वेदों की संख्या कितनी बताई गई है? - vedon kee sankhya kitanee bataee gaee hai?

#वेद शब्द #संस्कृत भाषा के चार "विद्" और एक "विद्लृ" धातुओं से बना है। जिनका अर्थ हैं- विद सत्तायाम् - (सत्तार्थ) होना;...

Posted by संस्कृत का उदय on Sunday, July 28, 2019

आयु, उमर, जीवन: आयु जीवनकाल के लिए प्रयुक्त होता है, पर जीवन के लिए नहीं। रामचन्द्र जी ने लम्बी आयु पायी थी। पहले के लोग दीर्घायु होते थे। आजकल छोटी आयु में ही लड़की का ब्याह कर दिया जाता है। उमर का प्रयोग जीवनकाल के किसी भी बिन्दु के लिए किया जाता है। गाँधी जी सतरह वर्ष की उमर में विलायत गये थे। जब साल भर की उम्र होती है तब बच्चे के दाँत निकलते हैं। आयु के अर्थ में भी उमर का बहुधा प्रयोग होता है, जैसे- गांधी जी ने लंबी उमर पाई। टॉलस्टाय ने बड़ी उमर में ब्याह किया था। जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक के समय को कहते हैं। किसी व्यक्ति के अस्तित्व मात्र को भी जीवन कहते हैं। गरीबी का जीवन दु:खमय होता है। श्रीकृष्ण के जीवन में यादवों का नाश हो गया था।

प्रार्थना, अनुरोध: प्रार्थना से दीन भाव की ध्वनि निकलती है। प्रार्थना, श्रद्धेय और पूज्य व्यक्तियों के प्रति अथवा अपने से श्रेष्ठ लोगों के प्रति नम्रता के कारण आत्मसम्मान का त्याग कर दी जाती है। अनुरोध बहुधा बराबर वालो से या साधारण व्यक्तियों से किया जाता है। अनुरोध से दीनता का भाव प्रकट नहीं होता। भक्त भगवान से प्रार्थना करता है। वकील ने मुकदमे को मुल्तवी रखने के लिए मजिस्ट्रेट से प्रार्थना की। किरानी ने छुट्टी के लिए अपने प्रधान से प्रार्थना की। राम ने हरी से अपने घर चलाने का अनुरोध किया। केंद्रीय सरकार ने प्रान्तीय सरकार से अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए अनुरोध किया।

मनुष्य, मानव, नर, पुरुष: हिन्दी में “मनुष्य”, “मानव”, और “नर” ये तीनों बहुधा स्त्री और पुरुष दोनों के सम्मिलित समाज के लिए प्रयुक्त होते हैं पर पुरुष केवल मर्द के लिए आता है। मनुष्य मात्र को सत्यवादी होना चाहिये। मानव विचारशील प्राणी है। हम सभी नर लोक के प्राणी हैं। अनेक पुरुष कायर होते हैं।

हैलो दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है। इस लेख वेद कितने है, वेद के अर्थ (Ved kitne hai Ved ka arth) में। दोस्तों आप इस लेख में वेद कितने है वेद का अर्थ क्या है

के साथ अन्य कई महत्वपूर्ण पूर्ण तथ्यों के बारे में जान पायेंगे। दोस्तों यह लेख प्रतियोगी परीक्षा तथा सामान्य ज्ञान की दृष्टि से आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा। तो आइये पढ़ते है, यह लेख वेद कितने है, वेद का अर्थ:-

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वेदों की संख्या कितनी बताई गई है? - vedon kee sankhya kitanee bataee gaee hai?


वेद क्या है what is veda 

वेद प्राचीन भारत के वे धर्म ग्रंथ है, जो हिंदुओं के जीवन का आधार माने जाते हैं। यह एक प्रकार से पवित्र पुस्तक है, जिनमें ईश्वर (God) के द्वारा बताये गए ज्ञान को लिखा गया है।

इसमें जीवन जीने की शैली तथा जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने तक का समाधान उपलब्ध है।

वेद एक प्रकार के हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथ है, जिनमें सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है। वेदों में ईश्वर, ज्योतिष, विज्ञान,  गणित, औषधि,  खगोल, भूगोल, इतिहास,  तंत्र-मंत्र, जादू-टोने, 

यज्ञ, संगीत समस्त प्रकार के ज्ञान से भरे हुये स्रोत हैं। इसलिए वेद ही हिंदू धर्म के प्रथम ग्रंथ माने जाते हैं। इन्हें श्रुति भी कहा जाता है।

कहा जाता है, कि वेदों की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के चारों मुँह के द्वारा हुई है किंतु वेदों की रचना अलग-अलग ऋषि-मुनियों ने भिन्न-भिन्न काल में की है।


वेदों की संख्या कितनी बताई गई है? - vedon kee sankhya kitanee bataee gaee hai?


