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डायर के ब्रिटेन लौटने पर उसका खूब स्वागत हुआ था। जलियांवाला बाग में नरसंहार करवा वह दक्षिणपंथ का ‘पोस्टर बॉय’ बन गया था।ऊधम सिंह का असली नाम शेर सिंह था। बाद में पासपोर्ट बनाने के लिए उन्होंने अपना नाम ऊधम सिंह कर लिया था। कहा जाता है कि 13 मार्च 1940 को उन्होंने लंदन में जाकर जनरल डायर को गोली मारी थी और जलियाँवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था। हालांकि यह तथ्य पूरी तरह सही नहीं है। आइए एक-एक कर जानते हैं पूरी कहानी जलियांवाला बाग में क्या हुआ था?13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग में बैसाखी का उत्सव मनाने जुटे भारतीयों का ब्रिगेडियर रेजिनॉल्ड डायर ने नरसंहार कराया था। जनरल डायर के आदेश से 50 बंदूकधारियों ने 25 से 30 हज़ार निहत्थे लोगों पर करीब दस मिनट तक 1650 राउंड गोलियां चलाईं थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सैकड़ों और अलग-अलग इतिहासकारों की मानें तो 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 1100 के करीब लोग घायल हुए थे। ऊधम सिंह कहां थे?जलियांवाला बाग हत्याकांड के वक्त ऊधम सिंह कहां थे, इसे लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कई इतिहासकार मानते हैं कि ऊधम घटना के वक्त जलियांवाला बाग में ही मौजूद थे और लोगों को पानी पिला रहे थें। वहीं कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि ऊधम सिंह घटना के वक्त पंजाब में तो थे लेकिन जलियांवाला बाग में नहीं थे। इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। जनरल डायर को मारी गोली?जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए एक कमीशन बना था, जिसे हंटर कमीशन के नाम से जाना जाता है। कमीशन ने हत्याकांड की आलोचना करते हुए डायर को रिजाइन करने को कहा। इसके बाद डायर ब्रिटेन लौट गया, जहां उसका खूब स्वागत हुआ और वह दक्षिणपंथ का बड़ा ‘पोस्टर बॉय’ बन गया। लोगों ने डायर को करोड़ों रुपये का चंदा दिया। डायर अलग-अलग मंचों से अपनी करतूत को सही साबित करता रहा। 23 जुलाई 1927 को उसकी ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई। सवाल उठता है कि जब डायर की 1927 में ही हो गई तो ऊधम सिंह ने 1940 में किसे मारकर जलियांवाला बाग का बदला लिया? ऊधम सिंह ने किसे गोली मारी?ऊधम सिंह अपने प्लान को अंजाम देने के लिए 1933 में ही जाली पासपोर्ट बनावा कर लंदन पहुंच गए थे। लंदन में उन्होंने एक जाली पहचान पत्र भी बना लिया था, जिस पर उनका नाम था – मोहम्मद सिंह आज़ाद। पता था- 8 मौर्निंगटन टैरेस, रीजेंट पार्क, लंदन। 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में ऊधम सिंह ने माइकल ओ ड्वाएर को गोली मार दी थी। ड्वाएर जलियांवाला बाग हत्याकांड के वक्त पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था। हत्याकांड के बाद अपनी रिपोर्ट में उसने सिर्फ 200 लोगों के मारे जाने की बात लिखी थी। ड्वाएर को विरोध के स्वरों को कुचलने के लिए जाना जाता था। उसने जनरल डायर के कुकृत्य को हमेशा सही ठहराया। यही वजह है कि घटना को 21 साल बीत जाने के बाद भी ऊधम सिंह के अंदर ज्वाला जलती रही। ड्वाएर की हत्या के लिए क्रांतिकारी ऊधम सिंह को 31 जुलाई, 1940 को फांसी दे दी गई। Udham Singh – उधम सिंह एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जो ब्रिटिश भारत में पंजाब के भूतपूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर सर माइकल ओ, डायर की हत्या के लिए जाने जाते है। उधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को उनकी हत्या की थी। कहा जाता है
