वाक्य के मुख्य भागवाक्य के मुख्य भाग:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे वाक्य के मुख्य भाग के बारे में चर्चा करेंगे। वाक्य किसे कहते हैं, इसकी क्या परिभाषा हैं तथा इसके मुख्य भाग कौन-कौन से हैं, इन सब के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे? Show इससे पहले की पोस्ट के माध्यम से आप “अलंकार की परिभाषा व भेद” के बारे में विस्तार से पढ चुके हैं। वाक्य का अर्थ:- वाक्य ऐसे सार्थक शब्दों का समूह होता है जिससे कोई विशेष भाव या अर्थ प्रकट होता है| वाक्य के द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि वक्ता क्या कहना चाहता है| इसमें शब्दों का सार्थक तथा व्यवस्थित समूह होता है| वाक्य की परिभाषा- “सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे वक्ता का भाव स्पष्ट रूप से प्रकट हो जाए, वाक्य कहलाता है।” जैसे:- राम ने बाली को बाण से मार दिया। वाक्य के अनिवार्य भाग:- वाक्य के निम्नलिखित 6 अनिवार्य तत्व होते हैं:- 1.- सार्थकता 2.- योग्यता 3.- आकांक्षा 4.- निकटता 5.- क्रम 6.- अन्वय हिंदी भाषा में वाक्य अनिवार्य तत्व:- 1.- सार्थकता:- वाक्य के अंदर सार्थकता होनी अनिवार्य है। इसके लिए यह आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए| इससे वक्ता के कथन का भाव स्पष्ट हो जाता है कि वह क्या कहना चाहता हैं। जैसे- रामसिंह फुटबॉल से खेलती है। उपरोक्त वाक्य में रामसिंह पुरुष है तथा यहाँ खेलता है आएगा| सही अर्थ की दृष्टि से यह वाक्य अशुद्ध है। इसलिए सार्थकता की दृष्टि से शुद्ध वाक्य होगा – रामसिंह फुटबॉल से खेलता है। दूसरा उदाहरण देखतें हैं- अनीता चाय खाती है। इस वाक्य में चाय पीने की चीज है खाने की नहीं। सही अर्थ की दृष्टि से यह वाक्य अशुद्ध है। शुद्ध वाक्य होगा- अनीता चाय पीती है। वाक्य के मुख्य अवयव2.- योग्यता:- वाक्य के अंदर वक्ता के भाव का बोध कराने की योग्यता भी होनी चाहिए। वाक्य में सार्थक शब्दों के साथ-साथ अर्थ देने की योग्यता होनी बहुत आवश्यक है। जैसे:- भालू उड़ता है। उपर के वाक्य में भालू और उड़ने में आपस में योग्यता नहीं है। हम यह जानते हैं कि भालू उड़ नहीं सकता है| व्याकरण की दृष्टि से यह वाक्य शुद्ध नहीं है। शुद्ध वाक्य होगा- भालू दौड़ता है। वाक्य के अनिवार्य तत्व:- 3.- आकांक्षा:- हिंदी भाषा में वाक्य के अंदर आकांक्षा का होना भी बहुत जरूरी है। आकांक्षा का अर्थ होता है इच्छा अर्थात एक पद के सुनने के बाद अगले पद को जानने की इच्छा को ही ‘आकांक्षा’ कहते है। भाषा के अनुसार जहां पर वाक्य में आकांक्षा रह जाती है, तो उसे पूर्ण वाक्य नहीं माना जाता है क्योंकि वह वाक्य अर्थ पूर्ण अभिव्यक्ति को प्रकट करने में समर्थ नहीं होता है। जैसे- जनक खेलता है। संदीप जाता है। उपर के दोनों वाक्यों में पूरी बात स्पष्ट नहीं हो रही है। पहले वाक्य से यह पता नहीं लग रहा कि क्या खेला जा रहा है। इसलिए व्याकरण की दृष्टि से यह वाक्य शुद्ध नहीं है। दूसरे वाक्य से यह नहीं पता लग रहा कि कहां जाया जा रहा है। इसलिए व्याकरण की दृष्टि से यह वाक्य शुद्ध नहीं है। व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध वाक्य निम्न प्रकार से होंगे- जनक हॉकी खेलता है। संदीप दिल्ली जाता है। वाक्य के अनिवार्य तत्त्व4.