अर्जुन और कर्ण में सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कौन है? - arjun aur karn mein sarvashreshth dhanurdhar kaun hai?

Mahabharat : महाभारत के युद्ध में पांडु पुत्र अर्जुन को पांच बार हराया गया था. एक बार तो अर्जुन को इतना असहाय कर दिया कि घायल अर्जुन को देखकर खुद कृष्ण ने अपनी प्रतिज्ञा तोड़कर भीष्म को मारने के लिए सुदर्शन उठा लिया. इसी तरह गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को चार बार हराया. जयद्रथ वध के समय खुद अर्जुन ने द्रोण को अपराजित माना था और उनसे रास्ता छोड़ने के लिए उनके शिष्य प्रेम का सहारा लेकर रथ पीछे से घुमाकर निकल गए. 

कर्ण ने रण छोड़ने पर कर दिया था मजबूर
अर्जुन को कर्ण ने सीधे युद्ध में पराजित कर रण छोड़ने को मजबूर कर दिया था. अर्जुन को 17वें दिन कर्ण ने चार बार हराया. एक बार उसने अर्जुन को अधमरा कर दिया था, लेकिन यहां भी कृष्ण ने अर्जुन की मदद की, जिसके चलते कर्ण के रथ का पहिया धंस गया, जिसे निकालते हुए कर्ण का अर्जुन ने वध कर दिया.

अश्वत्थामा ने नारायण अस्त्र से कर दिया था बेदम 
अश्वत्थामा ने एक बार नारायण अस्त्र से अर्जुन समेत पूरी पांडव सेना को पस्त कर दिया. इस अस्त्र की मार देखकर सेना रण छोड़कर भागने लगी थी. अर्जुन को अश्वत्थामा ने विराट युद्ध में भी थाम दिया था, लेकिन तीरों के खत्म होने पर उसे पीछे हटना पड़ा. 

सुधन्वा ने अग्नि अस्त्र से पछाड़ा
सुधन्वा को धनुर्धर विद्या की छह विद्याओं (अनुसंधान, प्रतिकार, संचालन, परिचालन) का ज्ञान था. अग्नि अस्त्र के प्रयोग में वह कर्ण और अर्जुन को भी पीछे छोड़ चुका था. युद्ध में अर्जुन ने सेना का नाश होते देखकर अपने अग्नि अस्त्र पर सारे पुण्य का फल रखकर छोड़ दिया, मगर अर्जुन का अग्नि अस्त्र निष्फल होता देखकर कृष्ण ने अपने पुण्य कर्मों के फल से सुधंवा के अग्नि अस्त्र को निष्फल कर दिया. इतने में मौका पाकर अर्जुन ने सुधंवा को मार डाला.

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हाथी पर सवार भागदत्त के आगे बेबस हो गए अर्जुन 
प्रागज्योतिषपुर का राजा भागदत्त के दो बेटों ने महाभारत युद्ध में भाग लिया. कर्ण ने इन्हें दिग्विजय में हराया था, लेकिन अर्जुन भागदत को पराजित नहीं कर पाए. सात दिन तक युद्ध चला, लेकिन परिणाम नहीं निकला तो इन्द्र को सुलह करानी पड़ी. अर्जुन को अपने बेटों का वध करते देखकर हाथी पर सवार होकर वे अर्जुन पर हावी हो गए. अर्जुन के बेबस पड़ते ही कृष्ण उन्हें बचा लेते हैं. भागदत्त के छोड़े वैषण अस्त्र को कृष्ण निरस्त कर देते हैं तब अर्जुन भागदत्त की आंख पर बंधी पट्टी तोड़कर वध कर देते हैं.

अतिच्युत की दिव्य गदा का प्रहार कृष्ण पर हुआ
अतिच्युत ने तपस्या कर दिव्य गदा पाई, जिसके प्रयोग पर योद्धा का वध निश्चित था. महाभारत युद्ध के चौथे दिन भीष्म के घायल होने पर अतिच्युत अर्जुन से लड़ने आया. पहले युद्ध तीर, फिर दिव्यास्त्र और बाद में उसने अर्जुन को मारने के लिए गदा प्रयोग कर दी, लेकिन कृष्ण ने प्रहार खुद पर ले लिया, इसके बाद अर्जुन ने दिव्यास्त्र से अतिच्युत को मार दिया.

सुशर्मा ने अर्जुन को बंदी बना लिया 
त्रिगर्त नरेश सुशर्मा ने दो हजार समसप्तक सेना की मदद से अर्जुन को युद्ध के 13वें दिन बंदी बना लिया था. इस बार भी कृष्ण ने अपनी शक्ति से अर्जुन को छुड़ा लिया. अर्जुन ने दिग्विजय के समय इसके कुल की स्त्रियां को अपमानित किया था, इससे नाराज होकर यह दुर्योधन की तरफ़ से युद्ध लड़ा.

राक्षस निकुंभ ने गांडीव छीन कर दिया बेदम
अति विशाल राक्षस निकुंभ ने सहदेव की पत्नी को अगवा कर लिया, इस पर अर्जुन, कृष्ण और प्रदुम्न ने इसे मारने का निश्चय किया, लेकिन इसने अर्जुन को ही अधमरा कर दिया. वह गांडीव छीनकर उन्हें उल्टा लटकाते हुए वध करने जा रहा था कि भगवान कृष्ण ने चक्र से इसका वध कर दिया.