की यह हत्या उन्होंने 1919 में अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग़ नरसंहार का बदला लेने के लिए किया। भारतीय स्वतंत्रता अभियान में उधम सिंह एक जाना माना चेहरा है। स्थानिक लोग उन्हें शहीद-ए-आजम सरदार उधम सिंह के नाम से भी जानते है। अक्टूबर 1995 में मायावती सरकार ने उत्तराखंड के (उधम सिंह नगर) एक जिले का नाम उन्ही के नाम पर रखा है। शहीद उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को शेर सिंह के नाम से भारत के पंजाब राज्य के संगरूर जिले के सुनाम में हुआ था। उधम सिंह के माता निधन तब ही हुआ था जब उधम सिंह शिशु अवस्था में थे, इनके माता का नाम नरेन कौर तथा पिता का नाम टहल सिंह था। टहल सिंह एक किसान थे साथ ही उपाल्ली नामक स्थान पर रेल्वे वाचमन का कार्य भी करते थे, माता के देहांत
के पश्चात कुछ समय बाद उधम सिंह के पिता का भी निधन हुआ। इसके बाद इनके भाई मुक्ता सिंह के साथ उधम सिंह को अमृतसर के पुतलीघर में खालसा सेंट्रल अनाथालय में परवरिश हेतु दाखिल किया गया था, जहाँ सिख परंपरा पद्धति अनुसार उनका बचपन गुजरा था। मैट्रिक परीक्षा की शिक्षा पूरा करने तक का समय उधम सिंह ने अनाथालय में ही गुजारा था जिसके पश्चात साल १९१९ को उन्होंने खालसा सेंट्रल अनाथालय को छोड़ दिया था। आगे जीवन में हुए कुछ घटनाओ का उधम सिंह के जीवन पर गहराई से प्रभाव हुआ था, जिसमे जलियाँवाला बाग नरसंहार की
घटना ने उनके आत्मा को झकझोर दिया और तबसे उनका जीवन क्रन्तिकारी विचारो की राह पर आगे बढ़ा। इसके बाद उधम सिंह क्रांतिकारी राजनीती में शामिल हो गए और भगत सिंह एवं उनके क्रांतिकारी समूह का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। 1924 में सिंह ग़दर पार्टी में शामिल हो गये और विदेशो में जमे भारतीयों को जमा करने लगे। 1927 में भगत सिंह के आदेश पर वे भारत वापिस आ गए और अपने साथ वे 25 सहयोगी, रिवाल्वर
और गोलाबारूद भी ले आए। इसके तुरंत बाद उन्हें बिना लाइसेंस के हथियार रखने के लिए गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उनपर मुकदमा चलाया गया और उन्हें पाँच साल की सजा देकर जेल भेजा गया। 1931 में जेल से रिहा होने के बाद, सिंह के अभियान पर पंजाब पुलिस निरंतर निगरानी रख रही थी। इसके बाद वे कश्मीर चले गये और वहाँ वे पुलिस से बचने में सफल रहे और भागकर जर्मनी चले गए। 1934 में सिंह लन्दन पहुचे और वहाँ उन्होंने माइकल ओ’डायर की हत्या करने की योजना बनायीं थी। जलियांवाला बाग़ नरसंहार – Jallianwala Bagh massacre10 अप्रैल 1919 को भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस से जुड़े हुए बहुत से स्थानिक नेताओ जैसे सत्य पाल और सैफुद्दीन कित्चले को रोलेट एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने इस गिरफ्तारी के खिलाफ ब्रिटिश सेना पर आक्रमण किया और चार यूरोपियन की हत्या भी की। इसके बाद 13 अप्रैल को 20 हज़ार से भी ज्यादा प्रदर्शनकारी बिना हथियार के अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में जमा हुए थे। जिसमे सिंह और उनके दोस्त अनाथालय से जनता को पानी पिलाते थे। दंगो के बाद ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने उनपर आक्रमण करने की ठानी थी। वहाँ पहुचते हुए डायर ने अपनी सेना को बिना किसी चेतावनी के सीधे उन लोगो पर आक्रमण करने का आदेश दिया, जो जलियांवाला बाग़ में जमा हुए थे। आक्रमण के बाद वहाँ जमे लोग किसी तरह दीवारों के उपर से भागने लगे और अपनी जान बचाने लगे।कहा जाता है की उस नरसंहार में तक़रीबन 1500 लोग मारे गए और 1200 से भी ज्यादा लोग घायल हो चुके थे। इस घटना उधम सिंह के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। उधम सिंह के अनुसार पंजाब के गवर्नर माइकल ओ’डायर ने इन आक्रमणकारियों की सहायता की थी और उनके अनुसार इस नरसंहार के वही जिम्मेदार थे। लन्दन के कैक्सटन हॉल में शूटिंग – Shooting at Caxton Hall13 मार्च 1940 को माइकल ओ’डायर कैक्सटन हॉल में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और सेंट्रल एशियन सोसाइटी की सामूहिक मीटिंग में बोलने वाले थे। सिंह गुप्त रूप से अपने जैकेट पॉकेट में रिवाल्वर (जिसे उन्होंने पंजाब के मल्सियन के पूरण सिंह बौघन से लिया था) लेकर हॉल में गए और वहाँ पर एक खाली सीट पर बैठ गये। जब बैठक शुरू हो रही थी और जब डायर स्टेज पर जा ही रहे थे तभी सिंह ने उनपर दो गोलियाँ दाग दी। इस शूटिंग में दुसरे लोग भी घायल हुए, जिनमे मुख्य रूप से लुइस डेन, लॉरेंस डुंडा और चार्ल्स कोच्राने-बैल्लि इत्यादि शामिल थे। शूटिंग के बाद सिंह ने जरा भी भागने की कोशिश नही की और उन्हें उसी जगह पर ब्रिटिश सेना ने पकड़ लिया था। इसके बाद सिंह को अपराधी ठहराया गया और मृत्यु की सजा सुनाई गयी। 31 जुलाई 1940 को सिंह को फाँसी दी गयी और जेल के परिसर में ही उन्हें दफनाया गया। उधम सिंह से जुडी विरासत – Heritage Concerned With Udham Singh
