उपरोक्त उदाहरण में ‘मनुष्य’ और ‘प्रजाति’ किसी एक मनुष्य या प्रजाति का बौध नहीं करा रही है, बल्कि सभी मनुष्य और प्रजाति के बारे में बता रही है। इसीलिए ये दोनों जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण वाक्य हैं। Show
दुसरे उदाहरण में उसी प्रकार ‘कुत्ता’ और ‘जानवर’ जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण हैं, क्योंकि ये सभी कुत्तों और जानवरों के बारे में बात करते हैं। भाववाचक संज्ञा की परिभाषा (bhav vachak sangya definition in hindi)परिभाषा: जो शब्द किसी चीज़ या पदार्थ की अवस्था, दशा या भाव का बोध कराते हैं, उन शब्दों को भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- बचपन, बुढ़ापा, मोटापा, मिठास, उमंग, चढाई, थकावट, मानवता, चतुराई, जवानी, लम्बाई, मित्रता, मुस्कुराहट, अपनापन, परायापन, भूख, प्यास, चोरी, क्रोध, सुन्दरता आदि। उपर्युक्त उदाहरणों में से आप किसी को छू नहीं सकते; केवल अनुभव कर सकते हैं। भाववाचक संज्ञा के कुछ अन्य उदाहरण (bhav vachak sangya examples in hindi)
गरीबी शब्द से गरीब होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः गरीबी एक भाववाचक संज्ञा शब्द है।
बचपन शब्द से बच्चा होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः बचपन एक भाववाचक संज्ञा है।
लम्बाई शब्द से लम्बा होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः लम्बाई एक भाववाचक संज्ञा है।
दोस्ती शब्द से दोस्त होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः दोस्ती एक भाववाचक संज्ञा है।
मिठास शब्द से आवाज़ मीठी होने का बोध हो रहा है। अतः मिठास एक भाववाचक संज्ञा है।
आज़ादी शब्द से आज़ाद होने के भाव का बोध हो रहा है। अतः आज़ादी एक भाववाचक संज्ञा है।
इस वाक्य में गुस्सा आना एक भाव को प्रदर्शित करता है, इस कारण यह भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।
इस वाक्य में ‘प्रेम’ एक भाव यानी अनुभव को जताता है, जिसकी वजह से यह भाववाचक है।
उपरोक्त वाक्य भाववाचक संज्ञा का उदाहरण वाक्य है, जिसमें में ‘इंसानियत’ एक भाव है। भाववाचक संज्ञा बनाना (bhav vachak sangya banana in hindi)जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना
क्रिया से भाववाचक बनाना
संज्ञा से भाववाचक बनाना
द्रव्यवाचक संज्ञा की परिभाषा (dravya vachak sangya ki paribhasha in hindi)परिभाषा: जो शब्द किसी ठोस, तरल, पदार्थ, धातु, अधातु या द्रव्य का बोध करते हैं, द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाते हैं। द्रव्यवाचक संज्ञाएँ ढेर के रूप में नापी या तोली जाती हैं। ये अगणनीय हैं। जैसे- कोयला, पानी, तेल, घी, लोहा, सोना, चांदी, हीरा, चीनी, फल, सब्ज़ी आदि। द्रव्यवाचक संज्ञा के कुछ अन्य उदाहरण (dravya vachak sangya examples in hindi)
इस वाक्य में फल शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
इस वाक्य में पानी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः पानी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
इस वाक्य में सब्ज़ी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रह है। अतः सब्ज़ी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
इस वाक्य में ‘मोबाइल’ द्रव्यवाचक संज्ञा का उदाहरण है, क्योंकि मोबाइल हमें किसी ठोस द्रव्य का बोध करा रहा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में घी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः घी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में सोना शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः सोना एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में चांदी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः चांदी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में लोहा शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः लोहा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में कोयला शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः कोयला एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में दूध शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः दूध एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में चीनी शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः चीनी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में गेहूँ शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः गेंहू एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में आम शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
