Solution : हम जानते है कि वैद्युतचुंबकीय तरंग में परस्पर लंबवत वैद्युत क्षेत्र वेक्टर `vec(E)` और चुंबकीय क्षेत्र वेक्टर `vec(B)` होते है। अधिकांश प्रकाशिक परिघटनाओं की व्याख्या, वैद्युत क्षेत्र वेक्टर और वह पदार्थ जिसमे से वैद्युतचुंबकीय तरंग गुजरती है, के बीच पारस्परिक क्रिया से की जा सकती है इसलिए ध्रुवण की दिशा विनिर्दिष्ट करने के लिए हम `vec(E)` का प्रयोग करते है, `vec(B)` का नहीं। Show
Solution : समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील आवेशित कण पर लागने वाले बल कण के वेग के लम्बवत होता है। अतः चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा कण पर कोई कार्य नहीं किया जाता है। अतः कण की चाल नियत रहेगी और इस प्रकार कण को गतिज ऊर्जा भी अपरिवर्तित रहेगी। Solution : वैद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों में समानताएं ये हैं चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुम्बकीय क्षेत्र गतिमान विद्युत आवेश और मूलकणों के अंतर्भूत चुंबकीय आघूर्ण द्वारा उत्पादित होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को B तथा H, द्वारा निरूपित किया जाता है। H की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और B की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा[1][2] विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण (RBD) अधिनियम, 1969 में संशोधन का प्रस्ताव दिया था।
प्रस्तावित संशोधन:
संशोधनों की आवश्यकता:
जन्म और मृत्यु पंजीकरण (Registration of Birth and Death- RBD) अधिनियम, 1969:
स्रोत: द हिंदूभूगोल Prev Next दुर्लभ मृदा धातु
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय उद्योग परिसंघ, भारत दुर्लभ मृदा मिशन, डीप ओशन मिशन मेन्स के लिये:दुर्लभ मृदा धातु और भारत में अपने उत्पादन को बढ़ाने के लिये क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता चर्चा में क्यों?भारत की चीन पर आयात संबंधी बढ़ती निर्भरता के चलते भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने सरकार से इस क्षेत्र में निजी खनन को प्रोत्साहित करने और आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने का आग्रह किया है।
CII के सुझाव:
दुर्लभ मृदा धातु:
चीन का एकाधिकार:
दुर्लभ मृदा धातुओं के लिये भारत की वर्तमान नीति:
संबंधित पहल:
आगे की राह
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू)प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे ‘दुर्लभ मृदा धातु’ कहते हैं, की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) स्रोत: द हिंदूअंतर्राष्ट्रीय संबंध Prev Next चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच की बैठक
प्रिलिम्स के लिये:हिंद महासागर क्षेत्र, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, SAGAR, IONA, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन। मेन्स के लिये:हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव के निहितार्थ। चर्चा में क्यों?हाल ही में चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (China International Development Cooperation Agency- CIDCA) ने चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच की बैठक आयोजित की जिसमें 19 देशों ने भाग लिया। भारत ने इसमें भाग नहीं लिया। बैठक की मुख्य विशेषताएँ:
चीन की बैठक में मांग:
चुनौतियाँ:
IORA में भारत की उपस्थिति:
हिंद महासागर रिम एसोसिएशन:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिए हिन्द महासागर रिम संघ इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (IOR_ARC)' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: D स्रोत: इंडियन एक्सप्रेसविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी Prev Next ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान -C54
प्रिलिम्स के लिये:प्रक्षेपण यान, SRO, PSLV, EOS, INS-2B, भारत-भूटान उपग्रह, एस्ट्रोकास्ट, आनंद। मेन्स के लिये:अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, INS-2B, EOS-6 और महत्त्व। चर्चा में क्यों?हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle- PSLV) C54 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है।
प्रक्षेपित किये गए उपग्रह
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न . भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: A प्रश्न: भारत द्वारा प्रमोचित खगोलीय वेधशाला, ‘ऐस्ट्रोसैट’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही हैं?(2016) |