- निकटता:- हम यह जानते है कि लिखते या बोलते समय वाक्य के शब्दों में निकटता होनी चाहिए। रुक रुक कर बोले गए या लिखे गए शब्दों से वाक्यों निर्माण नहीं होता है| वाक्य में निरंतर प्रवाह का होना अति आवश्यक है| तभी वाक्य में सार्थकता आती है। जैसे:- सचिनतेन्दुलकर————-क्रिकेट——– का—————–बहुत—————अच्छा ————खिलाड़ी—————- है। उपर के वाक्य में प्रयोग किये गए पदों के बीच की दूरी एवं समय में काफी अंतराल है। इन पदों के बीच में दूरी एवं समय का अंतराल अधिक होने के कारण यह वाक्य प्रभावशाली ढंग से वक्ता का भाव स्पष्ट करने में समर्थ नहीं है। व्याकरण की दृष्टि से सही वाक्य इस प्रकार होगा- सचिनतेन्दुलकर क्रिकेट का बहुत अच्छा खिलाड़ी है। वाक्य के अनिवार्य तत्व:- 5.- क्रम:- यहां पर क्रम का अर्थ है-पदों का क्रमबद्ध होना। वाक्यों को लिखते या बोलते समय पदों का क्रम व्याकरण की दृष्टि से सही होना चाहिए| यदि पदों का क्रम सही नहीं होगा तो वाक्य का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। जैसे:- है जाती उषा स्कूल। उपर के वाक्य में व्याकरणिक पद क्रम का अभाव है। इसी कारण से यह वाक्य शुद्ध नहीं है। शुद्ध वाक्य इस प्रकार से होगा- उषा स्कूल जाती है| वाक्य के अनिवार्य भागएक अन्य उदाहरण देखतें हैं- पीती है गुलाबजामुन चाय और है खाती स्नेहा। उपर के वाक्य में व्याकरणिक पद क्रम का अभाव है। इसी कारण यह वाक्य अशुद्ध है। शुद्ध वाक्य निम्न प्रकार से होगा- स्नेहा चाय पीती है और गुलाबजामुन खाती है। 6.- अन्वय:- हिंदी व्याकरण की दृष्टि से अन्वय का अर्थ होता है मेल। भाषा की दृष्टि से वाक्य के पदों में लिंग, वचन, काल आदि की दृष्टि से सामंजस्य होना जरुरी है। जैसे:- ट्रेन समय पर नहीं आया था| उपर के वाक्य में वक्ता के कथन का भाव तो पता चल रहा है। लेकिन व्याकरण की दृष्टि से यह वाक्य शुद्ध नहीं है| इस वाक्य में प्रयुक्त पदों मे कर्ता, क्रिया की दृष्टि से सही मेल नहीं है। इसलिए यह वाक्य शुद्ध नहीं है। सही वाक्य इस प्रकार होगा- ट्रेन समय पर नहीं आई थी| एक अन्य उदाहरण को देखते हैं- कल श्याम किशोरी लाल ने चाय पिया था। उपर के वाक्य में वक्ता के कथन का भाव तो स्पष्ट हो रहा है। लेकिन व्याकरणिक दृष्टि से वाक्य में प्रयोग किये गए पदों में लिंग, वचन की दृष्टि से सही मेल नहीं है। अत: वाक्य शुद्ध नहीं है| शुद्ध वाक्य निम्न प्रकार से होगा- कल श्याम किशोरी लाल ने चाय पी थी। वाक्य का आवश्यक तत्व कौन कौन से हैं?वाक्य-गठन में दो प्रकार के तत्व निहित होते है : (1) मुख्य तत्व (2) विशेषक तत्व। मुख्य तत्व भी दो हैं : (1) संज्ञा या उद्देश्य (2) क्रिया या विधेय। यह वाक्य का सर्वप्रमुख तत्व होता है। सरल भाषा में कह सकते हैं कि जिसके विषय में कुछ कहा जाए उसे उद्देश्य कहते हैं।
वाक्य के प्रमुख अंग कितने होते हैं?वाक्य के दो अंग होते हैं, उद्देश्य और विधेय।
वाक्य के कौन से दो मुख्य अवयव हैं?वाक्य में मुख्य रूप से दो खण्ड होते हैं - उद्देश्य और विधेय। वाक्य में जिस वस्तु के विषय में विधान किया जाता है, उसे सूचित करने वाले शब्द को उद्देश्य कहते हैं । उद्देश्य के विषय में विधान करने वाला शब्द विधेय कहलाता है। जैसे 'पानी गिरता है' वाक्य में 'पानी' शब्द उद्देश्य है और 'गिरता है' शब्द विधेय।
वाक्य को कितने भागों में बांटा गया है?एक वाक्य में दो मुख्य भाग होते हैं- Subject (उद्देश्य) और Predicate (विधेय)।
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