ऊपर दिए गए वाक्य में हीरा शब्द हमें एक द्रव्य का बोध करा रहा है। अतः हीरा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
इस उदाहरण वाक्य में लड्डू द्रव्यवाचक है, क्योंकि यह किसी ठोस वस्तु का बोध करा रहा है।
इस वाक्य में झोला शब्द एक ठोस वस्तु का बोध कर रहा है, इसलिए यह द्रव्यवाचक संज्ञा का उदाहरण है। समूहवाचक संज्ञा की परिभाषा (samuh vachak sangya definition in hindi)जिन संज्ञा शब्दों से किसी भी व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है, उन शब्दों को समूहवाचक या समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- भीड़, मेला, सभा, कक्षा, परिवार, पुस्तकालय, झुंड, गिरोह, सेना, दल, गुच्छा, दल, टुकड़ी आदि। समूहवाचक संज्ञा के कुछ अन्य उदाहरण (samuh vachak sangya examples in hindi)
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘टीम’ शब्द से खिलाडियों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘टीम’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
यहाँ दिए गए वाक्य में ‘दर्जन’ एक समूह का बोध करा रहा है, इसलिए यह समूहवाचक संज्ञा का उदाहरण है।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘सेना’ शब्द से जवानों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘सेना’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘कक्षा’ शब्द से विद्यार्थियों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘टीम’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘भीड़’ शब्द से लोगों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘भीड़’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘परिवार’ शब्द से सदस्यों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘परिवार’ शब्द समूहवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘गिरोह’ शब्द से चोरों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘गिरोह’ शब्द समुदायवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘जखीरा’ शब्द से हथियारों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘जखीरा’ समुदायवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘सभा’ शब्द से एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘सभा’ शब्द समुदायवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘झुण्ड’ शब्द से हिरणों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘झुण्ड’ समुदायवाचक संज्ञा हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘गुलदस्ता’ शब्द से फूलों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘गुलदस्ता’ समुदायवाचक संज्ञा हैं।
इस वाक्य में ‘देश’ शब्द एक बड़े समूह या समुदाय का बोध करा रहा है और इस प्रकार यह समुदायवाचक संज्ञा का उदाहरण वाक्य है।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘गुच्छा’ शब्द से विद्यार्थियों के एक समूह का बोध हो रहा है। इस प्रकार ‘गुच्छा’ समुदायवाचक संज्ञा हैं। सर्वनाम की परिभाषा:संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त वाले शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है। सर्वनाम संज्ञाओं की पुनरावृति रोककर वाक्यों को सौंदर्ययुक्त बनता है। सर्वनाम के उदाहरण:आइये एक उदाहरण के द्वारा सर्वनाम को विस्तार से समझते हैं। नीचे लिखे वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखे – :
अब इन वाक्यों पर गौर करें -:
