इसे सुनेंरोकेंसभी मंत्री सामूहिक रूप से और व्यक्तिगत रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी एवं जवाबदेह हैं। भारत का प्रधानमंत्री कार्यपालिका और सरकार का वास्तविक अध्यक्ष होता है। Show
क्यों सरकार के संसदीय स्वरूप वर्तमान समय में इतना लोकप्रिय है?इसे सुनेंरोकेंभारत में शासन की संसदीय प्रणाली का चयन किया गया क्योंकि यह भारतीय संदर्भ में अधिक मुफीद और कारगर थी। इसका चयन करते समय हमारे संविधान निर्माताओं ने स्थायित्व की जगह जवाबदेही को महत्त्व दिया, परंतु वर्तमान में राजनीतिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है। विधायी सदनों का कामकाज काफी लंबे समय से घटा है। पढ़ना: 1 दिन में कितने स्टेप चलना चाहिए? मुख्य कार्यपालिका के प्रमुख कार्य क्या है? इसे सुनेंरोकेंमुख्य कार्यपालिका प्रशासकीय अधिकारियों के कार्यों का निरीक्षण करने का कार्य भी करती है ताकि वे अपनी शक्तियों का दुरूपयोग न करें। मुख्य कार्यपालिका उनके कार्यों की जांच करती है और इस प्रकार प्रशासन पर नियंत्रण बनाए रखती है। प्रशासकीय अधिकारियों को प्रोत्साहन देने का कार्य भी मुख्य कार्यपालिका का है। मुख्यमंत्री को नियुक्ति कौन करता है?इसे सुनेंरोकेंभारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है। हालाँकि, राज्यपाल किसी भी यादृच्छिक व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त नहीं कर सकता है, लेकिन उसे एक प्रावधान का पालन करना होगा। संघ की कार्यपालिका के प्रधान कौन हैं?इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर राष्ट्रपति है। राष्ट्रपति संघ का संवैधानिक प्रमुख होता है। राष्ट्रपति राज्य का मुखिया होता है जबकि प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है भारत के प्रशासन में प्रधानमंत्री की स्थिति की व्याख्या कीजिए? इसे सुनेंरोकेंप्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है; वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(i) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए देश का प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं। भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी एवं उसके अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श से करेंगे। पढ़ना: बहुभुज के विकर्ण का सूत्र क्या होता है? केंद्र की कार्यपालिका का प्रमुख कौन होता है?इसे सुनेंरोकेंकेंद्र की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त है और उसके द्वारा प्रत्यक्ष रूप से या उसके अधीन अधिकारियों के जरिए संविधान के अनुसार अधिकार का प्रयोग किया। संघ के रक्ष बलों का सर्वोच्च शासन भी उसी का होता है। कौन से देश में अध्यक्षात्मक और संसदीय प्रणाली का मिश्रण पाया जाता है?इसे सुनेंरोकेंअध्यक्षीय प्रणाली या राष्ट्रपति प्रणाली एक ऐसी गणतांत्रिक शासनप्रणाली होती है, जिसमें राजप्रमुख(सरकार प्रमुख) और राष्ट्रप्रमुख(रष्ट्राध्यक्ष) एक ही व्यक्ती होता है। अध्यक्षीय गणतंत्र का एक उदाहरण है अमेरिका और लगभग सभी लैटिन अमेरिकी देश, वहीं फ्रांस में एक मिश्रित संसदीय और अध्रक्षीय व्यवस्था है। भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है? इसे सुनेंरोकेंप्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है जब तक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो। पढ़ना: लैब टेक्नीशियन से क्या होता है? प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है प्रधानमंत्री के कार्यों का वर्णन कीजिए?इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 75(1) के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। लेकिन राष्ट्रपति किसे प्रधानमंत्री के पद पर न्युक्ति करेगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। सामान्य तौर पर राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता को अथवा सबसे बड़े गठबंधन वाले दलों के नेता को प्रधानमंत्री के पद पर न्युक्ति करता है। केंद्र सरकार के कितने अंग होते हैं?इसे सुनेंरोकेंप्रायः इसके तीन अंग होते हैं – व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है। सरकार के तंत्र का अभिप्राय उस राजनितिक व्यवस्था से होता है जिसके द्वारा राज्य की सरकार को जाना जाता है। अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के लक्षण Parliamentary system in Hindi अनुक्रम (Contents)