वेद का अर्थ Meaning of veda.

वेद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के विद, धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है, ज्ञान या फिर जानना इस प्रकार से वेद शब्द का अर्थ है

किसी भी वस्तु, इतिहास, धर्म, खगोल, विज्ञान आदि का ज्ञान प्राप्त करना। वेदों से ही आर्यों के जीवन तथा दर्शन का ज्ञान प्राप्त होता है।

वेदों की संख्या चार हैं, जिन्हें सहिंता के नाम से भी जाना जाता है। वेदों के संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण दैपायन है, जिन्हें महर्षि वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता हैं।


चार वेदो के नाम Name of Four Vedas 

वेद कितने है - वेद चार प्रकार के होते हैं, जिनमें ऋग्वेद (Rigveda) यजुर्वेद (Yajurveda) सामवेद (Samaveda) अथर्ववेद (Atharvaveda) को शामिल किया गया है।

जबकि ऋग्वेद  यजुर्वेद सामवेद की रचना पहले हो चुकी थी, इसलिए इन तीनों वेदों को त्रयी (Trilogy) भी कहा जाता है।

  • ऋग्वेद Rigveda 

ऋग्वेद वेदों में सबसे प्राचीन वेद है, जिसमें 10 मंडलों सहित देवताओं की स्तुति के लिए 1028 श्लोक 11 बालखिल्य श्लोक तथा 10462 मंत्र समाहित हैं।

ऋग्वेद के पहले तथा दसवें मंडल को क्षेपक तक कहा जाता है, ऋग्वेद में से ही प्रसिद्ध गायत्री मंत्र Gayatri Mantra को लिया गया है जो ऋग्वेद के चौथे मंडल में उल्लेखित हैं।

यह गायत्री मंत्र सावित्र नामक देवता को संबोधित किया गया है। ऋग्वेद के आठवें मंडल में हस्तलिखित ऋचाओं को खिल्य के नाम से जाना जाता है।

ऋग्वेद में लगभग 33 प्रकार के देवताओं का वर्णन है, जिनमें इंद्र, वरुण, अग्नि, सोम आदि प्रमुख देवता माने जाते हैं।

ऋग्वेद में कई विदुषी महिलाओं (wise women) का भी वर्णन है, जिनमें घोषा, लोपमुद्रा, विश्ववारा आदि प्रमुख है। ऋग्वेद का नित्य प्रति पाठ करने वाले ब्राह्मण को होतृ कहा जाता है।

ऋग्वेद में ही आर्य तथा अनार्य के बीच हुए युद्ध का वर्णन मिलता है। जिसमें राजा सुदास ने 10 राजाओं के संघ को रावी नदी (Ravi River) के तट पर अकेले ही पराजित किया था।

इस युद्ध को दसराज युद्ध की संज्ञा भी दी गई है। राजा सुदास भरत कबीले का अधिपति था जिन्हें आर्य कहा जाता था।

भरत कबीले का पुरोहित महर्षि वशिष्ठ को बनाया गया था, जबकि विश्वामित्र ने अनार्यों का साथ दिया. ऋग्वेद में ब्रह्मा जी की पत्नी जूही की भी चर्चा मिलती है। ऋग्वेद की 5 शाखाएँ हैं, वास्कल, साकल, शंखआयन, मंडुक्य आशवलायन

ऋग्वेद में इंद्र को पुरंदर, दस्यूहान, पुरोभिद के नाम से पुकारा गया है। वहीं अग्नि को पथ का निर्माता कहा गया है। ऋग्वेद में सप्तसेंधव प्रदेश (Saptasendhav region) की भी चर्चा बार बार मिलती है।

यह पंजाब का वह क्षेत्र है, जो सात नदियों के द्वारा सिंचित (Irrigated by seven rivers) होता था, ऋग्वेद की रचना इसी प्रदेश में हुई थी।

  • यजुर्वेद Yajurved

ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद यजुर्वेद को माना जाता है। जिसमें मुक्ता अनुष्ठानों तथा कर्मकांड और यज्ञ तथा मंत्रों का संग्रह मिलता है।

मन्त्रों को यजुस कहते है, इस लिए इस वेद को यजुर्वेद नाम दिया गया। इसके गायन करने वाले पुरोहित को अध्यवृयु के नाम से जाना जाता है।

यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र में हुई थी, जिसमे में 40 मंडल तथा दो हजार मंत्र वर्णित है. यजुर्वेद को पाठांतर के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है।

1. कृष्ण यजुर्वेद (Krishna Yajurveda)
2. शुक्ल यजुर्वेद (Shukla Yajurveda)

कृष्ण यजुर्वेद - कृष्ण यजुर्वेद गध पाठांतर है जिसमें  33 मैत्रायणी तथा काष्ठक नामक पाठांतर भी है।