आपने क्या देखा? प्रथम पांच वाक्यों में संज्ञा ‘पेड़-पौधे’ दुहराए जाने पर वाक्य भद्दे हो गए, जबकि नीचे के पांच वाक्य सुन्दर हैं। आपने यह भी देखा होगा की ‘वे’ और ‘उनसे’ पद पेड़-पौधे की और संकेत करते हैं। अतः उक्त वाक्यों में ‘वे’ और ‘उनसे’ सर्वनाम हैं। मूलतः सर्वनामों की संख्या ग्यारह है – मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, कोई और कुछ आदि। सर्वनाम के भेद:सर्वनाम के पांच भेद होते हैं –
1. पुरुषवाचक सर्वनामजिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा खुद के लिए या दुसरो के लिए किया जाता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे – मैं, हम (वक्ता द्वारा खुद के लिए), तुम और आप (सुनने वाले के लिए) और यह, वह, ये, वे (किसी और के बारे में बात करने के लिए) आदि। पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण:नीचे लिखे उदाहरणों को देखें –
पुरुषवाचक सर्वनाम के भेदपुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं -:
(पुरुषवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – पुरुषवाचक सर्वनाम – भेद, उदाहरण) 2. निजवाचक सर्वनामजिन शब्दों का प्रयोग वक्ता किसी चीज़ को अपने साथ दर्शाने या अपनी बताने के लिए करता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। निजवाचक सर्वनाम के उदाहरण:जैसे-:
ऊपर दिए वाक्यों में वक्ता ने खुद के लिए स्वयं और अपने आप का प्रयोग कामों को खुद से जोड़ने के लिए किया। जहाँ ‘आप’ शब्द का प्रयोग श्रोता के लिए हो वहाँ यह आदर-सूचक मध्यम पुरुष होता है और जहाँ ‘आप’ शब्द का प्रयोग अपने लिए हो वहाँ निजवाचक होता है। (निजवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – निजवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण) 3. निश्चयवाचक सर्वनामजिन सर्वनाम शब्दों से किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की निश्चितता का बोध हो वे शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:जैसे -: यह, वह आदि।
ऊपर दिए वाक्यों में यह, वह, ये आदि का इस्तेमाल वस्तु, व्यक्ति आदि की निश्चितता का बोध कराने के लिए किया गया है अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम कहलायेंगे। (निश्चयवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – निश्चयवाचक सर्वनाम – भेद, उदाहरण) 4. अनिश्चयवाचक सर्वनामजिन सर्वनाम शब्दों से वस्तु, व्यक्ति, स्थान आदि की निश्चितता का बोध नही होता वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:जैसे-: कुछ, कोई आदि।
ऊपर दिए गए वाक्यों में वक्ता सिर्फ अंदाजा लगा रहा है लेकिन हमे कस्तू या व्यक्ति की निश्चितता का बोध नहीं हो रहा है। अतः कुछ, कोई आदि शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आते हैं। (अनिश्चयवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – अनिश्चयवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण) 5. प्रश्नवाचक सर्वनामजिन शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु, व्यक्ति आदि के बारे में कोई सवाल पूछने या उसके बारे में जान्ने के लिए किया जाता है उन शब्दों को प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। प्रश्नवाचक सर्वनाम के उदाहरण:जैसे- कौन, क्या, कब, कहाँ आदि।
ऊपर दिए वाक्यों में ‘कौन‘ तथा ‘क्या‘ शब्दों का प्रयोग करके किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में जानने की कोशिश की जा रही है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आएंगे। (प्रश्नवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – प्रश्नवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण) 6. सम्बन्धवाचक सर्वनामजिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति का सम्बन्ध बताने के लिए किया जाए वे शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। सम्बन्धवाचक सर्वनाम के उदाहरण:जैसे :- जो-सो, जैसा-वैसा आदि।
