्रेरणार्थक क्रिया के रूप

प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं :
(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया

माँ परिवार के लिए भोजन बनाती है।
जोकर सर्कस में खेल दिखाता है।
रानी अनिमेष को खाना खिलाती है।
नौकरानी बच्चे को झूला झुलाती है।
इन वाक्यों में कर्ता प्रेरक बनकर प्रेरणा दे रहा है। अतः ये प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण हैं।

  • सभी प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक होती हैं।

(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

माँ पुत्री से भोजन बनवाती है।
जोकर सर्कस में हाथी से करतब करवाता है।
रानी राधा से अनिमेष को खाना खिलवाती है।
माँ नौकरानी से बच्चे को झूला झुलवाती है।

इन वाक्यों में कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है और दूसरे से कार्य करवा रहा है। अतः यहाँ द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया है।

  • प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक-दोनों में क्रियाएँ एक ही हो रही हैं, परन्तु उनको करने और करवाने वाले कर्ता अलग-अलग हैं।
  • प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया प्रत्यक्ष होती है तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया अप्रत्यक्ष होती है।

याद रखने वाली बात यह है कि अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है। जैसे-
राम लजाता है।
वह राम को लजवाता है।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती हैं। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती हैं। जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैंने उससे किताब लिखवायी। पहले में कर्ता अन्य (कर्म) को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है। इस प्रकार हिन्दी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते हैं। प्रथम में ‘ना’ का और द्वितीय में ‘वाना’ का प्रयोग होता है- हँसाना- हँसवाना।

प्रेऱणार्थक क्रिया बनाने के नियमः

1. अधिकतर धातुओं से दो-दो प्रेरणार्थक क्रियाएँ बनती हैं, पहली प्रेरणार्थक में आ और दूसरी में वाँ जुड़ता है-

गिर (ना) गिराना गिरवाना

चल (ना) चलाना चलवाना

चढ़(ना) चढ़ाना चढ़वाना

2. धातु के बीच में यदि दीर्घ स्वर हो तो उसे ह्रस्व करने से-

जाग (ना) जगाना जगवाना

नाच (ना) नचाना नचवाना

सीख (ना) सिखाना सिखवाना

3. धातु के बीच में ए, ऐ हो तो इ और ओ, औ हो तो उ हो जाता है-

खोद (ना) खुदाना खुदवाना

खेल (ना) खिलाना खिलवाना

बोल (ना) बुलाना बुलवाना

4. धातु के अंत में यदि दीर्घ स्वर हो तो उसमें प्रायः ला जुड़ता है-

खा (ना) खिलाना खिलवाना

रो (ना) रुलाना रुलवाना

दे (ना) दिलाना दिलवाना

आऩा, कुम्हलाना, गरजना, घिघियाना, टकराना, तुतलाना, पछताना, पड़ना, सकना, लँगड़ाना, सिसकना, होना, पाना आदि क्रियाओं से प्रेरणार्थक क्रियाएँ नहीं बनती

प्रेरणार्थक क्रिया के उदहारण इस प्रकार हैं :-

मूल क्रिया = प्रथम प्रेरणार्थक = द्वितीय प्रेरणार्थक के उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) उठना = उठाना = उठवाना
(ii) उड़ना = उड़ाना = उडवाना
(iii) चलना = चलाना = चलवाना
(iv) देना = दिलाना = दिलवाना
(v) जीना = जिलाना = जिलवाना
(vi) लिखना = लिखाना = लिखवाना
(vii) जगना = जगाना = जगवाना
(viii) सोना = सुलाना = सुलवाना
(ix) पीना = पिलाना = पिलवाना
(x) देना = दिलाना = दिलवाना
(xi) धोना = धुलाना = धुलवाना
(xii) रोना = रुलाना = रुलवाना
(xiii) घूमना = घुमाना = घुमवाना
(xiv) पढना = पढ़ाना = पढवाना
(xv) देखना = दिखाना = दिखवाना
(xvi) खाना = खिलाना = खिलवाना आदि

#विशेषण की परिभाषा

  • विशेषण वे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। ये शब्द वाक्य में संज्ञा के साथ लगकर संज्ञा की विशेषता बताते हैं।
  • विशेषण विकारी शब्द होते हैं एवं इन्हें सार्थक शब्दों के आठ भेड़ों में से एक माना जाता है।
  • बड़ा, काला, लम्बा, दयालु, भारी, सुंदर, कायर, टेढ़ा–मेढ़ा, एक, दो, वीर पुरुष, गोरा, अच्छा, बुरा, मीठा, खट्टा आदि विशेषण शब्दों के कुछ उदाहरण हैं।