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के लक्षणअध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के लक्षण-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की जो चर्चा हम पहले कर चुके हैं, उसके आधार पर इसकी निम्न प्रमुख विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं- 1. शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत पर आधारित-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली शक्ति- के सिद्धांत पर आधारित होती है अर्थात् सरकार के तीनों अंग यानी कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका एक दूसरे से पृथक् एवं स्वतंत्र होते हैं, इसीलिए समान रूप स महत्वपूर्ण होते हैं, सभी एक-दूसरे के हस्तक्षेप से स्वतंत्र होते है । यदि व्यवस्थापिका का कोई सदस्य मंत्री बन जाता है तो उसे व्यवस्थापिका की सदस्यता का परित्याग करना पड़ता है। 2. राज्याध्यक्ष की स्थिति- अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रपति राज्य का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है, हीं और संविधान द्वारा समस्त कार्यकारी शक्तियाँ उसी में निहित होती हैं। इस तरह जहाँ वह देश का वैधानिक प्रधान होता है वहाँ वास्तविक प्रधान भी होता है और कार्यकारिणी संबंधी समस्त शक्तियों का यथार्थ में वही उपयोग करता है। 3. मंत्रिमण्डल मात्र परामर्शदाता-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के अन्तर्गत मंत्रिमण्डल की स्थिति संसदात्मक शासन प्रणाली के मंत्रि- मण्डल से बिल्कुल अलग-थलग होती है। राष्ट्रपति की सहायता के लिए इसमें मंत्री के स्थान पर बहुत से सचिव होते हैं जो प्रशासनिक योग्यता के आधार पर नियुक्त किये जाते हैं। उनके परामर्श को स्वीकार करना या न करना पूरी तरह राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है। 4. उत्तरदायित्व का अभाव-अध्यक्षात्मक शासन पद्धति में कार्यपालिका व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। व्यवस्थापिका उससे न तो कोई प्रश्न पूछ सकती है और न उसके विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करके उसे पद-त्याग करने के लिए विवश कर सकती है। वस्तुत: मंत्रिगण केवल राष्ट्रपति के प्रति ही उत्तरदायी होते हैं। 5. मंत्रिमण्डल का अभाव-सच्चाई तो यह है कि अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में मंत्रिमण्डल का अस्तित्व ही नहीं होता। राष्ट्रपति के सहायतार्थ केवल कुछ सचिव ही होते हैं जो किसी एक इकाई या टीम का निर्माण नहीं करते। मंत्रिमण्डल एवं उसके सदस्य केवल राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं उसकी आज्ञानुसार कार्य सम्पादन करते हैं और केवल उसकी इच्छापर्यन्त पद पर रहते हैं। व्यवस्थापिका से उसका कोई सरोकार ही नहीं होता। 6. निश्चित कार्यावधि-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रपति निश्चित कार्यावधि के लिए निर्वाचित किया जाता है। इसमें व्यवस्थापिका भी निश्चित कार्यावधि के लिए निर्वाचित की जाती है। राष्ट्रपति यदि संविधान का उल्लंघन करता है तो उसका निष्कासन मात्र महाभियोग द्वारा ही सम्भव होता है। 7. राजनीतिक एकरूपता का अभाव-व्यवस्थापिका के प्रति, कार्यकारिणी के प्रति उत्तरदायी न होने के कारण सचिव केवल एक ही राजनीतिक दल से संबंधित हों, यह अनिवार्य नहीं होता है। सचिव का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व केवल राष्ट्रपति की दिशा में होता है, सामूहिक उत्तरदायित्व कदापि नहीं इसलिए इसमें राजनीतिक एकरूपता का सर्वथा अभाव होता है। संसदीय शासन प्रणाली के लक्षणएकात्मक सरकार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, गुण एवं दोष संघात्मक शासन व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? उसकी प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? संघ एवं परिसंघ में अन्तर एकात्मक एवं संघात्मक शासन में क्या अन्तर है? बेंथम के विचारों की आलोचना। Criticism of Bentham In Hindiइसे भी पढ़े…
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अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली का प्रमुख कौन होता है *?अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली मे नाममात्र की और वास्तविक कार्यपालिका मे कोई भेद नही होता। राष्ट्रपति ही दोनों कार्यपालिका होता है। उसका निर्वाचन जनता द्वारा किया जाता है। लास्की का कहना है कि " वह सभी कार्यपालक निर्णयों का अंतिम स्त्रोत है।
अध्यक्षात्मक कार्यपालिका का प्रमुख गुण कौन सा है?अध्यक्षात्मक शासन की विशेषताएँ
(1) अध्यक्षात्मक शासन में केवल एक ही कार्यपालिका (राष्ट्रपति) होती है। (2) कार्यपालिका का कार्यकाल निश्चित होता है अर्थात् वह विधानमण्डल के ' प्रति उत्तरदायी नहीं होती। (3) अध्यक्षात्मक शासन में शक्ति पृथक्करण होता है अर्थात् विधानमण्डल व कार्यपालिका एक-दूसरे को भंग नहीं कर सकते ।
अध्यक्षात्मक क्या होता है?अध्यक्षीय प्रणाली या राष्ट्रपति प्रणाली एक ऐसी गणतांत्रिक शासनप्रणाली होती है, जिसमें राजप्रमुख(सरकार प्रमुख) और राष्ट्रप्रमुख(रष्ट्राध्यक्ष) एक ही व्यक्ती होता है।
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