ऊपर दिए वाक्यों में ‘जो-सो’ व ‘जैसे-वैसे’ शब्दों का प्रयोग करके किसी वस्तु या व्यक्ति में सम्बन्ध बताया जा रहा है। अतःये शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आते हैं। #क्रिया की परिभाषाऐसे शब्द जो हमें किसी काम के करने या होने का बोध कराते हैं, वे शब्द क्रिया कहलाते हैं। जैसे: पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, खेलना, सोना आदि। क्रिया के उदाहरण:
ऊपर दिए गए वाक्यों में गाता है, पढता है, नाचती है, दौड़ता है, चलता है आदि शब्द किसी काम के होने का बोध करा रहे हैं। अतः यह क्रिया कहलायेंगे।
क्रिया के भेद:कर्म जाती तथा रचना के आधार पर क्रिया के भेदकर्म जाती तथा रचना के आधार पर क्रिया के मुख्यतः दो भेद होते है :
1. अकर्मक क्रियाजिस क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ता है वह क्रिया अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इस क्रिया में कर्म का अभाव होता है। जैसे : श्याम पढता है। इस वाक्य में पढने का फल श्याम पर ही पड़ रहा है। इसलिए पढता है अकर्मक क्रिया है। जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पडती या जो क्रिया प्रश्न पूछने पर कोई उत्तर नहीं देती उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। अथार्त जिन क्रियाओं का फल और व्यापर कर्ता को मिलता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रिया के उदाहरण :
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं कि दौड़ता हैं, रेंगता है, हंसती है, चिल्लाता है, बचाता है, आदि वाक्यों में कर्म का अभाव है एवं क्रिया का फल करता पर ही पड़ रहा है। अतः यह उदाहरण अकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे। 2. सकर्मक क्रियाजिस क्रिया में कर्म का होना ज़रूरी होता है वह क्रिया सकर्मक क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं का असर कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है। सकर्मक अर्थात कर्म के साथ। जैसे : विकास पानी पीता है। इसमें पीता है (क्रिया) का फल कर्ता पर ना पडके कर्म पानी पर पड़ रहा है। अतः यह सकर्मक क्रिया है। सकर्मक क्रिया के उदाहरण :
जैसा कि आप ऊपर दिए गये उदाहरणों में देख सकते हैं कि क्रिया का फल कर्ता पर ना पडके कर्म पर पड़ रहा है। अतः यह उदाहरण सकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे। 3) संयुक्त क्रिया क्या होती है :- जो क्रियाएँ दो या दो से अधिक धातुओं से मिलकर बनी होती हैं उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। अथार्त जो क्रियाएँ दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से बनी होती हैं उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे :- (i) मैंने खाना खा लिया। (4)प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb)–जिन क्रियाओ से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है। जैसे- काटना से कटवाना, करना से कराना। एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है- उपर्युक्त वाक्यों में मालिक तथा अध्यापिका प्रेरणा देने वाले कर्ता हैं। नौकर तथा छात्र को प्रेरित किया जा रहा है। अतः उपर्युक्त वाक्यों में करवाता तथा पढ़वाती प्रेरणार्थक क्रियाएँ हैं।
(1) प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला; जैसे- मालिक, अध्यापिका आदि। प्रेरणार्थक क्रिया के रूप प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं : (1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया माँ परिवार के लिए भोजन बनाती है।
(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया माँ पुत्री से भोजन बनवाती है। इन वाक्यों में कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है और दूसरे से कार्य करवा रहा है। अतः यहाँ द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया है।