विशेषण के उदाहरण

  • राधा बहुत सुन्दर लड़की है।

जैसा कि आप ऊपर उदाहरण में देख सकते हैं राधा एक लड़की का नाम है। राधा नाम एक संज्ञा है। सुन्दर शब्द एक विशेषण है जो संज्ञा शब्द की विशेषता बता रहा है।

चूंकि सुन्दर शब्द संज्ञा की विशेषता बता रहा है इसलिए यह शब्द विशेषण कहलायेगा। जिस शब्द की विशेषण विशेषता बताता है उस शब्द को विशेष्य कहा जाता है।

  • रमेश बहुत निडर सिपाही है।

ऊपर दिए गए उदाहरण से हमें पता चलता है कि रमेश एक सिपाही है एवं वह निडर भी है। अगर इस वाक्य में निडर नहीं होता तो हमें बस यह पता चलता कि रमेश एक सिपाही है लेकिन कैसा सिपाही है ये हमें नहीं पता चलता।

अभी निडर शब्द का वाक्य में प्रयोग हुआ है तो हमें पता चल गया है कि रमेश सिपाही होने के साथ-साथ निडर भी है। निडर शब्द रमेश की विशेषता बता रहा है। अतः निडर शब्द विशेषण कहलायेगा।

  • मोहन एक मेहनती विद्यार्थी है।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि यहाँ मोहन कि मेहनती होने कि विशेषता बतायी जा रही है।

अगर हम इस वाक्य से मेहनती विशेषण हटा देते हैं तो हमें सिर्फ यह पता चलता है की मोहन एक विद्यार्थी है लेकिन कैसा विद्यार्थी है यह हमें पता नहीं चलता।

जब वाक्य में मेहनती विशेषण का प्रयोग किया गया तो हमें पता चल गया की मोहन विद्यार्थी होने के साथ साथ मेहनती भी है। मेहनती शब्द की विशेषता बता रहा है। अतः मेहनती शब्द विशेषण कहलायेगा।

विशेष्य : वाक्य में जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतायी जाती है उन्हें विशेष्य कहते हैं।

विशेषण के भेद

विशेषण के मुख्यतः आठ भेद होते हैं :

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिमाणवाचक विशेषण
  4. सार्वनामिक विशेषण

गुणवाचक विशेषण की परिभाषा

जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम का गुण, दोष, आकार-प्रकार रंग रूप गंध आदि बताते हैं, वे शब्द गुणवाचक विशेषण कहलाते है। जैसे:

गुणवाचक विशेषण के कुछ रूपों के उदाहरण इस प्रकार हैं :-

1. गुणबोधक = सुंदर, बलवान, विद्वान्, भला, उचित, अच्छा, ईमानदार, सरल, विनम्र, बुद्धिमानी, सच्चा, दानी, न्यायी, सीधा, शान्त आदि।

2. दोष बोधक = बुरा, लालची, दुष्ट, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी आदि।

3. रंगबोधक = लाल, पीला, सफेद, नीला, हरा, काला, बैंगनी, सुनहरा, चमकीला, धुंधला, फीका आदि।

4. अवस्थाबोधक = लम्बा, पतला, अस्वस्थ, दुबला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू, रोगी, स्वस्थ, कमजोर, हल्का, बूढ़ा, अमीर आदि।

5. स्वादबोधक = खट्टा, मीठा, नमकीन, कडवा, तीखा, सुगंधित आदि।

6. आकारबोधक = गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुंदर, नुकीला, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा, ऊँचा, मोटा, पतला, पोला आदि।

7. स्थानबोधक = उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही, पुरबी, पछियाँ, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, विदेशी, ग्रामीण, जापानी आदि।

8. कालबोधक = नया, पुराना, ताजा, भूत, वर्तमान, भविष्य, प्राचीन, अगला, पिछला, मौसमी, आगामी, टिकाऊ, नवीन , सायंकालीन, आधुनिक, वार्षिक, मासिक, अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।

9. दिशाबोधक = निचला, उपरी, उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी आदि।

