ज्यादा पब्जी खेलने से क्या होता है? - jyaada pabjee khelane se kya hota hai?

देश में दिनोदिन पबजी गेम के बढ़ते ट्रेंड के कारण कई खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं। मसलन, मुंबई के कुर्ला इलाके में एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवक ने पबजी गेम के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर दी। गुजरात के वडोदरा में मोबाइल में पबजी गेम खेलने से मना करने पर माता-पिता से नाराज होकर बीसीए का एक छात्र घर छोड़कर चला गया। दिल्ली के वसंतपुर क्षेत्र में कुछ महीनों पहले ही पबजी गेम खेलने से मना करने पर एक बेटे ने अपने मां-बाप की हत्या कर दी थी। यही नहीं, बल्कि 12-12 घंटे तक गेम खेलने की वजह से कई बार छात्रों को कॉलेज से भी निकाल दिया जा रहा है।

वर्चुअल गेम पबजी को किस कदर बच्चे अपनी व्यावहारिक दुनिया में अपना रहे हैं इसका अंदाजा तो 11 साल के अहमद निजाम नाम के बच्चे द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में पबजी के खिलाफ दायर की गई याचिका से हो जाता है। अपनी मां के जरिए लगाई याचिका में निजाम ने हाईकोर्ट से इस गेम पर प्रतिबंध लगाने की अपील करते हुए कहा है कि तेजी से बच्चों में लत बनकर फैल रहा पबजी गेम हिंसा, आक्रामकता और साइबर दबंगई को बढ़ावा देता है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हाल में बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों से 'परीक्षा पे चर्चा' के दौरान पबजी का उल्लेख किया था। जब एक मां ने कहा था कि बच्चा पढ़ाई नहीं करता तो पीएम मोदी ने पूछा था कि 'क्या पबजी वाला है?'

उल्लेखनीय है कि ब्लू व्हेल गेम पर प्रतिबंध लगने के बाद 2017 में लॉन्च हुआ तथा साउथ कोरिया की कंपनी 'ब्लूहोल' द्वारा विकसित 'प्लेयर अननोन बैटलग्राउंड' या शॉर्ट में 'पबजी गेम' की लोगों में दीवानगी इस तरह बढ़ गई है कि सभी कामकाज छोड़कर लोग इसे खेलने में व्यस्त रहते हैं। इसकी लत से बच्चों की रात की नींद भी गायब हो रही है और उनमें एंजाइटी की समस्या बढ़ रही है तथा यह धीरे-धीरे उन्हें मनोरोग की ओर ले जा रहा है। इस गेम का एक ही उद्देश्य है- मारो और लूटो। यह न तो हमारी बाल व युवा पीढ़ी को कोई सार्थक संदेश देने में सक्षम है और न ही स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करने में कारगर है। इसके विपरीत इस खेल को खेलने के बाद बच्चे दिशाहीन होकर गलत कदम उठा रहे हैं।

दुनियाभर में 400 मिलियन बच्चे व युवा इस गेम को हर दिन खेल रहे हैं जबकि भारत में इनकी संख्या करीब 5 करोड़ अनुमानित है। इस गेम की लत ड्रग्स की लत से भी ज्यादा चिंता वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने नए अध्याय में मोबाइल गेम की लत को भी मनोरोग की श्रेणी में रखा है।

दरअसल, इस ऑनलाइन गेम ने एम्स में बाल मरीजों की संख्या बढ़ा दी है। इनमें पबजी के ही हर सप्ताह 4 से 5 नए मरीज पहुंच रहे हैं। गेम की लत में डूबे मरीजों की उम्र 8 से 22 साल तक के बीच है। नौकरीपेशा युवा भी डॉक्टरों के पास काउंसलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। इन युवाओं को फोन पर पबजी खेलना इतना पसंद है कि ये ऑफिस का पूरा लंच टाइम इसी में खपा देते हैं। पबजी गेम की बढ़ती नकारात्मक को देखते हुए गुजरात में इस पर रोक लगा दी गई। इसकी ही तर्ज पर जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे राज्यों से भी इस पर रोक लगाने की मांगें उठ रही हैं। चीन जैसे देशों में इस गेम पर पहले से ही रोक है।