याद रखने वाली बात यह है कि अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है। जैसे- प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती हैं। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती हैं। जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैंने उससे किताब लिखवायी। पहले में कर्ता अन्य (कर्म) को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है। इस प्रकार हिन्दी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते हैं। प्रथम में ‘ना’ का और द्वितीय में ‘वाना’ का प्रयोग होता है- हँसाना- हँसवाना। प्रेऱणार्थक क्रिया बनाने के नियमः 1. अधिकतर धातुओं से दो-दो प्रेरणार्थक क्रियाएँ बनती हैं, पहली प्रेरणार्थक में आ और दूसरी में वाँ जुड़ता है- गिर (ना) गिराना गिरवाना चल (ना) चलाना चलवाना चढ़(ना) चढ़ाना चढ़वाना 2. धातु के बीच में यदि दीर्घ स्वर हो तो उसे ह्रस्व करने से- जाग (ना) जगाना जगवाना नाच (ना) नचाना नचवाना सीख (ना) सिखाना सिखवाना 3. धातु के बीच में ए, ऐ हो तो इ और ओ, औ हो तो उ हो जाता है- खोद (ना) खुदाना खुदवाना खेल (ना) खिलाना खिलवाना बोल (ना) बुलाना बुलवाना 4. धातु के अंत में यदि दीर्घ स्वर हो तो उसमें प्रायः ला जुड़ता है- खा (ना) खिलाना खिलवाना रो (ना) रुलाना रुलवाना दे (ना) दिलाना दिलवाना आऩा, कुम्हलाना, गरजना, घिघियाना, टकराना, तुतलाना, पछताना, पड़ना, सकना, लँगड़ाना, सिसकना, होना, पाना आदि क्रियाओं से प्रेरणार्थक क्रियाएँ नहीं बनती प्रेरणार्थक क्रिया के उदहारण इस प्रकार हैं :-मूल क्रिया = प्रथम प्रेरणार्थक = द्वितीय प्रेरणार्थक के उदहारण इस प्रकार हैं :- #विशेषण की परिभाषा
विशेषण के उदाहरण
जैसा कि आप ऊपर उदाहरण में देख सकते हैं राधा एक लड़की का नाम है। राधा नाम एक संज्ञा है। सुन्दर शब्द एक विशेषण है जो संज्ञा शब्द की विशेषता बता रहा है। चूंकि सुन्दर शब्द संज्ञा की विशेषता बता रहा है इसलिए यह शब्द विशेषण कहलायेगा। जिस शब्द की विशेषण विशेषता बताता है उस शब्द को विशेष्य कहा जाता है।
ऊपर दिए गए उदाहरण से हमें पता चलता है कि रमेश एक सिपाही है एवं वह निडर भी है। अगर इस वाक्य में निडर नहीं होता तो हमें बस यह पता चलता कि रमेश एक सिपाही है लेकिन कैसा सिपाही है ये हमें नहीं पता चलता। अभी निडर शब्द का वाक्य में प्रयोग हुआ है तो हमें पता चल गया है कि रमेश सिपाही होने के साथ-साथ निडर भी है। निडर शब्द रमेश की विशेषता बता रहा है। अतः निडर शब्द विशेषण कहलायेगा।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि यहाँ मोहन कि मेहनती होने कि विशेषता बतायी जा रही है। अगर हम इस वाक्य से मेहनती विशेषण हटा देते हैं तो हमें सिर्फ यह पता चलता है की मोहन एक विद्यार्थी है लेकिन कैसा विद्यार्थी है यह हमें पता नहीं चलता। जब वाक्य में मेहनती विशेषण का प्रयोग किया गया तो हमें पता चल गया की मोहन विद्यार्थी होने के साथ साथ मेहनती भी है। मेहनती शब्द की विशेषता बता रहा है। अतः मेहनती शब्द विशेषण कहलायेगा। विशेष्य : वाक्य में जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतायी जाती है उन्हें विशेष्य कहते हैं। विशेषण के भेदविशेषण के मुख्यतः आठ भेद होते हैं :
गुणवाचक विशेषण की परिभाषाजो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम का गुण, दोष, आकार-प्रकार रंग रूप गंध आदि बताते हैं, वे शब्द गुणवाचक विशेषण कहलाते है। जैसे: गुणवाचक विशेषण के कुछ रूपों के उदाहरण इस प्रकार हैं :- 1. गुणबोधक = सुंदर, बलवान, विद्वान्, भला, उचित, अच्छा, ईमानदार, सरल, विनम्र, बुद्धिमानी, सच्चा, दानी, न्यायी, सीधा, शान्त आदि। 2. दोष बोधक = बुरा, लालची, दुष्ट, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी आदि। 3. रंगबोधक = लाल, पीला, सफेद, नीला, हरा, काला, बैंगनी, सुनहरा, चमकीला, धुंधला, फीका आदि। 4. अवस्थाबोधक = लम्बा, पतला, अस्वस्थ, दुबला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू, रोगी, स्वस्थ, कमजोर, हल्का, बूढ़ा, अमीर आदि। 5. स्वादबोधक = खट्टा, मीठा, नमकीन, कडवा, तीखा, सुगंधित आदि। 6. आकारबोधक = गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुंदर, नुकीला, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा, ऊँचा, मोटा, पतला, पोला आदि। 7. स्थानबोधक = उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही, पुरबी, पछियाँ, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, विदेशी, ग्रामीण, जापानी आदि। 8. कालबोधक = नया, पुराना, ताजा, भूत, वर्तमान, भविष्य, प्राचीन, अगला, पिछला, मौसमी, आगामी, टिकाऊ, नवीन , सायंकालीन, आधुनिक, वार्षिक, मासिक, अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि। 9. दिशाबोधक = निचला, उपरी, उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी आदि। 10. स्पर्शबोधक = मुलायम, सख्त, ठंडा, गर्म, कोमल, खुरदरा आदि। 11. भावबोधक = अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि। गुणवाचक विशेषण के उदाहरण