द्वारिका के डाकुओं ने अर्जुन को हराया
महाभारत खत्म होने के बाद लुटेरों ने कृष्ण की पत्नी का अपहरण कर लिया और अर्जुन को बंदी बना लिया था. तब कृष्ण की पत्नियों ने अर्जुन को रिहा कराया. इसके बाद आहत अर्जुन ने बची औरतों और बच्चों को लेकर हस्तिनापुर का राज्य त्याग कर दिया.

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                            शीर्षक :- आखिर कौन था सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर ?
                                                                                                
                                                     
                            

पुरुषार्थ की वो एक कथा
है अर्जुन पर ही केंद्रित सदा
परन्तु कर्ण के जीवन-वृतांत को
मेरा मस्तिष्क बाहर न निकाल सका
आभास मन में होता रहा
वीर बस अर्जुन कहलाता रहा
महाभारत के इतिहास में
कर्ण भी तो महारथी रहा
जिसके पास नही थे
चक्रधारी से सारथी
जो दे पाते उसे गीता-रूपी ज्ञान
और अपनो से लड़ने की शक्ति
तथापि वो लड़ा
अपनों के विरुद्ध
जानते हुए कि
सँघर्ष तो है जटिल बहुत
नही है उसके पास कुछ भी तो
धनञ्जय की बराबर का
न ज्ञान साथ देगा रण में
न रथ आँचल छोड़ेगा वसुधा का
यदि छिड़ जाए बात कभी
सँघर्ष के पदचिन्हों की
तो मेरी स्मृतियों में घुल जाए सुगन्ध
कपटी कुरुक्षेत्र की मिट्टी की
जहाँ मेरी आँखें एकटक देखें
उस महारथी कर्ण को ही
न देख पाए अगर कुछ
तो शाप की बेड़ियों में बंधा कर्ण
दुर्योधन का ऋणी अंगराज कर्ण
अपने अनुज भाइयो का ज्येष्ठ कर्ण
और न ही देख पाऊँ मैं कौंतेय को भी
अगर मेरी कल्पना मुझे ले जाना चाहे
उस कपटी कुरुक्षेत्र में
तो फिर हो एक कपट
मेरी कल्पना के साथ भी
और मैं देख सकूँ एक ऐसा महायुद्ध
हो जो मेरी कल्पना से वशीभूत
अवश्य हो वहाँ धर्म की विजय
हो वहाँ सत्य की ही जय-जय
पर कुछ क्षण के लिए देख सके सब
वीरता का एक पहलू ऐसा भी
जिससे वंचित रह गए थे तब भी
जहाँ एक ओर हो द्रोणशिष्य
लिए हाथ में वही विशाल गाण्डीव
संग सारथीरूप में खड़े वासुदेव हो
और दूसरी तरफ रथ पर सवार हो रश्मिरथी
अपनी धनुष की प्रत्यंचा बाँधता "राधेय"
केवल रश्मिरथी राधेय
वो राधेय ! जो न किसी का भाई हो
न किसी का मित्र
न हो वो माता कुंती का अभागा सूत
और न ही किसी परशुराम का शापित
हाँ !
हाँ! मगर उस दानवीर से
माँग ले सहस्राक्ष उसका वो रक्षाकवच भी
जो होता किसी योद्धा को शोभायमान भी नही
और फिर प्रारम्भ हो मेरी कल्पना का एक युद्ध
तीर पर जब तीर चले
ज्ञान से जब ज्ञान कटे
अधीर हो जब दोनों धीर
प्रचंड घमंड खण्ड-खण्ड कटे
पर्यन्त रख जाति-धर्म को
एक वीर से जब वीर लड़े
हो न्याय का ऐसा संग्राम
तो मद घटे और मान बढ़े
जब कालचक्र के चक्र की हो
इतनी अनुपम कल्पना सुंदर
तब कहीं मिल पाएगा उत्तर
कि कौन था सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर ?
वो सूतपुत्र वो वीरपुरुष !
या वो माता कुन्ती का पुत्र ?

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1 year ago

करण और अर्जुन में कौन श्रेष्ठ है?

कर्ण अर्जुन से श्रेष्ठ थे ये बात सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण ही जानते थे. आइए जानते हैं कर्ण के बारे में. Mahabharat story: महाभारत में बार-बार तिरस्कार सहने के बाद भी कर्ण ने कभी धैर्य नहीं खोया.

महाभारत में सबसे अच्छा धनुर्धर कौन था?

अर्जुन को भले ही महाभारत काल का श्रेष्ठ धनुर्धर माना गया, लेकिन वह युद्ध में सर्वश्रेष्ठ नहीं थे. महाभारत युद्ध में कई योद्धाओं ने अर्जुन को हराया, लेकिन कृष्ण की मदद से अंत में वह सब पर भारी पड़े.

संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कौन है?

शास्त्रों अनुसार लक्ष्मण को श्रेष्ठ धनुर्धर माना गया है। लक्ष्मण ने राम-रावण युद्ध के दौरान मेघनाद को हराया था जिसने युद्ध में इंद्र को परास्त कर दिया था इसीलिए मेघनाद को इंद्रजीत भी कहा जाता है।

अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कैसे बना?

इंद्र द्वारा अर्जुन का जन्म हुआ। द्रोणाचार्य को ऐसे योद्धाओं की आवश्यकता थी जो राजा द्रुपद से प्रतिशोध ले सके। इसी कारण वे हस्तिनापुर के 105 राजकुमारों को शिक्षा देने लगे जिसमें से एक अर्जुन भी था। अर्जुन विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता था।