सवाल है कि क्या भारत में मैदानों की इतनी कमी हो गई है कि हमारे बच्चों को मोबाइल में कबड्डी और खो-खो खेलकर या पबजी गेम का सहारा लेकर अपना माइंड फ्री करना पड़ रहा है? जिससे उनकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ने के साथ ही मस्तिष्क में हिंसक प्रवृत्ति घर कर रही है। सच तो यह है कि अभिभावकों की व्यस्तता ऐसी है कि जब भी कभी बच्चे उनसे बाहर ले जाकर घुमाने या खेलाने की बात करते हैं तो वे सीधा उनके हाथों में अपना स्मार्टफोन थमा देते हैं। वहीं संयुक्त परिवार के बिखराव के कारण बच्चों व बुजुर्गों के साथ समय बिताने वालों का नितांत अभाव हो गया है।

ये सही है कि आज के तकनीकी युग में बच्चों को मोबाइल और कम्प्यूटर से दूर रखना उनके भविष्य के लिए ठीक नहीं है लेकिन यह कौन ध्यान रखेगा कि बच्चे इन यंत्रों का कितना और किस तरह सकारात्मक उपयोग कर रहे हैं? आखिर हम कब तक रोज नए-नए प्रकार के लॉन्च हो रहे इन गेमों पर रोक लगाएंगे? समस्या का असल समाधान तो बच्चों में मैदानी खेलों के प्रति आकर्षण पैदा करने और देश में खेल-संस्कृति विकसित करने से ही होगा। और ये तभी संभव है, जब अभिभावक और सरकार दोनों इस समस्या पर गंभीरता से सोचना शुरू करें।

PUBG क्या है? क्यों लग जाती है इस वीडियो गेम की लत? जानिए सबकुछ

क्या कोई बच्चा वीडियो गेम के लिए अपनी मां को मार सकता है? इस सवाल की वजह लखनऊ की एक वारदात है. जहां एक 16 साल के नाबालिग ने पबजी वीडियो गेम खेलने से रोकने वाली मां के सिर में गोली मार दी. सरकार ने 3 सितंबर 2020 को 59 ऐप्स के साथ PUBG पर भी बैन लगाया था. सरकार ने कहा कि ये ऐप्स ऐसी गतिविधियों में जुटे थे, जिनका असर देश की संप्रुभता, अखंडता और सुरक्षा पर पड़ रहा है. हालांकि बैन होने के बावजूद भारत में PUBG की APK फाइल को डाउनलोड करके जुगाड़ से खेला जा रहा है.

The 16-year-old boy from Lucknow, who allegedly killed his mother after being forbidden from playing mobile games, was enjoying with his friends as the corpse lay in the other room. The teen invited two of his friends to his house in the PGI area, ordered egg curry online, and watched the movie, Fukrey. In this video know all about PUBG game.

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पब्जी से कौन सी बीमारी होती है?

ज्यादा गेम खेलना भी मानसिक रोग, इसे गेमिंग डिसऑर्डर कहते हैं उस समय डॉक्टरों ने बताया था कि उसका दिमाग ठीक तरह से काम नहीं कर रहा था और वो खुद को भी नुकसान पहुंचा रहा था। ऐसे कई मामले आते हैं, जब गेम खेलने वाला खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगता है या उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगती है।

अधिक पब्जी खेलने से क्या होता है?

और जिन लोगों को PUBG खेलने की लत है, वे कम सामाजिक सहभागिता के कारण सार्वजनिक रूप से चिंता का सामना कर सकते हैं या चिंता का सामना कर सकते हैं। बहुत लंबे समय तक PUBG खेलना आपके दिमाग को गड़बड़ कर सकता है क्योंकि आप खेलते समय अकेले रहना पसंद करते हैं। आप अकेलेपन से भी पीड़ित हो सकते हैं और आप कभी नहीं जान पाएंगे।

पब्जी से क्या खतरा हो सकता है?

PUBG गेम दुनिया का सबसे ज्यादा खेले जाने वाला गेम है, लेकिन आज कल के युवा इस पर ज्यादा ध्यान दे रहे है।.
किसी का कत्ल कर सकते है अगर गेम के बीच में कोई परेशान करे।.
हृदयाघात (दिल का दौरा) से मर सकते है।.
आंखे खराब हो सकती है।.
खुदखुशी (आत्महत्या) कर सकते है।.

पब्जी खेलने से दिमाग खराब होता है क्या?

जी नहीं, PUBG खेलने से कोई दिमाग खराब नहीं होता लेकिन भविष्य में खराब हो जाएगा इसकी पुरी संभावना होती है। क्योंकि PUBG जैसे गेम्स आपके इमोशंस को प्रभावित करते हैं।