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं बलवान शब्द का प्रयोग किया गया है, जो कि एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है। यह शब्द हमें विकास की विशेषता बताने का काम कर रहा है। इससे हमें पता चल रहा है कि विकास में अत्यधिक बल है। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा कि आप देख सकते हैं स्वच्छ शब्द का प्रयोग वाक्य में किया गया है। यह शब्द हमें बैंगलोर नगर के वातावरण के बारे में बता रहा है कि वहां का वातावरण साफ़ एवं स्वच्छ है। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं सुन्दर शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द हमें गाडी कि सुन्दरता के बारे में बता रहा है। सुन्दरता गाड़ी की विशेषता है। अतः विशेषता बताने वाला शब्द गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं ताज़ा शब्द का इस्तेमाल फलों की विशेषता बताने के लिए किया गया है। हम जानते हैं कि जो शब्द विशेषता बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेगा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आपने देखा कि सुन्दर शब्द का इस्तेमाल करके ताजमहल की सुन्दरता का बखान किया जा रहा है। सुन्दरता ताज महल की एक विशेषता है एवं विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं लालची शब्द का प्रयोग करके लोंदी के स्वभाव के बारे में बताया जा रहा है। यह लोमड़ी का एक गुण होता है। जो शब्द गुण आदि बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां ठंडा शब्द का प्रयोग करके पानी के गुण के बारे में बताया जा रहा है। ठंडा होना पानी का एक गुण होता है एवं जो शब्द हमें गुण के बारे में बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः ये उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां डरपोक शब्द का प्रयोग किया गया है। इस शब्द का प्रयोग करके एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में बताया जा रहा है। जो शब्द हमें किसी व्यक्तित्व बताते हैं वे विशेषण होते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं यहां कोमल शब्द का प्रयोग करके हृदय की विशेषता बतायी गयी है। जैसा की हम जानते हैं की कोमल होना हृदय का एक गुण होता है। जो शब्द हमें वस्तुओं की विशेषता बताते हैं वे विशेषण कहलाते हैं। अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ घमंडी शब्द का करके उत्कर्ष के बारे में बताया जा रहा है की वह घमंडी है। घमंडी होना भी व्यक्ति का एक गुण होता है एवं जो शब्द हमें ऐसी विशेषताओं के बारे में बताते हैं वे विशेषण कहलाते हैं।अतः यह उदाहरण गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा। गुणवाचक विशेषण के कुछ अन्य उदाहरण
संख्यावाचक विशेषण की परिभाषाऐसे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की संक्या का बोध कराते हैं, वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: दुनिया में सात अजूबे हैं। इस वाक्य में विश्व में कितने अजूबे हैं हैं ये हमें सात शब्द से पता चल रहा है। सात शब्द हमें अजूबों की संख्या की विशेषता बता रहा है। अतः यह संख्यावाचक विशेषण कहलायेगा। संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं चार शब्द का प्रयोग किया जा रहा है। यह शब्द एक संख्यावाची विशेषण है क्योंकि इस शब्द से हमें पता अचल रहा है कि हम कितनी संख्या में या कितने केले खायेंगे। यह संख्या वाली विशेषता बता रहा है। अतः यह उदाहरण संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरण में देखा परिवार के सदस्यों की संख्या के बारे में बताया जा रहा है। पांच शब्द से हमें पता चल रहा है कि परिवार में कितने सदस्य हैं। अतः यह उदाहरण संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में चार हज़ार शब्द से हमें पता चल रहा है कि जयपुर नगर में कितनी बसें हैं। अगर यह शब्द यहाँ पर प्रयोग नहीं होता तो हमें बसों कि संख्या के बारे में पता ही नहीं चल पाता। अतः यह शब्द संख्यावाचक विशेषण शब्द कहलायेगा।
जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरण में देखा चार शब्द का प्रयोग करके हमें बताया जा रहा है कि व्यक्ति के पास कितनी गाड़ियां हैं। अगर यह शब्द यहाँ इस्तेमाल नहीं होता तो हमें गाड़ियों की संख्या के बारे में पता ही नहीं चल पाता। अतः यह एक संख्यावाचक विशेषण शब्द कहलायेगा। संख्यावाचक विशेषण के कुछ अन्य उदाहरण :
संख्यावाचक विशेषण के भेद प्रकारसंख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं :
1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण :ऐसे विशेषण जो हमें किसी भी वस्तु, व्यक्ति (संज्ञा) एं सर्वनाम का निश्चित बोध कराएं, वे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: चार वृक्ष, तीन कलम, एक, दो, तीन, आठ गाय, एक दर्जन पेंसिल, पाँच बालक, दस आम आदि। उदाहरण :
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भेद
2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :ऐसे विशेषण जो हमें किसी संज्ञा या सर्वनाम का निश्चित बोध नहीं करा पाते एवं उनमें अनिश्चितता बनी रहती है, ऐसे विशेषण शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: कुछ, अनेक, बहुत, सारे, सब, कुछ, कई, थोडा, सैंकड़ों , अनेक, चंद, अनगिनत, हजारों आदि। उदाहरण:
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं अनेक शब्द का पयोग किया गया है। इस शब्द से हमें पता चल रहा है कि राह में बहुत मुश्किलें आई। लेकिन हमें यह नहीं पता चल पा रहा है कि असल में वो मुश्किलें थी कितनी। यह शब्द हमें निश्चित संख्या का बोध नहीं करा पा रहा है। अतः यह अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
ऊपर दिए गए वाक्य में असंख्य शब्द का प्रयोग किया गया है। यह बताता है कि मेले में बहुत लीग आते हैं लेकिन हमें यह पता नहीं चल पाटा कि असल में लोग हैं कितने। यह शब्द हमें निश्चित संख्या नहीं बता पा रहा है। अतः यह शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा। अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण के कुछ अन्य उदाहरण
परिमाणवाचक विशेषण की परिभाषाऐसे शब्द जो हमें किसी संज्ञा या सर्वनाम के नाप-तौल या मात्रा का बोध कराएं, वे शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे : दो किलो चीनी, चार किलो तेल, थोड़े फल, एक लीटर दूध, एक तोला सोना, थोड़ा आटा आदि। परिमाणवाचक विशेषण के उदाहरण
पर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं एक किलो शब्द का प्रयोग किया गया है। यह हमें आटे का परिमाण बता रहा है जो कि हमें बाज़ार से लाना है। इस शब्द से हमें आटे का परिमाण पता चल रहा है। अतः यह परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं थोड़े शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इस शब्द से हमें सटीक मात्र का पतानाही चल रहा लेकिन इससे हमें पता चल गया है कि लगभग कितने फल लाने हैं। यह शब्द अनिश्चितता प्रकट कर रहा है। अतः यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं दो किलो शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह शब्द हमें बता रहा है की असल में हमें कितनी मात्रा में चीनी की आवश्यकता होगी। इस शब्द से हमें चीनी के परिमाण का पता चल रहा है। अतः यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरण में देखा दो मीटर शब्द का प्रयोग किया गया है। इससे हमें कपडे का वो परिमाण पता चल रहा है जोकि हमें लाना है। यह शायद हमें कपडे की मात्रा या परिमाण बता रहा है। अतः यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा। परिमाणवाचक विशेषण के भेद
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