शुक्ल यजुर्वेद - शुक्ल यजुर्वेद पद्घ पाठांतर में है, जबकि शुक्ल यजुर्वेद को बाजसनेमी सहिंता के नाम से भी जाना जाता है

यजुर्वेद में कृषि, सिंचाई गतिविधियों की चर्चा तथा चावल की विभिन्न प्रकरणों की जानकारी भी मिलती है। यजुर्वेद में चावल को ब्रीही के रूप में उल्लेखित किया गया है।

चावल की इसमें अन्य किसम तंदुल, सील इत्यादि भी वर्णित हैं। यजुर्वेद में  वाजमेय, सोमयज्ञ, राजसूय अश्वमेघ आदि यज्ञ की चर्चा भी मिलती है।

जबकि वैदिक कालीन अधिकारियों को रत्नीन (Ratnin) के नाम से भी जाना जाता था। 

  • सामवेद Samveda 

यह वेद तीसरा वेद कहा है, जिसे सामवेद के नाम से जाना जाता है। सामवेद का सीधा संबंध संगीत से है इसीलिए इसे संगीत का वेद भी कहा जाता है।

इस वेद से संबंधित श्लोक तथा मंत्रों का गायन करने वाले पुरोहित को उदगातृ (Udgatra) कहा जाता है। सामवेद संगीत वेद में विभिन्न प्रकार के संगीत तथा संगीत से संबंधित पक्षों का उल्लेख किया गया है।

सामवेद में 1549 श्लोक जिनमें से 75 को छोड़कर सभी ऋग्वेद से लिए गए हैं। सामवेद में मंत्रों की संख्या 1810 है

सामवेद को तीन प्रकार की शाखाओं में बांटा गया है कोथूम, जैमिनीय एवं राणायनीय

  • अथर्ववेद Atharvaveda

यह वेदों की संख्या में चौथा और अंतिम दिन है। जिसकी रचना ऋषि अथर्वा ने की थी। अथर्ववेद को जादू टोने मंत्र तंत्र का वेद भी कहा जाता है।

क्योंकि इसमें जादू टोने और मन्त्र तंत्र से संबंधित अनेक श्लोक हैं। जबकि रोग निवारक औषधियों की चर्चा भी इस वेद में मिलती है।

अथर्ववेद के मंत्रों को भारतीय विज्ञान का आधार भी माना जाता है। अथर्ववेद में सभा तथा समिति को प्रजा की दो पुत्रियाँ भी कहा गया है, जबकि सर्वोच्च शासक को एकराट (Ekrat) कहा जाता है।

राजा के लिए सम्राट शब्द का  भी सबसे पहले प्रयोग अथर्ववेद में ही हुआ। अथर्ववेद में सूर्य का वर्णन एक ब्राह्मण विद्यार्थी रूप में हुआ है। अथर्ववेद की दो शाखाएं हैं सोनक एवं पिप्पलाद है।

दोस्तों इस लेख में आपने वेद कितने हैं वेद क्या है (Ved kitne hai what is ved) तथा वेदों के बारे में अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को जाना आशा करता हूँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।

FAQ For Veda

Q.1. सबसे पुराना वेद कौन सा है?

Ans. सबसे पुराना वेद ऋग्वेद है, जिसमें 10 मंडलों सहित देवताओं की स्तुति के लिए 1028 श्लोक 11 बालखिल्य श्लोक तथा 10462 मंत्र समाहित हैं।


Q.2. वेद कितने प्रकार के होते हैं?

Ans. वेद चार प्रकार के होते है, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद


Q.3. वेद किसने लिखा है?

Ans. वेदों को लिखित रूप में संकलित करने का श्रेय कृष्ण दैपायन है, जिन्हें महर्षि वेदव्यास कहते है को प्राप्त है।

वेदों की संख्या कितनी होती है नाम बताइए?

ये ही चार विभाग ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के नाम से प्रसिद्ध है।

भारत में वेदों की संख्या कितनी है?

वेद संख्या में चार हैं। ऋग्वेद,सामवेद,यजुर्वेद,अथर्ववेद। सबसे पहले जवाब दिया गया: वेदों की संख्या कितनी है तथा उनके नाम?

वेदों का दूसरा नाम क्या है?

वेद का दूसरा नाम है “श्रुति“. श्रुति का अर्थ होता है सुनना. कारण वेद सृष्टि के सृजनहार ब्रह्म जी के द्वारा ऋषि, मुनियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित है. यही कारण है की इसे श्रुति के नाम से भी जाना जाता है.

पांचवा वेद कौन सा है?

ये चार वेद क्रमश: ऋग्वेद,यजुर्वेद,सामवेद व अथर्ववेद हैं। वहीं शास्त्रों के अनुसार महाभारत को पांचवा वेद कहा जाता है।