10. स्पर्शबोधक = मुलायम, सख्त, ठंडा, गर्म, कोमल, खुरदरा आदि।

11. भावबोधक = अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।

गुणवाचक विशेषण के उदाहरण

  • विकास एक बलवान व्यक्ति है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं बलवान शब्द का प्रयोग किया गया है, जो कि एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है। यह शब्द हमें विकास की विशेषता बताने का काम कर रहा है।

इससे हमें पता चल रहा है कि विकास में अत्यधिक बल है। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • बैंगलोर एक स्वच्छ नगर है।

जैसा कि आप देख सकते हैं स्वच्छ शब्द का प्रयोग वाक्य में किया गया है। यह शब्द हमें बैंगलोर नगर के वातावरण के बारे में बता रहा है कि वहां का वातावरण साफ़ एवं स्वच्छ है। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • यह बहुत सुन्दर गाडी है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं सुन्दर शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द हमें गाडी कि सुन्दरता के बारे में बता रहा है। सुन्दरता गाड़ी की विशेषता है। अतः विशेषता बताने वाला शब्द गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • इस दूकान पर ताज़ा फल मिलते हैं।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं ताज़ा शब्द का इस्तेमाल फलों की विशेषता बताने के लिए किया गया है।

हम जानते हैं कि जो शब्द विशेषता बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेगा।

  • ताजमहल एक अत्यंत सुन्दर इमारत है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आपने देखा कि सुन्दर शब्द का इस्तेमाल करके ताजमहल की सुन्दरता का बखान किया जा रहा है।

सुन्दरता ताज महल की एक विशेषता है एवं विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • लोमड़ी बहुत लालची जानवर है।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं लालची शब्द का प्रयोग करके लोंदी के स्वभाव के बारे में बताया जा रहा है।

यह लोमड़ी का एक गुण होता है। जो शब्द गुण आदि बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • इस झील का पानी बहुत ठंडा है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां ठंडा शब्द का प्रयोग करके पानी के गुण के बारे में बताया जा रहा है।

ठंडा होना पानी का एक गुण होता है एवं जो शब्द हमें गुण के बारे में बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः ये उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • वह बहुत डरपोक है।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां डरपोक शब्द का प्रयोग किया गया है। इस शब्द का प्रयोग करके एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में बताया जा रहा है।

जो शब्द हमें किसी व्यक्तित्व बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • विकास का हृदय बहुत कोमल है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं यहां कोमल शब्द का प्रयोग करके हृदय की विशेषता बतायी गयी है।

जैसा की हम जानते हैं की कोमल होना हृदय का एक गुण होता है। जो शब्द हमें वस्तुओं की विशेषता बताते हैं वे विशेषण कहलाते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • उत्कर्ष एक घमंडी व्यक्ति है।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ घमंडी शब्द का करके उत्कर्ष के बारे में बताया जा रहा है की वह घमंडी है।

घमंडी होना भी व्यक्ति का एक गुण होता है एवं जो शब्द हमें ऐसी विशेषताओं के बारे में बताते हैं वे विशेषण कहलाते हैं।अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

गुणवाचक विशेषण के कुछ अन्य उदाहरण

  • यह मीठा अनार है।
  • शाम को आसमान सुनहरा हो जाता है।
  • अक्षय एक डरपोक किस्म का आदमी है।
  • यह वास्तु देखने से मुलायम प्रतीत होती है।
  • आसमान सुबह एकदम नीला होता है।
  • सूर्यास्त के समय गगन नारंगी हो जाता है।
  • रोज़ संतुलित आहार लेने से उसका शरीर स्वस्थ रहता है।
  • स्वास्थ के लिए हरी सब्जियां लाभदायक होती हैं।
  • दूर से देखने पर यह बहुत सुन्दर प्रतीत हो रहा है।
  • जिराफ़ की गर्दन बहुत लम्बी होती है।

संख्यावाचक विशेषण की परिभाषा

ऐसे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की संक्या का बोध कराते हैं, वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे: दुनिया में सात अजूबे हैं।

इस वाक्य में विश्व में कितने अजूबे हैं हैं ये हमें सात शब्द से पता चल रहा है। सात शब्द हमें अजूबों की संख्या की विशेषता बता रहा है। अतः यह संख्यावाचक विशेषण कहलायेगा।

संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण

  • मैं रोज़ चार केले खाता हूँ।

ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं चार शब्द का प्रयोग किया जा रहा है।

यह शब्द एक संख्यावाची विशेषण है क्योंकि इस शब्द से हमें पता अचल रहा है कि हम कितनी संख्या में या कितने केले खायेंगे। यह संख्या वाली विशेषता बता रहा है। अतः यह उदाहरण संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • हमारे परिवार में पांच सदस्य हैं।

जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरण में देखा परिवार के सदस्यों की संख्या के बारे में बताया जा रहा है। पांच शब्द से हमें पता चल रहा है कि परिवार में कितने सदस्य हैं। अतः यह उदाहरण संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • जयपुर नगर में चार हज़ार बस हैं।

ऊपर दिए गए उदाहरण में चार हज़ार शब्द से हमें पता चल रहा है कि जयपुर नगर में कितनी बसें हैं।

अगर यह शब्द यहाँ पर प्रयोग नहीं होता तो हमें बसों कि संख्या के बारे में पता ही नहीं चल पाता। अतः यह शब्द संख्यावाचक विशेषण शब्द कहलायेगा।

  • मेरे पास चार गाड़ियां हैं।

जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरण में देखा चार शब्द का प्रयोग करके हमें बताया जा रहा है कि व्यक्ति के पास कितनी गाड़ियां हैं।

अगर यह शब्द यहाँ इस्तेमाल नहीं होता तो हमें गाड़ियों की संख्या के बारे में पता ही नहीं चल पाता। अतः यह एक संख्यावाचक विशेषण शब्द कहलायेगा।

संख्यावाचक विशेषण के कुछ अन्य उदाहरण :

  • अमित के पास तीन पेन हैं।
  • मीना ने मुझे कुछ फल खाने को दिए।
  • हमारे गाँव में बस एक ही बस आती है।
  • मुझे कुछ लोग आते हुए दिखाई दे रहे हैं।

संख्यावाचक विशेषण के भेद प्रकार

संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं :

  1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण
  2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण :

ऐसे विशेषण जो हमें किसी भी वस्तु, व्यक्ति (संज्ञा) एं सर्वनाम का निश्चित बोध कराएं, वे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे: चार वृक्ष, तीन कलम, एक, दो, तीन, आठ गाय, एक दर्जन पेंसिल, पाँच बालक, दस आम आदि।

उदाहरण :

  • मेरी कक्षा में चार लड़के हैं।
  • विकास के घर में दो कमरे हैं।
  • राजीव कोलोनी में बीस घर हैं।
  • मेरे पास तीन फुटबॉल हैं।
  • उस पार्क में बारह पेड़ हैं।

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भेद

  1. पूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण : यह विशेषण शब्द हमें किसी पूर्ण संख्या का बोध कराते हैं। जैसे: एक, दस, बीस, एक किलो, सौ ग्राम आदि।
  2. अपूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण : यह विशेषण हमें पूर्ण संख्या का बोध नहीं कराते। जैसे: आधा, ढाई, सवा, पौने, डेढ़ आदि।
  3. क्रमवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण : यह विशेषण हमें संख्या के क्रम का बोध कराता है। जैसे: पहला, दूसरा, तीसरा, सातवाँ, आठवाँ, चतुर्थ, ग्यारहवाँ, पचासवाँ आदि।
  4. आव्रितिवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण : यह विशेषण हमें संख्याओं की आवृति का बोध कराते हैं। जैसे: दुगुना, तिगुना, दसगुना, चौगुना आदि।
  5. समूहवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण : यह विशेषण हमें समूह या समुदाय का बोध कराता है। जैसे: तीनों, पाँचों, आठों आदि।
  6. प्रत्येकबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण : यह विशेषण हमें हर एक संख्या का बोध कराता है। जैसे: हर, प्रत्येक, हर एक, एक-एक, दो-दो, सवा-सवा आदि।

2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :

ऐसे विशेषण जो हमें किसी संज्ञा या सर्वनाम का निश्चित बोध नहीं करा पाते एवं उनमें अनिश्चितता बनी रहती है, ऐसे विशेषण शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे: कुछ, अनेक, बहुत, सारे, सब, कुछ, कई, थोडा, सैंकड़ों , अनेक, चंद, अनगिनत, हजारों आदि।

उदाहरण:

