वायु प्रदूषण से निपटने के लिये भारत की नई रणनीति
वायु प्रदूषण वर्तमान में सबसे बड़ी वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। इसके मद्देनज़र पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत देशभर में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme) अखिल भारतीय स्तर पर लागू करने के लिये समयबद्ध रणनीति शुरू की गई है। Show राष्ट्रीय स्वच्छ वायु नीति अगले पाँच वर्षों में भारतीय शहरों को स्वच्छ बनाने के लिये रोडमैप तैयार करती है। पृष्ठभूमि भारत अपने नागरिकों को स्वच्छ पर्यावरण और प्रदूषण मुक्त वायु तथा जल उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है। दरअसल, हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 48-A में पर्यावरण की रक्षा तथा उसमें सुधार और वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा की बात कही गई है। साथ ही, अनुच्छेद 51A(g) में कहा गया है कि यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा कि वह वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार कार्य करेगा तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया का भाव रखेगा। सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के तहत पर्यावरणीय खतरों को कम करने के लिये कुछ लक्ष्य तय किये गए हैं। इन लक्ष्यों के दायरे में पर्यावरण संरक्षण के लिये भारत की प्रतिबद्धताएँ और दायित्व इस बात से स्पष्ट हो जाते हैं कि वायु और जल प्रदूषण पर एक अलग कानून सहित कई प्रशासनिक और विनियामक उपाय लंबे समय से देश में लागू हैं। (अनुच्छेद 253: अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को प्रभावी बनाने के लिये विधान) अनुच्छेद 253 के तहत वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 बनाया गया था। इसे जून 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में लिये गए निर्णयों को लागू करने के लिये अधिनियमित किया गया था। इस सम्मेलन में भारत ने भी हिस्सा लिया था। मानव कल्याण की गति को लगातार बनाए रखने के मद्देनज़र सतत विकास भारत की विकास यात्रा का एक अभिन्न अंग है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की कार्यविधि
क्या है राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम?
राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों के लिये कलर कोडेड सूचकांक मानव गतिविधियों के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिये परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानक को एक नीति दिशा-निर्देश के रूप में विकसित किया गया है जिससे वातावरण में प्रदूषक उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सके। राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक के उद्देश्य हैं--जनसामान्य के स्वास्थ्य, संपत्ति तथा वनस्पतियों की सुरक्षा के लिये वायु की गुणवत्ता के स्तर को उत्तम बनाए रखना, प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिये विभिन्न प्राथमिकताओं को तय करना, राष्ट्रीय स्तर पर वायु की गुणवत्ता का आकलन करने के लिये समान मापदंड बनाना तथा वायु प्रदूषण की निगरानी हेतु कार्यक्रमों का सुचारु संचालन सुनिश्चित करेगा। वायु गुणवत्ता सूचना के प्रसार के लिये वायु गुणवत्ता सूचकांक में वायु गुणवत्ता की 6 श्रेणियाँ हैं--अच्छी, संतोषजनक, कम प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और विभिन्न रंग आयोजना के साथ गंभीर। ये सभी श्रेणियाँ स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने से जुड़ी हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक 8 प्रदूषकों (PM2.5, PM10, NO2, SO2, CO, O3, NH3तथा Pb) पर विचार करता है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के प्रमुख घटक
वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिये सरकार द्वारा किये जा रहे उपाय
ग्रीन गुड डीड्स (Green Good Deeds) औपचारिक रूप से जनवरी 2018 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ग्रीन गुड डीड्स कार्यक्रम शुरू किया था। इसके तहत आम लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने और इसके संरक्षण में उन्हें शामिल करने का प्रयास किया जाता है। इस अभियान के द्वारा पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने के लिये व्यक्तियों या संगठनों द्वारा किये गए छोटे-छोटे सकारात्मक कार्यों को आगे बढ़ाया जाता है। मंत्रालय ने 600 से अधिक ग्रीन गुड डीड्स (Green Good Deeds) की सूची तैयार कर लोगों से अपील की है कि वे अपने अच्छे हरित व्यवहार (Green Good Behaviour) के माध्यम से हरित सामाजिक उत्तरदायित्व (Green Social Responsibility) को पूरा करने का प्रयास करें। वायु प्रदूषण की रोकथाम के कुछ उपाय
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में देश में लगभग 12.4 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वज़ह से होने वाली बीमारियों से हुई। ऐसे में ज़रूरी है कि वायु प्रदूषण सहित अन्य सभी प्रकार के प्रदूषणों से स्थायी तौर पर राहत देने वाले उपायों को अपनाया जाए। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का काम केवल सरकार पर न छोड़कर प्रत्येक नागरिक को अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए सहयोग करना होगा क्योंकि बिना जन-सहयोग के इसे नियंत्रित कर पाना संभव नहीं है। स्रोत: 15 फरवरी को Live Mint में प्रकाशित India’s New ‘Attack’ on Air Pollution तथा अन्य वायु प्रदूषण को कैसे रोक?1. निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें क्योंकि सड़क पर जितनी कम गाड़ियाँ रहेंगी उतना कम प्रदूषण भी होगा। अपने बच्चों को निजी वाहन से स्कूल छोड़ने की जगह उन्हें स्कूल की बस में जाने के लिए प्रोत्साहित करें। जहाँ तक मुमकिन हो, खुद भी ऑफ़िस जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें।
वायु प्रदूषण के क्या कारण है बचने के उपाय?वायु प्रदूषण के कारण एवं बचाव - Causes And Prevention Of Air Pollution In Hindi!. बढ़ती आबादी भारत जैसे देश में जिस गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है वह बढ़ते वायु प्रदूषण का एक सबसे बड़ा संकेतक है। ... . बढ़ते उद्योग ... . संचार के साधन ... . वनों की अंधाधुंध कटाई ... . परमाणु परिक्षण. प्रदूषण रोकने के उपाय क्या हैं?प्रदूषण को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर नये वन लगाने, भू-संरक्षण के उपाय करने और चक्रवात आदि से कम क्षति हेतु समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों मे 'रक्षा कवच' लगाये जाने चाहिए। वनों के विकास, संरक्षण एवं संवर्धन को प्रमुखता देकर पर्यावरण प्रदूषण को सकारात्मक नियंत्रण मे रखा जा सकता है।
वायु प्रदूषण को खत्म करने के लिए क्या किया जा सकता है?ऐसे में अपने श्वसन नली से प्रदूषकों को दूर करने के लिए तुलसी का रस पीएं, ऐसे में रोजाना 10 से 15 मिली पिएं। 3) खट्टे फल खाएं- अपनी डायट में खट्टे फल जैसे नींबू, आंवला, संतरा आदि को शामिल करें। खट्टे फलों में विटामिन सी आपकी इम्यूनिटी को बढ़ावा देने और वायु प्रदूषण के इफेक्ट को कम करने में मदद करते हैं।
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