उधम सिंह जयंती दिवस – Birth Anniversary of Udham Singhहर साल देश भर में शहीद क्रांतिकारी उधम सिंह की जयंती मनाई जाती है, जिस दिन उनकी सच्ची राष्ट्रभक्ति, देश पर बलिदान तथा समर्पण को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। जलियाँवाला बाग में उधम सिंह की याद में बने स्मारक स्थल पर लोग उनके प्रति अपनी निष्ठा और उनके कार्य को याद कर देश के साहसी और वीर क्रांतिकारी के प्रति हर साल अपनी संवेदना प्रकट करते है। यह दिन हर साल २६ दिसंबर को होता है, जहाँ देश के महान सपूत के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में देश के हर कोने में जयंती दिवस मनाया जाता है। उधम सिंह के बारे में अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Frequently Asked Questions About Udham SinghQ. कौनसे दिन उधम सिंह जी की जयंती को देशभर में मनाया जाता है? (Birth anniversary day of Udham Singh?) जवाब: २६ दिसम्बर के दिन। Q. उधम सिंह की मृत्यु कैसे हुई थी? (How did Udham Singh died?) जवाब: जलियाँवाला बाग नरसंहार के प्रमुख आरोपी मायकेल ओ’डायर (ओडवायर) की इंग्लैंड में जाकर हत्या करने के मामले में उधम सिंह को ब्रिटिश सरकार के तरफ से फाशी की सजा सुनाई गई थी, इसके चलते उन्हे फाँसी दी गई थी जिसमे उनकी मृत्यु हुई थी। Q. उधम सिंह जी की मृत्यु कब हुई थी? (When did Udham Singh died?) जवाब: ३१ जुलाई १९४० को। Q. सरदार उधम सिंह कौन थे? (Who was sardar Udham Singh?) जवाब: सरदार उधम सिंह भारत के महान युवा क्रन्तिकारी थे जिन्होंने जलियाँवाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेने हेतु इंग्लैंड में जाकर मुख्य दोषी मायकेल ओ डायर की हत्या की थी। इसके अलावा उधम सिंह ग़दर संघठन के साथ साथ क्रांतिकारी संघठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन के सदस्य भी थे। उधम सिंह कामगार संघठन के भी सक्रीय सदस्य थे तथा उनपर भगत सिंह के विचारो का काफी ज्यादा प्रभाव था। भारतीय इतिहास में उधम सिंह को महान शहीद क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है। Q. उधम सिंह का शहीद दिवस कौनसे दिन होता है? (Martyr day of Udham Singh?) जवाब: ३१ जुलाई को। Q. जलियाँवाला बाग नरसंहार का प्रमुख दोषी कौन था? इसकी हत्या किसने की थी? (Who was the main accused of the Jalianwala garden massacre? Who did killed governor general Michael O’Dwayar?) जवाब: मायकेल ओ डायर (ओडवायर), उधम सिंह ने इंग्लैंड में जाकर मायकेल ओडवायर की हत्या की थी। सरदार उधम सिंह की मृत्यु कैसे हुई?दो गोलियां माइकल ओ'डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।
उधम सिंह ने जनरल डायर को कैसे मारा?दो दशक तक उनके सीने में जलियांवाला बाग नरसंहार( Jallianwala Bagh Massacre) की आग धधकती रही। आखिर 13 मार्च 1940 का दिन आया। लंदन के काक्स्टन हॉल में ईस्ट इंडियन एसोसिएशन की मीटिंग चल रही थी। उसी दौरान उधम सिंह ने ओ ड्वायर को मौत के घाट उतार दिया।
उधम सिंह की मौत कब हुई?31 जुलाई 1940उधम सिंह / मृत्यु तारीखnull
उधम सिंह चमार थे क्या?साल 1940 में 31 जुलाई को उधम सिंह को इंग्लैंड में फांसी दी गई. आइये जानते हैं उनके बारे में कुछ खास तथ्य… बताया जाता है कि शहीद उधम सिंह के पिता का नाम चूहड़ राम था, जो उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटिआली गांव के रहने वाले थे. वह जाटव (चमार) जाति Jatav (Chamar) के थे.
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