  • यहाँ तक आने में मुझे अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं अनेक शब्द का पयोग किया गया है। इस शब्द से हमें पता चल रहा है कि राह में बहुत मुश्किलें आई।

लेकिन हमें यह नहीं पता चल पा रहा है कि असल में वो मुश्किलें थी कितनी। यह शब्द हमें निश्चित संख्या का बोध नहीं करा पा रहा है। अतः यह अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • कुम्भ के मेले में असंख्य लोगों की भीड़ जमा होती है।

ऊपर दिए गए वाक्य में असंख्य शब्द का प्रयोग किया गया है। यह बताता है कि मेले में बहुत लीग आते हैं लेकिन हमें यह पता नहीं चल पाटा कि असल में लोग हैं कितने। यह शब्द हमें निश्चित संख्या नहीं बता पा रहा है। अतः यह शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण के कुछ अन्य उदाहरण

  • मुझे कुछ फल चाहिए।
  • रमेश ने मुझे थोड़ा सा खाना दिया था।
  • मैंने कई चीज़ें खरीदी।

परिमाणवाचक विशेषण की परिभाषा

ऐसे शब्द जो हमें किसी संज्ञा या सर्वनाम के नाप-तौल या मात्रा का बोध कराएं, वे शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे : दो किलो चीनी, चार किलो तेल, थोड़े फल, एक लीटर दूध, एक तोला सोना, थोड़ा आटा आदि।

परिमाणवाचक विशेषण के उदाहरण

  • जाओ बाज़ार से एक किलो आटा लेकर आओ।

पर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं एक किलो शब्द का प्रयोग किया गया है। यह हमें आटे का परिमाण बता रहा है जो कि हमें बाज़ार से लाना है।

इस शब्द से हमें आटे का परिमाण पता चल रहा है। अतः यह परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • मेरे लिए थोड़े फल लेकर आओ।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं थोड़े शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

इस शब्द से हमें सटीक मात्र का पतानाही चल रहा लेकिन इससे हमें पता चल गया है कि लगभग कितने फल लाने हैं। यह शब्द अनिश्चितता प्रकट कर रहा है। अतः यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • मिठाइयाँ बनाने के लिए हमें दो किलो चीनी की ज़रूरत पड़ेगी।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं दो किलो शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह शब्द हमें बता रहा है की असल में हमें कितनी मात्रा में चीनी की आवश्यकता होगी।

इस शब्द से हमें चीनी के परिमाण का पता चल रहा है। अतः यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • जाओ जाकर दर्जी से दो मीटर कपड़ा लेकर आओ।

जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरण में देखा दो मीटर शब्द का प्रयोग किया गया है। इससे हमें कपडे का वो परिमाण पता चल रहा है जोकि हमें लाना है।

यह शायद हमें कपडे की मात्रा या परिमाण बता रहा है। अतः यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

परिमाणवाचक विशेषण के भेद

  1. निश्चित परिमान्बोधक विशेषण
  2. अनिश्चित परिमाणबोधक विशेषण


1. निश्चित परिमाणबोधक विशेषण :

वो विशेषण शब्द जो हमें किसी वस्तु की निश्चित मात्रा या परिमाण का बोध कराते हैं, वे निश्चित परिमाणबोधक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे: एक बीघा ज़मीन, चार मीटर कपडा, दो किलो चीनी, तीन लीटर पेट्रोल, सौ सेंटीमीटर, दो सेर गेहूँ, पाँच मीटर कपड़ा, एक लीटर दूध आदि।

उदाहरण:

  • मैंने दो बीघा ज़मीन खरीदी है।

उपर्युक्त वाक्य में दो बीघा शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शंड हमें ज़मीन का परिमाण बता रहा है। इससे हमें ज़मीन का निश्चित परिमाण पता चल रहा है। अतः यह शब्द निश्चित परिमाणबोधक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • गाडी को रोज़ पांच लीटर पेट्रोल की ज़रूरत पड़ती है।

ऊपर दिए गए बाक्य में आप देख सकते हैं कि पांच लीटर शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द हमें पेट्रोल के निश्चित परिमाण के बारे में बता रहा है।

इस शब्द से हमें कोई अनिश्चितता का बोध नहीं हो रहा है। अतः यह शब्द निश्चित परिमाणबोधक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • हमें स्वस्थ रहने के लिए रोज़ कम से कम आठ लीटरपानी पीना चाहिए।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं आठ लीटर शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द बिना कोई अनिश्चितता प्रकट किये हुए हमें पानी की सटीक मात्र बता रहा है। अतः यह निश्चित परिमाणबोधक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • तुम्हे यह पोशाक बनवाने के लिए चार मीटर की आवश्यकता होगी।

ऊपर दिए उदाहरण में चार मीटर शब्द हमें कपडे का निश्चित परिमाण बता रहा है। अतः यह निश्चित परिमाणबोधक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

2. अनिश्चित परिमाणबोधक विशेषण

वो विशेषण शब्द जो हमें किसी संज्ञा य सर्वनाम की अनिश्चित मात्रा या परिमाण का बोध कराते हैं, वे शब्द अनिश्चित परिमाणबोधक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: थोड़ी जगह, बहुत पानी, कुछ फल, ज़रा सा रस आदि।

उदाहरण:

  • ज़िन्दगी में सफल होने के लिए तुम्हे बहुत परिश्रम करना पड़ेगा।
  • मुझे बैठने के लिए थोड़ी जगह चाहिए।
  • तुम्हे थोडा काम और करना पडेगा।
  • काम के साथ थोड़ा खाना खाते रहना।
  • कुम्भ के मेले में बहुत लोग आते हैं।
  • मुझे अपनी ज़िन्दगी में ढेर सारा पैसा कमाना है।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं बहुत, थोड़ी, ढेर सारा आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है।

ये शब्द हमें सटीक मात्रा के बारे में नहीं बताते एवं ये हमें अनिश्चितता का बोध कराते हैं। अतः यह शब्द अनिश्चित परिमाणबोधक विशेषण के अंतर्गत आयेंगे।

सार्वनामिक विशेषण की परिभाषा

ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले लगकर उस संज्ञा शब्द की विशेषण की तरह विशेषता बताते हैं, वे शब्द सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।

यह शब्द सर्वनाम के लिए विशेषण का काम करते हैं। जैसे: मेरी पुस्तक , कोई बालक , किसी का महल , वह लड़का , वह बालक , वह पुस्तक , वह आदमी , वह लडकी आदि।

सार्वनामिक विशेषण के उदाहरण

  • उस पेन को यहाँ रख दो।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं उस शब्द पेन से पहले आकर पेन कि ओर संकेत कर रहा है।

जो सार्वनामिक शब्द संज्ञा से पहले लगकर उसकी विशेषता बताते हैं वे शब्द सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। अतः यह शब्द सार्वनामिक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • किस आदमी से बात कर रहे हो

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं किस शब्द संज्ञा शब्द से पहले प्रयुक्त हुआ है एवं पहले लगकर यह विशेषण की तरह उस संज्ञा कि विशेषता बता रहा है।

जो शब्द संज्ञा से पहले लगकर उसकी विशेषता बताते हैं वे सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। अतः यह शब्द सार्वनामिक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

  • मेरा भाई घर पहुंच गया है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आपने देखा मेरा शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह शब्द संज्ञा से पहले प्रयुक्त होकर विशेषण कि तरह संज्ञा की विशेषता बता रहा है।

जो सर्वनाम शब्द संज्ञा से पहले लगकर विशेषण की तरह उसकी परिभाषा बताते हैं वे सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। अतः यह उदाहरण भी सार्वनामिक विशेषण के अंतर्गत आयेगा।

विकारी शब्द के कितने भेद होते हैं?

(अ) विकारी शब्द के चार प्रकार होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया।

इनमें विकारी शब्द का भेद कौन सा है?

प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद विकारी शब्द : जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे, हमें अच्छा, अच्छे खाता है, खाती है, खाते हैं। इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।

विकारी अविकारी शब्द कौन से होते हैं?

शब्द दो प्रकार के होते हैं. विकारी शब्द का रूप वाक्य में प्रयोग करने पर परिवर्तित हो जाता हैं. वही दूसरी ओर अविकारी शब्द का रूप परिवर्तित नहीं होता हैं.

विकारी शब्द कैसे पहचाने?

वह शब्द जो लिंग, वचन, कारक आदि से विकृत हो जाते हैं विकारी शब्द होते हैं। जैसे- मैं→ मुझ→ मुझे→ मेरा, अच्छा→ अच्छे आदि।